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Wednesday, May 26, 2021

Kanwar Janjati Ka Samanya Parichay (कंवर जनजाति का सामान्य परिचय)

Kanwar Janjati Ka Samanya Parichay

➧ यह जनजाति कौरवों के वंशज के हैं 

➧ इस जनजाति का संबंध प्रोटो-ऑस्ट्रोलॉयड प्रजाति समूह से है

➧ इनकी भाषा का कवराती (कवरासी) या सादरी है

कंवर जनजाति का सामान्य परिचय

➧ कंवर झारखंड की 31वीं जनजाति है जिसे भारत सरकार ने 8 जनवरी, 2003 में जनजाति की श्रेणी में शामिल किया है 

➧ यह जनजाति पलामू, गुमला व सिमडेगा जिले में निवास करती  हैं 

समाज और संस्कृति

➧ इनका परिवार पितृसत्तात्मक व पितृवंशीय होता है 

➧ इस जनजाति में कुल 7 गोत्र पाए जाते हैं, जिसके नाम प्रहलाद,  अभीआर्य, शुकदेव, तुण्डक, वरिष्ठ, विश्वामित्र व पराशर है

 इनका समाज वहिविर्वाही होता है अर्थात विवाह हेतु अपने वंश या  गोत्र के बाहर की कन्या को ढूंढा जाता है जिसे 'कूटमैती प्रथा' कहते हैं

➧ इस जनजाति में चार प्रकार के विवाह प्रचलित है जिसमें क्रय विवाह सर्वाधिक प्रचलित है

➧ इसके अतिरिक्त इसमें सेवा विवाह, ढुकु विवाह, जिया विवाह का प्रचलन पाया जाता है

➧ इस जनजाति में वधू मूल्य को सुक-दाम कहा जाता है

➧ वधु मूल्य रूप में नगद के अतिरिक्त 10 खण्डी चावल दिए जाने पर इसे 'सुक-मोल' कहा जाता है

➧ इस जनजाति का पंचायत प्रधान सयान कहलाता है तथा इनकी ग्राम पंचायत का संचालन प्रधान या पटेल करता है 

➧ इस जनजाति के लोग मुख्यत: करम, तीज, जयाखानी, हरेली, पितर पूजा आदि पर्व मनाते हैं

आर्थिक व्यवस्था 

➧ इस जनजाति का प्रमुख पेशा कृषि कार्य है

➧ धार्मिक व्यवस्था 

➧ कंवर सरना धर्मावलंबी है तथा इस जनजाति का सर्वोच्च देवता भगवान है, जो सूर्य का प्रतिरूप है

 इनके ग्राम देवता को खुँट देवता कहा जाता है

➧ इनके गांव का पुजारी पाहन या वैगा कहलाता है

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