Jharkhand Ka Dharataliya Swaroop
➤किसी क्षेत्र के धरातलीय स्वरूप को भौतिक स्वरूप, भौतिक विभाजन/ विभाग, भौगोलिक विभाजन, प्राकृतिक प्रदेश आदि भी कहा जाता है।
➤जहां तक झारखंड के धरातलीय स्वरूप की बात है, तो इसमें छोटानागपुर के पठार का महत्वपूर्ण योगदान है।
➤यह पठार प्रायद्वीपीय पठारी भाग का उत्तर-पूर्वी खंड है।
➤ इस पठार की औसत ऊंचाई 760 मीटर है।
➤उल्लेखनीय है कि पारसनाथ की चोटी की ऊंचाई 1365 मीटर है।
➤झारखंड के धरातलीय स्वरूप को मुख्य रूप से चार भागों में बांटा जाता है
1- पाट क्षेत्र / पश्चिमी पठार
2 -रांची पठार
3 - हजारीबाग पठार
a) -उपरी हजारीबाग पठार
b) -निचली हजारीबाग पठार या बाहर पठार
4 - निचली नदी घाटी एवं मैदानी क्षेत्र
1-पाट क्षेत्र
1 - पाट क्षेत्र या पश्चिमी पठार :- यह झारखंड का सबसे ऊंचा भाग है (पारसनाथ पहाड़ को छोड़कर)।
➤पाट का शाब्दिक अर्थ है :- समतल जमीन।
➤क्योंकि इस भूभाग में अनेक छोटे-छोटे पठार हैं, जिसकी ऊपरी सतह समतल है इसलिए इसे स्थानीय भाषा में पाट क्षेत्र कहते हैं।
➤इसका विस्तार रांची जिले के उत्तर-पश्चिमी भाग से लेकर पलामू के दक्षिणी किनारा तक है।
इससे पश्चिमी पठार भी कहते हैं।
➤यह भूभाग त्रिभुजाकार हैं, जिसका आधार उत्तर में तथा शीर्ष दक्षिण में है।
➤इस क्षेत्र का उत्तरी भाग ठाढ़ एवं निचला भाग दोन कहलाता है।
➤इस क्षेत्र की समुद्र तल से औसत ऊंचाई 900 मीटर है।
➤इस क्षेत्र में स्थित ऊंचे पाटो में नेतरहाट पाट (1180 मीटर), गणेशपुर पाट (1171 मीटर) एवं जमीरा पाट (1142 मीटर) मुख्य है।
➤इस क्षेत्र में मैदान स्थित पहाड़ियों में सानू एवं सारउ पहाड़ी मुख्य हैं।
➤इस क्षेत्र में अनेक नदियों का उद्गम स्थल है, जैसे:- उत्तरी कोयल, शंख, फुलझर आदि।
➤इस क्षेत्र की अधिकांश नदियां चारों तरफ की ऊंचे पठारों से निकलकर शंख नदी में मिल जाती हैं।
➤उत्तरी कोयल, शंख आदि नदियों से काट छांट अधिक हुआ है।
➤बारवे का मैदान इसी पाट क्षेत्र में स्थित है जिसका आकार तश्तरीनुमा है।
2-रांची पठार
➤रांची पठार :-यह झारखंड का सबसे बड़ा पठारी भाग है।
➤पाट क्षेत्र को छोड़कर रांची के आसपास के निचले इलाकों को इसमें शामिल किया जाता है।
➤इस क्षेत्र की समुद्र तल से औसत ऊंचाई 600 मीटर है।
➤रांची पठार लगभग चौरस है।
➤इस चोरस पठारी भाग से कई नदियां निकलती है, जो पठार के किनारों पर खड़ी ढाल के कारण झरनों / जलप्रपातों का निर्माण करती है।
➤इसमें बूढ़ाघाघ /लोधाघाघ , हुंडरू, सदनीघाघ, घाघरी , दशम तथा जॉन्हा / गौतम धारा आदि प्रमुख हैं।
3-हजारीबाग पठार
➤हजारीबाग पठार :- हजारीबाग पठार को दो भागों में विभाजित किया जाता है।
(a) ऊपरी हजारीबाग पठार :- रांची पठार के लगभग समांतर किंतु छोटे क्षेत्र में हजारीबाग जिले में फैले पठार को ऊपरी हजारीबाग पठार कहते हैं।
➤यह दोनों पठार कभी मिले हुए थे, लेकिन अब दामोदर नदी के कटाव के कारण अलग हो गए हैं।
➤ऊपरी हजारीबाग पठार की समुद्र तल से ऊंचाई 600 मीटर है।
(b) निचला हजारीबाग पठार/ बाह्य पठार :- हजारीबाग पठार के उत्तरी भाग को निचला हजारीबाग पठार कहते हैं।
➤यह झारखंड का निम्नतम ऊंचाई वाला पठारी भाग है।
➤छोटा नागपुर पठार का बाहरी हिस्सा होने के कारण इसे बाह्य पठार भी कहते हैं।
➤इस क्षेत्र की समुद्र तल से ऊंचाई 450 मीटर है।
➤किसी क्षेत्र में गिरिडीह के पठार पर बराकर नदी की घाटी के निकट पारसनाथ की पहाड़ी स्थित है
जिसकी ऊंचाई 1365 मीटर है।
➤इसकी सबसे ऊंची चोटी को सम्मेद शिखर कहा जाता है।
➤इसे अत्यंत कठोर पाईरोक्सीन ग्रेनाईट से निर्मित माना जाता है।
4 -निचली नदी घाटी एवं मैदानी क्षेत्र
4 -निचली नदी घाटी एवं मैदानी क्षेत्र :- झारखंड का यह भाग असमान नदी घाटियों एवं मैदानी क्षेत्र से मिलकर बना है।
➤इस भाग की समुद्र तल से औसत ऊंचाई 150-300 मीटर है।
➤इस क्षेत्र में राजमहल की पहाड़ी स्थित है, जो कैमूर के पहाड़ी क्षेत्र तक विस्तृत है।
➤राजमहल की पहाड़ी का विस्तार दुमका, देवघर, गोड्डा ,पाकुड़ का पश्चिमी भाग एवं साहिबगंज का मध्यवर्ती व दक्षिणी भाग में है।
➤राजमहल की पहाड़ी 2000 वर्ग किलोमीटर क्षेत्र में फैला हुआ है।
➤इस क्षेत्र में कहीं-कहीं छोटी पहाड़ियां मिलती है।
➤नुकीली पहाड़ियों को टोंगरी एवं गुबंदनुमा पहाड़ियों को डोंगरी कहते हैं।
➤इसके अतिरिक्त इस क्षेत्र में बड़ी-बड़ी नदियों की घाटियां हैं।
जैसे :- दामोदर, स्वर्णरेखा, उत्तरी कोयल, दक्षिणी कोयल, बराकर,शंख, अजय, मोर, ब्राह्मणी, गुमानी एवं बासलोय इत्यादि।
➤इस क्षेत्र में स्थित कुछ नदियां ऊंचे पठारों से निकलकर अपना मार्ग तय करती हुई गंगा में अथवा स्वतंत्र रूप से सागर में जाकर मिलती है।
➤इस क्षेत्र में स्थित मैदानी क्षेत्र में चाईबासा का मैदान सबसे प्रमुख है।
➤चाईबासा का मैदान पश्चिमी सिंहभूम के पूर्वी-मध्यवर्ती भाग में स्थित है।
➤यह उत्तर में दलमा की श्रेणी, पूर्वी में दलभूम की श्रेणी, दक्षिण में कोल्हान की पहाड़ी, पश्चिम में सारंडा एवं पश्चिमी-उत्तर में पोरहाट की पहाड़ी से घिरा है।