Bedia Janjati Ka Samanya Parichay
➧ यह जनजाति एक अल्पसंख्यक जनजाति है।
➧ प्रजातिया दृष्टि से यह जनजाति द्रविड़ समूह से संबंधित है।
➧ यह अपने को वेद निवस या वेदवाणी कहते हैं।
➧ इस जनजाति के लोग स्वयं को ऊंच हिंदू मानते हैं।
➧ अपने नाम के साथ ये बेदिया और मांझी की उपाधि धारण करते हैं।
➧ इस जनजाति का संकेन्द्रण मुख्यत: रांची, हजारीबाग और बोकारो जिला में है।
➧ समाज एवं संस्कृति
➧ इस जनजाति में बधु मूल्य को 'डाली टाका' के नाम से जाना जाता है।
➧ इनके गांव के मुखिया को प्रधान कहा जाता है। इसे महतो या ओहदार भी कहते हैं।
➧ इसके नाच के मैदान को अखाड़ा कहते हैं।
➧ इस जनजाति में सबसे प्रचलित विवाह 'आयोजित विवाह' है।
➧ इसमें विजातीय विवाह को ठुकुर ठेनी कहा जाता है तथा यह सामाजिक रूप से निषिद्ध होता है।
➧ इस जनजाति में पुरुषों का परंपरागत वस्त्र केरया, कच्छा/भगवा है जबकि महिलाओं का परंपरागत वस्त्र ठेठी और पाचन है।
➧ इस जनजाति में दशहरा, दिवाली, छठ, सोहराय, कर्मा आदि पर्व धूमधाम से मनाया जाता है।
➧बेदिया जनजाति के प्रमुख गोत्र :- थेरहर , सूड़ी, चिडरा, बाम्बी, बड़वार, काछिम, फेचा।
➧ आर्थिक व्यवस्था
➧ इनका प्रमुख पेशा कृषि कार्य है।
➧ धार्मिक व्यवस्था
➧ इस जनजाति के प्रमुख देवता सूर्य है तथा इसमें सूर्याही पूजा का प्रचलन है।
➧ इस जनजाति के धार्मिक स्थल को सारना कहा जाता है।
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