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Thursday, June 10, 2021

Jharkhand Jalvayu Ke Prakar (झारखंड जलवायु के प्रकार)

Jharkhand Jalvayu Ke Prakar

1- उत्तरी व उत्तरी-पश्चिमी क्षेत्र (महाद्वीपीय प्रकार)

➧ इस जलवायु क्षेत्र का विस्तार पलामू, गढ़वा, चतरा एवं हजारीबाग तथा गिरिडीह जिले के मध्यवर्ती भाग एवं संथाल परगना क्षेत्र के पश्चिमी भाग (देवघर, उतरी दुमका, गोड्डा) में है

झारखंड जलवायु के प्रकार एवं क्षेत्र

➧ 
इस जलवायु क्षेत्र की विशिष्टता है- इसका अतिरेक स्वभाव का होना अर्थात जाड़े के मौसम में अत्यधिक जाड़ा एवं गर्मी के मौसम में अत्यधिक गर्मी पड़ना
 

2- मध्यवर्ती क्षेत्र (उपमहाद्वीपीय प्रकार)

➧ इस जलवायु क्षेत्र का विस्तार पूर्वी लातेहार, दक्षिणी हजारीबाग, बोकारो, धनबाद, जामताड़ा एवं दक्षिणी पश्चिमी दुमका में है
➧ यह क्षेत्र लगभग महाद्वीपीय प्रकार का ही है किंतु तापमान में अपेक्षाकृत कमी एवं वर्षा में अपेक्षाकृत अधिकता के कारण इसे उपमहाद्वीपीय प्रकार का दर्जा दिया गया है
➧ यहां औसत वार्षिक वर्षा 127 सेंटीमीटर से 165 सेंटीमीटर के बीच होती है 

3- पूर्वी संथाल परगना क्षेत्र (डेल्टा प्रकार) 

➧ इस जलवायु क्षेत्र का विस्तार साहिबगंज और पाकुड़ जिला में है, जो राजमहल पहाड़ी के पूर्वी ढाल का क्षेत्र है। इस जलवायु क्षेत्र की समानता बंगाल की जलवायु से की जा सकती है
➧ इस क्षेत्र में कुल औसत वार्षिक वर्षा 152 पॉइंट 5 सेंटीमीटर होती है। साथ ही नार्वेस्टर प्रभाव के कारण ग्रीष्म ऋतु में 13 पॉइंट 5 प्रतिशत वर्षा भी दर्ज की जाती है 

4- पूर्वी सिंहभूम  क्षेत्र (सागर प्रकार)

➧ इस जलवायु क्षेत्र का विस्तार पूर्वी सिंहभूम, सरायकेला-खरसावां जिला एवं पश्चिमी सिंहभूम जिला के पूर्वी क्षेत्रों में है 
➧ यह जलवायु क्षेत्र नार्वेस्टर के प्रभाव के कारण कई मौसमी घटनाएं घटित होती हैं
➧ मानसून पूर्व इस क्षेत्र  में नार्वेस्टर प्रभाव के कारण तड़ित झांझ एवं ओलावृष्टि की स्थिति बनती है औसतन प्रति वर्ष 71 तड़ित झांझ एवं 10 ओलावृष्टि इस क्षेत्र में गिरते हैं
➧ इस क्षेत्र में कुल औसत वार्षिक वर्षा 140 सेंटीमीटर से 152 सेंटीमीटर  के बीच होती है

5- पूर्वी सिंहभूम का पश्चिमी क्षेत्र  (आद्र वर्षा प्रकार)

➧ इसका विस्तार सिमडेगा एवं पश्चिमी सिंहभूम के मध्य एवं पश्चिमी भाग में है यहां मानसून के दोनों शाखाओं के द्वारा वर्षा होती है
➧ इस क्षेत्र में कुल औसत वर्षा 152 पॉइंट 5 सेंटीमीटर से अधिक होती है

6- रांची हजारीबाग पठार क्षेत्र (तीव्र एवं सुखद प्रकार) 

➧ इस जलवायु क्षेत्र का विस्तार रांची-हजारीबाग पठारी क्षेत्र में है
 इस जलवायु क्षेत्र की जलवायु तीव्र एवं सुखद प्रकार की है
➧ इस प्रकार की जलवायु के निर्माण में इस भू-भाग की ऊंचाई की महत्वपूर्ण भूमिका है ऊंचाई के कारण ही चारों और की उपेक्षा यहां तापमान कम रहता है 
 रांची में औसतन वार्षिक वर्षा 151 पॉइंट 5 सेंटीमीटर एवं हजारीबाग में औसतन वार्षिक वर्षा 148 पॉइंट 5 सेंटीमीटर होती है


7- पाट क्षेत्र  शीत वर्षा प्रकार

 इस जलवायु क्षेत्र का विस्तार लोहरदगा एवं गुमला के अधिकतर क्षेत्र में है 
➧ इस क्षेत्र की जलवायु रांची पठार की तरह ही है, लेकिन यह रांची पठार की तुलना में अधिक ठंडी है 
 शीत ऋतु में तापमान हिमांक (फ्रीजिंग प्वाइंट)  से नीचे चला जाता है
➧ यह जलवायु क्षेत्र झारखंड का सबसे अधिक वर्षा वाला क्षेत्र है
➧ यह वर्षा मानसून के अतिरिक्त शीत ऋतु में भी होती है 
➧ इस जलवायु क्षेत्र के 1000 मीटर से अधिक ऊंचे भू-भाग में 203 सेंटीमीटर तक वर्षा होती है

                                                                      👉 Next Page:झारखंड इतिहास से जुड़े ऐतिहासिक स्रोत
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