झारखंड की जनजातीय शासन व्यवस्था PART-1
मुंडा शासन व्यवस्था
➤यह शासन व्यवस्थाएं निम्न प्रकार है।
➤1.मुंडा शासन व्यवस्था
➤इससे प्रजातीय दृष्टि से प्रोटो ऑस्ट्रोलॉएड में रखा जाता है।
➤इसके निवास स्थान को लेकर विद्वानों में मतभेद है।
➤प्रथम विचारधारा के अनुसार इनका मूल भूमि तिब्बत को माना जाता है।
➤ जबकि दूसरे विचारधारा के अनुसार भारत के दक्षिण-पश्चिमी से चलकर आर्यों के दबाव में मध्य प्रदेश आए और बाद में झारखंड के क्षेत्रों में इनका प्रवेश हुआ।
➤तीसरे विचारधारा के अनुसार यह भारत के दक्षिण-पूर्वी भाग झारखंड में प्रवेश किए तथा असुर जनजाति को पराजित कर उनके निवास स्थल झारखंड पर अपना अधिकार स्थापित किये।
➤मुंडा भाषा
➤ यह भाषा ऑस्ट्रो-एशियाटिक भाषा परिवार के अंतर्गत आती है।
➤यह जनजाति मुख्य रूप से झारखंड के रांची, खूंटी, हजारीबाग, गुमला, सिमडेगा,गिरिडीह, सिंहभूम, संथाल परगना में पाई जाती है।
➤मुंडा अपनी भाषा को 'होडो जगर' कहते हैं।
➤मुंडा गांव में तीन विशेष स्थल है
➤1 . यह स्थान है - 'सरना' जहां इनके ग्राम देवता निवास करते हैं।
➤2 . 'अखाड़ा' जहां पंचायत की बैठक होती है और रात्रि में युवक-युवती एकत्र होकर नाचते गाते हैं।
➤3. तीसरा स्थल है 'सासन' जो समाधि स्थल होता है। यहां शव को दफनाया जाता है।
➤ समाधि स्थल पर पत्थर के शील रखे जाते हैं जिससे 'सासनदारी' कहा जाता है।
➤मुंडा जनजातीय गांव में युवागृह को 'गीतिओढ़ा' कहा जाता है।
➤आजीविका
➤इस व्यवस्था में प्रत्येक परिवार अपने जंगल और जमीन का मालिक होता है।
➤शासन व्यवस्था
➤प्राचीन काल से यह शासन व्यवस्था चली आ रही है।
➤इसके द्वारा मुंडा अपने समाज में घटित, सामाजिक ,धार्मिक ,आर्थिक, मामलों का निपटारा करते हैं।
➤शासन व्यवस्था की सबसे छोटी इकाई गांव है।
➤गांव के प्रधान को मुंडा कहा जाता है गांव की शासन व्यवस्था में इसकी केंद्रीय भूमिका है, मुंडा का सहायक पाहन होता है।
➤ मुंडा की गैरमौजूदगी में पाहन ही गांव के सारे काम करता है।
➤ मुंडा और पाहन का सहायक महतो होता है।
➤महतो का मुख्य काम है - गांव में सूचनाओं का आदान-प्रदान करना।
➤गांव से बड़ी इकाई पड़हा व्यवस्था है। कई गांवों (लगभग 12 से 20 )को मिलाकर बनता है पड़हा के प्रधान को राजा कहा जाता है।
➤कुछ मुंडा क्षेत्रों में पड़हा राजा को मानकी भी कहा जाता है।
➤पड़हा राजा ठाकुर, दीवान, पांडे, सिपाही, दरोगा,लाल की सहायता से काम को अंजाम देता है।
➤ठाकुर पड़हा राजा का सहायक होता है और उनके कर्मों में सहयोग करता है।
➤दीवान पड़हा राजा का मंत्री होता है और उसके हुकुम की तालीम करता है।
➤ दीवान दो तरह के होते हैं गढ़ दीवान - (गढ़ के अंदर के क्रियाकलापों की देखरेख करने वाले) एवं राज दीवान- (गढ़ के बाहर के क्रियाकलापों की देखरेख करने वाले)।
➤पांडेय पर सभी तरह के कागजातों (दस्तावेजों) को संभाल कर रखने की जिम्मेदारी होती है। पड़हा राजा के आदेश पर नोटिस जारी करता है।
➤ सिपाही दीवान के आदेश पर गाँव -गाँव में नोटिस तामिल करता है।
➤दरोगा सभा की कार्रवाई के दौरान लोगों को नियंत्रण रखता है।
➤ लाल सभा में वकील की भांति बहस करने का काम करता है लाल कि तीन श्रेणियां होती है -
बढ़ लाल ,मझलाल ,लाल छोटे।
➤ पड़हा से बड़ी इकाई राज होती है जिसका प्रधान राजा कहलाता है।
➤कई पड़हाओं को मिलाकर एक राज बनता है।
➤जब पड़हा सभा में मामले का निपटारा नहीं हो पाता है, तब राज सभा में मामला पहुंचता है और वहां निपटारा किया जाता है जिससे मानना ही पड़ता है।
➤ दूसरे शब्दों में राज सभा मुण्डाओं के लिए उच्चतम न्यायालय के समान है।
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