Jharkhand Ke Pramukh Nadiya
➤राज्य की प्रवाह प्रणाली को दो भागों में विभाजित किया जा सकता है
(1) गंगा से मिलने वाली नदियों की प्रवाह प्रणाली
(2) दक्षिण में बहने वाली नदियां की प्रवाह प्रणाली
➤झारखंड की प्रमुख नदियों में दामोदर, उत्तरी कोयल, स्वर्णरेखा, शंख , दक्षिणी कोयल, अजय तथा मोर है।
➤उत्तरी कोयल तथा दामोदर प्रथम वर्ग में शामिल नदियाँ है।
➤स्वर्णरेखा, शंख ,दक्षिणी कोयल दूसरे वर्ग में शामिल नदियाँ है।
➤इन दोनों के बीच स्थित जल विभाजक झारखंड के लगभग मध्य भाग में पूर्व से पश्चिम दिशा की ओर फैला है।
➤यहाँ की नदियां बरसाती नदियां हैं।
➤ दूसरे शब्दों में झारखंड की नदियां बरसात के महीने में पानी से भरी रहती हैं, जबकि गर्मी के मौसम में सूख जाती हैं।
➤स्वर्णरेखा, शंख ,दक्षिणी कोयल दूसरे वर्ग में शामिल नदियाँ है।
➤इन दोनों के बीच स्थित जल विभाजक झारखंड के लगभग मध्य भाग में पूर्व से पश्चिम दिशा की ओर फैला है।
➤यहाँ की नदियां बरसाती नदियां हैं।
➤ दूसरे शब्दों में झारखंड की नदियां बरसात के महीने में पानी से भरी रहती हैं, जबकि गर्मी के मौसम में सूख जाती हैं।
➤झारखंड की नदियां पानी के लिए मानसून पर निर्भर करती है, कठोर चट्टानी क्षेत्रों से होकर प्रवाहित होने के कारण झारखंड की नदियां में नाव चलाने के लिए उपयोगी नहीं है, अपवाद में मयूराक्षी नदी झारखंड की एकमात्र नदी है, जिसमें वर्षा ऋतु में नावें चला करती हैं।
➤दामोदर नदी
➤झारखंड में बहने वाली सबसे बड़ी और लंबी नदी दामोदर नदी है।
➤दामोदर नदी का उद्गम स्थल छोटा नागपुर का पठार लातेहार के टोरी नामक स्थान से निकलती है इस नदी का उद्गम स्थल पलामू जिला में है।
➤दामोदर नदी देवनंद के नाम से प्राचीन साहित्य में उपलब्ध है।
➤यह पलामू जिले से निकलकर हजारीबाग, गिरिडीह, धनबाद होते हुए बंगाल में प्रवेश करती है, दामोदर बाँकुड़ा के निकट होती हुई हुगली के साथ मिलकर बंगाल की खाड़ी में मिल जाती है।
➤ इस नदी की लंबाई 290 किलोमीटर है।
➤दामोदर नदी की सहायक नदियों में कोनार, बोकारो और बराकर प्रमुख है,बराकर नदी में ही मैथन डैम बना हुआ है।
➤ दामोदर नदी का उपनाम देवनंदी और बंगाल के शोक के नाम से भी जाना जाता है, झारखंड की सबसे प्रदूषित नदी में से एक है।
➤दामोदर नदी का उद्गम स्थल छोटा नागपुर का पठार लातेहार के टोरी नामक स्थान से निकलती है इस नदी का उद्गम स्थल पलामू जिला में है।
➤दामोदर नदी देवनंद के नाम से प्राचीन साहित्य में उपलब्ध है।
➤यह पलामू जिले से निकलकर हजारीबाग, गिरिडीह, धनबाद होते हुए बंगाल में प्रवेश करती है, दामोदर बाँकुड़ा के निकट होती हुई हुगली के साथ मिलकर बंगाल की खाड़ी में मिल जाती है।
➤ इस नदी की लंबाई 290 किलोमीटर है।
➤दामोदर नदी की सहायक नदियों में कोनार, बोकारो और बराकर प्रमुख है,बराकर नदी में ही मैथन डैम बना हुआ है।
➤ दामोदर नदी का उपनाम देवनंदी और बंगाल के शोक के नाम से भी जाना जाता है, झारखंड की सबसे प्रदूषित नदी में से एक है।
➤स्वर्णरेखा नदी
➤स्वर्णरेखा नदी का उदगम स्थल छोटानागपुर के पठारी भू -भाग से रांची जिले के नगड़ी नामक गांव से निकलती है।
➤ रांची जिले से बहती हुई स्वर्णरेखा नदी पूर्वी सिंहभूम जिले में प्रवेश करती है,यहां से उड़ीसा राज्य में चली जाती है।
➤यह मुख्यता बरसाती नदी है, वर्षा काल में इस में पानी भरा रहता है, परन्तु गर्मी में सूख जाता है।
➤इस के सुनहरे रेत में सोना मिलने की संभावना के कारण इसे स्वर्ण रेखा नदी कहा जाता है लेकिन सोना फिलहाल प्राप्त नहीं होता है, क्योंकि यह रेत के कणों में बहुत ही कम मात्रा में होता है।
➤ यह नदी पठारी भाग की चट्टानों वाली प्रदेश से प्रवाहित होने के कारण स्वर्णरेखा नदी तथा इसकी सहायक नदियां, गहरी घाटियां तथा जलप्रपात का निर्माण करती है।
➤यह रांची से 28 किलोमीटर उत्तर-पूर्व दिशा में हुंडरू जलप्रपात बनाती है, जहां से यह 320 फीट की ऊंचाई से गिरती है।
➤राढू इसकी सहायक नदी है, यह नदी मार्ग में जोन्हा के पास एक जलप्रपात का निर्माण करती है जो 150 फीट की ऊंचाई पर है यह जलप्रपात गौतम धारा जलप्रपात के नाम से जाना जाता है।
➤ स्वर्णरेखा नदी की एक विशेषता यह है कि उद्गम स्थान से लेकर सागर में मिलने तक यह किसी की सहायक नदी नहीं बनती है।
➤सीधे बंगाल की खाड़ी में गिरती है इसके तीन प्रमुख सहायक नदियां हैं राढू ,काँची और खरकई है।
➤ बराकर नदी
➤ बराकर नदी भी एक बरसाती नदी है, छोटा नागपुर के पठार से निकलकर हजारीबाग, गिरिडीह, धनबाद और मानभूम में जाकर दामोदर नदी में मिल जाती है।
➤ यह बरसात में उमड़ कर बहती है, फिर धीमी गति से अपना अस्तित्व बनाए रहती है।
➤इस नदी पर दामोदर घाटी परियोजना के अंतर्गत मैथन बांध बनाया गया है जिससे बिजली का उत्पादन किया जाता है।
➤ इस नदी का उल्लेख बौद्ध एवं जैन धार्मिक ग्रंथों में हुआ है।गिरिडीह के निकट इस नदी के तट पर बराकर नामक स्थान है, जहां जैन मंदिर है।
➤मैथन के निकट बराकर नदी के तट पर कल्याणेश्वरी नामक देवी मंदिर है।
➤ यह बरसात में उमड़ कर बहती है, फिर धीमी गति से अपना अस्तित्व बनाए रहती है।
➤इस नदी पर दामोदर घाटी परियोजना के अंतर्गत मैथन बांध बनाया गया है जिससे बिजली का उत्पादन किया जाता है।
➤ इस नदी का उल्लेख बौद्ध एवं जैन धार्मिक ग्रंथों में हुआ है।गिरिडीह के निकट इस नदी के तट पर बराकर नामक स्थान है, जहां जैन मंदिर है।
➤मैथन के निकट बराकर नदी के तट पर कल्याणेश्वरी नामक देवी मंदिर है।
➤ उत्तरी कोयल
➤ उत्तरी कोयल नदी राँची के पठार से निकलकर पाट क्षेत्रों में ढालों पर बहती हुए उत्तर की ओर प्रवाहित होती हैं।
➤यह औरंगा और अमानत नदियों को भी अपने में विलीन कर लेती है तथा साथ ही कई छोटी नदियां को अपने में विलीन करते हुए 255 किलोमीटर की पहाड़ी और मैदानी दूरी तय कर सोन नदी में मिल जाती है।
➤औरंगा और अमानत नदी इसकी सहायक नदियां हैं।
➤यह नदी गर्मी के मौसम में सूख जाती है,लेकिन बरसात के दिनों में बाढ़ के साथ उमड़ कर बहने लगती है।
➤बूढ़ा नदी महुआटांड क्षेत्र से निकलकर सेरेंगदाग पाट के दक्षिण में इससे मिलती है, यह दोनों नदियों के मिलन का महत्व बूढ़ा घाघ जलप्रपात के कारण का बढ़ जाता है।
➤यह औरंगा और अमानत नदियों को भी अपने में विलीन कर लेती है तथा साथ ही कई छोटी नदियां को अपने में विलीन करते हुए 255 किलोमीटर की पहाड़ी और मैदानी दूरी तय कर सोन नदी में मिल जाती है।
➤औरंगा और अमानत नदी इसकी सहायक नदियां हैं।
➤यह नदी गर्मी के मौसम में सूख जाती है,लेकिन बरसात के दिनों में बाढ़ के साथ उमड़ कर बहने लगती है।
➤बूढ़ा नदी महुआटांड क्षेत्र से निकलकर सेरेंगदाग पाट के दक्षिण में इससे मिलती है, यह दोनों नदियों के मिलन का महत्व बूढ़ा घाघ जलप्रपात के कारण का बढ़ जाता है।
➤ दक्षिणी कोयल
➤ दक्षिणी कोयल नदी रांची के पास नगड़ी गांव की पहाड़ी से पश्चिम में बहती हुई लोहरदगा पहुंचती है फिर उत्तर पूर्वी होकर दक्षिण दिशा में हो जाती है।
➤फिर यह गुमला जिले से होकर सिंहभूम के रास्ते शंख नदी में जा मिलती है।
➤लोहरदगा से 8 किलोमीटर उत्तर पूर्व में या दक्षिण दिशा की ओर मुड़ जाती है और यह लोहरदगा तथा गुमला जिले से होते हुए सिंहभूम में प्रवेश करती है।
➤अंत में यह नदी गंगापुर के निकट नदी में समा जाती है, इसकी सबसे बड़ी सहायक नदी कारो है, इसी स्थान पर कोयलाकारो परियोजना का निर्माण किया गया है।
➤ कन्हार नदी
➤ कन्हार नदी राज्य के उत्तर-पश्चिमी क्षेत्र में पलामू के दक्षिणी-पश्चिमी सीमा का निर्माण करती हुई उत्तर की ओर बहती है
➤कन्हार नदी सरगुजा को पलामू से 80 किलोमीटर तक बाँटती है।
➤इस नदी का उद्गम सरगुजा से होती है।
➤ यह नदी गढ़वा में भंडारित प्रखंड प्रवेश करती है यह रंका प्रखंड की पश्चिमी सीमा से होते हुए धुरकी प्रखंड में प्रवेश करती हैं।
➤फल्गु नदी
➤फल्गु नदी भी छोटा नागपुर पठार के उत्तरी भाग से निकलती है।
➤अनेक छोटी-छोटी सरिताओं के मिलने से इस नदी की मुख्यधारा बनती है,जिससे निरंजना भी कहते हैं
➤ इसको अंतत सलिला या लीलाजन भी कहते हैं, बोधगया के पास मोहना नामक सहायक नदी से मिलकर या विशाल रूप धारण कर लेती है।
➤गया के निकट इसकी चौड़ाई सबसे अधिक पाई जाती है।
➤ पितृपक्ष के समय देश के विभिन्न भागों से लोग फल्गु नदी में स्नान करने के लिए आते हैं और पिंडदान करते हैं।
➤अनेक छोटी-छोटी सरिताओं के मिलने से इस नदी की मुख्यधारा बनती है,जिससे निरंजना भी कहते हैं
➤ इसको अंतत सलिला या लीलाजन भी कहते हैं, बोधगया के पास मोहना नामक सहायक नदी से मिलकर या विशाल रूप धारण कर लेती है।
➤गया के निकट इसकी चौड़ाई सबसे अधिक पाई जाती है।
➤ पितृपक्ष के समय देश के विभिन्न भागों से लोग फल्गु नदी में स्नान करने के लिए आते हैं और पिंडदान करते हैं।
➤सकरी नदी
➤सकरी नदी भी छोटानागपुर से निकलकर हजारीबाग, पटना, गया और मुंगेर जिले से होकर प्रवाहित होती है।
➤ झारखंड से निकलकर या उत्तर पूर्व की ओर बहती हुई कियूल और मनोहर नदियों के साथ मिलकर गंगा के ताल क्षेत्रों में बिखर जाती हैं।
➤ रामायण में इस नदी को सुमागधी के नाम से पुकारा गया है उस काल में यह नदी राजगीर के पास से प्रवाहित होती थी, यह नदी अपने मार्ग बदलने के लिए प्रसिद्ध है।
➤ झारखंड से निकलकर या उत्तर पूर्व की ओर बहती हुई कियूल और मनोहर नदियों के साथ मिलकर गंगा के ताल क्षेत्रों में बिखर जाती हैं।
➤ रामायण में इस नदी को सुमागधी के नाम से पुकारा गया है उस काल में यह नदी राजगीर के पास से प्रवाहित होती थी, यह नदी अपने मार्ग बदलने के लिए प्रसिद्ध है।
➤पुनपुन नदी
➤पुनपुन नदी झारखंड में पुनपुन एवं उसकी सहायक नदियों का उद्भव हजारीबाग के पठार वह पलामू के उत्तरी क्षेत्रों में क्षेत्रों से होता है।
➤ यह नदी तथा उसकी सहायक नदियां उत्तरी कोयल प्रवाह क्षेत्र के उत्तर से निकलकर सोन के समांतर बहती है।
➤पुनपुन का महत्व हिंदू धर्म में बहुत अधिक है।
➤ इस नदी को पवित्र नदी के रूप में पूजा जाता है, पुनपुन नदी को कीकट नदी भी कहा जाता है,लेकिन इससे कहीं-कहीं बमागधी भी कहा जाता है।
➤ गंगा में मिलने के पूर्व इसमें दरधा और मनोहर नामक सहायक नदियां भी आ मिलते हैं।
➤ यह नदी तथा उसकी सहायक नदियां उत्तरी कोयल प्रवाह क्षेत्र के उत्तर से निकलकर सोन के समांतर बहती है।
➤पुनपुन का महत्व हिंदू धर्म में बहुत अधिक है।
➤ इस नदी को पवित्र नदी के रूप में पूजा जाता है, पुनपुन नदी को कीकट नदी भी कहा जाता है,लेकिन इससे कहीं-कहीं बमागधी भी कहा जाता है।
➤ गंगा में मिलने के पूर्व इसमें दरधा और मनोहर नामक सहायक नदियां भी आ मिलते हैं।
➤चानन नदी
➤चानन नदी को पंचाने भी कहा जाता है, वास्तव में इसका नाम पंचानन है जो कालांतर में चानन बन गया है।
➤यह नदी 5000 धाराओं के मेल से विकसित हुई, इसलिए इससे पंचानन कहा गया है।
➤छोटा नागपुर पठार से इस की सभी धाराएं निकलती है।
➤यह नदी 5000 धाराओं के मेल से विकसित हुई, इसलिए इससे पंचानन कहा गया है।
➤छोटा नागपुर पठार से इस की सभी धाराएं निकलती है।
➤शंख नदी
➤ शंख नदी नेतरहाट पठार के पश्चिमी छोर में उत्तरी कोयल के विपरीत बहती है।
➤पाट क्षेत्र के दक्षिणी छोर से इसका उद्गम होता है, यह गुमला जिले के रायडी के दक्षिण में प्रारंभ होती है।➤यह नदी शुरू में काफी सँकरी और गहरी खाई का निर्माण करती है।
➤पाट क्षेत्र के दक्षिणी छोर से इसका उद्गम होता है, यह गुमला जिले के रायडी के दक्षिण में प्रारंभ होती है।➤यह नदी शुरू में काफी सँकरी और गहरी खाई का निर्माण करती है।
➤ मार्ग में राजा डेरा के पास 200 फीट ऊंचा जलप्रपात बनाती है, जो सदनीघाघ जलप्रपात के नाम से प्रसिद्ध है।
➤अजय नदी
➤अजय नदी का उद्गम क्षेत्र मुंगेर है, जहां से प्रवाहित होते हुए यह देवघर जिले में प्रवेश करती है।
➤यहाँ से यह दक्षिण-पूर्व दिशा में बढ़ती हुए प्रवाहित होती है, पश्चिम से आकर इसमें पथरो नदी मिलती है।
➤आगे चलकर इसमें जयंती नदी मिलती है यह दोनों सहायक नदियां हजारीबाग, गिरिडीह जिले से निकलती हैं।
➤अजय नदी जामताड़ा में कजरा के निकट प्रवेश करती है, संथाल परगना के दक्षिणी छोर में यह नदी कुशबेदिया से अफजलपुर तक प्रवाहित होती है।
➤यहाँ से यह दक्षिण-पूर्व दिशा में बढ़ती हुए प्रवाहित होती है, पश्चिम से आकर इसमें पथरो नदी मिलती है।
➤आगे चलकर इसमें जयंती नदी मिलती है यह दोनों सहायक नदियां हजारीबाग, गिरिडीह जिले से निकलती हैं।
➤अजय नदी जामताड़ा में कजरा के निकट प्रवेश करती है, संथाल परगना के दक्षिणी छोर में यह नदी कुशबेदिया से अफजलपुर तक प्रवाहित होती है।
➤मयूराक्षी नदी
➤मयूराक्षी नदी देवघर जिले के उत्तर-पूर्वी किनारे पर स्थित त्रिकुट पहाड़ से निकलती है।
➤ यह दुमका जिले के उत्तर-पश्चिमी भाग में प्रवेश करती है, यह दक्षिण-पूर्व दिशा में बहती हुई आमजोड़ा के निकट दुमका से अलग होती है।
➤झारखंड से निकलकर यह बंगाल में सैंथिया रेलवे स्टेशन के निकट गंगा में मिल जाती है।
➤यह नदी अपने ऊपरी प्रवाह क्षेत्र में मोतिहारी के नाम से भी जानी जाती है, यह भुरभुरी नदी के साथ मिलकर मोर के नाम से पुकारी जाती है, इसका दूसरा नाम मयूराक्षी है।
➤इसकी सहायक नदियों में टिपरा, पुसरो,भामरी , दौना,धोवइ आदि प्रमुख है।
➤इस नदी पर कनाडा के सहयोग से मसानजोर डैम का निर्माण किया गया है, इस डैम को कनाडा डैम भी कहा जाता है।
➤ यह दुमका जिले के उत्तर-पश्चिमी भाग में प्रवेश करती है, यह दक्षिण-पूर्व दिशा में बहती हुई आमजोड़ा के निकट दुमका से अलग होती है।
➤झारखंड से निकलकर यह बंगाल में सैंथिया रेलवे स्टेशन के निकट गंगा में मिल जाती है।
➤यह नदी अपने ऊपरी प्रवाह क्षेत्र में मोतिहारी के नाम से भी जानी जाती है, यह भुरभुरी नदी के साथ मिलकर मोर के नाम से पुकारी जाती है, इसका दूसरा नाम मयूराक्षी है।
➤इसकी सहायक नदियों में टिपरा, पुसरो,भामरी , दौना,धोवइ आदि प्रमुख है।
➤इस नदी पर कनाडा के सहयोग से मसानजोर डैम का निर्माण किया गया है, इस डैम को कनाडा डैम भी कहा जाता है।
➤सोन नदी
➤यह नदी मैकाल पर्वत के अमरकटक पठार से निकलती है ।
➤यह पटना के पास गंगा नदी में मिलने के लिए 780 किलोमीटर की दुरी तय करती है।
➤क्षेत्र विशेष में अलग-अलग नामों से पुकारा जाता है जैसे :-सोनभद्र ,हिरण्यवाह।
➤इसकी सहायक नदी उत्तरी कोयल है।
➤इसका अपवाह क्षेत्र पलामू और गढ़वा है।
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