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Wednesday, September 9, 2020

Jharkhand Ki Janjatiya Shasan Vyavastha Part-1(Jharkhand Tribal Governance)

झारखंड की जनजातीय शासन व्यवस्था PART-1

मुंडा शासन व्यवस्था


Jharkhand Ki Janjatiya Shasan Vyavastha Part-1(Jharkhand Tribal Governance)

विभिन्न शासन व्यवस्थाएं

प्रत्येक जनजाति की अपनी सामाजिक-संस्कृति विशेषताएं और प्रशासनिक व्यवस्थायें हैं 

यह व्यवस्थाएं प्राचीन काल से वर्तमान तक चली आ रही है। इनका महत्व आज भी इन क्षेत्रों में देखने को मिलता है।  

यह शासन व्यवस्थाएं निम्न प्रकार है

1.मुंडा शासन व्यवस्था

मुंडा जनजाति झारखंड में कोलेरियन समूह की एक सशक्त एवं शक्तिशाली जनजाति है।   

इससे प्रजातीय दृष्टि से प्रोटो ऑस्ट्रोलॉएड में रखा जाता है।  

इसके निवास स्थान को लेकर विद्वानों में मतभेद है।   

प्रथम विचारधारा के अनुसार इनका मूल भूमि तिब्बत को माना जाता है।  

 जबकि दूसरे विचारधारा के अनुसार भारत के दक्षिण-पश्चिमी से चलकर आर्यों के दबाव में मध्य प्रदेश आए और बाद में झारखंड के क्षेत्रों में इनका प्रवेश हुआ।   

➤तीसरे विचारधारा के अनुसार यह भारत के दक्षिण-पूर्वी भाग झारखंड में प्रवेश किए तथा असुर जनजाति को पराजित कर उनके निवास स्थल झारखंड पर अपना अधिकार स्थापित किये।  

मुंडा भाषा

मुंडा जनजाति  की अपनी भाषा है, जिससे मुंडारी कहते हैं

 यह भाषा ऑस्ट्रो-एशियाटिक भाषा परिवार के अंतर्गत आती है

➤यह जनजाति मुख्य रूप से झारखंड के रांची, खूंटी, हजारीबाग, गुमला, सिमडेगा,गिरिडीह, सिंहभूम, संथाल परगना में पाई जाती है। 

मुंडा अपनी भाषा को 'होडो जगर' कहते हैं

मुंडा गांव में तीन विशेष स्थल है

जो जनजातीय गांव की विशेषता भी मानी जा सकती है 

➤1 . यह स्थान है -  'सरना' जहां इनके ग्राम देवता निवास करते हैं

➤2 . 'अखाड़ा' जहां पंचायत की बैठक होती है और रात्रि में युवक-युवती एकत्र होकर नाचते गाते हैं

➤3.  तीसरा स्थल है 'सासन' जो समाधि स्थल होता है यहां शव को दफनाया जाता है

 समाधि स्थल पर पत्थर के शील रखे जाते हैं जिससे 'सासनदारी'  कहा जाता है 

मुंडा जनजातीय  गांव में युवागृह  को 'गीतिओढ़ा' कहा जाता है

आजीविका

झारखंड क्षेत्र में जब मुंडाओं का प्रवेश हुआ, तो वे आजीविका के लिए वनों का साफ-सुथरा कर कृषि कार्य करने लगे और स्थाई निवासी के रूप झारखण्ड में बस गये 

उनका बनाया गया खेत  खूंटकट्टी  खेत और उसका बसाया गांव खूंटकट्टी गांव कहा जाने लगा 

खेत बनाने वाला खूंटकट्टीदार कहा जाता है 

 खूंट का तात्पर्य एक परिवार से होता है 

कहा जाता है कि उस समय की प्रशासनिक व्यवस्था खूंटकट्टीदार व्यवस्था थी

इस व्यवस्था में प्रत्येक परिवार अपने जंगल और जमीन का मालिक होता है 

जनसंख्या बढ़ने के कारण जगह की कमी होने लगी तो खूंटकट्टीदारो  ने आस-पास में ही नए-नए गांव बनाने लगे
  
यह गांव नए हुए जरूर किंतु इन गांव की सामाजिक, सांस्कृतिक, धार्मिक एवं राजनीतिक व्यवस्थाओं का संचालन उसी पैतृक खूंटकट्टीदार गांव से ही होता है  

शासन व्यवस्था

 मुंडा जनजाति की शासन व्यवस्था को मुंडा प्रशासन व्यवस्था कहा जाता है  

प्राचीन काल से यह शासन व्यवस्था चली आ रही है 

➤इसके  द्वारा मुंडा अपने समाज में घटित, सामाजिक ,धार्मिक ,आर्थिक, मामलों का निपटारा करते हैं  

शासन व्यवस्था की सबसे छोटी इकाई गांव है 

गांव के प्रधान को मुंडा कहा जाता है गांव की शासन व्यवस्था में इसकी केंद्रीय भूमिका है, मुंडा का सहायक पाहन  होता है

 मुंडा की गैरमौजूदगी में पाहन ही गांव के सारे काम करता है 

  मुंडा और पाहन का सहायक महतो  होता है 

महतो का मुख्य काम है - गांव में सूचनाओं का आदान-प्रदान करना 

गांव से  बड़ी इकाई पड़हा व्यवस्था है। कई गांवों (लगभग 12 से 20 )को मिलाकर बनता है पड़हा के प्रधान को राजा कहा जाता है

➤कुछ मुंडा क्षेत्रों में पड़हा राजा को मानकी भी कहा जाता है 

पड़हा राजा  ठाकुर, दीवान, पांडे, सिपाही, दरोगा,लाल  की सहायता से काम को अंजाम देता है  

ठाकुर पड़हा राजा  का सहायक होता है और उनके कर्मों में सहयोग करता है   

➤दीवान पड़हा राजा का मंत्री होता है और उसके हुकुम की तालीम करता है

 दीवान दो तरह के होते हैं गढ़ दीवान - (गढ़ के अंदर के क्रियाकलापों की देखरेख करने वाले) एवं राज दीवान- (गढ़ के बाहर के क्रियाकलापों की देखरेख करने वाले) 

पांडेय पर सभी तरह के कागजातों (दस्तावेजों) को संभाल कर रखने की जिम्मेदारी होती है पड़हा राजा  के आदेश पर नोटिस जारी करता है

 सिपाही दीवान के आदेश पर गाँव -गाँव  में नोटिस तामिल करता है 

दरोगा सभा की कार्रवाई के दौरान लोगों को नियंत्रण रखता है 

 लाल सभा में वकील की  भांति बहस करने का काम करता है लाल कि तीन श्रेणियां होती है -

बढ़ लाल ,मझलाल ,लाल छोटे

 पड़हा  से बड़ी इकाई राज होती है जिसका प्रधान राजा कहलाता है

➤कई पड़हाओं को मिलाकर एक राज बनता है

➤जब पड़हा  सभा में मामले का निपटारा नहीं हो पाता है, तब राज सभा में मामला पहुंचता है और वहां निपटारा किया जाता है जिससे मानना ही पड़ता है

 दूसरे शब्दों में राज सभा मुण्डाओं के लिए उच्चतम न्यायालय के समान है

👉Next Page: पड़हा पंचायत शासन व्यवस्था

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