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Tuesday, February 2, 2021

Jharkhand Ke Raj Kile Aur Raj Prasad (झारखंड के राज किले /राज प्रसाद)

झारखंड के राज किले /राज प्रसाद

(Jharkhand Ke Raj Kile Aur Raj Prasad)



पलामू किला (लातेहार)

यह किला बेतला नेशनल पार्क से 5 किलोमीटर दूर औरंगा नदी के तट पर अवस्थित है

यहां दो किले हैं, जिन्हें पुराना किला एवं  नये किले  के नाम से जाना जाता है

➤नये  किले का निर्माण चेरो राजा मेदिनी राय ने कराया था

मेदनी राय मुगल शासक औररंगजेब का समकालीन था

नये  किले का नागपुरी दरवाजा अपने आकर्षक शैली के कारण प्रसिद्ध है दरवाजे की ऊंचाई 40 फीट तथा चौड़ाई 15 फीट है

किले के भीतरी भाग में चार दो मंजिली इमारतों के भग्नावेश और तीन गुंबदों से युक्त एक मस्जिद भी है इस  मस्जिद का निर्माण 1661 ईस्वी में  दाऊद खान ने करवाया था 

पुराने किले का निर्माण चेरवंशी  शासक प्रताप राय ने करवाया था 


विश्रामपुर किला (पलामू) 

➤यह किला चेरो राजवंश के संबंधी विश्रामपुर के तड़वन राजा द्वारा बनवाया गया था 

किले के निकट एक मंदिर भी है मंदिर और किले के निर्माण में लगभग 9 वर्षों का समय लगा

रोहिलो का किला (पलामू)

यह किला जलपा के पास अलीनगर में अवस्थित है

इस किले का निर्माण रोहिला  सरदार मुजफ्फर खा ने करवाया था

यह त्रिभुजाकार है 

चैनपुर का किला (पलामू) 

➤यह किला दीवान पूरणमल के वंशधरों  द्वारा बनवाया गया था

मेदनीनगर में कोयल नदी के तट पर उन लोगों द्वारा एक अन्य स्मारक भी बनवाया गया जिसका नाम चैनपुर बंगला है

कुंदा का किला (चतरा)

यह किला चेरों का था, जो चतरा जिले के कुंदा नामक स्थान पर अवस्थित है। अब यह खंडहर हो चुका है

इस किले की मीनारें मुगल शैली में निर्मित हैं 

किले के प्रांगण में एक कुआं है, जहां सुरंग नुमा रास्ता था 

तिलमी का किला (खूंटी)

यह किला खूंटी जिले के कर्रा प्रखंड के तिलमी गांव में अवस्थित है 

इस किले का निर्माण 1737 ईस्वी में अकबर ठाकुर द्वारा करवाया गया पालकोट था  

पालकोट का राजभवन (गुमला)

नागवंशी शासक यदुनाथ शाह ने पालकोट को अपनी राजधानी बनाई थी । यहीं पर उसने इस राज भवन का निर्माण कराया था

यहां उन्होंने अनेक राज भवन एवं मंदिर बनवाए

यहां गुमला जिला मुख्यालय से 25 किलोमीटर की दूरी पर NH-23 (गुमला-सिमडेगा) मार्ग पर है

नागफेनी का राजमहल (गुमला) 

गुमला के सिसई प्रखंड में नागफेनी नामक गांव में राजप्रसाद की अनेक टूटी हुई दीवारें मिली है

पुरातात्विक दृष्टि से इनकी तिथि 1704 ईस्वी आंकी गई है

इन दीवारों पर एक आलेख भी है पत्थर पर एक राजा और उनकी सात रानियों तथा एक कुत्ते का चित्र है

इसे नागों का शहर भी कहा जाता है

रामगढ़ का किला (रामगढ़)

इस किले का निर्माण सबल राय ने करवाया था

इस किले पर मुगल शैली की स्पष्ट झलक दिखाई देती है

बादाम का किला (हजारीबाग)

इसका निर्माण रामगढ़ का राजा हेमंत सिंह ने करवाया था 

1642 ईस्वी में राजा द्वारा यहां एक शिव मंदिर भी बनवाया गया था 

इसके अवशेष यहां आज भी विद्यमान हैं 

केसानगढ़ का किला (पश्चिमी सिंहभूम)

यह किला चाईबासा से दक्षिण-पूर्व केसानगढ़ में अवस्थित था 

वर्तमान में यहां किले का एक टीला है

जगन्नाथ का किला (पश्चिमी सिंहभूम)

➤यह  किला पश्चिमी सिंहभूम में स्थित जगन्नाथपुर में है  

इस किले का निर्माण पर पोड़ाहाट वंश के राजा जगन्नाथ सिंह ने करवाया था 

जैतगढ़ का किला (पश्चिमी सिंहभूम)

इस किले का निर्माण वैतरणी नदी के तट पर जैतगढ़ में पोड़ाहाट राजा अर्जुन सिंह ने करवाया था

पदमा का किला (हजारीबाग) 

पदमा महाराजा का किला हजारीबाग जिले की पदमा नामक स्थान पर NH-33 के किनारे अवस्थित है

अब इस किले को सरकार ने पुलिस प्रशिक्षण केंद्र बना दिया है 

दोईसागड़ (गुमला)

दोईसागड़ (नवरत्नगढ़) गुमला जिले के नगर ग्राम के निकट स्थित है

आज से लगभग पौने 400 वर्ष पूर्व यहां नागवंशी राजाओं की राजधानी थी

इतिहासकारों के अनुसार दोईसागड़ में एक पांच मंजिला महल था

प्रत्येक मंजिला पर नौ-नौ  कमरे थे राँची  गज़ेटियर भी  इसकी पुष्टि करता है, लेकिन दंतकथा है कि यह नौ तल्ला था जिसमें से 9 तल्ले  जमीन में धंस गए हैं 

खजाना घर इस महल का विशेष आकर्षण है 

➤दांतेदार परकोटों से घिरा यह महल कंगूरा शैली में है  

चक्रधरपुर की राजबाड़ी (पश्चिमी सिंहभूम)

इसका निर्माण अर्जुन सिंह के पुत्र नरपति सिंह ने 1910-20 की ईस्वी में करवाया था

यहां का राजमहल ईटों का बना है राजा की पुत्री शंशाक मंजरी ने इसे बेच दिया 

रातू महाराजा का किला (रांची)

नागवंशी राजाओं का यह किला रातू में अवस्थित है इसकी विशालता दर्शनीय है  

झरियागढ़ महल (धनबाद)

झरिया के राजाओं की प्रारंभिक राजधानी झरियागढ़ में थी, यहां इस महल का निर्माण हुआ  बाद में इसकी राजधानी कतरासगढ़ स्थानांतरित हो गई थी यहां पर भी अनेक महलों  के अवशेष हैं

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