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Thursday, June 3, 2021

Jharkhand Ki Aadim Janjatiyan Part-5 (झारखंड की आदिम जनजातियां Part-5)

Jharkhand Ki Aadim Janjatiyan Part-5

बिरजिया जनजाति 

➧ बिरजिया जनजाति सदान समुदाय की आदिम जनजाति हैं, जिनका प्रजातीय संबंध प्रोटो-ऑस्ट्रोलॉयड समूह से है

 इस जनजाति के लोग स्वयं को पुंडरीक नाग के वंशज मानते हैं 

 इस जनजाति को असुर जनजाति का हिस्सा माना जाता है 

झारखंड की आदिम जनजातियां Part-5

➧ झारखंड के लातेहार, गुमला और लोहरदगा जिले में इस जनजाति का सबसे अधिक संकेन्द्रण है 

➧ बिरजिया शब्द का अर्थ 'जंगल की मछली' (बिरहोर का अर्थ है-जंगल का आदमी) होता है 

समाज एवं संस्कृति

➧ इनका परिवार पितृसत्तात्मक पितृवंशीय होता है

➧ यह जनजाति सिंदुरिया तथा तेलिया नामक वर्गों में विभाजित है 

➧ विवाह के दौरान 'सिंदुरिया' द्वारा सिंदूर का तथा 'तेलिया' द्वारा तेल का उपयोग किया जाता है

 तेलिया वर्ग पुनः दूध बिरजिया तथा रस बिरजिया नामक उपवर्गों में विभाजित हैं। दूध बिरजिया गाय का दूध पीते हैं व मांस नहीं खाते हैं जबकि रस बिरजिया दूध पीने के साथ-साथ मांस भी खाते हैं 

➧ इस जनजाति में बहु विवाह की प्रथा पायी जाती है

➧ इस जनजाति में सुबह के खाना को 'लुक़मा', दोपहर के भोजन को 'बियारी' तथा रात के खाने को 'कलेबा' कहा जाता है

➧ इन के प्रमुख त्यौहार सरहुल, सोहराई, आषाढ़ी पूजा, करम, फगुआ आदि हैं 

➧ इनके पंचायत का प्रमुख बैगा कहलाता है  

आर्थिक व्यवस्था 

➧ इनका  प्रमुख पेशा कृषि कार्य है  

➧ पाट क्षेत्र में रहने वाले बिरजिया स्थानांतरणशील कृषि करते हैं 

धार्मिक व्यवस्था 

➧ इनके प्रमुख देवता सिंगबोंगा, मरांग बुरु आदि हैं 

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