झारखंड के लोकगीत
Jharkhand Ke Lokgeet
➤जनजातीय लोकगीतों में सुख-दुख, हर्ष-विषाद और खुशी-निराशा की झलक मिलती है।
➤आकर्षक, उत्कंठा, वेदना, आनंद, सुनहरे अतीत की याद, जातीय आदर्श के पालन का आह्वान आदि इनके गीतों के मुख्य विषय होते हैं।
➤जनजातियों लोकगीतों को दो भागों में विभाजित किया जाता है।
➤पहला :-महिलाओं के द्वारा गाए जाने वाले लोकगीत, जैसे:- जनानी , झूमर, डोमकच, झूमता, अंगनई, वियाह , झांझइन इत्यादि।
➤दूसरा :- पुरुषों का लोकगीत जिसमें सभी प्रकार के गीत सम्मिलित हैं।
➤अन्य लोकगीतों में संस्कारगीत, गाथागीत, बीजमैल, सलहेस, दोना भदरी, पर्वगीत , ऋतुगीत, पेशागीत, जातीयगीत आदि प्रमुख हैं।
➤संथालों लोकगीतों की संख्या बहुत अधिक है।
➤मौसम के अनुसार संथाली गीतों में दोड, लागेड़े ,सोहराई, मिनसार , बाहा , दसाय ,पतवार आदि प्रमुख है।
जनजाति लोकगीत
संथाल:- ⧪दोड (विवाहित संबंधी लोकगीत)
⧪विर सेरेन (जंगल लोकगीत)
⧪ सोहराय, लगड़े ,मिनसार, बाहा, दसाय,
पतवार, रिजा, डाटा, डाहार,मातवार
भिनसार, गोलवारी, धुरु मजाक, रिंजो, झिका आदि।
मुंडा:- ⧪ जदुर, (सरहुल/बाहा पर्व से संबंधित लोकगीत)
⧪ गेना व ओर जदुर( जदुर लोकगीत के पूरक)
⧪अडन्दी (विवाहित संबंधी लोकगीत)
⧪जापी (शिकार संबंधी लोकगीत)
⧪जरगा, करमा ।
हो:- ⧪वा (बसंत लोक गीत)
⧪ हैरो (धान की बुवाई के समय गाया जाने वाला लोकगीत)
⧪नोम नामा ( नया अन्न खाने के अवसर पर
गाया जाने वाला लोकगीत)।
उरांव:- ⧪ सरहुल (बसंत लोक गीत)
⧪ जतरा (सरहुल के बाद गाया जाने वाला लोकगीत)
⧪ करमा (जतरा के बाद गाया जाने वाला लोकगीत)
⧪ धुरिया, अषाढ़ी, जदुरा , मट्ठा आदि।
प्रमुख लोकगीत व उनके गाए जाने के अवसर
लोकगीत गाए जाने का असर
झांझइन :- जन्म संबंधी संस्कार के अवसर पर स्त्रियों
द्वारा गाया जाता है।
डइड़धरा :- वर्षा ऋतु में देवस्थानों में गाया जाता है।
प्रातकली :- इसका प्रदर्शन प्रात:काल किया जाता है।
अधरतिया:- इसका प्रदर्शन मध्य रात्रि में किया जाता है।
कजली :- इसका गायन वर्षा ऋतु में किया जाता है।
टुनमुनिया , बारहमास तथा झूलागीत
स्थानीय संगीत के प्रकार है जो कजली की
ही श्रेणी में आते हैं।
औंदी:- यह गीत विवाह के समय गाया जाता है।
अँगनई :- यह स्त्रियों द्वारा गाया जाता है।
झूमर:- इस गीत को विभिन्न त्योहारों
(जैसे :- जितिया, सोहराई, करमा आदि) के अवसर
पर झूमर राग में गाया जाता है।
उदासी तथा पावस :- यह नृत्यहीन गीत है उदासी गर्मी के समय तथा
पावस वर्षा के शुरू में गाया जाता है।
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