Nagvanshi Shasan Vyavastha
➧ नागवंश के संस्थापक राजा फणिमुकुट राय थे। इन्होंने 64 AD में नागवंश की स्थापना की।
➧ दरअसल मुंडा वंश का संस्थापक राजा सुतिया मुंडा के अंतिम उत्तराधिकारी राजा मदरा मुंडा हुए।
➧ चुँकि नागवंश की स्थापना मुंडा राज्य के उत्तराधिकारी राज्य के रूप में हुआ। ऐसे में नागवंशी राजा मुण्डाओं को अपना बड़ा भाई मानते थे और मुण्डाओं की परंपरागत शासन व्यवस्था मुंडा-मानकी को आदर करते थे। साथ ही अपने प्रशासनिक कार्यो के संचालन में उनका सहयोग प्राप्त करते थे।
➧ नागवंशी काल में मुंडा-मानकी व्यवस्था भुईंहरी व्यवस्था के नाम से जानी जाने लगी।
➧ इस काल में पड़हा को पट्टी कहा जाने लगा, जो कि एक प्रशासनिक इकाई थी तथा मानकी को भी भुईहर कहा जाने लगा, जो कि एक प्रशासनिक पद था। परंतु ग्रामीण पंचायती व्यवस्था पूर्व की भांति ही यथावत बनी रही।
➧ साथ ही फणिमुकुट राय ने विशेषकर बनारस के लोगों को छोटानागपुर आने का निमंत्रण दिया, जिसमें कुंवर लाल, ठाकुर, दीवान, कोतवाल, पांडेय मुख्य थे। इन लोगो को प्रशासन में महत्वपूर्ण पदों पर नियुक्त किया गया।
➧ मुगल काल में नागवंशी राजाओं की स्थिति बदली विशेषकर नागवंशी राजा दुर्जनशाल को जब जहांगीर ने 12 साल का बंदी बनाया फिर रिहाई के बाद उन्हें ₹6000 वार्षिक लगान देने को मजबूर किया तो इस क्षेत्र में प्रशासनिक स्वरूप बदल गया आरंभ में नागवंशी राजाओं ने नियमित कर वसूली का जिम्मा मुंडा-मानकी को ही सौंपा, परंतु बाद में यह जिम्मेदारी जागीरदारों को दे दी गई, जिसे जागीरदारी प्रथा का नाम दिया गया।
➧ 1765 में मुगल बादशाह शाह आलम से अंग्रेजों को बंगाल, बिहार, उड़ीसा का दीवानी अधिकार प्राप्त हुआ, जिस पर आगे चलकर लार्ड कॉर्नवालिस ने 1793 में स्थायी बंदोबस्त लागू किया इस प्रक्रिया में जमींदार को भू-स्वामी माना गया, अब लगान वसूली का कार्य जमींदारों को दिया जाने लगा। इसी समय पड़हा प्रणाली, परगना में बदल गयी।
➧ इस सबके बीच नागवंशी शासन व्यवस्था कमजोर हुई, मुंडा-मानकी का महत्व धार्मिक क्रिया-कलापों तक सिमट कर रह गया।
➧ परंतु नागवंश का इतिहास चलता रहा अंत में 1963 में बिहार जमीदारी उन्मूलन कानून लागू होने के बाद नागवंश का अंत हो गया। इसके अंतिम राजा चिंतामणि शरण नाथ शाहदेव तथा अंतिम राजधानी रातू गढ़ रही।
➧ डॉ.बी.पी.केशरी की पुस्तक 'छोटानागपुर का इतिहास: कुछ सन्दर्भ तथा कुछ सूत्र' में नागवंशी शासन व्यवस्था के अंतर्गत काम करने वाले अधिकारियों का वर्णन मिलता है।
1- ग्रामीण स्तर पर
➧ ग्राम स्तर पर कई अधिकारी अपने-अपने क्षेत्र और इलाकों में अलग-अलग जिम्मेदारियों का निर्वाह करते थे।
➧ ग्रामीण क्षेत्रों में कार्य करने वाले 22 अधिकारियों का वर्णन प्राप्त होता है।
(ii) भंडारी
(iii) पांडे
(iv) पोद्दार
(v) अमीन
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