➧ Dhal Vidroh (1767-1777)
➧ ढाल विद्रोह झारखंड प्रदेश में अंग्रेजों के विरुद्ध प्रथम विद्रोह था।
➧ ढाल विद्रोह का अर्थ है "ढाल राजा के नेतृत्व में संपूर्ण ढाल राज्य की जनता का विद्रोह"।
➧ अंग्रेजों ने सिंहभूम की दीवानी प्राप्त कर सिंहभूम के क्षेत्र को अपने अधिकार में ले लिया जिसके प्रतिक्रिया स्वरूप वहां के लोगों ने विद्रोह कर दिया।
➧ इस विद्रोह का प्रारंभ 1767 ईस्वी में सिंहभूम क्षेत्र में हुआ था जो 1777 ईस्वी तक (10 वर्ष) तक चला।
➧ इस विद्रोह को धालभूम के अपदस्थ राजा जगन्नाथ ढाल ने नेतृत्व प्रदान कर व्यापक स्वरूप प्रदान किया।
➧ जगन्नाथ ढाल को अपदस्थ कर अंग्रेजों ने नीमू ढाल को धालभूम का राजा बनाया था।
➧ इस विद्रोह का दमन करने के लिए कंपनी ने लेफ्टिनेंट रुक तथा चार्ल्स मेगन को भेजा, परन्तु ये अधिकारी दमन करने में असफल रहे।
➧ 1777 ईस्वी में कंपनी शासन द्वारा जगन्नाथ ढाल को राजा स्वीकार किये जाने के बाद यह विद्रोह समाप्त हो गया।
➧ ढालभूम का राजा बनाये जाने के बदले में जगन्नाथ ढाल द्वारा अंग्रेजों को तीन वर्षो तक क्रमश: 2000/-, 3000/- तथा अधिकतम ₹4000 वार्षिक कर के रूप में देना स्वीकार किया।
➧ 1780 ईस्वी में इस राशि को बढ़ाकर 4267 रूपये कर दिया गया।
➧ झारखण्ड में अंग्रेजों का प्रवेश सिंहभूम की ओर से हुआ था।
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