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Friday, June 11, 2021

Nagvanshi Shasan Vyavastha (नागवंशी शासन व्यवस्था)

Nagvanshi Shasan Vyavastha

नागवंश के संस्थापक राजा फणिमुकुट राय थे  इन्होंने 64 AD में नागवंश की स्थापना की 

➧ दरअसल मुंडा वंश का संस्थापक राजा सुतिया मुंडा के अंतिम उत्तराधिकारी राजा मदरा मुंडा हुए 

➧ मद्रा मुंडा ने सभी पड़हा पंचायतों के मानकियों से सलाहोपरांत अपने दत्तक पुत्र फनी मुकुट राय को 64 AD में सत्ता सौंपी दी

➧ यह एक जनजातीय समाज द्वारा गैर जनजातीय समाज को सत्ता सौंपने की घटना है 

नागवंशी शासन व्यवस्था

➧ चुँकि नागवंश की स्थापना मुंडा राज्य के उत्तराधिकारी राज्य के रूप में हुआ। ऐसे में नागवंशी राजा मुण्डाओं को अपना बड़ा भाई मानते थे और मुण्डाओं की परंपरागत शासन व्यवस्था मुंडा-मानकी को आदर करते थे साथ ही अपने प्रशासनिक कार्यो के संचालन में उनका सहयोग प्राप्त करते थे 

➧ नागवंशी काल में मुंडा-मानकी व्यवस्था भुईंहरी व्यवस्था के नाम से जानी जाने लगी 

➧ इस काल में पड़हा को पट्टी कहा जाने लगा, जो कि एक प्रशासनिक इकाई थी तथा मानकी को भी भुईहर कहा जाने लगा, जो कि एक प्रशासनिक पद था परंतु ग्रामीण पंचायती व्यवस्था पूर्व की भांति ही यथावत बनी रही  

➧ साथ ही फणिमुकुट राय ने विशेषकर बनारस के लोगों को छोटानागपुर आने का निमंत्रण दिया, जिसमें कुंवर लाल, ठाकुर, दीवान, कोतवाल, पांडेय मुख्य थे इन लोगो को प्रशासन में महत्वपूर्ण पदों पर नियुक्त किया गया

➧ मुगल काल में नागवंशी राजाओं की स्थिति बदली विशेषकर नागवंशी राजा दुर्जनशाल को जब जहांगीर ने 12 साल का बंदी बनाया फिर रिहाई के बाद उन्हें ₹6000 वार्षिक लगान देने को मजबूर किया तो इस क्षेत्र में प्रशासनिक स्वरूप बदल गया आरंभ में नागवंशी राजाओं ने नियमित कर वसूली का जिम्मा मुंडा-मानकी को ही सौंपा, परंतु बाद में यह जिम्मेदारी जागीरदारों को दे दी गई, जिसे जागीरदारी प्रथा का नाम दिया गया

➧ 1765 में मुगल बादशाह शाह आलम से अंग्रेजों को बंगाल, बिहार, उड़ीसा का दीवानी अधिकार प्राप्त हुआ, जिस पर आगे चलकर लार्ड कॉर्नवालिस ने 1793 में स्थायी  बंदोबस्त लागू किया इस प्रक्रिया में जमींदार को भू-स्वामी माना गया, अब लगान वसूली का कार्य जमींदारों को दिया जाने लगा इसी समय पड़हा  प्रणाली, परगना में बदल गयी 

➧ जमीनदरों ने  इस क्षेत्र का जमकर शोषण किया तथा बड़े पैमाने पर जमीन से जुड़े अधिकारों में हेर-फेर किया बंगाल-बिहार से आने वाले लोग बड़े पैमाने पर भू-स्वामी बन गए और जंगलों पर भी अधिकार कर लिया 

➧ इस सबके बीच नागवंशी शासन व्यवस्था कमजोर हुई, मुंडा-मानकी का महत्व धार्मिक क्रिया-कलापों तक सिमट कर रह गया 

➧ परंतु नागवंश का इतिहास चलता रहा अंत में 1963 में बिहार जमीदारी उन्मूलन कानून लागू होने के बाद नागवंश का अंत हो गया इसके अंतिम राजा चिंतामणि शरण नाथ शाहदेव तथा अंतिम राजधानी रातू गढ़ रही

➧ डॉ.बी.पी.केशरी की पुस्तक 'छोटानागपुर का इतिहास: कुछ सन्दर्भ तथा कुछ सूत्र' में नागवंशी शासन व्यवस्था के अंतर्गत काम करने वाले अधिकारियों का वर्णन मिलता है

1- ग्रामीण स्तर पर 

➧ ग्राम स्तर पर कई अधिकारी अपने-अपने क्षेत्र और इलाकों में अलग-अलग जिम्मेदारियों का निर्वाह करते थे

➧ ग्रामीण क्षेत्रों में कार्य करने वाले 22 अधिकारियों का वर्णन प्राप्त होता है 

(i) महतो 
(ii) भंडारी
(iii) पांडे 
(iv) पोद्दार 
(v) अमीन 
(vi) साहनी
(vii) बड़ाईक
(viii) विरीतिया 
(ix) घटवार
(x) इलाकावार 
(xi) दिग्वार
(xiiकोटवार 
(xiii) गोड़ाइत 
(xiv) जमादार 
(xv) ओहवार
(xvi) तोपची
(xvii) बारकंदाज 
(xviii) बख्शी 
(xix) चोबदार
(xx) बराहिल 
(xxi) चौधरी 
(xxii) गौंझू   

इनमें दो मुख्य थे:- 

(a) महतो :- गांव का महत्वपूर्ण व्यक्ति महतो या महत्तम कहलाता था

(b) भंडारी :- राजा के गांवों में खेती बारी करने तथा अन्न का भंडारण करने हेतु इनकी इसकी नियुक्ति की जाती थी 
(c) भण्डारिक :- यह भंडार गृह का प्रहरी होता था

2- पट्टी स्तर पर 

➧ इस काल में पड़हा को पट्टी कहा जाने लगा तथा इस स्तर पर काम करने वाला अधिकारी मानकी

➧ अब भुईंहरी कहलाने लगा, जबकि पड़हा को पट्टी के नाम से जाना गया
 
➧ यहां के मुख्य अधिकारी निम्न थे 

(a) भुईंहर  :- यह मानकी  पद का ही बदला हुआ रूप था परन्तु इस काल में भुईहर के न्यायिक और राजनीतिक अधिकार तो लंबे काल तक बनी रहे जबकि उनके अधिकार में कटौती की गई  

(b) जागीरदार :- मुगलकाल में लगान वसूली करने वाले करने हेतु इनकी नियुक्ति की गई 

(c) पाहन :- पड़हा में किसी भी प्रकार के आयोजन की व्यवस्था करना जैसे :- बलि, भोज, प्रसाद आदि का कार्य करता था 

3- राज्य स्तर पर  

➧ नागवंशी  राजा को महाराज कहकर संबोधित किया जाता था तथा वह प्रशासन का सर्वोच्च बिंदु था
➧ महाराजा के सहयोगी अधिकारी दीवान, पांडेय, कुँअर, लाल, ठाकुर आदि नाम से जाना जाने जाते थे, इन्हें राजा  भी कहा जाता था और सामान्य: राज्य  परिवार से जुड़े सदस्य ही इन पदों पर बिठाये जाते थे
उदाहरण स्वरूप जरियागढ़ राजा ठाकुर महेंद्र नाथ शाहदेव थे बड़कागढ़ के राजा ठाकुरमर विश्वनाथ शाहदेव आदि

➧ राजा के प्रमुख सहयोगी अधिकारी निम्न थे 
(a) दीवान :- यह शासन में वित्तीय मामलों का प्रमुख था 
(b) पांडेय  :- पंच में या पड़हा राजा की अनुमति से लिए गए निर्णय को मौखिक रूप से सभी को अवगत कराता था 


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