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Tuesday, June 1, 2021

Jharkhand Ki Aadim Janjatiyan Part-2 (झारखंड की आदिम जनजातियां Part-2)

Jharkhand Ki Aadim Janjatiyan Part-2

सौरिया पहाड़िया 

➧ सौरिया पहाड़िया प्रोटो-ऑस्ट्रोलॉयड प्रजाति समूह से संबंधित है 
➧ इन्हे संथाल परगना का आदि निवासी माना जाता है 
➧ इनका प्रमुख संकेन्द्रण राजमहल क्षेत्र के 'दामिन-ए-कोह' में है  

झारखंड की आदिम जनजातियां Part-2

➧ इस जनजाति ने अंग्रेजी शासन के पूर्व कभी भी अपनी स्वतंत्रता को मुगलों या मराठों के हाथ में नहीं सौंपा।
➧ यह जनजाति स्वयं को मलेर कहती है 
➧ इनकी भाषा मालतो है जो द्रविड़ भाषा परिवार से संबंधित है
➧ यह जनजाति बोलचाल हेतु बंगला भाषा का भी प्रयोग करती हैं

समाज और संस्कृति 

 यह जनजाति मुख्यत: पहाड़ी क्षेत्रों में निवास करती है तथा इनके आवाज को 'अड्डा' कहा जाता है
➧ इस जनजाति की सामाजिक व्यवस्था पितृसत्तात्मक है
➧ इस जनजाति में विवाह में लड़की की सहमति आवश्यक मानी जाती है
➧ इस जनजाति में आयोजित विवाह सर्वाधिक प्रचलित विवाह है 
➧ इनमें विवाह संस्कार संपन्न कराने वाले व्यक्ति को 'वेद सीढू' कहा जाता है
➧ इसमें बहिजार्तीय विवाह निषिद्ध है 
➧ इस जनजाति में विवाह विच्छेद तथा पुनर्विवाह की प्रथा पायी जाती है 
➧ इस जनजाति में वधू मूल्य को 'पोन' कहा जाता है
➧ इस जनजाति में गोत्र नहीं पाया जाता है
➧ इनके गांव का मुखिया व पुजारी माँझी कहलाता है 
➧ यह ग्राम पंचायत की अध्यक्षता भी करता है
➧ इनके गांव के प्रमुख अधिकारी सियनार (मुखिया), भंडारी, (संवेशवाहक), गिरि कोतवर है
➧ इस जनजाति के प्रमुख त्योहार फसलों पर आधारित होते है जिसे आड़या कहा जाता है 

इन के प्रमुख त्यौहार निम्न इस प्रकार हैं 

गांगी आड़या -  भादो में नई फसल कटने पर
ओसरा आड़या - कार्तिक में घघरा फसल कटने पर
पुनु आड़या - पूस में बाजरे की फसल कटने पर 
सलियानी पूजा - माघ या चैत में होती है

➧ इस जनजाति में पिता की मृत्यु हो जाने पर बड़ा पुत्र का संपत्ति का अधिकार होता है
➧ यदि कोई पुत्र नहीं है तो संपत्ति पर परिवार के साथ रहने वाले घर जमाई का अधिकार होता है 

आर्थिक व्यवस्था 

➧ ललित प्रसाद विद्यार्थी ने सांस्कृतिक आधार पर झारखंड की जनजातियों का वर्गीकरण किया है
➧ पहाड़ी ढाल पर रहने वाले लोग जोत को कोड़कर कृषि कार्य करते हैं, जिसे 'भीठा' या 'धामी' कहा जाता है

धार्मिक व्यवस्था 

➧ इस जनजाति के प्रमुख देवता लैहु गोसाई हैं
➧ इस जनजाति में 
सूर्य देवता को 'बैरु गोसाई' 
चाँद देवता को 'विल्प गोसाई' 
काल देवता को 'काल गोसाई' 
राजमार्ग देवता को 'पो गोसाई' 
सत्य देवता को 'दरमारे गोसाई' 
जन्म देवता को 'जरमात्रे गोसाई' तथा शिकार के देवता को 'औटगा' कहा जाता है
➧ इस जनजाति में पूर्वज पूजा का विशेष महत्व है
➧ धार्मिक कार्यों का संपादन 'कांदा मांझी' द्वारा किया जाता है तथा इसके सहायक को 'कोतवार' व चालवे कहा जाता है
 रिजले के अनुसार इस जनजाति का धार्मिक संबंध जीववाद से है

                                                                                   👉 Next Page:झारखंड की आदिम जनजातियां Part-3
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