Santhal Pargana Kashtkari Adhiniyam 1949
संथाल परगना काश्तकारी अधिनियम,1949
(SPT- Act),1949 PART- 6
संथाल परगना भूधारण (अनुपूरक अनुबंध) अधिनियम 1949 का प्रमुख प्रावधान:-
अध्याय- 7 परिसीमा (धारा - 64 से 66)
💥धारा - 64
सभी आवेदन (धारा - 42 को छोड़कर) जिनके लिए इस अधिनियम के किसी दूसरे स्थान में परिसीमा की कोई अवधि उपबंधित नहीं है, वाद करने के प्रावधान होने पर एक वर्ष के भीतर किए जाएंगे।
💥धारा - 65
धारा - 65 के अनुसार (धारा -14) में वर्णित आधार पर रैयत के बेदखली के लिए आवेदन दुरुपयोग संबंधी परिवाद की तारीख़ से 2 वर्षों के भीतर किया जाएगा।
💥धारा - 66
धारा - 66 अपीलों के लिए परिसीमा :- इस अधिनियम के अधीन प्रत्येक अपील
(क) धारा- 57 के अधीन नियुक्त न्यायाधिकरण को या आयुक्त को, जिस आदेश के विरुद्ध अपील की जा रही हो, उस तारीख से 90 दिनों के अन्दर प्रस्तुत की जाएगी।
(ख) उपायुक्त को या अनुमंडल पदाधिकारी को, जिस आदेश के विरुद्ध अपील की जा रही हो,उस तारीख से 60 दिनों के अन्दर प्रस्तुत की जाएगी।
अध्याय- 8 विविध प्रावधान धारा - (67 से 72) तक
💥धारा - 67
(1) धारा - 67 दंड :- इस अधिनियम के तहत यदि कोई व्यक्ति इस अधिनियम का उल्लंघन करता है तो वह दंड का भागी होगा।जैसे :-
(i) भूस्वामी या ग्राम प्रधान या मूल रैयत को किसी गांव के बांधों, आहारो, मेढ़ो, पुस्तों, डाँडो इत्यादि की मरम्मत करने के लिए कोई सहायता प्रदान नहीं करता है।
(iii) नियम के विरुद्ध गांव में कोई वृक्ष को काटता है या गांव के जंगल को विभिन्न प्रकार से हानि पहुंचाता है, तो उससे ₹200 तक जुर्माना हो सकती है, तथा अपराध के जारी रहने की दशा में प्रतिदिन ₹5 तक और जुर्माना का भागी होगा।
(2) यदि कोई भूमि (धारा - 20) के उल्लंघन में गलत तरीके से हस्तांतरित की गई हो,और किसी व्यक्ति द्वारा जोती जाती हो, तो उसे 3 वर्ष तक कारावास या ₹1000 जुर्माना हो सकता है, या दोनों अपराध जारी रहने की स्थिति में प्रत्येक दिन अतिरिक्त ₹50 की राशि से दंडित किया जाएगा।
(3) उपायुक्त के द्वारा जांच- पड़ताल के बाद जो उपायुक्त के स्वप्रेरणा से या सूचना पाने पर या अपराध किए जाने की तारीख से 3 महीने के भीतर उस पर ऐसा जुर्माना लगाया जाएगा।
(4) ऐसा जुर्माना लगाने के किसी आदेश के विरुद्ध अपील उपायुक्त के यहां होगी, तथा ऐसा अपील पर आयुक्त द्वारा दिया गया आदेश अंतिम फैसला होगा।
💥धारा - 68
धारा - 68 के अनुसार भूस्वामी पर तामील या नोटिस की जाने के लिए मांगा गया वह प्रत्येक सूचना, यदि भूस्वामी की ओर से उसका तालीम या नोटिस स्वीकार करने के लिए या उसे लेने के लिए भूस्वामी के हाथ से लिखित अधिकार द्वारा मजबूत प्रतिनिधि को तालीम या नोटिस की जाए तो इस अधिनियम के उद्देश्य उतना ही प्रभावशाली होगी।
💥धारा - 69
धारा - 69 कतिपय भूमि के अधिकार के अर्जन पर रोक :- किसी भी कानून में या संथाल परगना में कनून का बल रखने वाले किसी वस्तु में से किसी बात के रहते हुए भी-
(क) धारा - 20 के प्रावधानों में धारित या अर्जित भूमि में ,या
(ख) सरकार के लिए किसी स्थानीय प्राधिकार के लिए या रेलवे कंपनी के लिए भूमि अर्जन अधिनियम, 1894 के अधीन अर्जित भूमि में, जब तक कि ऐसा भूमि सरकार की या किसी स्थानीय प्राधिकार की या रेलवे कंपनी की संपत्ति रहती है, या
(ग) सरकार के स्थानीय प्राधिकार के अधिकार गत के रूप में अभिलिखित या सीमांकित भूमि में, जो किसी सार्वजनिक कार्य के लिए व्यवहार होती है,या
(घ) ग्राम प्रधान,मूल रैयत और उनके परिवार के सदस्यों या भूस्वामी के द्वारा प्रतिधारित परती जोत में,या
(ड) ग्राम प्रधान की सरकारी जोत, चारागाह, श्मशान और कब्रिस्तान में किसी व्यक्ति को कोई अधिकार उपाजित नहीं होगा।
💥धारा - 70
धारा - 70 बकाया की वसूली :- इस अधिनियम के अधीन दिए गए सभी लगान , ब्याज, हानि और क्षतिपूर्ति की वसूली के लिए प्रवाहित रीति के अनुसार वसूल किए जायेंगे।
💥धारा - 71
धारा -71 नियम बनाने का अधिकार :- (1) राज्य सरकार अधिसूचना द्वारा नियम बना सकती है।
(2 ) पुराने अधिकार की सभ्यता को नुक्शान पहुंचाए बिना राज्य सरकार (धारा - 5) में रैयत की सहमति निश्चित करने के लिए, ग्राम प्रधान को अपने कर्तव्यों का संपादन करने की रीति, विधि (धारा - 21) के उप धारा-1 के अधीन रैयती भूमि का हस्तांतरण प्रतिवेदन करने की रीति, निबंधन पदाधिकारी को देय प्रक्रिया शुल्क की राशि,(धारा- 53) के अधीन भूमि के अर्जन पर उपबंध एवं ऐसी भूमि पर कब्जा देने की रीति पर नियम बना सकती है।
💥धारा - 72
धारा - 72 विशिष्ट विधानों का परित्राण :- इस अधिनियम कि कोई बात संथाल परगना भूधारण (अनुपूरक अनुबंध) अधिनियम 1949, अन्य विधि में ऊपर रहेगा। उसके बाद संथाल परगना भूधारण (अनुपूरक नियमावली )1950 लागू किया गया।
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