Hari Baba Andolan-1931
➧ यह आंदोलन हरिबाबा उर्फ दुका हो के नेतृत्व में सिंहभूम क्षेत्र में चलाया गया।
➧1930 के दशक में सिंहभूम के दुका हो, जो हरिबाबा के नाम से जाने जाते थे, एक आंदोलन की शुरुआत की जिसे "हरिबाबा आंदोलन" से जाना गया।
➧ हरिबाबा आंदोलन का मुख्य उद्देश्य टुटती और बिखरती सामाजिक, धार्मिक व्यवस्था का शुद्धीकरण था।
➧ यह एक प्रकार का शुद्धि आंदोलन था।
➧ इस आंदोलन के द्वारा हो जनजाति के लोगों को बाहरी अत्याचारों से बचाने हेतु संगठित करना था।
➧ इस आंदोलन के दौरान सरना धर्म का व्यापक प्रचार-प्रसार किया गया।
➧ गांधीजी के आत्मशुद्धि और त्याग को हरिबाबा आंदोलन ने भी अपनाया क्योकि उन्हें उम्मीद थी की इस आंदोलन के जरिये वे दिकुओं को भगा सकते हैं।
➧ गांधीजी के प्रभाव से यह आंदोलन राजनीतिक बन गया। उनका विश्वास था की अंग्रेज सरकर को भागने में गांधीजी जी ही समर्थ हैं।
➧ 15 मई ,1931 ईस्वी को उन्होंने उग्रता का भी परिचय दिया और सिंहभूम में टेलीग्राफ के तारों को उखाड़ फेका।
➧ यह देखकर सरकार ने इस आंदोलन के दमन की कार्रवाई की।
➧ दमन के फलस्वरूप हरिबाबा आंदोलन पूरी तरह बिखर गया।
➧ हरि बाबा के शिष्य हनुमान की पूजा करते थे, जेनऊ धारण करते थे, मांस भक्षण, नशा सेवन के विरोधी थे। इनके अनुयायियों ने सरना पूजा स्थल जहां देशाउली बोंगा रहते हैं, के पेड़ों को काट गिराया।
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