Kol Janjati Ka Samanya Parichay
➧ यह जनजातीय प्रोटो-आस्ट्रोलॉयड समूह से संबंधित हैं।
➧ इनकी भाषा का नाम भी कोल है तथा भाषायी रूप से इनका संशोधन कोलेरियन समूह से है।
➧ कोल झारखण्ड की 32वीं जनजाति है जिसे भारत सरकार ने 2003 में जनजाति की श्रेणी में शामिल किया है।
➧ झारखंड में इस जनजाति का संकेन्द्रण मुख्यत: देवघर, दुमका, व गिरिडीह जिले में है।
➧ समाज और संस्कृति
➧ इनका परिवार पितृसत्तात्मक और पितृवंशीय होता है।
➧ इस जनजाति में वधू मूल्य को 'पोटे' कहा जाता है।
➧ इनके गांव प्रधान को मांझी कहा जाता है।
➧ आर्थिक व्यवस्था
➧ इस जनजाति का परंपरागत पेशा लोहा गलाना तथा उनके सम्मान बनाना है।
➧ वर्तमान में इस जनजाति के लोग तीव्रता से कृषि को अपना व्यवसाय बना रहे हैं।
➧ धार्मिक व्यवस्था
➧ कोल जनजाति के लोग सरना धर्म के अनुयायी हैं तथा इनका प्रमुख देवता सिंगबोंगा है।
➧ इस जनजाति में शंकर भगवन, बजरंगबली, दुर्गा एवं काली मां की भी पूजा की जाती है।
➧ इस जनजाति पर हिंदू धर्म का सर्वाधिक प्रभाव है।
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