Jharkhand Ki Rajvyavastha Part-4
झारखंड की न्यायपालिका
➤परन्तु दो या दो से अधिक राज्यों के लिए एक ही उच्च न्यायालय है।
➤अथवा एक अधिक जनसंख्या वाले किसी राज्य के लिए एक से ज्यादा उच्च न्यायालय की व्यवस्था करना, भारतीय संसद का विशेष अधिकार है।
➤न्यायपालिका सरकार का तीसरा महत्वपूर्ण अंग है।
➤इसका उद्देश्य नागरिकों के अधिकारों की रक्षा करना है। ,
➤सरकार का मुख्य काम, व्यक्ति और व्यक्ति एवं व्यक्ति और राज्य के मध्य होने वाले विवादों को सुलझाना है।
➤झारखंड राज्य का उच्च न्यायालय देश के 21वें उच्च न्यायालय के रुप में है।
➤झारखंड राज्य उच्च न्यायालय का गठन 15 नवंबर 2000 को झारखंड राज्य के स्थापना के साथ ही किया गया।
➤ पटना उच्च न्यायालय से कट के राँची उच्च न्यायालय में रूपांतरित किया गया है।
➤झारखंड उच्च न्यायालय के प्रथम मुख्य न्यायाधीश न्यायमूर्ति विनोद कुमार गुप्ता नियुक्त किए गए।
➤उन्हें पद और गोपनीयता की शपथ झारखंड के प्रथम राज्यपाल प्रभात कुमार ने दिलाई।
➤ वर्तमान में झारखंड उच्च न्यायालय में न्यायाधीशों की कुल संख्या 25 है मुख्य न्यायाधीश सहित,अभी कुल -20 है , 5 पद रिक्त है।
➤न्यायाधीशों की नियुक्ति
➤राज्य में राष्ट्रपति मुख्य न्यायाधीश की नियुक्ति, सर्वोच्च न्यायालय के मुख्य न्यायाधीश और संबंधित राज्य के राज्यपाल के परामर्श से करता है।
➤राष्ट्रपति अन्य न्यायाधीशो की नियुक्ति राज्यपाल , सर्वोच्च न्यायालय के मुख्य न्यायाधीश,के अतिरिक्त राज्य के मुख्य न्यायाधीश से भी परामर्श लेता है।
➤न्यायाधीशों की शपथ
➤राज्यपाल या उसके द्वारा नियुक्त किसी अधिकृत व्यक्ति के समक्ष न्यायधीशो द्वारा शपथ ली जाती है।
➤16 वें संविंधान संशोधन के बाद उच्च न्यायालय का नयायधीश उसी प्रकार शपथ लेता शपथ है, जैसे सर्वोच्च न्यायालय के न्यायाधीश के लिए निर्धारित है।
➤योग्यताएं
➤वह भारत का नागरिक हो।
➤वह 62 वर्ष से कम आयु का हो वह कम से कम 10 वर्ष तक न्यायिक पद पर रह चुका हो या किसी उच्च न्यायालय में या एक से अधिक उच्च न्यायालयों में निरन्तर 10 साल तक अधिवक्ता रह चुका हो।
➤वेतन एवं भत्ते
➤वेतन एवं भत्ते उच्च न्यायालय के मुख्य न्यायाधीश को ₹2,50,000 तथा अन्य न्यायाधीश को ₹2,25,000 मासिक वेतन मिलता है।
➤ इसके अलावे संसद द्वारा निर्धारित अन्य भक्तों एवं सुविधाएं मिलती हैं।
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➤कार्यकाल
➤ उच्च न्यायालय के न्यायधीश का कार्यकाल 62 वर्ष की आयु पूरी होने तक अपने पद धारण करता है।
➤परंतु वह किसी भी समय राष्ट्रपति को अपना त्यागपत्र दे सकता है।
➤ इसके अलावा वह राष्ट्रपति द्वारा अपने पद से हटाया जा सकता है, यदि संसद उसे अयोग्य या दुराचारी सिद्ध कर विशेष बहुमत से प्रस्ताव पारित कर दे।
➤उच्च न्यायालय को तीन प्रकार का क्षेत्राधिकार प्राप्त है।
1.मूल क्षेत्राधिकार
2.अपीलीय क्षेत्राधिकार
3.प्रशासनिक अधिकार
1.मूल क्षेत्राधिकार :- के अंतर्गत संविधान की व्याख्या और नागरिकों के अधिकारों की सुरक्षा संबंधी मामले आते हैं, संविधान के अनुच्छेद-226 के अनुसार मौलिक अधिकार से संबंधित कोई भी मामला सीधे उच्च न्यायालय में लाया जा सकता है।मौलिक अधिकारों को लागू करवाने के लिए उच्च न्यायालय निम्न 5 प्रकार का लेख जारी करता है।
2 परमा देश लेख
3 प्रतिषेध लेख
4 अधिकार पृच्छा लेख
5 उत्प्रेषण लेख
2.अपीलीय क्षेत्राधिकार :-अपीलीय क्षेत्राधिकार के अंतर्गत जिला एवं सेशन जज के द्वारा हत्या के मुकदमे में मृत्युदंड की सजा, उच्च न्यायालय की बगैर पुष्टि के मान्य नहीं होगा।
➤संविधान की व्याख्या से संबंधित किसी प्रकार के मामले में उच्च न्यायालय में अपील की जा सकती है।
➤उच्च न्यायालय को विवाह, तलाक, वसीयत, जल सेना विभाग, न्यायालय का अपमान, कंपनी कानून आदि से संबंधित अभियोग भी उच्च न्यायालय के आरंभिक अधिकार क्षेत्र में आते हैं।
3.प्रशासनिक क्षेत्राधिकार :- इस क्षेत्राधिकार के द्वारा उच्च न्यायालय अपने अधीनस्थ न्यायालय का निरीक्षण करता है एवं उन पर नियंत्रण रखता है।
➤उच्च न्यायालय के सलाह से ही राज्यपाल जिला ने न्यायाधीशों की नियुक्ति करता है।
➤ न्यायाधीशों की पदोन्नति ,छुट्टी इत्यादि के बारे में भी राज्यपाल को उच्च न्यायालय से परामर्श से कार्य करना होता है।
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