Santhal Pargana Kashtkari Adhiniyam 1949 Part-5
अध्याय- 6 (धारा - 53)
कतिपय प्रयोजनों के लिए भूस्वामी द्वारा भूमि का अर्जन
💥धारा - 53
यदि किसी गांव का भूस्वामी, उचित और पर्याप्त उपयोग से, जिसका संबंध जोत ग्राम या भूस्वामी के भलाई से हो या भवन निर्माण के लिए या किसी धार्मिक, शैक्षणिक या खान खोदने, उत्पादन या सिंचाई के लिए उपयोग या कृषि या ओद्योगिक उन्नत्ति करने के लिए या सरकार की कोई राष्ट्रीय नीति प्रभावी करने हेतु, उस ग्राम के किसी रैयत की जोत को उसके किसी भाग को अर्जन करना चाहे या लेना चाहे, तो इसके लिए उपायुक्त के पास आवेदन दे सकता है।
न्यायिक प्रक्रिया (धारा - 54 से 63)
💥धारा - 54
धारा - 54 के अधिनियम के आधार पर न्यायिक प्रक्रिया के संबंध में नियमों को बनाने का राज्य सरकार को अधिकार प्राप्त है, तथा अपील और संशोधन करने का अधिकार भी।
💥धारा - 55
धारा - 55 के अनुसार लगान वसूली के लिए किसी रैयत के विरुद्ध भूस्वामी ने कोई बात के लिए मुकदमा दायर किया हो, तो वही उसके विरूद्ध वह, पहले बात के मुकदमा दायर करने की तारीख से 6 माह बीत नहीं जाने तक, कोई दूसरा बात लगान की वसूली के लिए मुकदमा दायर नहीं करेगा।
💥धारा - 56
धारा - 56 बेदखली :-उपायुक्त के आदेश के बिना, कृषि भूमि से, कोई व्यक्ति बेदखल नहीं किया जाएगा, यदि कोई रैयत को उसके जोत से बेदखल कर दिया गया है तो वह उपायुक्त के न्यायालय में याचिका दायर कर सकता है।
💥धारा - 57
धारा - 57 इस अधिनियम में जब तक अन्य रूप से व्यवस्था नहीं हो उस अधिनियम के अनुसार दिए गए प्रत्येक आदेश के विरुद्ध यदि आदेश:-
(क)उपायुक्त के अधिकारों का प्रयोग करने वाले उप समाहर्ता द्वारा दिया गया हो, तो अनुमंडल पदाधिकारी के पास इस संबंध में उपायुक्त के अधिकार शामिल किए गए हो,तो अपील की जाएगी।
(ख)उपायुक्त के अधिकारों का प्रयोग करने वाले अनुमंडल पदाधिकारी द्वारा दिया गया हो तो उपायुक्त के पास अपील होगा।
(ग)उपायुक्त या अपर उपसमाहर्ता द्वारा आदेश दिया गया हो तो आयुक्त के पास अपील की जा सकती है ।
(घ) आयुक्त द्वारा आदेश दिया गया हो तो राज्य सरकार द्वारा नियुक्त न्यायाधिकरण के पास अपील की जा सकती है।
💥धारा - 58
धारा - 58 दूसरा अपील :-के अनुसार दूसरा अपील यदि उपायुक्त का अधिकार प्राप्त अनुमंडल पदाधिकारी या अन्य समाहर्ता ने निर्णय दिया है, तो उपायुक्त के न्यायालय में दूसरा अपील किया जा सकता है।
💥धारा - 59
धारा - 59 पुनरीक्षण (REVISION) :-के अनुसार न्याय आदेश का पुनरीक्षण उपायुक्त या आयुक्त के न्यायालय में किया जा सकता है।
(1)आयुक्त या उपायुक्त ने स्वप्रेरणा से या अन्य रूप से, अपने नियंत्रण के अंतर्गत किसी न्यायालय द्वारा निर्णय किया गया किसी ऐसे मुकदमे का अभिलेख मँगा सकते हैं, जिस पर अपील ना हो। किसी पक्ष के आवेदन देने पर आयुक्त ऐसे आदेश नहीं देगा, जब तक कि उपायुक्त या अपर उपसमाहर्ता पुनरीक्षण में या अपील करने पर उसकी सुनवाई की हो या आदेश दिया हो।
(2)उपायुक्त लिखित आदेश देकर अपने नियंत्रण के अंतर्गत किसी अनुमंडल पदाधिकारी को अनधिकृत सकते हैं वह ऐसे उपसमाहर्ता के न्यायालयों के सभी निर्णयों या किसी एक निर्णय के संबंध में, जो उपायुक्त के नियंत्रण के अंतर्गत किसी अनुमंडल का प्रभार ना रखते हों ।
💥धारा - 60
धारा - 60 पुनर्निरीक्षण ( REVIEW) :- धारा 60 के अनुसार उपायुक्त के निर्देश का पुनर्निरीक्षण आयुक्त के न्यायालय में किया जा सकता है।आयुक्त पर्याप्त कारणों से, जिन्हें वे लिखित रूप में अभिलेख करेंगे, किसी आदेश का जिसे उन्हेंने स्वयं या उनके पूर्व अधिकारी ने इस अधिनियम द्वारा प्रदत किसी अधिकार के प्रयोग में दिया हो, पुनर्निरीक्षण कर सकते हैं।
💥धारा - 61
धारा - 61 के अनुसार उपायुक्त द्वारा पारित आदेश पुनर्निरीक्षण प्रक्रिया में जब तक न्याय की हानि नहीं हुई हो अपील शून्य रहेगा।
💥धारा - 62
धारा - 62 के अनुसार अपने कर्तव्यों के निर्वहन करने में तथा अपने अधिकारों का प्रयोग करने में उपायुक्त, आयुक्त के निर्देश और नियंत्रण के अधीन रहेगा। एवं अन्य अपर उपसमाहर्ता, अनुमंडल पदाधिकारी एवं उपसमाहर्ता, उपायुक्त के अधीन होंगे।
💥धारा - 63
धारा - 63 वादों पर रोक :- के अनुसार किसी आवेदन में जो इस अधिनियम के अनुसार उपायुक्त द्वारा संज्ञेय हो,उपायुक्त द्वारा दिए गए आदेश को प्रत्यक्ष या अप्रत्यक्ष रूप से, संशोधित करने या खारिज करने के लिए किसी न्यायालय में कोई वाद नहीं चलेगा, और इस प्रकार का प्रत्येक आदेश, अपील और पुनरीक्षण संबंधी इस अधिनियम के प्रावधानों के अधीन रहकर अंतिम होगा।
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