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Friday, May 21, 2021

Khadiya Janjati Ka Samanya Parichay (खड़िया जनजाति का सामान्य परिचय)

Khadiya Janjati Ka Samanya Parichay

➧ इनका मूल निवास स्थान रोहतास है। 

➧ झारखंड में इसका सबसे अधिक संकेन्द्रण गुमला, सिमडेगा क्षेत्र में है।  

➧ प्रजाति दृष्टिकोण से प्रोटो-ऑस्ट्रोलॉयड है इनकी भाषा खड़िया है, जो मुंडारी भाषा परिवार की ही एक भाषा है। 

➧ यह जनजाति झारखंड के अलावा उड़ीसा, मध्य प्रदेश, पश्चिम बंगाल में भी पाई जाती है खड़खड़िया अर्थात पालकी ढोने के कारण इन इस जनजाति को खड़िया कहा गया

खड़िया जनजाति का सामान्य परिचय

 सामाजिक दृष्टिकोण से

(i) खड़िया जनजाति 3 भाग में विभाजित है। 

1- पहाड़ी खड़िया :  सबसे अधिक पिछड़ा समूह है, जो बीहड़ प्रवेश प्रदेश में निवास करती है इसका सिद्धांत है "लूट लाओ और कूट खाओ"। 

2- ढ़ेलकी खड़िया  :  

3- दूध खड़िया   :  खड़िया समाज में सबसे अधिक विकास इन्हीं का हुआ है।  

(ii) ऊपर वर्णित तीनों वर्गों में आपस में विवाह नहीं होता है

(iii) समाज प्रतृसत्तात्मक है तथा बहु विवाह का प्रचलन है

(iv) सबसे अधिक प्रचलित विवाह ओलोल दाय है, जिसे असल विवाह भी कहते हैं इसमें वर द्वारा कन्या को मूल्य देकर विवाह किया जाता है, विवाह के अन्य रूपों निम्न है 

उधराउधारी  : सह पलायन विवाह (अर्थात भाग कर शादी)

ढुकुचाेलकी  : अनाहातु विवाह (बिना निमंत्रण दिए विवाह)

राजी-खुशी   : प्रेम विवाह 

(v) खड़िया जनजाति में युवागृह को गोतिओ कहते हैं इनके प्रमुख गोत्र में किरो, गिलूगु, टोपनो, टोप्पो, डुंगडुंग, मुरु,भुईया हैं 

 राजनीतिक दृष्टिकोण से

(i) इनकी प्रशासनिक व्यवस्था को ढ़ोकलो सोहोर कहते हैं

(ii) ग्राम पंचायत का प्रमुख महतो कहलाता है, जिसका सहयोगी करटाहा होते हैं

(iii) इनका जातीय पंचायत धीरा एवं जातीय पंचायत का प्रमुख बंदिया कहलाता है 

(iv) झारखंड में सबसे अधिक ईसाईकरण इसी जनजाति का हुआ है

➧ सांस्कृतिक दृष्टिकोण से

(i) खड़िया जनजाति का सबसे प्रमुख पर्व बा-बीड, बंगारी, कादो लेटा, नयोदेम आदि है बा -बीड, बीजारोपण का सर्वजनिक त्यौहार है, जबकि नयोदेम नया चावल खाने से पहले पूर्वजों को अर्पित करने की पूजा है

(ii) फ़ागु इनका शिकार उत्सव है, जिसमें पाट और बोराम की पूजा की जाती है 

 धार्मिक दृष्टिकोण से 

(i) इनके सबसे प्रमुख देवता बेला भगवान/ठाकुर है, जो सूर्य का ही प्रतिरूप है 

(ii) इस जनजाति के प्रमुख देवता निम्न है 

पहाड़ देवता  : पारदुबो 

वन देवता     : बोराम, सरना 

देवी             :  गुमी 

(iii) धार्मिक कार्य संपन्न कराने वाले व्यक्ति को पहाड़ी खड़िया के लोग दिहुरी/ढ़ेलकी जबकि दूधिया खड़िया के लोग पाहन या कालो कहते हैं 

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