झारखण्ड में पंचायती राज व्यवस्था PART-1
(Panchayati Raj system in Jharkhand)
➤विधान सभा से पारित होने के बाद इस विधेयक को राज्यपाल के पास मंजूरी (स्वीकृति) के लिए भेजा गया।
➤23 अप्रैल, 2001 को इस विधेयक को राज्यपाल प्रभात कुमार ने अपनी मंजूरी प्रदान की।
➤राज्यपाल की मंजूरी के बाद यह विधेयक (बिल) झारखंड पंचायती राज अधिनियम, 2001 (झारखंड पंचायती राज एक्ट 2001) बन गया।
➤इस अधिनियम के तहत राज्य में त्रिस्तरीय पंचायती राज व्यवस्था अपनाई गई है।
➤त्रिस्तरीय पंचायती राज व्यवस्था का अर्थ है ग्राम स्तर पर 'ग्राम पंचायत', प्रखंड स्तर पर 'पंचायत समिति' एवं जिला स्तर पर 'जिला परिषद' की व्यवस्था होगी।
➤इस अधिनियम में जिन आदर्शों की स्थापना की गई है वे महात्मा गांधी के सुनहरे सपनों का साकार रूप है।
➤इसमें ना केवल समाज के कमजोर वर्गों एवं महिलाओं के की सत्ता में भागीदारी सुनिश्चित की गयी है।
➤पंचायती राज संस्थाओं को पर्याप्त शक्तियां एवं आर्थिक स्वायत्तता प्रदान कर इसे सत्ता के विकेंद्रीकरण का वास्तविक स्वरुप भी प्रदान किया गया है।
➤ग्राम पंचायत
➤यह पंचायती राज व्यवस्था का प्रथम एवं सबसे निम्न स्तर है।
➤गठन :- झारखंड पंचायती राज अधिनियम के तहत प्रति 5,000 की जनसंख्या पर एक 'ग्राम पंचायत' के गठन का प्रावधान किया गया है।
➤प्रति 500 की जनसंख्या पर ग्राम पंचायत के एक सदस्य के चुनाव का प्रावधान किया गया है।
➤पंचायत में अनुसूचित जाति, अनुसूचित जनजाति, पिछड़ी जातियों एवं महिलाओं के लिए आरक्षण की व्यवस्था है।
➤ग्राम पंचायत में महिलाओ के लिए 50% पद आरक्षित है।
➤ग्राम पंचायत का प्रमुख मुखिया होता है उसकी सहायता के लिए एक उप मुखिया होता है।
➤इन दोनों का कार्यकाल 5 वर्ष का होता है।
➤मुखिया का चुनाव प्रत्यक्ष रीति से ग्राम सभा के सदस्यों के द्वारा होता है।
➤ग्राम पंचायत के सदस्य दो तिहाई बहुमत द्वारा मुखिया के विरुद्ध अविश्वास प्रस्ताव पारित कर उसे अपने पद से हटा सकते हैं।
➤मुखिया की अनुपस्थिति में उप मुख्य उसके सभी दायित्व का निर्वाह करता है।
➤परंतु उपमुखिया 6 महीने से अधिक मुखिया के रूप में कार्य नहीं कर सकता है।
➤6 महीने के बाद भी यदि किसी कारणवश उपस्थित नहीं हो पाता है तो नए मुखिया का निर्वाचन
आवश्यक हो जाता है।
➤पंचायत सेवक ग्राम पंचायत का पदेन सचिव होता है।
➤पंचायत सेवक की नियुक्ति राज्य सरकार के द्वारा की जाती है अर्थात वह सरकारी कर्मचारी होता है।
➤वह ग्राम पंचायत कार्यालय प्रबंधक होता है।
➤वह सरकार एवं ग्रामवासियों के बीच कड़ी का काम करता है।
➤सरकार के कार्य योजना ,कार्य के विषय में हुए निर्णयों से ग्राम पंचायत को अवगत कराता है।
➤ग्राम पंचायतों की गतिविधियों की जानकारी सरकार को देता है।
➤ग्राम पंचायत के अंग :-ग्राम पंचायत के 4 अंग है
➤ग्राम सभा
➤ग्राम सभा ग्राम पंचायत के आधार भूमि है यह प्राथमिक स्तर है।
➤ग्राम सभा स्थानीय नागरिकों की आम सभा होती है।
➤ ग्राम पंचायत क्षेत्र में रहने वाले सभी वयस्क मतदाता ग्राम सभा के सदस्य होते हैं।
➤ग्राम सभा देश की विकेंद्रित प्रशासकीय व्यवस्था का सबसे निचला स्तर है।
➤इसके ऊपर ग्राम पंचायत होती है।
➤ग्राम सभा के सदस्य ही ग्राम पंचायत के सदस्यों का चुनाव करते हैं।
➤प्रति 250 की संख्या पर 'ग्राम सभा' के गठन का प्रावधान किया गया है।
➤सामान्यतः प्रत्येक गांव में 1 ग्राम सभा होती है।
➤जबकि एक पंचायत क्षेत्र में जिसमें सामान्यता दो से 3 गांव आते हैं।
➤1 ग्राम पंचायत होती है।
➤वर्ष में कम से कम 2 बार खरीफ एवं रबी की फसल कटने के बाद ग्रामसभा की बैठक करने का प्रावधान है।
➤ग्राम सभा ग्राम पंचायत की सुविधा के लिए ग्राम स्तरीय योजनाओं तैयार करती है तथा ग्राम पंचायत
द्वारा निर्धारित व्यवस्था को लागू करती है।
➤ग्राम सभा एक निगरानी समिति का गठन करती है, जो ग्राम पंचायत द्वारा किए जाने वाले प्रशासनिक
एवं अन्य कार्यों पर निगरानी रखती है।
➤ग्राम सभा को सुरक्षा प्रहरी भी कहा जाता है जो ग्राम पंचायत पर नज़र रखती है।
➤ग्राम पंचायत ग्राम सभा के प्रति उत्तरदाई होती है जिस प्रकार राज्य सरकार विधान सभा के प्रति।
➤ग्राम सभा के कार्य इस प्रकार है:-
1) ग्राम पंचायत के प्रशासनिक कार्यों का अनुमोदन करना।
2) वर्ष के बजट, लेखा एवं लेखा परीक्षण रिपोर्ट का अनुमोदन करना।
3) समुदाय सेवा, स्वैच्छिक श्रम , इत्यादि सहित विकास कार्यक्रमों, वर्ष के दौरान हाथ में ली जाने वाली
परियोजनाओं को स्वीकृति देना तथा ग्राम की उत्पादन योजना को अंगीकार करना।
4) कर संबंधी प्रस्तावों पर विचार करना और उनकी स्वीकृति देना तथा।
5) ग्राम पंचायत के लिए सदस्य चुनना।
➤ग्राम पंचायत
➤ग्राम पंचायत को 'ग्राम पंचायत का कार्यपालिका अंग' या 'ग्राम सभा की कार्यकारिणी समिति' कहा जाता है।
➤कार्यकारिणी समिति में 9 सदस्य होते हैं एक मुखिया एवं आठ अन्य सदस्य।
➤कार्यकारिणी समिति का प्रधान मुखिया होता है, जिसका चुनाव गांव की जनता द्वारा प्रत्यक्ष रूप से किया जाता है।
➤मुखिया संपूर्ण ग्राम पंचायत का प्रतिनिधित्व करता है।
➤मुखिया के प्रमुख कार्य इस प्रकार है:-
2) ग्राम सभा एवं ग्राम पंचायतों के संकल्पों या निर्णयों के कार्यान्यवयन को सुनिश्चित करना।
3) वित्तीय और कार्यपालिका प्रशासन के लिए सामान्यता उत्तरदायी होना।
4) पंचायत के अभिलेखों के संचरण करने का उत्तरदाई होना तथा।
5) ऐसे कार्यों को जो ग्राम सभा/ ग्राम पंचायत या या राज्य सरकार द्वारा सौंपी जाए, करना।
➤ग्राम कचहरी
➤यह ग्राम पंचायत का न्यायालय होता है जिससे छोटे-मोटे दीवानी एवं फौजदारी मुकदमों को निपटाने का जिम्मा सौंपा गया है।
➤इसका उद्देश्य है गांवो में मुकदमेबाजी कम करना एवं जनता को सस्ता न्याय सुलभ कराना।
➤इसका प्रमुख सरपंच होता है।
➤सरपंच की सहायता के लिए एक उपसरपंज होता है।
➤सरपंच के अनुपस्थिति में वह सरपंच के दायित्व को निभाता है।
➤झारखंड राज्य में केंद्र की भांति कार्यपालिका और न्यायपालिका एक दूसरे से अलग रखा गया है।
➤मुखिया तथा कार्यकारिणी समिति कोई भी सदस्य कचहरी का सदस्य नहीं हो सकता।
➤प्रत्येक ग्राम पंचायत में एक ग्राम कचहरी स्थापित करने का प्रावधान है।
➤ग्राम कचहरी में प्रत्यक्ष निर्वाचित एवं सरपंच तथा प्रति 500 की आबादी पर ग्राम कचहरी के लिए एक
प्रत्यक्ष निर्वाचित सदस्य का प्रावधान है।
➤ग्राम कचहरी में 9 सदस्य होते हैं एक सरपंच और 8 अन्य सदस्य।
➤सरपंच एवं पंच मिलकर अपने बीच में एक उप उप सरपंच का चुनाव करते हैं।
➤इन सभी का कार्यकाल 5 वर्ष का होता है।
➤ग्राम कचहरी में अधिकतम ₹10,000 तक के मामले स्वीकार किए जा सकते हैं।
➤ग्राम कचहरी को अधिकतम 3 महीने का साधारण कारावास तथा ₹1,000 तक का जुर्माना लगाने का
अधिकार है, जुर्माने की राशि नहीं चुकाने पर अधिकतम 15 दिन का अतिरिक्त कारावास का दंड देने का
अधिकार है।
➤ग्राम रक्षा दल
➤इसमें 18 से 30 वर्ष के युवा शामिल हो सकते हैं।
➤ग्राम रक्षा दल का एक नेता होता है जिसे दलपति कहा जाता है।
➤दलपति की नियुक्ति मुखिया एवं कार्यकारिणी समिति की राय से की जाती है।
➤ग्राम रक्षा दल के ऊपर गांव की रक्षा और शांति का उत्तर दायित्व सौंपा गया है।
➤संकट कालीन स्थितियों में जैसे:- आगलगी,डकैती,बाढ़, संक्रमक बीमारियों आदि में यह लोगों की सहायता करता है।