Jharkhand Ki Jalvayu
➤उष्णकटिबंधीय अवस्थिति एवं मानसून हवाओं के कारण झारखंड के जलवायु उष्णकटिबंधीय मानसूनी प्रकार की है।
➤ कर्क रेखा झारखंड राज्य के लगभग मध्य से होकर गुजरती है।
यहाँ मुख्यतः तीन प्रकार की जलवायु पाई जाती है
ग्रीष्म ऋतु
वर्षा ऋतु
शीत ऋतु
तीनों ऋतु में काफी अंतर रहता है, कर्क रेखा पर स्थित झारखंड के स्थल है ,नेतरहाट, किस्को ,ओर मांझी, गोला,मुरहूलमुदि , गोपालपुर पोखना,गोसाइडीह और पालकुदरी।
➤मौसम/ऋतु
➤ग्रीष्म ऋतु
➤ग्रीष्म ऋतु 15 मार्च से 15 जून तक रहता है, इस ऋतु में झारखंड का ग्रीष्म ऋतु में मासिक औसत तापमान 29 डिग्री से 45 डिग्री सेल्सियस के बीच रहता है, राज्य का सर्वाधिक गर्म महीना में है।
➤ इस उच्च तापमान का कारण सूर्य का उत्तरायण होना, दिन की लंबाई बढ़ना और सूर्यताप का बढ़ते जाना है।बढ़ते तापमान के कारण पठार के उत्तरी-पूर्वी भाग में निम्न दाब उत्पन्न हो जाती है। इस ऋतु में आर्द्रता कम होने लगती हैं।
➤ राज्य का सबसे गर्म स्थल जमशेदपुर है,
➤ उत्तर पूर्वी भाग में निम्न वायुदाब का क्षेत्र बन जाता है परिणाम स्वरूप पश्चिम से पूर्व की दिशा में हवा प्रवाहित होने लगती है, इस समय थोड़े बहुत वर्षा पश्चिम बंगाल की खाड़ी से आने वाले हवाओं से होती है।
➤वर्षा ऋतु
➤वर्षा ऋतु 15 जून से 15 अक्टूबर तक वर्षा ऋतु रहता है, इस समय वर्षा अधिक होती है, यद्यपि वर्षा प्रारंभ में ग्रीष्मकालीन प्रभाव रहता है, लेकिन वर्षा बढ़ने के साथ ही मौसम में परिवर्तन होने लगता है।
➤ क्षेत्रीय विषमताओं के कारण यह वर्षा में विभिन्नता पाई जाती है। यहाँ ऊँचे क्षेत्रों में अधिक वर्षा होती है, वर्षा का मात्रा दक्षिण से उत्तर और पूरब से पश्चिम की ओर कम होती जाती है।
➤ सर्वाधिक वर्षा वाला स्थान नेतरहाट (लातेहार) हैं।
➤जब की चाईबासा का मैदानी भाग कम वर्षा का क्षेत्र है।
➤शीत ऋतु
➤शीत ऋतु अक्टूबर से ही उत्तरार्द्ध ही सर्दियां शुरू हो जाती है, और फरवरी के अंत तक रहती है।
➤ सर्दियों का प्रभाव पूरी तरह 15 मार्च के पहले सप्ताह में ही समाप्त हो जाती है, जब धीरे-धीरे ग्रीष्म ऋतु का शुरुवात होता है।
➤यहां का सबसे ठंडा स्थान नेतरहाट है, यहां का तापमान जनवरी में 7.50 सेंटीग्रेड से नीचे चला जाता है। यहां की अपेक्षा मैदानी इलाकों में ठंड कम होती है।
➤उत्तरी-पश्चिमी हवा में सामयिक व्यवधान के कारण कभी-कभार हल्की बारिश हो जाती है, जो रबी फसलों के लिए बहुत उपयोगी साबित होती है।
➤ राज्य का सर्वाधिक ठंडा महीना जनवरी होता है,जनवरी में कभी-कभी शीतलहरी चलती है और कभी-कभी पाला भी गिरता है।
➤जलवायु प्रदेश
➤ छोटा नागपुर की जलवायु को मौसम विज्ञानियों ने 7 विभागों में विभाजित किया है अयोध्या प्रसाद ने इस जलवायु चित्र वर्णन अपनी पुस्तक में किया है जो निम्न प्रकार है।
(1)उत्तर व उत्तर पश्चिमी जलवायु का क्षेत्र।
(2) मध्यवर्ती जलवायु क्षेत्र।
(3)पूर्वी संथाल परगना (डेल्टाई प्रभाव क्षेत्र)।
(4) पूर्वी सिंहभूम (सागरीय प्रभाव वाला जलवायु क्षेत्र)।
(5)दक्षिणी पश्चिमी जलवायु क्षेत्र।
(6)रांची और हजारीबाग पठार का जलवायु क्षेत्र।
(7) पाट जलवायु क्षेत्र।
(1)उत्तर व उत्तर पश्चिमी जलवायु का क्षेत्र।
(2) मध्यवर्ती जलवायु क्षेत्र।
➤ इस क्षेत्र में वर्षा 50से 60 सेंटीमीटर होती है।
➤तेज हवाओं का आगमन होने से लू तथा तेज आंधी भी इस क्षेत्र में यदा-कदा रहती है, लेकिन इसका प्रभाव अधिक नहीं होता, इसमें हजारीबाग,बोकारो और धनबाद शामिल है।
➤यह क्षेत्र लगभग महाद्वीपीय प्रकार की है। किंतु तापमान में अपेक्षाकृत कमी एवं वर्षा में अपेक्षाकृत अधिकता के कारण इससे एक पृथक प्रकार उपमहाद्वीप प्रकार का दर्जा दिया गया है।
(3)पूर्वी संथाल परगना (डेल्टाई प्रभाव क्षेत्र)
➤इस जलवायु क्षेत्र का विस्तार साहिबगंज, पाकुड़ जिले क्षेत्रों में है, जो राजमहल पहाड़ी के पूर्वी ढाल का क्षेत्र है, इस जलवायु क्षेत्र की समानता बंगाल की जलवायु से की जा सकती है।
➤ यह नॉर्वेस्टर का क्षेत्र है ग्रीष्म काल में नार्वे स्तर से इस क्षेत्र में 13 पॉइंट 5 सेंटीमीटर वर्षा होती है और इस क्षेत्र में कुल औसत वार्षिक वर्षा 152 पॉइंट 5 सेंटीमीटर होती है।
➤राजमहल की पहाड़ियां उष्ण पश्चिमी वायु और बंगाल की खाड़ी के आर्द्र वायु के बीच दीवार खड़ी हो जाती है, गर्मियों में अधिक वर्षा का कारण भी बनती है।
(4) पूर्वी सिंहभूम (सागरीय प्रभाव वाला जलवायु )क्षेत्र
➤पूर्वी सिंहभूम क्षेत्र (सागर प्रभावित प्रकार) :-इस जलवायु क्षेत्र का विस्तार पूर्वी सिंहभूम,सरायकेला खरसावां जिला एवं पश्चिमी सिंहभूम जिला के पूर्वी क्षेत्र में है।
➤इस जलवायु क्षेत्र का उत्तरी हिस्सा सागर से 200 किलोमीटर की दूरी पर है, जबकि दक्षिणी हिस्सा सागर से 100 किलोमीटर की दूरी पर है।
➤ यह जलवायु क्षेत्र नॉर्वेस्टर के प्रभाव क्षेत्र में आता है। इसलिए इस क्षेत्र में नॉर्वेस्टर के प्रभाव से होने वाले मौसमी घटनाएं घटित होती है।
➤यह जलवायु क्षेत्र गर्मी के मौसम में सर्वाधिक वर्षा प्राप्त करने वाले जलवायु क्षेत्र है ।
➤इस जलवायु क्षेत्र में कुल औसत वार्षिक वर्षा 140 सेंटीमीटर से 152 सेंटीमीटर के बीच होती हैं।
(5)दक्षिणी पश्चिमी जलवायु क्षेत्र।
➤दक्षिणी पश्चिमी जलवायु क्षेत्र पश्चिमी सिंहभूम का दक्षिणी क्षेत्र है, जिसमें कोयल, शंख नदी है।
➤इस जलवायु के विस्तार क्षेत्र है, यहां पहाड़ी क्षेत्र के कारण समुद्री हवाओं का आगमन नहीं होता है, इसी कारण यहां शुष्कता बनी रहती है,और यहाँ शुष्कता का सघन वन क्षेत्रों के कारण गर्मी पैदा करती है, यहां वार्षिक वर्षा औसत रूप से 60 सेंटीमीटर है।
(6)रांची और हजारीबाग पठार का जलवायु क्षेत्र।
➤इस जलवायु क्षेत्र का विस्तार राँची - हजारीबाग जलवायु पठारी क्षेत्र में है।
➤ इस जलवायु क्षेत्र की जलवायु तीव्र एवं सुखद प्रकार की है जो झारखंड में कहीं और नहीं मिलती है।
➤इस प्रकार की जलवायु के निर्माण में इस भु-विभाग की ऊंचाई की महत्वपूर्ण भूमिका है ऊंचाई के कारण ही चारों और की अपेक्षा यहां तापमान कम रहता है।
➤ रांची में औसतन अधिक वर्षा औसतन वर्षा 151 ऑन पॉइंट 5 सेंटीमीटर एवं हजारीबाग में औसतन वर्षा 148 पॉइंट 5 सेंटीमीटर होती है।
➤ यहां गर्मियों में तापमान अधिक रहता है और राते अपेक्षाकृत ठंडी रहती है।
(7) पाट जलवायु क्षेत्र।
➤इस जलवायु क्षेत्र में वनों की सघनता और क्षेत्र की ऊंचाई अधिक होने के कारण यहां अधिक वर्षा होती है मौसम सुखद रहता है। इस क्षेत्र में बगड़ू और नेतरहाट आदि क्षेत्र आते हैं।
➤इस जलवायु की प्रमुख विशेषताएं हैं -अधिक वर्षा का होना,अधिक बादलों का आना,ग्रीष्म में शीलत बना रहना ,और शीत ऋतु में शीतलतम हो जाना।
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