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Wednesday, June 2, 2021

Jharkhand Ki Aadim Janjatiyan Part-4 (झारखंड की आदिम जनजातियां Part-4)

Jharkhand Ki Aadim Janjatiyan Part-4

असुर जनजाति

➧ असुर जनजाति झारखंड की प्राचीनतम एवं आदिम जनजाति है जिनका प्रजातीय संबंध प्रोटो और ऑस्ट्रोलॉयड समूह से है 
➧ इस जनजाति को 'पूर्वादेवी' भी कहा जाता है
➧ इस जनजाति को सिंधु घाटी सभ्यता का प्रतिष्ठापक माना जाता है
➧ झारखंड में इस जनजाति का प्रवेश मध्यप्रदेश में से हुआ था

झारखंड की आदिम जनजातियां Part-4

➧ इनकी भाषा असुरी है जो ऑस्ट्रो-एशियाटिक भाषा समूह से संबंधित है
➧ इनकी भाषा को मालेय भाषा भी कहा जाता है
 ऋग्वेद में इनका वर्णन निम्न नामों से किया जाता है :-
अनासह: चिपटी नाक वाले 
अव्रत : भिन्न आचरण करने वाले 
मृध: वाच:  अस्पष्ट बोलने वाले 
सुदृढ़ - लौह दुर्ग अथवा अटूट दुर्ग निवासी 
➧ झारखंड में इनका संकेन्द्रण मुख्यत: लातेहार (नेतरहाट के पाट क्षेत्र में सबसे अधिक) गुमला तथा लोहरदगा जिला में है

समाज एवं संस्कृति

➧ असुर गोत्र को पारस कहते हैं 
➧ इनके युवागृह को 'गीतिओड़ा' कहा जाता है
 इस जनजाति में बहिगोत्रीय विवाह का प्रचलन पाया जाता है
➧ असुर जनजाति के प्रमुख गोत्र केरकेट्टा, बघना, बेंग, अईद, बरवा
➧ इस जनजाति में वधू मूल्य को 'डाली टका' कहा जाता है
➧ इस जनजाति में 'इदी मी' नामक एक विशेष परंपरा है, जिसके तहत बिना विवाह किए लड़का-लड़की पति- पत्नी की भांति साथ में रहते हैं परंतु इन्हें कभी-न-कभी आपस में विवाह करना अनिवार्य होता है
➧ इनका परिवार मातृसत्तात्मक होता है तथा इसमें संयुक्त परिवार की प्रणाली पायी जाती है
➧ इस जनजाति में कुंवारे लड़के या लड़कियों द्वारा केले का पौधा लगाना वर्जित होता है
➧ इस जनजाति में गर्भवती स्त्री द्वारा ग्रहण देखना निषिद्ध है 
➧ इस जनजाति में दिन के भोजन को 'लोलोघेटू जोमेकू' तथा रात के भोजन को 'छोटू जोमेकु' कहा जाता है 
➧ हड़िया इनका प्रमुख पेय है जिसे 'बोथा' या 'झरनुई' भी कहा जाता है
➧ इनके प्रमुख त्योहार सरहुल, सोहराई , कथडेली, सरही, कुटसी (लोहा गलाने के उद्योग की उन्नति हेतु) , नवाखानी आदि है
➧ इनकी संस्कृति को 'मय संस्कृति' कहा जाता है
➧ इनके नृत्य स्थल को अखरा कहा जाता है

आर्थिक व्यवस्था 

➧ इस जनजाति का प्रमुख पेशा परंपरागत रूप से लोहा गलाना है

धार्मिक व्यवस्था

➧ इस जनजाति के सर्वोच्च देवता सिंगबोंगा है तथा इनके धार्मिक प्रधान को बैगा कहा जाता है
➧ बैगा का सहायक 'सुबारी' कहलाता है 
➧ इस जनजाति में जादू-टोना करने वाले व्यक्ति को माटी कहा जाता है 

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