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Sunday, May 23, 2021

Bathudi Janjati Ka Samanya Parichay (बथुड़ी जनजाति का सामान्य परिचय)

Bathudi Janjati Ka Samanya Parichay

➧ बथुड़ी झारखंड की एक अल्पसंख्यक जनजाति है जो स्वयं को जनजाति/आदिवासी नहीं मानती है 

➧ ये स्वयं को बाहुतुली या बाहुबली कहते हैं जिसका अर्थ है बाहुओं से तोलने वाला अर्थात क्षेत्रीय 

➧ इस जनजाति को भुईया का पूर्वज माना जाता है

बथुड़ी जनजाति का सामान्य परिचय

 यह जनजाति झारखंड के सिंहभूम का धालभूम की पहाड़ी क्षेत्र में निवास करती है 

➧ इस जनजाति का संबंध द्रविड़ समूह से है 

➧ समाज एवं संस्कृति 

➧ इस जनजाति की नातेदारी व्यवस्था हिंदू समाज के समान ही है

 ➧ इस जनजाति में पितृसत्तात्मक सामाजिक व्यवस्था पर प्रचलित है

  इस जनजाति में 5 गोत्र पाए जाते हैं

 इस जनजाति में विवाह का सर्वाधिक प्रचलित रूप 'आयोजित विवाह' है 

➧ इनके गांव का प्रमुख प्रधान कहलाता है

➧ बूथड़ी जनजाति के लोग नृत्य संगीत के अत्यंत शौकीन होते हैं 

➧ इस जनजाति में कहंगु, वंशी, झाल और मांदर नामक वाद्य यंत्र अत्यंत प्रचलित है 

 इस जनजाति के लोग मुख्यत: आषाढ़ी पूजा, शीतल पूजा, वंदना पूजा, धुलिया पूजा, सरोल पूजा, रस पूर्णिमा, मकर संक्रांति आदि पर्व मानते हैं 

➧ इनमे बहुगोत्रीय प्रणाली है, जिसमें सालुका, 'कोक, नाग, पानीपट,  हुटुक' मुख्य हैं  

➧ इनके सर्वोच्च देवता ग्राम देवता है

➧ ये मृत शरीर को सासन/मोराकुल में जलाया जाता है  

आर्थिक व्यवस्था

➧ इनका प्रमुख पेशा कृषि कार्य, वनोत्पादों का संग्रह और मजदूरी कार्य है  

 धार्मिक व्यवस्था

➧ इनके प्रमुख देवता ग्राम देवता है 

इनके ग्राम का पुजारी दिहुरी कहलाता है 

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