All Jharkhand Competitive Exam JSSC, JPSC, Current Affairs, SSC CGL, K-12, NEET-Medical (Botany+Zoology), CSIR-NET(Life Science)

SIMOTI CLASSES

Education Marks Proper Humanity

SIMOTI CLASSES

Education Marks Proper Humanity

SIMOTI CLASSES

Education Marks Proper Humanity

SIMOTI CLASSES

Education Marks Proper Humanity

SIMOTI CLASSES

Education Marks Proper Humanity

Showing posts with label JH-GEOGRAPHY HINDI. Show all posts
Showing posts with label JH-GEOGRAPHY HINDI. Show all posts

Monday, October 26, 2020

झारखण्ड का धरातलीय स्वरुप ( Jharkhand ka dharataliya swaroop)

Jharkhand Ka Dharataliya Swaroop

झारखण्ड का धरातलीय स्वरुप

झारखण्ड का धरातलीय स्वरुप

किसी क्षेत्र के धरातलीय स्वरूप को भौतिक स्वरूप, भौतिक विभाजन/ विभाग, भौगोलिक विभाजन, प्राकृतिक प्रदेश आदि भी कहा जाता है

जहां तक झारखंड के धरातलीय स्वरूप की बात है, तो इसमें छोटानागपुर के पठार का महत्वपूर्ण योगदान है 

यह पठार प्रायद्वीपीय पठारी भाग का उत्तर-पूर्वी खंड है

 इस पठार की औसत ऊंचाई 760 मीटर है

उल्लेखनीय है कि पारसनाथ की चोटी की ऊंचाई 1365 मीटर है

झारखंड के धरातलीय स्वरूप को मुख्य रूप से चार भागों में बांटा जाता है

1- पाट  क्षेत्र / पश्चिमी पठार 
2 -रांची पठार
3 - हजारीबाग पठार 
    a) -उपरी हजारीबाग पठार 
    b) -निचली हजारीबाग पठार या बाहर पठार 
4 - निचली नदी घाटी एवं मैदानी क्षेत्र

1-पाट क्षेत्र

1 - पाट क्षेत्र या पश्चिमी पठार :- यह  झारखंड का सबसे ऊंचा भाग है (पारसनाथ पहाड़ को छोड़कर)

पाट  का शाब्दिक अर्थ है :- समतल जमीन 

क्योंकि इस भूभाग में अनेक छोटे-छोटे पठार हैं, जिसकी ऊपरी सतह समतल है इसलिए इसे स्थानीय भाषा में पाट क्षेत्र कहते हैं

इसका विस्तार रांची जिले के उत्तर-पश्चिमी भाग से लेकर पलामू के दक्षिणी किनारा तक है
इससे पश्चिमी पठार भी कहते हैं 

यह भूभाग त्रिभुजाकार हैं, जिसका आधार उत्तर में तथा शीर्ष दक्षिण में है 

इस क्षेत्र का उत्तरी भाग ठाढ़ एवं निचला भाग दोन कहलाता है

इस क्षेत्र की समुद्र तल से औसत ऊंचाई 900 मीटर है

इस क्षेत्र में स्थित ऊंचे पाटो में नेतरहाट पाट (1180 मीटर), गणेशपुर पाट  (1171 मीटर) एवं जमीरा पाट (1142 मीटर) मुख्य है 

इस क्षेत्र में मैदान स्थित पहाड़ियों में सानू एवं सारउ पहाड़ी मुख्य हैं

इस क्षेत्र में अनेक नदियों का उद्गम स्थल है, जैसे:- उत्तरी कोयल, शंख, फुलझर आदि 

इस क्षेत्र की अधिकांश नदियां चारों तरफ की ऊंचे पठारों से निकलकर शंख नदी में मिल जाती हैं 

उत्तरी कोयल, शंख आदि नदियों से काट छांट अधिक हुआ है

➤बारवे का मैदान इसी पाट क्षेत्र में स्थित है जिसका आकार तश्तरीनुमा है

2-रांची पठार 

रांची पठार :-यह झारखंड का सबसे बड़ा पठारी भाग है 

पाट क्षेत्र को छोड़कर रांची के आसपास के निचले इलाकों को इसमें शामिल किया जाता है

इस क्षेत्र की समुद्र तल से औसत ऊंचाई 600 मीटर है

रांची पठार लगभग चौरस है 

इस चोरस पठारी भाग से कई नदियां निकलती है, जो पठार के किनारों पर खड़ी ढाल के कारण झरनों / जलप्रपातों  का निर्माण करती है 

इसमें बूढ़ाघाघ /लोधाघाघ , हुंडरू, सदनीघाघ, घाघरी , दशम  तथा जॉन्हा / गौतम धारा आदि प्रमुख हैं

3-हजारीबाग पठार

हजारीबाग पठार :- हजारीबाग पठार को दो भागों में विभाजित किया जाता है 



(a) ऊपरी हजारीबाग पठार :- रांची पठार के लगभग समांतर किंतु छोटे क्षेत्र में हजारीबाग जिले में फैले पठार को ऊपरी हजारीबाग पठार कहते हैं 

यह दोनों पठार कभी मिले हुए थे, लेकिन अब दामोदर नदी के कटाव के कारण अलग हो गए हैं

ऊपरी हजारीबाग पठार की समुद्र तल से ऊंचाई 600 मीटर है

(b) निचला हजारीबाग पठार/ बाह्य पठार :-  हजारीबाग पठार के उत्तरी भाग को निचला हजारीबाग पठार कहते हैं

➤यह झारखंड का निम्नतम ऊंचाई वाला पठारी भाग है

छोटा नागपुर पठार का बाहरी हिस्सा होने के कारण इसे बाह्य पठार भी कहते हैं

➤इस क्षेत्र की समुद्र तल से ऊंचाई 450 मीटर है

किसी क्षेत्र में गिरिडीह के पठार पर बराकर नदी की घाटी के निकट पारसनाथ की पहाड़ी स्थित है
जिसकी ऊंचाई 1365 मीटर है

इसकी सबसे ऊंची चोटी को सम्मेद शिखर कहा जाता है 

इसे अत्यंत कठोर पाईरोक्सीन ग्रेनाईट से निर्मित माना जाता है 

4 -निचली नदी घाटी एवं मैदानी क्षेत्र


4 -निचली नदी घाटी एवं मैदानी क्षेत्र :- झारखंड का यह भाग असमान नदी घाटियों एवं मैदानी क्षेत्र से मिलकर बना है 

इस भाग की समुद्र तल से औसत ऊंचाई 150-300 मीटर है 
 
इस क्षेत्र में राजमहल की पहाड़ी स्थित है, जो कैमूर के पहाड़ी क्षेत्र तक विस्तृत है 

राजमहल की पहाड़ी का विस्तार दुमका, देवघर, गोड्डा ,पाकुड़ का पश्चिमी भाग एवं साहिबगंज का मध्यवर्ती व दक्षिणी भाग में है  

राजमहल की पहाड़ी 2000 वर्ग किलोमीटर क्षेत्र में फैला हुआ है  

इस क्षेत्र में कहीं-कहीं छोटी पहाड़ियां मिलती है 

नुकीली पहाड़ियों को टोंगरी  एवं गुबंदनुमा पहाड़ियों को डोंगरी कहते हैं 

इसके अतिरिक्त इस क्षेत्र में बड़ी-बड़ी नदियों की घाटियां हैं  
जैसे :- दामोदर, स्वर्णरेखा, उत्तरी कोयल, दक्षिणी कोयल, बराकर,शंख, अजय, मोर, ब्राह्मणी, गुमानी एवं बासलोय इत्यादि 

इस क्षेत्र में स्थित कुछ नदियां ऊंचे पठारों से निकलकर अपना मार्ग तय करती हुई गंगा में अथवा स्वतंत्र रूप से सागर में जाकर मिलती है 
 
इस क्षेत्र में स्थित मैदानी क्षेत्र में चाईबासा का मैदान सबसे प्रमुख है
  
चाईबासा का मैदान पश्चिमी सिंहभूम के पूर्वी-मध्यवर्ती भाग में स्थित है
  
यह उत्तर में दलमा की श्रेणी, पूर्वी में दलभूम की श्रेणी, दक्षिण में कोल्हान की पहाड़ी, पश्चिम में सारंडा  एवं पश्चिमी-उत्तर में पोरहाट की पहाड़ी से घिरा है 
Share:

Unordered List

Search This Blog

Powered by Blogger.

About Me

My photo
Education marks proper humanity.

Text Widget

Featured Posts

Popular Posts