झारखण्ड की प्रशासनिक व्यवस्था PART-2
➤क्षेत्रीय प्रशासन
➤प्रशासनिक सुविधा के लिए झारखंड राज्य को प्रमंडलों में , प्रमंडल को ज़िलों में, जिला को अनुमंडलों में एवं अनुमंडल को प्रखंडों में प्रखंड को अंचलों में बांटा गया है।
➤वर्तमान में झारखंड राज्य वर्तमान में झारखंड राज्य में 5 प्रमंडल, 24 जिले, 45 अनुमंडल और 267 प्रखंड है।
➤राज्य में क्षेत्रीय प्रशासन होता है, जो व्यापक रूप से राज्य में सरकारी नीतियों, नियमों और सुविधाओं को आदेशात्मक रूप से क्रियान्वयन करता है।
➤राज्य में क्षेत्रीय प्रशासन को 5 भागों में बांटा गया है
➤प्रमंडलीय प्रशासन
➤ जिला प्रशासन
➤अनुमंडल प्रशासन
➤प्रखंड प्रशासन
➤ग्राम पंचायत
➤प्रमंडलीय प्रशासन
➤राज्य में पांच प्रमंडल है जो निम्न प्रकार है।
➤ प्रमंडल - मुख्यालय
➤ पलामू प्रमंडल - मेदिनीनगर
➤संथाल परगना प्रमंडल - दुमका
➤उत्तरी छोटानागपुर प्रमंडल - हजारीबाग
➤दक्षिणी छोटानागपुर - रांची
➤कोल्हान प्रमंडल - चाईबासा
➤प्रमंडलीय प्रशासन व्यवस्था जिसके प्रमुख प्रमंडलीय आयुक्त होते हैं।
➤ये आयुक्त भारतीय प्रशासनिक सेवा के अधिकारी होते हैं।
➤आयुक्त के कार्यों में जिलाधिकारियों के विधि -विकास कार्यों में पर्यवेक्षक की भूमिका और न्यायालय के कार्य आदि होते हैं।
➤आयुक्त के सहायक अपर जिला दंडाधिकारी स्तर के सचिव के अलावा एक उपनिदेशक (खाद्य) उप-निदेशक (पंचायती राज) और अपर जिला दंडाधिकारी (फ्लाइंग स्क्वॉयड)के रूप में होते हैं।
➤प्रमंडल का प्रमुख आयुक्त कमिश्नर कहलाता है।
➤जिला प्रशासन
➤ झारखंड में कुल 24 जिले हैं।
➤झारखंड राज्य गठन के समय 18 जिले थे।
➤ झारखंड गठन के बाद 6 जिला का निर्माण हुआ।
➤ सरायकेला खरसावां :- पश्चिमी सिंहभूम जिला के विभाजन के फल स्वरुप 19वॉ जिला के रूप में स्थापित किया गया, इसका गठन 1 अप्रैल 2001 को हुआ।
➤लातेहार :- पलामू जिला के विभाजन के फल स्वरुप 20वां जिला बना, इसका गठन 4 अप्रैल 2001 को हुआ।
➤ जामताड़ा :- दुमका जिला के विभाजन के फल स्वरुप 21वां जिला बना, इसका गठन 26 अप्रैल 2001 को हुआ।
➤सिमडेगा :- गुमला जिला के विभाजन के फल स्वरुप 22वां जिला बना , इसका गठन 30 अप्रैल 2001 को हुआ।
➤ खूंटी :- रांची जिला के विभाजन के फल स्वरुप 23वां जिला के रूप में बना, इसका गठन 12 सितम्बर 2007 को हुआ।
➤ रामगढ़ :- हजारीबाग जिले के विभाजन के फल स्वरुप 24वॉ जिला बना , इसका गठन 12 सितम्बर 2007 को हुआ।
➤ जिला प्रशासन का उद्देश्य सरकार के सभी सेवाओं को प्रभावी ढंग से नागरिकों का तक पहुंचाना है।
➤इसका प्रमुख जिला अधिकारी होता है।
➤राज्य में जिला अधिकारी को 'उपायुक्त' पदनामित किया जाता है।
➤इससे विभिन्न पदों में अपना कार्यभार संभालना होता है।
➤कलेक्टर के रूप में उपायुक्त को निम्न कार्य करने होते हैं।
➤भू-राजस्व वसूली।
➤कैनाल एवं अन्य शुल्क की वसूली।
➤राजकीय ऋणों की वसूली।
➤राष्टीय विपदाओं का मूल्यांकन और उसमें सहायता कार्य।
➤स्टांप एक्ट का प्रभावी क्रियान्वयन।
➤सामान्य एवं विशेष भूमि अर्जन का कार्य।
➤जमीनदारी बॉण्ड्स का भुगतान।
➤भू-अभिलेखों का समुचित रख-रखाव।
➤भूमि पंजीकरण का कार्य।
➤संख्यांकी संबंधी रिकॉर्ड रखना।
➤जिला पदाधिकारी की भूमिका में उपायुक्त के कार्य इस प्रकार हैं।
➤कलेक्टर की भूमिका के साथ ही उपायुक्त को जिला पदाधिकारी की भूमिका भी निभानी पड़ती है।
➤ नागरिक सुविधाओं के क्रियान्वयन हेतु इस भूमिका में उपायुक्त के कार्य इस प्रकार हैं।
➤ राज्य सरकार के आदेशों का क्रियान्वयन करना।
➤ जिला कोषागार का प्रबंध करना।
➤ प्रशासनिक पदाधिकारियों को परीक्षण देना।
➤चरित्र प्रमाण पत्र और नागरिकता संबंधी प्रमाण पत्र निर्गत करना।
➤अनुसूचित जनजाति,जनजाति, पिछड़े वर्गों, सैनिकों और भूमिहीनों के लिए भूमि बंदोबस्ती संबंधी कार्य करना।
➤जिला समाहरणालय में दंडाधिकारियों की प्रतिनियुक्ति करना।
➤कर्मचारियों एवं पदाधिकारियों के पेंशन संबंधी मामलों का निष्पादन करना।
➤जिला स्तरीय समितियों के अध्यक्षता और नियमित बैठकों का आयोजन करना।
➤केंद्र अथवा राज्य के मंत्रियों के जिले में आगमन पर सुरक्षा-प्रबंध करना।
➤जिला स्तर के सभी अधिकारियों पर बजट नियंत्रण रखना।
➤राष्ट्रपति, प्रधानमंत्री, उपराष्ट्रपति के जिला-भ्रमण दौरो पर सुरक्षा-प्रबंध करना।
➤जिला में शिक्षा की गुणवत्ता बनाए रखने के लिए शिक्षा पदाधिकारियों का पर्यवेक्षण करना।
➤सामान्य नागरिकों की शिकायतें सुनकर आवश्यक कार्रवाई करना।
➤जिले में मूलभूत सुविधाओं का आपूर्ति संबंधी पर्यवेक्षण करना।
➤अनुमंडल प्रखंड ग्राम स्तर के पदाधिकारियों पर नियंत्रण, पर्यवेक्षण और उन्हें अवकाश देने संबंधी कार्य करना।
➤जिला दंडाधिकारी की भूमिका में उपायुक्त के कार्य इस प्रकार हैं।
➤उपायुक्त को इन दो भूमिकाओं के बाद जिला दंडाधिकारी के रूप में भी जिला में शांति बनाए रखने का महत्वपूर्ण कार्य करना होता है।
➤इस भूमिका में उपायुक्त के कार्य इस प्रकार हैं।
➤पर्व त्योहार और विशेष व्यक्ति की सुरक्षा में दंडाधिकारी की तैनाती करना।
➤अनुसूचित जाति ,जनजाति, पिछड़े वर्ग को प्रमाण पत्र निर्गत करना।
➤अशांति, हिंसा और दंगों की स्थिति में सेना का प्रभावित क्षेत्र में फ्लैग मार्च कराना।
➤बिगड़ती न्याय व्यवस्था के नियंत्रण के लिए आवश्यक कदम उठाना, कर्फ्यू लगाना आदि।
➤अधीनस्थ कार्यपालक दंडाधिकारियों की प्रतिनियुक्ति करना।
➤जेलों का औचक अथवा पूर्व नियोजित, नियोजित निरीक्षण करना।
➤बंदियों को व्यवहार के आधार पर श्रेणी देना अथवा पैरोल पर छोड़ना।
➤अपराधों की वार्षिक रिपोर्ट राज्य सरकारों को सौंपना।
➤जिला अंतर्गत सभी थानों का वार्षिक निरीक्षण करना।
➤आपदा, दुर्घटना, उग्रवादी गतिविधियों में पीड़ितों को मुआवजा देना।
➤जिला स्तर के विभिन्न चुनाओं को शांतिपूर्ण संपन्न कराना।
➤जिले में मनोरंजन संस्थाओं से मनोरंजन कर लागू करके वसूलना।
➤जिले की मतदाता सूची को अद्यतन करना कराना।
➤संसदीय विधानसभा क्षेत्रों का परिसीमन कराना।
➤जनगणना संबंधी कार्य पूर्ण कराना।
➤जिला समन्वयक की भूमिका में उपायुक्त के कार्य इस प्रकार हैं।
➤जिला उपायुक्त को विभिन्न जिला स्तरीय विभागों के बीच सहयोग एवं समन्वय बनाकर रखना पड़ता है।
➤इस समन्वयक भूमिका में वह निम्नलिखित विभागों और उनके पदाधिकारियों से निरंतर संपर्क में रहता है।
➤पुलिस विभाग के पुलिस अधीक्षक से।
➤ वन विभाग के वन पदाधिकारी से।
➤शिक्षा विभाग के जिला शिक्षा पदाधिकारी से।
➤सहकारी विभाग के सहायक निबंधक से।
➤कृषि विभाग के जिला कृषि पदाधिकारी से।
➤खनन विभाग के सहायक खनन पदाधिकारी से।
➤चिकित्सा विभाग के सिविल सर्जन से।
➤निबंधन विभाग के सहायक निबंधक से।
➤उद्योग विभाग के जिला उद्योग पदाधिकारी से।
➤उत्पाद विभाग के अधीक्षक से।
➤आपूर्ति विभाग के जिला आपूर्ति पदाधिकारी से।
➤इस प्रकार जिलाधिकारी/उपायुक्त जिले का प्रमुख होता है जो अपनी पूर्ण क्षमता और अधिकारों के साथ जिले के नागरिकों और राज्य सरकार के बीच सुविधा-सेतु का काम करता है।