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Wednesday, June 16, 2021

Jharkhand Punarsthapana evam Punarvas Niti-2008 (झारखंड पुनर्स्थापना एवं पुनर्वास नीति-2008)

Jharkhand Punarsthapana evam Punarvas Niti-2008

➧ झारखंड के स्थानीय लोगों के हितों की रक्षा हेतु झारखंड सरकार ने वर्ष 2008 में झारखंड पुनर्स्थापना एवं पुनर्वास नीति की घोषणा की, इस नीति का मुख्य उद्देश्य इस प्रकार है 

झारखंड पुनर्स्थापना एवं पुनर्वास नीति-2008

(I) जहां तक संभव हो, न्यूनतम विस्थापन, विस्थापन न करने अथवा कम-से-कम विस्थापन करने के विकल्पों को को बढ़ावा देना

(II) प्रभावित व्यक्तियों की सक्रिय भागीदारी के पर्याप्त पुनर्वास पैकेज सुनिश्चित करना तथा पुनर्वास प्रक्रिया में तेजी से कार्यान्वयन सुनिश्चित करना

(III) समाज के कमजोर वर्गों, विशेष रूप से अनुसूचित जातियों तथा अनुसूचित जनजातियों के सदस्यों के अधिकारों की सुरक्षा करने तथा उनके विचार के संबंध में ध्यान पूर्वक तथा संवेदनशीलता के साथ कार्रवाई किए जाने पर विशेष ध्यान रखने को सुनिश्चित करना 

(IV) पुनर्वास कार्यों को विकास योजनाओं तथा कार्यान्वयन प्रक्रिया के साथ एकीकृत करना

(V) जिस क्षेत्र में बड़ी संख्या में परिवारों का विस्थापन हो, वहां सामाजिक प्रभाव मूल्यांकन लागू करना तथा पुर्नस्थापन क्षेत्र में अपेक्षित आधारभूत सुविधाएं उपलब्ध कराना 

(VI) प्रभावित परिवारों के बेहतर जीवन स्तर उपलब्ध कराने तथा सतत रूप से आए मुहैया कराने हेतु संयुक्त प्रयास करना 

पुर्नस्थापन एवं पुनर्वास

 यदि किसी परियोजना के लिए भूमि अर्जन के कारण किसी भी क्षेत्र में 100 या इससे अधिक परिवारों का  अनैच्छिक स्थापन हो रहा हो तो राज्य सरकार अधिसूचना के द्वारा उपायुक्त के स्तर के समकक्ष किसी अधिकारी को पुनर्स्थापन  और पुनर्वास प्रशासन के रूप में नियुक्त करेगी

➧ प्रशासन की सहायता के लिए अधिकारियों और कर्मचारियों की नियुक्ति भी की जाएगी

➧ पर्यावरण प्रभाव तथा सामाजिक प्रभाव का मूल्यांकन जन-सुनवाई के माध्यम से 30 दिनों के अंदर पूरा किया जाएगा

पुनर्स्थापन तथा पुनर्वास योजना

➧ किसी परियोजना के लिए भूमि के अर्जन अथवा या किसी अन्य कारणवश सामूहिक रूप से किसी भी क्षेत्र में 100 या से अधिक परिवारों के अनैच्छिक परिवारों के विस्थापन की संभावना हो तो वह एस.आई.ए.स्वीकृति के 15 दिनों के अंदर आदेश के माध्यम से गांव के क्षेत्र अथवा स्थानों को प्रभावित क्षेत्र घोषित करेगा


➧ जिसमें कम से कम 2 हिंदी भाषा में होंगे, जिनका प्रचलन गांवों में अथवा क्षेत्र में होता हो, जिनके प्रभावित होने की संभावना है

 इस सर्वेक्षण से प्रभावित परिवारों के बारे में इसके अनुसार ग्राम वार सूचना दी जाएगी
 
(i) परिवार के वे सदस्य जो प्रभावित क्षेत्र में रह रहे हैं, कब से रह रहे हैं , किस व्यापार, कारोबार अथवा पेशे में लगे हुए हैं

(ii) कृषि श्रमिक अथवा गैर-कृषि श्रमिक

(iii) अनुसूचित जाति अथवा अनुसूचित जनजाति, आदिम जनजाति, अन्य पिछड़ा वर्ग से संबंधित परिवार

(iv) दिव्यांग, निराश्रित, अनाथ, विधवाएँ, अविवाहित लड़कियां, परित्यक्त महिलाएं अथवा ऐसे व्यक्ति जिनकी आयु 50 वर्ष से अधिक है, जिन्हें वैकल्पिक आजीविका उपलब्ध नहीं कराई गई है अथवा तत्काल उपलब्ध नहीं कराई जा सकती है और जो अन्यथा परिवार के  भाग के रूप में शामिल नहीं होते हैं

(v) ऐसे परिवार, जो भूमिहीन है तथा गरीबी रेखा से नीचे रहने वाले, परंतु प्रभावित क्षेत्र की घोषणा की तारीख से पहले प्रभावित क्षेत्र में कम-से-कम गैर अनुसूचित क्षेत्र में 15 वर्ष एवं अनुसूचित क्षेत्र में 30 वर्षों से अन्यन अवधी से लगातार रह रहे हैं तथा जो संबंधित ग्राम सभा द्वारा प्रमाणित हो

➧ अनुसूचित क्षेत्र के 100 या इससे अधिक अनुसूचित जनजातियों के परिवारों के अनैच्छिक विस्थापन के मामले में जनजातीय सलाहकार परिषद से विचार-विमर्श किया जाएगा 


प्रभावित परिवारों के पुनर्स्थापना एवं पुनर्वास 
लाभ 

➧ ऐसे किसी भी प्रभावित परिवार, जिसके पास अपना घर हो उसका घर अधिग्रहित कर लिया गया हो, को प्रत्येक एकल परिवार के लिए अर्जित किए गए भूमि के लिए ग्रामीण क्षेत्र में 10 डिसमिल तथा शहरी क्षेत्र में 5 डिसमिल तक आवास के लिए बिना किसी लागत के अंतरित की जाएगी 


➧ गरीबी रेखा से नीचे की श्रेणी के प्रत्येक परिवार जिनके पास वासभूमि नहीं हो जो प्रभावित क्षेत्र की घोषणा की तारीख से पहले गैर-अनुसूचित क्षेत्र में 15 वर्षों से और अनुसूचित क्षेत्र में 30 वर्षों से लगातार रह रहा हो और अनैच्छिक रूप से विस्थापित हुआ हो, को पुनर्स्थापन  क्षेत्र के ग्रामीण क्षेत्र में 55 वर्गमीटर विस्तार वाला क्षेत्र का मकान मुहैया कराया जा सकता है

➧ परिवारों को आवंटित की गई भूमि या घर सभी ऋणों से मुक्त होगा तथा पति और पत्नी के संयुक्त नाम से होगा

➧ परियोजना से प्रभावित परिवारों से पशुओं के लिए तथा पशुशाला के लिए के निर्माण के लिए ₹35000 की राशि दी जाएगी 

➧ इन परिवारों को भवन-निर्माण की सामग्री एवं सामान तथा पशुओं के स्थानांतरण के लिए ₹15000 की वित्तीय सहायता एवं ऐसे दुकानदार जिनकी विस्थापन के कारण उनकी दुकान अथवा गुमटी प्रभावित हुई है, उसे ₹50000 की वित्तीय सहायता दी जाएगी 


शिकायत निवारण तंत्र

➧ राज्य सरकार प्रभावित परिवारों के पुनर्स्थापन और पुनर्वास योजना कार्यान्वयन के लिए सरकारी अधिकारी की अध्यक्षता में एक समिति गठित करेगी, जो अनुमंडल पदाधिकारी से छोटा ना हो इस समिति को पुनर्स्थापन और पुनर्वास समिति कहा जाएगा 

➧ परियोजना स्तर पर पुनर्स्थापन और पुनर्वास समिति के अंतर्गत आने वाले मामलों से छोड़कर जिले में प्रभावित परिवारों के पुनर्स्थापन तथा पुनर्वास के कार्य की प्रगति की निगरानी और समीक्षा करने के लिए  उपायुक्त की अध्यक्षता में एक स्थायी पुनर्स्थापन और पुनर्वास समिति गठन की जाएगी 

➧ शिकायतों का समयबद्ध रूप से निपटारा हेतु राज्य सरकार द्वारा त्रिसदस्यीय न्यायाधिकरण का गठन किया जाएगा 


निगरानी तंत्र

➧ राज्य स्तर पर मुख्यमंत्री की अध्यक्षता में एक परिषद होगा, जो पुनर्स्थापन और पुनर्वास समिति के क्रियान्वयन के संबंध में परामर्श, समीक्षा एवं अनुश्रवण का कार्य करेगा  

➧ परिषद में संबंधित विभाग के मंत्री, राज्य के मुख्य सचिव तथा संबंधित विभाग के सचिव होंगे

➧ इस परिवार में राष्ट्रीय स्तर के ख्याति प्राप्त विशेषज्ञ को सदस्य के रूप में रखा जा सकता है 

➧ राज्यस्तरीय  पुनर्स्थापन और पुनर्वास की वर्ष में कम से कम 2 बैठकें आयोजित की जाएंगी

सूचना का आदान-प्रदान 

➧ विस्थापन, पुनर्स्थापन  और पुनर्वास के संबंध में सभी सूचना, प्रभावित व्यक्तियों के नाम पुनर्स्थापन और पुनर्वास पैकेज के ब्यूाेरो को इंटरनेट पर सार्वजनिक रूप से उपलब्ध कराया जाएगा तथा परियोजना प्राधिकारियों द्वारा इस सूचना से संबंधित ग्राम-सभाओं, पंचायतों आदि को अवगत कराया जाएगा 

➧ इस नीति के अंतर्गत शामिल प्रत्येक मुख्य परियोजना के पुनर्स्थापन एवं पुनर्वास के लिए राज्य सरकार के संबंधित विभाग में एक पर्यावलोकन  समिति गठित होगी

                                                                                                👉Next Page:झारखंड के अपवाह तंत्र
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