Gond Janjati Ka Samanya Parichay
➧ गोंड जनजाति भारत की दूसरी सर्वाधिक जनसंख्या वाली जनजाति है तथा इनका मूल निवास मध्य प्रदेश और गोंडवाना क्षेत्र में है।
➧ झारखंड में इस जनजाति का मुख्य निवास क्षेत्र गुमला तथा सिमडेगा में है।
➧ इसके अतिरिक्त यह जनजाति रांची, पलामू और कोल्हान में भी निवास करती हैं।
➧ इस जनजाति का संबंध द्रविड़ समूह से है।
➧ इस जनजाति की भाषा गोंडी है, किंतु ये लोग बोलचाल में सादरी-नागपुरी का प्रयोग करते हैं।
➧ समाज और संस्कृति
➧ यह जनजाति निम्न तीन वर्गों में विभाजित है :-
राजगोंड - अभिजात्य वर्ग
घुरगोंड - सामान्य वर्ग
कमियां - खेतिहर मजदूर
➧ गोंड लोग संयुक्त परिवार को भाई बंद तथा संयुक्त परिवार के विस्तृत रूप को भाई बिरादरी कहते हैं।
➧ यह जनजाति पितृसत्तात्मक व पितृवंशीय है।
➧ इस जनजाति में युवागृह को घोटूल/गोटूल कहा जाता है।
➧ इनका प्रमुख पर्व फरसा पेन, मतिया, बूढ़देव, करमा, सोहराई, जितिया आदि है।
➧ इनका प्रमुख पर फंसा पेन मतिया गुरदेव कर्मा सोहराय सरहुल जितिया आदि हैं।
➧ आर्थिक व्यवस्था
➧ इस जनजाति का प्रमुख पेशा कृषि कार्य है।
➧ इस जनजाति द्वारा झुम खेती को दीपा या बेवार कहा जाता है।
➧ धार्मिक व्यवस्था
➧ इनके प्रमुख देवता ठाकुर देव (अन्य नाम- बूढ़ा देव) और ठाकुर देई है।
➧ ठाकुर देव सूर्य के तथा ठाकुर दीई धरती के प्रतीक हैं।
➧ गोंड जनजाति में प्रत्येक गोत्र द्वारा 'परसापन' नामक कुल देवता की पूजा की जाती है।
➧ कुल देवता की पूजा करने वाले व्यक्ति को 'फरदंग' कहते हैं।
➧ इस जनजाति में पुजारी को वैगा कहा जाता है तथा इसके सहायक को मति कहा जाता है।
➧ इस जनजाति में शवों के दफनाने के स्थान को 'मसना' के नाम से जाना जाता है।
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