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Monday, September 14, 2020

Jharkhand Ki Prashasanik Vyavastha Part-2(Administrative System Of Jharkhand)

झारखण्ड की प्रशासनिक व्यवस्था PART-2

(Administrative System Of Jharkhand)

क्षेत्रीय प्रशासन

➤प्रशासनिक सुविधा के लिए झारखंड राज्य को  प्रमंडलों में , प्रमंडल  को ज़िलों में, जिला को  अनुमंडलों में एवं अनुमंडल को प्रखंडों में प्रखंड को अंचलों में बांटा गया है

वर्तमान में झारखंड राज्य  वर्तमान में झारखंड राज्य में 5 प्रमंडल, 24 जिले, 45 अनुमंडल और 267 प्रखंड है 

राज्य में क्षेत्रीय प्रशासन होता है, जो व्यापक रूप से राज्य में सरकारी नीतियों, नियमों और सुविधाओं को आदेशात्मक रूप से क्रियान्वयन  करता है

राज्य में क्षेत्रीय प्रशासन को 5 भागों में बांटा गया है 

प्रमंडलीय प्रशासन

 जिला प्रशासन 

अनुमंडल प्रशासन

प्रखंड प्रशासन 

ग्राम पंचायत 

प्रमंडलीय प्रशासन

➤राज्य में पांच प्रमंडल है जो निम्न प्रकार है 

 प्रमंडल  -                                 मुख्यालय 

 पलामू प्रमंडल   -                     मेदिनीनगर

संथाल परगना प्रमंडल -           दुमका

उत्तरी छोटानागपुर प्रमंडल -    हजारीबाग

दक्षिणी छोटानागपुर         -      रांची

कोल्हान प्रमंडल         -            चाईबासा

प्रमंडलीय प्रशासन व्यवस्था जिसके प्रमुख प्रमंडलीय आयुक्त होते हैं। 
➤ये आयुक्त भारतीय प्रशासनिक सेवा के अधिकारी होते हैं
आयुक्त के कार्यों में जिलाधिकारियों के विधि -विकास कार्यों में पर्यवेक्षक की भूमिका और न्यायालय के कार्य आदि होते हैं 
आयुक्त के सहायक अपर जिला दंडाधिकारी स्तर के सचिव के अलावा एक उपनिदेशक (खाद्य) उप-निदेशक (पंचायती राज) और अपर जिला दंडाधिकारी (फ्लाइंग स्क्वॉयड)के रूप में होते हैं  
प्रमंडल का प्रमुख आयुक्त कमिश्नर कहलाता है 

जिला प्रशासन    

 झारखंड में कुल 24 जिले हैं 

झारखंड राज्य गठन के समय 18 जिले थे

 झारखंड गठन के बाद 6 जिला का निर्माण हुआ

 सरायकेला खरसावां :- पश्चिमी सिंहभूम जिला के विभाजन के फल स्वरुप 19वॉ जिला के रूप में स्थापित किया गया, इसका गठन 1 अप्रैल 2001 को हुआ 

लातेहार :- पलामू जिला के विभाजन के फल स्वरुप 20वां जिला बना, इसका गठन 4 अप्रैल 2001 को हुआ

 जामताड़ा :- दुमका जिला के विभाजन के फल स्वरुप 21वां जिला बना, इसका गठन 26 अप्रैल 2001 को हुआ

सिमडेगा :- गुमला जिला के विभाजन के फल स्वरुप 22वां जिला बना , इसका गठन 30 अप्रैल 2001 को हुआ

 खूंटी :- रांची जिला के विभाजन के फल स्वरुप 23वां जिला के रूप में बना, इसका गठन 12 सितम्बर  2007 को हुआ

 रामगढ़ :- हजारीबाग जिले के विभाजन के फल स्वरुप 24वॉ जिला बना , इसका गठन 12 सितम्बर  2007 को हुआ

 जिला प्रशासन का उद्देश्य सरकार के सभी सेवाओं को प्रभावी ढंग से नागरिकों का तक पहुंचाना है। 
इसका प्रमुख जिला अधिकारी होता है। 
राज्य में जिला अधिकारी को 'उपायुक्त' पदनामित किया जाता है। 
इससे विभिन्न पदों में अपना कार्यभार संभालना होता है। 

कलेक्टर के रूप में उपायुक्त को निम्न कार्य करने होते हैं

भू-राजस्व वसूली
➤कैनाल एवं अन्य शुल्क की वसूली 
राजकीय ऋणों की वसूली 
➤राष्टीय विपदाओं का मूल्यांकन और उसमें सहायता कार्य
स्टांप एक्ट का प्रभावी क्रियान्वयन 
सामान्य एवं विशेष भूमि अर्जन का कार्य
जमीनदारी बॉण्ड्स का भुगतान
भू-अभिलेखों का समुचित रख-रखाव
भूमि पंजीकरण का कार्य 
➤संख्यांकी संबंधी रिकॉर्ड रखना

जिला पदाधिकारी की भूमिका में उपायुक्त के कार्य इस प्रकार हैं

कलेक्टर की भूमिका के साथ ही उपायुक्त को जिला पदाधिकारी की भूमिका भी निभानी पड़ती है
 नागरिक सुविधाओं के क्रियान्वयन हेतु इस भूमिका में उपायुक्त के कार्य इस प्रकार हैं 

 राज्य सरकार के आदेशों का क्रियान्वयन करना 
 जिला कोषागार का प्रबंध करना 
 प्रशासनिक पदाधिकारियों को परीक्षण देना  
चरित्र प्रमाण पत्र और नागरिकता संबंधी प्रमाण पत्र निर्गत करना  
अनुसूचित जनजाति,जनजाति, पिछड़े वर्गों, सैनिकों और भूमिहीनों के लिए भूमि बंदोबस्ती संबंधी कार्य करना  
जिला समाहरणालय में दंडाधिकारियों की प्रतिनियुक्ति करना 
कर्मचारियों एवं पदाधिकारियों के पेंशन संबंधी मामलों का निष्पादन करना  
जिला स्तरीय समितियों के अध्यक्षता और नियमित बैठकों का आयोजन करना 
केंद्र अथवा राज्य के मंत्रियों के जिले में आगमन पर सुरक्षा-प्रबंध करना 
जिला स्तर के सभी अधिकारियों पर बजट नियंत्रण रखना 
राष्ट्रपति, प्रधानमंत्री, उपराष्ट्रपति के जिला-भ्रमण दौरो पर सुरक्षा-प्रबंध करना 
➤जिला में शिक्षा की गुणवत्ता बनाए रखने के लिए शिक्षा पदाधिकारियों का पर्यवेक्षण करना 
सामान्य नागरिकों की शिकायतें सुनकर आवश्यक कार्रवाई करना   
जिले में मूलभूत सुविधाओं का आपूर्ति संबंधी पर्यवेक्षण करना   
अनुमंडल प्रखंड ग्राम स्तर के पदाधिकारियों पर नियंत्रण, पर्यवेक्षण और उन्हें अवकाश देने संबंधी कार्य करना  

जिला दंडाधिकारी की भूमिका में उपायुक्त के कार्य इस प्रकार हैं

उपायुक्त को इन दो भूमिकाओं के बाद जिला दंडाधिकारी के रूप में भी जिला में शांति बनाए रखने का महत्वपूर्ण कार्य करना होता है 
इस भूमिका में उपायुक्त के कार्य इस प्रकार हैं 

पर्व त्योहार और विशेष व्यक्ति की सुरक्षा में दंडाधिकारी की तैनाती करना  
अनुसूचित जाति ,जनजाति, पिछड़े वर्ग को प्रमाण पत्र निर्गत करना  
अशांति, हिंसा और दंगों की स्थिति में सेना का प्रभावित क्षेत्र में फ्लैग मार्च कराना 
बिगड़ती न्याय व्यवस्था के नियंत्रण के लिए आवश्यक कदम उठाना, कर्फ्यू लगाना आदि  
अधीनस्थ कार्यपालक दंडाधिकारियों  की प्रतिनियुक्ति करना 
जेलों का औचक अथवा पूर्व नियोजित, नियोजित निरीक्षण करना 
➤बंदियों  को व्यवहार के आधार पर श्रेणी देना अथवा पैरोल पर छोड़ना  
अपराधों की वार्षिक रिपोर्ट राज्य सरकारों को सौंपना  
जिला अंतर्गत सभी थानों का वार्षिक निरीक्षण करना  
➤आपदा, दुर्घटना, उग्रवादी गतिविधियों में पीड़ितों को मुआवजा देना 
जिला स्तर के विभिन्न चुनाओं को शांतिपूर्ण संपन्न कराना 
जिले में मनोरंजन संस्थाओं से मनोरंजन कर लागू करके वसूलना 
जिले की मतदाता सूची को अद्यतन करना कराना 
संसदीय विधानसभा  क्षेत्रों का परिसीमन कराना  
जनगणना संबंधी कार्य पूर्ण कराना 

जिला समन्वयक की भूमिका में उपायुक्त के कार्य इस प्रकार हैं

जिला उपायुक्त को विभिन्न जिला स्तरीय विभागों के बीच सहयोग एवं समन्वय बनाकर रखना पड़ता है।

इस समन्वयक भूमिका में वह निम्नलिखित विभागों और उनके पदाधिकारियों से निरंतर संपर्क में रहता है 

पुलिस विभाग के पुलिस अधीक्षक से 
 वन विभाग के वन पदाधिकारी से  
शिक्षा विभाग के जिला शिक्षा पदाधिकारी से 
सहकारी विभाग के सहायक निबंधक से 
कृषि विभाग के जिला कृषि पदाधिकारी से 
खनन विभाग के सहायक खनन पदाधिकारी से 
चिकित्सा विभाग के सिविल सर्जन से  
निबंधन विभाग के सहायक निबंधक से  
उद्योग विभाग के जिला उद्योग पदाधिकारी से 
उत्पाद विभाग के अधीक्षक से 
आपूर्ति विभाग के जिला आपूर्ति पदाधिकारी से 

इस प्रकार जिलाधिकारी/उपायुक्त जिले का प्रमुख होता है जो अपनी पूर्ण क्षमता और अधिकारों के साथ जिले के नागरिकों और राज्य सरकार के बीच सुविधा-सेतु का काम करता है 

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