Pahadiya Vidroh (1772-82)
➧ पहाड़िया जनजाति की तीन उपजातियां हैं
(i) माल पहाड़िया
(ii) सौरिया पहाड़िया
(iii) कुमारभाग पहाड़िया।
➧ पहाड़िया जनजाति संथाल परगना प्रमंडल की प्राचीनतम जनजाति है वास्तव में यही यहां के प्रथम आदिम निवासी हैं।
(i) माल पहाड़िया :- ये मुख्यत: बांसलोई नदी के दक्षिण में बसे हैं।
(ii) सौरिया पहाड़िया :- ये बांसलोई नदी के उत्तर राजमहल, गोड्डा और पाकुड़ क्षेत्र में निवास करती हैं।
(iii) कुमारभाग पहाड़िया:- ये बांसलोई नदी के उत्तरी तट पर बसे हैं।
➧ पहाड़िया विद्रोह चार चरणों (1772, 1778, 1779, 1781-82) में घटित हुआ तथा सभी चरणों में इस विद्रोह के कारण भिन्न-भिन्न थे।
➧ 1772 ईस्वी में यह विद्रोह तब प्रारंभ हुआ पहाड़िया जनजाति के प्रधान की नृशंस एवं विश्वासघाती हत्या मनसबदारों ने कर दी, जबकि पहाड़िया जनजाति के लोग राजमहल क्षेत्र में मनसबदारों के अधीन थे और मनसबदारों से उनके अच्छे संबंध थे। विद्रोह के इस चरण का नेतृत्व रमना आहड़ी ने किया।
➧ 1778 ईस्वी में यह आंदोलन जगन्नाथ देव के नेतृत्व में प्रारंभ किया गया। जगन्नाथ देव ने पहाड़िया जनजाति को अंग्रेजों द्वारा प्रदत नकदी भत्ता को साजिश करार देते हुए उन्हें अंग्रेजों के विरुद्ध संगठित करने का प्रयास किया।
➧ 1779 ईस्वी में इस विद्रोह का तीसरा चरण प्रारंभ हुआ।
➧ 1781-82 ईस्वी में यह विद्रोह महेशपुर की रानी सर्वेशरी के नेतृत्व में प्रारंभ किया गया। यह विद्रोह 'दामिन-ए-कोह' के विरोध में किया गया था।
➧ 1790-1810 के बीच अंग्रेजों द्वारा इस क्षेत्र में बड़ी संख्या में संथालों को आश्रय दिया गया तथा 1824 ई0 में अंग्रेजों द्वारा पहाड़िया जनजाति की भूमि को 'दामिन-ए-कोह' का नाम देकर सरकारी संपत्ति घोषित कर दिया गया।
0 comments:
Post a Comment