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Wednesday, September 2, 2020

Jharkhand Ki Bhugarbhik Sanrachna (Geological Structure)

Jharkhand Ki Bhugarbhik Sanrachna

भूगर्भिक संरचना  (Geological Structure)




 झारखंड राज्य की भूगर्भिक संरचना (जियोलॉजिकल स्ट्रक्चर) में प्राचीनतम आर्कियान-कालीन चट्टानों 

से लेकर नवीनतम चतुर्थ कल्प कालीन जलोढ़ निक्षेपण तक पाए जाते हैं 

➤झारखण्ड क्षेत्र अति प्राचीन संरचना गोंडवाना भूखंड का उत्तरी -पूर्वी क्षेत्र है।

यह क्षेत्र एक भूगर्भिक काल में अनेक भूगर्भिक हलचलों और परिवर्तनों को देखते रहे हैं


झारखंड की भूगर्भिक संरचना का काल क्रमानुसार वितरण इस 

प्रकार है


आर्कियान ग्रेनाइट-नीस और धारवाड़ की चट्टानें 

 आर्कियान ग्रेनाइट -नीस एवं धारवाड़ की चट्टानें इन्हें पृथक पैतृक चट्टान कहा जाता है

जो झारखंड के लगभग 90% क्षेत्र में पाया जाता है

 ग्रेनाइट चट्टानें  कहीं-कहीं नीस में बदल गई है,आर्कियान काल से ही इस तरह की चट्टानें यहां है

 यह परत वालीचट्टानें पूर्वी एवं पश्चिमी सिंहभूम सरायकेला सिमडेगा एवं झारखंड के दक्षिण पूर्वी भाग में है

 ये चट्टानें आर्थिक दृष्टि से सर्वाधिक महत्वपूर्ण है,क्योंकि इसमें प्रचुर मात्रा में खनिज मिलते हैं


विध्वंस श्रेणी के चट्टानें

विध्वंस श्रेणी के चट्टानों इसमें बलुवा पत्थर या चुना पत्थर पाया जाता है

इसमें भी परत होती हैं, ऐसी चट्टानें गढ़वा जिले के उत्तरी भाग में है
 

गोंडवाना श्रेणी के चट्टानें 

गोंडवाना श्रेणी के चट्टानें दामोदर घाटी के तलछट से बनी इन चट्टानों में बलुवा पत्थर व कोयले की परतें होती है
 
जब भूखण्डों  का विचलन होता है तो उनके बीच की भूमि धस जाती है और घाटी का निर्माण होता है
 
उत्तरी कोयल की घाटी, गिरिडीह एवं राजमहल की पहाड़ियों में ऐसी चट्टानें मिलती हैं
 
झारखंड के प्रमुख कोयला निक्षेपों का निर्माण इसी श्रेणी के चट्टानों  से हुआ है


 
राजमहल ट्रैप और ढक्कन लावा की चट्टानें

राजमहल ट्रैप और ढक्कन  लावा के बहने से राजमहल ट्रैप बना तथा रुक-रुक कर दरारों से जो प्रवाह 

चला उसे ढक्कन लावा बना है
 
➤ये ही अपक्षयित होकर लेटराइट और बॉक्साइट बन गए
 
➤पाट  प्रदेश, साहिबगंज का उत्तर-पूर्वी भाग तथा पाकुड़ का पूर्वी भाग इसी जमाव का परिणाम है

पलामू, गढ़वा,लोहरदगा व गुमला को पाट प्रदेश कहते हैं, इसकी ऊंचाई 900 मीटर है

 

नवीनतम जलोढ़ निक्षेप

नवीनतम जलोढ़ निक्षेप  नदी घाटी क्षेत्रों में जलोढ़ निक्षेप से निर्मित संरचना पाई जाती हैं 

इस तरह की संरचना झारखंड के सीमित क्षेत्रों जैसे की राजमहल के पूर्वीभाग ,सोन घाटी, स्वर्ण रेखा की

 निचली घाटी में पाए जाते हैं
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