Jharkhand Ke Pramukh Udyog
➧ झारखंड प्राकृतिक संसाधनों से संपन्न राज्य है। भारत के कुल खनिज भंडार का 40% झारखंड राज्य में पाया जाता है।
➧ खनिजों की उपलब्धता के कारण राज्य में औद्योगिक विकास की अपार संभावनाएं मौजूद हैं। उद्योगों के विकास से आर्थिक संवृद्धि सुनिश्चित होने के साथ-साथ रोजगार के अवसर भी बढ़ेंगे।
राज्य के प्रमुख उद्योगों का वर्गीकरण
➧ वन संसाधन आधारित उद्योग :- झारखंड में लाह, गोंद, साल के बीच, महुआ के फूल एवं बीज, तेंदूपत्ता आदि लघु वनोत्पाद हैं।
➧ इसके अतिरिक्त राज्य में कागज, अखबारी कागज, लुगदी आदि उद्योगों की भी अपार संभावनाएं हैं।
➧ खाद्य प्रसंस्करण उद्योग :- झारखंड भारत में सबसे अधिक सब्जी उत्पादक राज्यों में से एक है झारखंड में सब्जियों में टमाटर, आलू, भिंडी, गोबी, शकरकंद तथा फलों में अमरूद, आम आदि का उत्पादन होता है।
➧ पापड़, चटनी, तंबाकू आदि प्रसंस्करणयुक्त उत्पादों के लिए भी यह राज्य उपयुक्त है।
➧ कृषि सहायक उद्योग :- इसके अंतर्गत अचार, चटनी, फलों का मुरब्बा, पिसा अनाज आदि उत्पाद पर आधारित उद्योग आते हैं।
➧ सूती वस्त्र उद्योग :- झारखंड में विशेष जाति समुदाय द्वारा हथकरघे से कपड़े बुनने का कार्य किया जाता है।रांची जिले में ओरमांझी गांव में सूत का कारखाना तथा इरबा रांची का 'छोटानागपुर रीजनल हैंडलूम वीवर्स सोसाइटी' इसके लिए प्रसिद्ध है।
➧ रेशमी वस्त्र उद्योग :- देश भर में सबसे अधिक तसर उत्पादन झारखंड में होता है। इसका सबसे अधिक उत्पादन पलामू, रांची, हजारीबाग आदि जिलों में होता है। राज्य में नगड़ी रांची में तसर अनुसंधान केंद्र एवं गोड्डा में तसर कोआपरेटिव सोसाइटी कार्यरत है।
➧ झारखंड की तसर रेशम गुणवत्ता को ऑर्गेनिक सर्टिफिकेशन भी दिया गया है।
➧ वस्त्र उद्योग :- वस्त्र उद्योग के अंतर्गत कपड़ों की सिलाई, क्रय-विक्रय, कपड़ा बुनना, रंगना, धागा कातना आदि उद्योग आते हैं।
➧ लकड़ी उद्योग :- इस उद्योग के अंतर्गत लकड़ी की कटाई (चिराई), फर्नीचर बनाना, लकड़ी का क्रय-विक्रय करना और लकड़ी के खिलौने बनाना आदि आता है।
➧ अन्य उद्योग :- राज्य में अन्य उद्योगों में धातु उद्योग, चर्म उद्योग, साबुन बनाना, चूड़ियां बनाना, अगरबत्ती, मोमबत्ती बनाना, शहद इकट्ठा करना आदि शामिल है।
झारखंड के प्रमुख वृहद उद्योग (Large Industries)
➧ झारखंड की अर्थव्यवस्था में वृहद उद्योगों का महत्वपूर्ण योगदान है।
➧ प्रमुख वृहत उद्योगों का वर्णन निम्नलिखित है:-
1- लौह-इस्पात उद्योग
टाटा लौह एवं इस्पात कंपनी (टाटा आयरन एंड स्टील कंपनी-टिस्को)
➧ टाटा आयरन एंड स्टील कंपनी यानी टिस्को की स्थापना झारखंड के पूर्वी सिंहभूम जिले के साकची नामक स्थान दोराब जी टाटा ने की थी।
➧ दरअसल टिस्को की स्थापना का प्रारंभिक विचार जमशेदजी नौसेरवान जी टाटा का था, परंतु 1904 में इनका निधन हो गया । परंतु जमशेदजी टाटा को ही टिस्को कंपनी का वास्तविक संस्थापक माना जाता है।
➧ जमशेदजी टाटा के नाम पर साकची का नाम बाद में बदलकर जमशेदपुर कर दिया गया। यह संयंत्र की स्थापना स्वर्णरेखा और खरकई नदी के संगम पर की गई।
➧ टिस्को कंपनी की स्थापना 1907 में की गई । परन्तु यहाँ लौह उत्पादन का कार्य 1911 में शुरू हुआ।
टिस्को कंपनी को
(i) कच्चे लोहे की प्राप्ति - नोवामुंडी, गुआ, होक्लातबुरु से होती है।
(ii) कोयले की आपूर्ति - झरिया खदान तथा रानीगंज (बंगाल) खदान से होती है।
(iii) मैग्नीज एवं क्रोमाइट - चाईबासा खान से होती है।
(iv) चूना पत्थर एवं डोलोमाइट - सुंदरनगर (उड़ीसा) से होती है।
(v) जल - स्थानीय नदियों से होता है।
➧ सन 1948 में टाटा मोटर्स के द्वारा यहां 'टाटा इंजीनियरिंग एंड लोकोमोटिव कंपनी' (टेल्को) की स्थापना की गई।
➧ यहां ट्रक, रेलवे वैगन, बॉयलर तथा अन्य गाड़ियों की चेचिस बनाई जाती है।
➧ 2005 में टिस्को कंपनी का नाम बदलकर टाटा स्टील कर दिया गया।
➧ इस औद्यौगिक नगर को 'टाटानगर' भी कहा जाता है।
➧ झारखंड की औद्यौगिक राजधानी मानी जाती है।
2- बोकारो लौह स्टील प्लांट (Bokaro Steel Plant)
➧ यहां उत्पादन कार्य 1972 में शुरू हो गया । यह झारखंड का दूसरा महत्वपूर्ण लौह इस्पात उद्योग केन्द्र है।
➧ यह कारखाना बोकारो जिले के माराफारी नामक स्थान पर गर्गा डैम और तेनुघाट (दामोदर घाटी) के निकट स्थापित किया गया है।
➧ यह भारत का पहला स्वदेशी स्टील संयंत्र है तथा देश का चौथा सबसे बड़ा लौह इस्पात संयंत्र है।
➧ यह कारखाना सैल (स्टील अथॉरिटी ऑफ इंडिया-सेल) के अधीन कार्यरत है।
➧ इस प्लांट से माल ढुलाई के लिए दिल्ली-कोलकाता मार्ग सबसे उपयुक्त है। यह मार्ग उत्पाद को बंदरगाह तक पहुंचाने में मदद करता है।
➧ इस प्लांट को सस्ती बिजली और जल की आपूर्ति दामोदर बिजली परियोजना से की जाती है।
➧ इस संयंत्र को
(ii) कोयला - झरिया खान से प्राप्त होती है।
(ii) चूना पत्थर - पलामू एवं मध्य प्रदेश से प्राप्त होता है।
➧ यहां हॉट रोल्ड कॉयल, रोल्ड प्लेट, रोल्ड शीट, कोल्ड रॉल्ड कॉयल आदि उपकरण तैयार किए जाते हैं।
3- रसायनिक उर्वरक उद्योग (Chemical Industry)
➧ दामोदर घाटी परियोजना से बिजली एवं जल की आपूर्ति तथा बोकारो स्टील प्लांट से कच्चे माल की आपूर्ति की जाती है।
➧ यह कारखाना नाइट्रेड, अमोनियम सल्फेट और यूरिया का बड़े पैमाने पर उत्पादन करता है।
4- तांबा उद्योग (Copper Industry)
➧ घाटशिला के बेदिया एवं मुसाबनी की खानों से कच्चा चूर्ण निकाला जाता है, जिसका चूर्ण बनाकर रोपवे के माध्यम से मउभंडारा कारखाने तक लाया जाता है।
➧ वहां उस चूर्ण को भट्टी में डालकर तांबे से गंधक को अलग किया जाता है।
➧ इंडियन कॉपर कारपोरेशन ने 1930 में घाटशिला के पास तांबा शोधन केंद्र स्थापित किया है।
➧ झारखंड में इसके अलावा दो अन्य स्थानों से भी तांबा उद्योग का संचालन होता है।
(i) हिंदुस्तान कॉपर लिमिटेड के द्वारा जादूगोड़ा से।
(ii) इंडियन केबल कंपनी लिमिटेड के द्वारा जमशेदपुर से।
5- एल्युमिनियम उद्योग (Aluminum Industry)
➧ राज्य में बॉक्साइट का विशाल भंडार है, जिसमें सबसे अधिक भंडार लोहरदगा में है।
➧ सन 1938 ईस्वी में रांची के निकट मुरी में इंडियन एलुमिनियम कंपनी की स्थापना की गई।
➧ बिरला समूह द्वारा इस कंपनी को खरीदने जाने के पश्चात का वर्तमान नाम 'हिंडालको' (Hindustan Aluminium And Corporation- Hindalco Ltd) है।
➧ यह भारत का दूसरा सबसे बड़ा एलुमिनियम संयंत्र है।
➧ हिंडालको संयंत्र को ऑक्साइड के रूप में कच्चे माल की आपूर्ति लोहरदगा एवं पलामू से होती है।
➧ राज्य में निर्मित होने वाले एलुमिना को केरल के अलमपुरम एवं अलवाय, कोलकाता के बेलूर तथा मुंबई के लेई करखानों में भेजा जाता है।
➧ एलुमिनियम का उपयोग बर्तन, बिजली के तार, मोटर, रेल और वायुयान बनाने में किया जाता है।
6- सीमेंट उद्योग (Cement Industry)
➧ राज्य में पर्याप्त चूना पत्थर एवं कोयले के भंडार होने के कारण सीमेंट उद्योग के लिए अनुकूल स्थिति बनती है।
➧ झारखंड में प्रथम सीमेंट उद्योग की स्थापना 1921 में जपला (पलामू) में की गई थी।
➧ झींकपानी, जमशेदपुर, बोकारो एवं सिंदरी में सीमेंट का उत्पादन स्लैग (Slag) एवं स्लेज (Sludge) से होता है।यह सीमेंट कारखानों का उत्पादन है।
➧ जमशेदपुर का लाफार्ज सीमेंट कारखाना में लौह-इस्पात उद्योग के अवशिष्ट का प्रयोग होता है।
➧ सीमेंट एक वजन ह्रास वाला उद्योग है तथा इसका सबसे अधिक प्रयोग भवन निर्माण, सड़क निर्माण जैसे कार्यों में किया जाता है।
7- कांच उद्योग (Glass Industry)
➧ कांच उद्योग में कई सारे खनिजों को कच्चे माल के रूप में उपयोग किया जाता है, जैसे :- सीसा, सिलीका, चूना-पत्थर, सुरमा, शीरा, पोटेशियम कार्बोनेट, सुहागा, सल्फेट आदि ।
➧ इस सभी पदार्थों की आपूर्ति राजमहल की पहाड़ी मंगल घाट और पत्थर घाट से होती है।
8- अभ्रक उद्योग
➧ परंतु वर्तमान समय में अभ्रक उत्पादन झारखंड में लगभग बंद है तथा अभ्रक उत्पादन में भारत का प्रथम राज्य आंध्रप्रदेश बन गया है।
➧ झारखंड में अभ्रक का सबसे प्रसिद्ध खान कोडरमा खान है। अभ्रक उत्पादन कोडरमा के अलावा गिरिडीह और हजारीबाग जिले में किया जाता है।
9- कोयला उद्योग
➧ झारखंड में झरिया, बोकारो, रांची, उत्तरी कर्णपुरा, धनबाद की खानों में कोयला उत्पादन का कार्य किया जाता है।
➧ झारखंड में कोयला निकालने वाली प्रथम कंपनी बंगाल कोल थी।
➧ वर्त्तमान में कोल इंडिया की दो बड़ी इकाइयां झारखंड में कार्यरत है :-
(i) सेंट्रल कोल फील्ड ,रांची।
(ii) भारत कोकिंग कोल लिमिटेड, धनबाद।
➧ केंद्रीय खनन अनुसंधान केंद्र धनबाद में स्थित है। इसकी स्थापना 1926 में लॉर्ड इरविन के समय की गई थी।यह भारत का सबसे प्राचीन खनन शोध केंद्र है तथा वर्तमान में आई.आई.टी. का दर्जा प्राप्त है।
10- इंजीनियरिंग उद्योग
➧ झारखंड में मुख्य रूप से रांची और जमशेदपुर में इंजीनियरिंग उद्योग कार्यरत है।
हेवी इंजीनियरिंग कॉरपोरेशन-एच.ई.सी. (Heavy Engineering Corporation)
➧ हेवी इंजीनियरिंग कॉरपोरेशन की स्थापना वर्ष 1958 (31 दिसंबर) में भारत सरकार ने रूस और चेकोस्लोवाकिया की सहायता से रांची, (झारखंड) में की थी।
➧ भारत के प्रथम प्रधानमंत्री जवाहरलाल नेहरू ने अपने रांची यात्रा के दौरान 15 नवम्बर, 1963 को एच.ई.सी. को आधुनिक उद्योगों का मंदिर कहा था।
➧ यह एशिया का सबसे बड़ा हैवी इंजीनियरिंग करखाना था।
➧ इस संयंत्र में 1964 ई.में उत्पादन शुरू हुआ।
➧ एच.ई.सी. स्टील, खनन, रेलवे, बिजली, रक्षा, अंतरिक्ष अनुसंधान, परमाणु और रणनीति क्षेत्रों के लिए भारत में पूंजी उपकरणों के प्रमुख आपूर्तिकर्ताओं में से एक हैं।
➧ एच.ई.सी. की कुल 3 शाखाएँ हैं।
➧ जो रांची के समीप हटिया नामक स्थान पर कार्यरत हैं।
(i) भारी मशीन निर्माण संयंत्र (Heavy Machine Building Plan-HMBP) :- यह रूस के सहयोग से स्थापित की गई है।
➧ यह संयंत्र किसी भी उद्योग की संरचना डिजाइन करने का छमता रखता है।
➧ यह इस प्लांट में लौह-इस्पात संबंधी भारी उपकरण जैसे एस्केवेटर, क्रेन, ऑयल, ड्रिलिंग, उपकरण आदि बनाते हैं। साथ ही सीमेंट, खाद्य तेल, खनन, ड्रिलिंग मशीन आदि का भी कार्य होता है।
(ii) फाउंड्री फ़ार्ज़ संयंत्र (Foundry Forge Plant-FFT) - इस सयंत्र की स्थापना की चेकोस्लोवाकिया की सहायता से की गई है। यह एक ढलाई भट्टी है।
➧ यहां भारी मशीनों एवं उपकरणों के निर्माण के लिए बड़े-बड़े उच्चता तापीय बॉयलोरो में गलाकर आवश्यक आकृतियों में ढाला जा रहा है। यह अन्य दो शाखाओं की मांग को पूरा करने का काम करता है।
(iii) हैवी मशीन टूल प्लांट (Heavy Machine Tools Plants-HMTP) - इसकी स्थापना रूस की सहायता से की गई है। यहां विभिन्न प्रकार के मशीन के पुर्जे बनाए जाते थे। बोकारो लौह-इस्पात कंपनी के लिए आवश्यक मशीन और उपकरण की आपूर्ति यहीं से की जाती है।
11- यूरेनियम उद्योग
➧ इसका इसका औपचारिक नाम तुरामडीह यूरेनियम प्रोजेक्ट होगा।
➧ राज्य सरकार ने इस कारखाने के निर्माण की मंजूरी दे दी है। परंतु यह कारखाना अभी आरंभ नहीं हुआ है।
➧ एक अनुमान के तहत झारखंड में 40 लाख टन यूरेनियम का भंडार है।
12- विस्फोटक उद्योग
➧ झारखंड में विस्फोटक उद्योग की स्थापना आई.सी.आई द्वारा गोमिया (बोकारो) में किया गया।
13- कोयला धोवन उद्योग(Coal Washeries Industry)
➧ झारखंड में जामादोबा, बोकारो, लोदला, करगाली, दुगदा, पाथरडीह, कर्णपुरा आदि प्रमुख कोयला धोवन केंद्र हैं।
➧ करगाली कोल वाशरी (बोकारो) एशिया की सबसे बड़ी कॉल वाशरी है।
14- रिफैक्ट्री उद्योग (Refractory Industry)
➧ झारखंड में चिरकुंडा, कुमारधुबी, धनबाद, रांची रोड, मुग्मा आदि में इस प्रकार के उद्योगों का विकास हुआ है।
➧ दामोदर घाटी क्षेत्र में पायी जाने वाली मिट्टी इस उद्योग की स्थापना हेतु अत्यंत महत्वपूर्ण है।
15- उर्वरक उद्योग (Fertilizer Industry)
➧ यह पूर्वी भारत का सबसे बड़ा उर्वरक कारखाना है।
➧ यहाँ से अमोनियम सल्फेट, नाइट्रेट एवं यूरिया का उत्पादन किया जाता है।
अन्य करखाने
➧ भारत सरकार ने झारखंड में केंद्रीय प्रबंधन के अंतर्गत कुछ बड़े कारखाने खाले हैं।
(i) सी.सी.एल. (रांची)
(ii) बोकारो इस्पात लिमिटेड (बोकारो)
(iii) ई.सी.एल. (संथाल परगना)
(iv) बी.सी.सी.एल. (धनबाद)
(v) हिंदुस्तान कॉपर लिमिटेड (पूर्वी सिंहभूम)
(vi) एच.ई.सी. (रांची)।
➧ राज्य में बिरला समूह के दो कारखाने स्थित है
(ii) बिहार कास्टिक सोडा एवं केमिकल्स फैक्ट्री रेहला (पलामू) है।
➧ झारखंड राज्य के 12 जिलों में जिला उद्योग केंद्र (District Industry Center) कार्यरत हैं।
➧ झारखंड में वृहद उद्योग की संख्या 167 है, जो राज्य के 15 जिला में स्थापित है।
➧ पूर्वी सिंहभूम जिले में सबसे अधिक 85 उद्योगों की स्थापना हुई है।
झारखंड में वन आधारित उद्योग
(1) लाह उद्योग
➧ लाह के कीड़ों को पालने का कार्य कुसुम, पलास, बेर के पौधों पर किया जाता है।
➧ झारखंड अपने कुल लाह उत्पादन का 90% निर्यात करता है।
➧ लातेहार टोरी लाह निर्यात की दृष्टि से विश्व में प्रथम स्थान रखता है।
➧ सबसे अधिक लाह का उत्पादन खूंटी जिले में किया जाता है।
➧ भारतीय लाह अनुसंधान संस्थान रांची जिले के नामकुम में 1925 में स्थापित किया गया था।
(2) रेशम उद्योग
➧ राज्य में 40% रेशम उत्पादन सिंहभूम क्षेत्र में तथा 26% रेशम उत्पादन संथाल परगना क्षेत्र में होता है।
➧ तसर अनुसंधान केंद्र राँची के नगड़ी में स्थापित किया गया है।
(3) तंबाकू उद्योग
➧ बीड़ी का निर्माण एवं केन्दु पत्ता एवं तंबाकू से किया जाता है।
➧ राज्य में बीड़ी निर्माण का कार्य सरायकेला, जमशेदपुर, चक्रधरपुर, संथाल परगना क्षेत्र में किया जाता है।
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