झारखण्ड के स्वतंत्रता सेनानी
तिलका
मांझी (1750-1785 ई0)
💨तिलका मांझी का जन्म 11 फरवरी 1750 को सुल्तानगंज थाना,तिलकपुर गाँव के एक संथाल परिवार (गोत्र -मुर्मू ) में हुआ था ।
💨भारतीय स्वाधीनता संग्राम पहले शहीद थे ।
💨अंग्रेजों शासन के विरुद्ध विद्रोह का आरंभ 1771 से 1784 तक संघर्ष किये ।
💨अपने अनुयायियों को सन्देश भेजने के लिए माध्यम साल के पत्ता का प्रयोग करते थे ।
बिरसा मुंडा (1875
-1900 ई0)
💨बिरसा मुंडा का जन्म 15 नवम्बर 1875 ईस्वी को रांची जिले के खूटी अनुमंडल तमाड़ थाना के उलिहातु गाँव में हुआ था ।
💨उसने एक नए पंथ की शुरूआत की बिरसाइत पंथ ।
💨छात्र जीवन से ही उन्होंने भूमि आंदोलन की शुरुआत चाईबासा में ।
💨18
वर्ष की अवस्था में जंगल आंदोलन चक्रधरपुर में ।
💨1895
ईस्वी में प्रथम बार 2 वर्ष के लिए जेल गए कारण ब्रिटिश सरकर के विरुद्ध षड़यंत्र रचने के आरोप में।
💨3
फरवरी 1900 ईस्वी को चक्रधरपुर में गिरफ्तार कर लिए गए और दूसरी बार जेल गए ।
💨बिरसा मुंडा का 9 जून 1900 को रांची जेल में हैजे से मृत्यु हुआ था।
सिद्धू -कान्हू
💨सिद्धू मुर्मू और कान्हू मुर्मू का जन्म भोगनाडीह नामक ग्राम में एक संथाल आदिवासी परिवार में हुआ था, जो कि वर्त्तमान में झारखण्ड के साहेबगंज जिला के बरहेट प्रखंड में है।इनके दो और भाई चाँद मुर्मू, भैरव मुर्मू और दो बहनें फूलो मुर्मू और झानो मुर्मू थीं ।
💨सिद्धू मुर्मू का जन्म 1815 ईस्वी में हुआ था
💨कान्हू मुर्मू का जन्म 1820 ईस्वी में हुआ था।
💨चाँद मुर्मू का जन्म 1825 ईस्वी में हुआ था।
💨भैरव मुर्मू का जन्म 1835 ईस्वी में हुआ था।
💨सिद्धू मुर्मू और कान्हू मुर्मू ने ब्रिटिश सत्ता, साहूकारों ,व्यापारियों व जमींदारों के खिलाफ(1855-1856 ) में एक विद्रोह आंरभ किये जिसे संथाल विद्रोह (हूल विद्रोह ) के नाम से प्रसिद्ध हुआ ।
💨30 जून 1855 ईस्वी को अंग्रेज जनरल लॉयड के नेतृत्व में अंग्रेजों और संथालों के बीच में मुठभेड़
हुआ इस मुठभेड़ में संथालों की हार हुई और सिद्धू और कान्हू को फाँसी दे दी गयी ।
💨सिद्धू को अंग्रेजों ने गिरफ्तार कर 1855 में पंचकठियाँ नामक स्थान पर बरगद पेड़ पर फाँसी दिया गया था।जो आज भी शहीद स्मारक के रूप में है ।
💨कान्हू मुर्मू को भोगनाडीह में फाँसी दे दी गयी थी । हर साल यहाँ 30 जून को हुल दिवस पर वीर शहीद सिद्धू मुर्मू और कान्हू मुर्मू को याद किया जाता है ।
💨कार्ल मार्क ने इस विद्रोह को "भारत का प्रथम जनक्रान्ति कहा था ।
बुद्धू भगत (1792 -1832)
💨बुद्धू भगत का जन्म 17 फरवरी 1792 को राँची जिले के चान्हो प्रखंड के सिल्ली गाँव के उरांव परिवार में हुआ था।
💨कोल विद्रोह (1831 -1832) के प्रमुख नेता में से एक थे ।
💨भारतीय एजेंटों और अंग्रेजों के अत्याचारों के विरुद्ध विद्रोह किये थे ।
💨बुद्धू भगत को पकड़ने के लिए ब्रिटिश सरकार ने 1000 रूपये का इनाम रखा था ।
💨14 फरवरी 1832 को बुद्धू भगत अपने भाई ,बेटे भतीजे और 150 साथियों के साथ मरे गये ।
पांडेय गणपत राय (1809 -1858)
💨पांडेय गणपत राय का जन्म 17 फ़रवरी 1809 को लोहरदगा जिला के भंडरा प्रखंड के भौरां गाँव में हुआ था।
💨1857 की क्रांति में विद्रोही सैनिकों दल का नेतृत्व गणपत राय और राजा विश्वनाथ शाहदेव ने किया ।
💨अंग्रेजों के दमन से बचने के लिए लोहरदगा के जंगलों में छिपकर सरकर के विरुद्ध छापामार
युद्ध जारी रखा ।
💨21 अप्रैल1858 ईस्वी को राँची के जिला स्कूल गेट पर उसी कदंब पेड़ से लटका कर पांडेय गणपत राय को फाँसी दे दी गयी जिस पर ठाकुर विश्वनाथ शाही को फाँसी दे दी गयी थी।
ठाकुर विश्वनाथ शाही (1817-1858)
💨 ठाकुर विश्वनाथ शाही का जन्म 12 अगस्त 1817 ईस्वी को बड़कागढ़ की राजधानी सतरंगी में हुआ था ।
💨1857 की क्रांति में विद्रोही सैनिकों दल का नेतृत्व गणपत राय और राजा विश्वनाथ शाहदेव ने किया ।
💨अंग्रेजों के दमन से बचने के लिए लोहरदगा के जंगलों में छिपकर सरकर के विरुद्ध छापामार युद्ध जारी रखा ।
💨16 अप्रैल1858 ईस्वी को राँची के जिला स्कूल गेट पर उसी कदंब पेड़ से लटका कर ठाकुर विश्वनाथ शाही को फाँसी दे दी गयी थी जिस पर पांडेय गणपत राय को फाँसी दे दी गयी ।
नीलाम्बर -पीताम्बर
💨नीलाम्बर-पीताम्बर का जन्म गढ़वा जिला के चेमो सनया गाँव में हुआ था ।
💨नीलाम्बर-पीताम्बर का जन्म गढ़वा जिला के चेमो सनया गाँव में हुआ था ।
💨दोनों भाइयों ने मिलकर पलामू से 1857 ईस्वी का विद्रोह संभाला था।
भोक्ता बंधू गोरिल्ला युद्ध में निपुण थे,डाल्टन के द्वारा नीलाम्बर पीताम्बर की गिरफ्तारी हुआ और बिना मुकदमा चलाये ही 28 मार्च 1859 को लिस्लीगंज में फाँसी दे दी गयी ।