Santhal Pargana Kashtkari Adhiniyam 1949 Part-2
संथाल परगना काश्तकारी अधिनियम,1949
संथाल परगना भूधारण (अनुपूरक अनुबंध) अधिनियम 1949 का प्रमुख प्रावधान:-
अध्याय- 1 (धारा- 1 से 4)
💥धारा- 1
💨इसमें संक्षिप्त नाम, प्रारंभ और विस्तार- यह संथाल परगना भूधारण (अनुपूरक उपबंध )
अधिनियम, 1949 कहलायेगा।
💨यह उस तारीख से लागू होगा, जो राज्य सरकार अधिसूचना द्वारा नियत करें ।
💨यह समस्त संथाल परगना में लागू होगा, जिसमें दुमका, साहिबगंज, गोड्डा, देवघर, पाकुड़,एवं जामताड़ा जिला हैं ।
💥धारा- 2
💨इस अधिनियम के स्थानीय - विस्तार परिवर्तन के अधिकार और किसी क्षेत्र विशेष से अधिनियम की वापसी का प्रभाव, राज्य सरकार अधिसूचना द्वारा संथाल परगना प्रमंडल के किसी भी भाग से इस अधिनियम या इस के किसी भाग को वापस ले सकती है,और उसी प्रकार इस अधिनियम या इसके भाग को उस क्षेत्र में लागू कर सकती है, जहां से यह वापस ले ली गई है।
💥धारा- 3
💨धारा -3 रद्द- अनुसूची 'क' में वर्णित विधानी कारण इसके द्वारा उसके चतुर्थ स्तंभ में निर्दिष्ट सीमा तक रद्द की जाती है।
💥धारा- 4 में परिभाषाएं
💨कृषि वर्ष :-कृषि वर्ष का अर्थ है जहां बंगला साल चलता है, वहाँ प्रथम बैशाखा से प्रारंभ होने वाले वर्ष से है।
💨जहाँ फसली साल चलता है, प्रथम अश्विनी से प्रारंभ होने वाला वर्ष से है, जहां राज्य सरकार भूस्वामी है, वहाँ अप्रैल के पहले दिन से प्रारंभ हो रहा वर्ष कृषि वर्ष होगा।
💨भुक्तबंध अथवा पूर्ण भोगबंधक :- भुक्तबंध अथवा पूर्ण भोगबंधक का अर्थ है ऋण रूप में दी गयी पहली राशि या दी जाने वाली राशि ।
💨खास ग्राम:- खास ग्राम का अर्थ है, किसी ग्राम से है,जहाँ न तो मूल रैयत हो,न उस समय के लिए कोई ग्राम प्रधान हो,इस बात का विचार किये बिना की ग्राम में पहले मूल रैयत या ग्राम प्रधान था या नहीं।
💨भूस्वामी:- भूस्वामी का अर्थ ग्राम प्रधान।
💨 रैयत :- रैयत का अर्थ भूस्वामी से भिन्न किसी व्यक्ति से है जिसमें अपने या अपने पारिवारिक सदस्यों या भाड़े के मजदूरों के द्वारा जोतने के लिए भूधारण कराने का अधिकार प्राप्त है।
💨संथाल सिविल रूल का अर्थ है संथाल परगना अधिनियम 1955 की धारा -1 खंड -2 के अधिनियम इत्यादि की परिभाषा दी गयी हैं।
अध्याय- 2 (धारा- 5 से 11)
इसमें ग्राम प्रधान और मूल रैयत विस्तार पूर्वक विवरण:-
💥धारा- 5
💨किसी खास ग्राम के रैयत या भू स्वामी के आवेदन पत्र पर, स्थानीय रीति के आधार पर दो तिहाई रैयतों की रजामंदी से उपायुक्त, उस गांव में ग्राम प्रधान की नियुक्ति करेगा।
💥धारा- 6
💨किसी ग्राम का खास (जो ना तो मूल रैयत हो, न ही उस समय के लिए कोई ग्राम प्रधान हो )नहीं है।
💨ग्राम प्रधान मर जाए तभी ग्राम का भूस्वामी इस घटना के 3 महीने के अंदर ग्राम प्रधान की नियुक्ति के लिए उपायुक्त को प्रतिवेदन देगा।
💥धारा- 7
💨 ग्राम प्रधान की नियुक्ति होने पर ग्राम प्रधान को कबूलियत (स्वीकृति पत्र जो खेत का पट्टा लेने वाला व्यक्ति लिखकर उस व्यक्ति को देता है जिससे वह खेत का पट्टा) लिखता है वह अपने पद के कार्य संपादन में राज्य सरकार द्वारा बनाए नियमों से शासित करेगा।
💥धारा- 8
💨भूस्वामी का कर्त्तव्य बनता है, नये नियुक्त ग्राम प्रधान को ग्राम की जमाबंदी एवं अभिलेख अधिकार यानि खेत खतियान की प्रतियाँ उपलब्ध करायेगा।
💥धारा- 9
💨धारा 9 में ग्राम प्रधान को पद परिवर्तन का कोई अधिकार प्राप्त नहीं है।
💥धारा- 10
💨धारा 10 के तहत कोई बंजर भूमि जो मूल रैयत या सहरैयत द्वारा जोत लायक बनाई गई हो या कोई (खाली) परती भूमि जो मूल रैयत या सहरैयत के अधिकार में पाया जाए।
💨 इस अधिनियम में मूल रैयत या सह रैयत की अपरिवर्तनीय रैयती जोत समझा जाएगी।
💥धारा- 11
💨 धारा 11 के अनुसार ग्राम प्रधान मूल रैयतों में लगाए गए तथा उनसे वसूले गए सभी जुर्माने, प्रधानों की पुरस्कार निधि में जमा किए जाएंगे।
💨 इसका खर्च उपायुक्त के आदेश से होगा।
अध्याय- 3 (धारा -12 से 26)
💥धारा- 12
धारा -12 अनुसार रैयतों का तीन निम्नलिखित वर्ग होगा
(क )निवासी जमाबंदी रैयत
(ख)गैर -निवासी जमाबंदी रैयत
(ग) नये रैयत
(क )निवासी जमाबंदी रैयत- वैसे रैयत जो उस गांव में निवास करते हैं या जिनका पारिवारिक आवास उस गांव में है।
(ख)गैर -निवासी जमाबंदी रैयत - वैसे रैयत जो उस में निवास नहीं करते हैं या उनका परिवारिक वास स्थान उस गांव में नहीं है।
(ग) नये रैयत- वे व्यक्ति जो नए रैयत के रूप में अभिलिखित हैं।
💥धारा- 13
💨भूमि उपयोग के संबंध में रैयत के अधिकार, रैयत उस भूमि का जो उसके जोत में पड़ती है ।
💨 किसी भी रीति से जो स्थानीय प्रचलन या अन्य किसी भी तरह से भूमि का उपयोग कर सकता है ।
💨लेकिन भूमि का मूल्य नष्ट नहीं होना चाहिये।
💥धारा- 14
💨धारा 14 के अनुसार भूस्वामी द्वारा कोई रैयत को उसके जोत से बेदखल नहीं कर सकता है जब तक उपायुक्त का आदेश ना हो।
💥धारा- 15
💨धारा 15 के अनुसार रैयत को अपने उपयोग के लिए अपने जोत में बिना किसी अधिकार मूल्य के खपड़े या ईट बनाने का अधिकार होगा।
💥धारा- 16
💨धारा 16 में रैयतों को अपने जोत या बंदोबस्त भूमि में पानी, सिंचाई प्रयोजनों के लिए बांध, आहार, तलाब, कुआं इत्यादि का खुदाई या निर्माण कर सकता है।
💥धारा- 17
💨धारा 17 इस अधिनियम के अनुसार रैयत अपने जोत भूमि पर वृक्ष,उद्यान, एवं बाँस लगा सकता है, काट कर गिरा सकता है, तथा उसका उपयोग कर सकता है।
💨परन्तु किसी महुआ वृक्ष को अनुमंडल पदाधिकारी के अनुमति के बिना नहीं काट सकता है।
💨अपने जोत में अपने द्वारा लगाए वृक्षों पर बिना शुल्क के लाह उपजाने या रेशम कीट का पालने का अधिकार होगा।
💥धारा- 18
💨धारा 18 के अनुसार रैयत अपनी जोत में अपने घरेलू उपयोग के लिए ,कृषि प्रयोजनों के लिए तथा अपने जोत पर कच्चा या पक्का मकान बना सकता है।
💥धारा- 19
💨धारा -19 में रैयत अपने जोत का विभाजन और लगान का विवरण है।
💨भूस्वामी तथा ग्राम प्रधान या मूल रैयत यदि कोई हो तो सबकी सहमति से जोत का विभाजन होगा या उसके लगान का वितरण होगा।
💨न्यायालय के आदेश से या किसी भी प्रकार से जोत का बंटवारा या उप विभाजन का विषय हो एवं सम्मिलित पक्ष आपसी समझौते से या भूस्वामी या ग्राम प्रधान या मूल रैयत की यदि कोई हो तो सबकी सहमति से जोत के लगान के बंटवारे में असमर्थ हैं, तो इन पक्षों में से कोई भी व्यक्ति जोत के वितरण के लिए उपायुक्त को आवेदन दे सकता है।
💨अगर जोत के किसी भाग का लगान 3 रूपये से कम होगा तो किसी भी स्थिति में जोत का विभाजन नहीं होगा।
💥धारा- 20
💨धारा -20 में रैयत का अधिकार का हस्तांतरण।
💨विक्रय, दान, बंधक,रिक्त पत्र, पट्टा या किसी अन्य संविदा या समानुबंध द्वारा प्रकट या बोली रूप से अपने किसी जोत या उसके अंश के अधिकार का रैयत द्वारा किया गया हस्तांतरण।
💨 तब तक मान्य नहीं होगा जब तक कि हस्तांतरण का अधिकार अभिलेख रिपोर्ट में उपलब्ध ना हो।
💥धारा- 21
💨धारा -21 में गैर आदिवासी रैयत भुक्त बंद या पूर्ण भोग बंधक से रैयत भूमि का हस्तांतरण तथा उसकी सीमा:-
💨धारा- 20 के अनुसार उल्लेखित प्रधान के अंतर्गत राज्य सरकार इस संबंध में सरकारी गजट अधिसूचना प्रकाशित करके संपूर्ण संथाल परगना के या उसके ऐसे खंड के जो वह उचित समझे।
💨 गैर आदिवासी रैयत को सूचित तिथि से अपने धान के खेतों और प्रथम श्रेणी के बारी भूमियों के चौथाअंश का भुगत बंद या पूर्ण बंधक द्वारा राज्य सरकार द्वारा स्थापित भूमि बंधक रखने वाले बैंक या उपायुक्त द्वारा स्वीकृत।
💨बिहार और उड़ीसा कोऑपरेटिव सोसायटी एक्ट 1935 के तहत निबंधित या निबंधित समझी जाने वाली किसी सोसाइटी या संथाल परगना के किसी के नाम हस्तांतरण करने की स्वीकृति दे सकती है ।
💥धारा- 22
💨धारा -22 में न्यास पर कृषि के लिए रैयत अस्थाई रूप से अपना क्षेत्र दे सकता है।
💨धारा -20 और 21 में निहित किसी बात के रहते हुए गांव से रैयत की अस्थाई अनुपस्थिति, उसकी बीमारी या शारीरिक अक्षमता, उसके नियंत्रण से बाहर किसी कारणों से हल बैल की छति,रैयत के नाबालिग या विधवा होने की दशा में ग्राम प्रधान,मूल रैयत या भूस्वामी, जैसी दशा हो।
💨निर्धारित डाक द्वारा अनुमंडल पदाधिकारी को सूचना देकर अपना जोत अस्थाई रूप से न्यास पर जोतने के लिए संथाल परगना के किसी रैयत को दे सकता है।
💨उपधारा-1 के अनुसार यदि कोई अवधि नहीं दी गई हो और रैयत स्वयं अपने नहीं जोतता है तो 10 वर्ष की अवधि के बाद जोत छोड़ दिया गया यही समझा जाएगा।
💥धारा- 23
💨धारा- 23 रैयती भूमि का (विनिमय बदलेन )
💨अपनी भूमि को बदलने की इच्छा रखने वाले उपायुक्त को लिखकर आवेदन दे सकते हैं।
💨परंतु उपायुक्त अब तक विनिमय(अदल-बदल) करने की अनुमति नहीं देंगे, जब तक कि वह संतुष्ट ना हो जाए कि विनिमय पक्ष से बदले जाने वाले जमीन के जमाबंदी रैयत है।
💨या बदली जाने वाली प्रस्तावित भूमि एक ही गांव में या आस-पास के गांव में है ।
💨या कारोबार मुक्त विक्री नहीं है वरन पक्षों के पारस्पारिक सुविधा के लिए जाने वाली सचमुच का विनिमय है ।
💨या बदली जाने वाली भूमि सामान्य मूल्य की है की नहीं ।
💥धारा- 24
💨धारा -24 में रैयती जोतों के कतिपय हस्तांतरण का निबंधन :-
💨इस अधिनियम और अधिकार (खेवट खतियान) के नियम से किसी रैयती जोत का बिक्री दान उपहार, विनिमय, वसीयतनामा या बदलेन हेतु किया जाने वाली भूमि स्वामी के यहां होगा ।
💨धारा -24 (क) में वास भूमि के हस्तांतरण का निबंधन 1976 के 17 वें संशोधन अधिनियम से-
💨 जब कोई वास भूमि या उसका कोई अंश, जिसे अपना जोत के भाग से या रैयत के रूप में धारण करता हो।
💨 रूढ़ि या अधिकार अभिलेख के अनुसार विक्रय, दान, वसीयतनामा, विनिमय द्वारा हस्तांतरित हो।
💨तब अंतरीति या उसके हक का उत्तराधिकारी हस्तांतरण का निबंधन गांव के भूस्वामी के कार्यालय में कर सकेगा।
💥धारा- 25 और 26
💨धारा 25 और 26 मे रैयती जोत के विक्रय या दान के हस्तांतरण की प्रक्रिया का वर्णन है।
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