Ghatwal Vidroh 1772-1773
➧ घटवाल विद्रोह रामगढ़ के घटवालों द्वारा किया गया।
➧ रामगढ़ के राजा मुकुंद सिंह के राज्य पर उसके एक संबंधी तेज द्वारा अधिकार जताने पर अंग्रेजों ने तेज सिंह का समर्थन किया।
➧ परिणाम: अपने राजा मुकुंद सिंह के प्रति अंग्रेजों द्वारा किए गए इस दुर्व्यवहार के विरुद्ध घटवालों ने विद्रोह कर दिया।
➧ यह विद्रोह 25 अक्टूबर, 1772 ईस्वी को तब प्रारंभ हुआ जब रामगढ़ के राजा मुकुंद सिंह के राज्य पर कैप्टन कैमक की सेना ने दक्षिण की ओर से तथा उत्तर की ओर से तेज सिंह ने एक साथ धावा बोल दिया।
➧ इस आक्रमण में मुकुंद सिंह वहां से भाग निकला तथा घटवाल के लोगों से समर्थन की मांग की।
➧ घटवाल के लोगों ने मुकुंद सिंह का साथ दिया और कैमक का विरोध करने लगे।
➧ परंतु जब घटवालों ने यह महसूस किया कि मुकुंद सिंह पुनः राजा नहीं बन सकता, तब उन्हेंने मुकुंद सिंह का साथ छोड़ दिया। इस प्रकार यह विरोध बिना किसी विस्फोटक स्थिति उत्पन्न किए ही समाप्त हो गया।
➧ इस विद्रोह में छै वह चंपा के राजा ने भी मुकुंद सिंह का साथ दिया था।
➧ अंग्रेजी में ठाकुर तेज सिंह को रामगढ़ का शासक घोषित कर दिया।
➧ तेज सिंह की मृत्यु के बाद पारसनाथ सिंह रामगढ़ का राजा बना।
➧ मुकुंद सिंह अपनी गद्दी खोने के बाद से कभी शांत नहीं रहा तथा वह लगातार अंग्रेजों का विरोध करता रहा।
➧ रघुनाथ सिंह मुकुंद सिंह का समर्थक था। अंग्रेजों ने रघुनाथ सिंह से समझौता करना चाहा। परंतु उसने इंकार कर दिया जिसके परिणाम स्वरूप एकरमैन और डेनियल के संयुक्त प्रयास से रघुनाथ सिंह को गिरफ्तार कर चटगांव भेज दिया गया।
➧ रामगढ़ में अशांत माहौल के कारण कैप्टन क्रॉफर्ड को रामगढ़ की सुरक्षा की जिम्मेदारी सौंपी गई।
➧ रामगढ़ अशांत माहौल के कारण रैयत पलायन करने लगे जिसे देखते हुए उपकलेक्टर जी.डलास ने सरकार से विनती की रामगढ़ के राजा को राजस्व वसूली से मुक्त कर दिया जाए और राजस्व वसूली के लिए प्रत्यक्ष बंदोबस्त की व्यवस्था की जाए।
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