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Sunday, May 16, 2021

Jharkhand Me Aapda Prabandhan (झारखंड में आपदा प्रबंधन)

Jharkhand Me Aapda Prabandhan

➧ भारत सरकार ने आपदा प्रबंधन के लिए आपदा प्रबंधन अधिनियम, 2005 को 25 दिसंबर, 2005 से लागू किया है

➧ इस अधिनियम में आपदा प्रबंधन का नेतृत्व करने और उसके प्रति एक समग्र दृष्टिकोण अपनाने के लिए प्रधानमंत्री की अध्यक्षता में राष्ट्रीय आपदा प्रबंधन प्राधिकरण (NDMA), मुख्यमंत्रियों की अध्यक्षता में राज्य आपदा प्रबंधन प्राधिकरण (SDMA) और जिला मजिस्ट्रेट की अध्यक्षता में जिला आपदा प्रबंधन प्राधिकरण (DDMA) का गठन किया गया है

झारखंड में आपदा प्रबंधन

➧ किसी भी प्रकार की आपदा से निपटने के लिए 3 चरण होते हैं 

➧ आपदा पूर्व की व्यवस्था :- इसके अंतर्गत आपदा के निवारण एवं बचाव के उपाय किए जाते हैं 

➧ आपदा के दौरान त्वरित व्यवस्था :- इस दौरान आपदा का स्तर एवं प्रकृति बताने हेतु चेतावनी तंत्र का प्रयोग होता है 

➧ साथ ही प्रभावित लोगों को सुरक्षित स्थान पर पहुंचाना एवं मूलभूत आवश्यकता जैसे :- भोजन, पानी, वस्त्र, चिकित्सा की आपूर्ति की जाती है

➧ आपदा के पश्चात की गई व्यवस्था :- इसके अंतर्गत पुनर्वास एवं पुनर्निर्माण की प्रक्रिया पूर्ण की जाती है

➧ अर्थात आपदा प्रबंधन संबंधी उपाय एक सतत एवं एकाकृत तरीके से चलाने वाली प्रक्रिया है, 

जो निम्न स्तर पर संचालित की जाती है

(I) किसी आपदा के खतरे एवं संभावना की रोकथाम करना 

(II) किसी आपदा की जोखिम अथवा इसकी तीव्रता अथवा परिणामों का कम करने की कोशिश करना

(III) अनुसंधान और ज्ञान प्रबंधन सहित सामर्थ्य का निर्माण करना

(IV) किसी आपदा से निपटने की तैयारी करना 

(V) किसी खतरनाक आपदा की स्थिति अथवा आपदा आने पर तुरन्त कार्रवाई करना 

(VI) किसी आपदा की तीव्रता अथवा इसके प्रभावों का मूल्यांकन करना

(VII) फंसे हुए लोगों को निकालना, बचाव और राहत प्रदान करना

(VIII) पुनर्वास और पुनर्निर्माण कार्य करना

(IX) आपदा से बचाव हेतु उपयुक्त दिशा-निर्देशों का आम जनता के बीच जागरूकता का प्रचार-प्रसार करना 

➧ राष्ट्रीय आपदा प्रबंधन अधिनियम, 2005 के अंतर्गत संस्थागत ढांचा के विकास पर बल दिया गया है

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Jharkhand Me Vibhinn Aapdaye (झारखंड में विभिन्न आपदाएं)

Jharkhand Me Vibhinn Aapdaye

➧ झारखंड के 24 जिले किसी न किसी प्रकार की आपदा से ग्रसित है 

➧ झारखंड में प्राकृतिक एवं मानवीय दोनों प्रकार की आपदाएं आती है:-

(i) सूखा
(ii) बाढ़
(iii) खनन दुर्घटना
(iv) औद्योगिक दुर्घटना
(v) हाथियों का आक्रमण 
(vi) तड़ित (लाइटिंग)
(vii) जलवायु परिवर्तन 
(viii) जंगलों में आग लगना 
(ix) रसायनिक दुर्घटना 
(x) भूकंप
(xi) जैव विविधता का ह्रास 


झारखंड में विभिन्न आपदाएं

सूखा:-

सूखे की समस्या झारखंड में मुख्य है भारतीय मौसम विभाग, नई दिल्ली के अनुसार, यदि किसी क्षेत्र में सामान्य से 25% कम वर्षा होती है तो सामान्य सूखा, 25 से 50% तक कम वर्षा होने पर मध्यम सुखा और 50% से कम वर्षा होने पर गंभीर सुखा कहा जाता है

➧ 2010 में राज्य के सभी 24 जिले सूखा प्रभावित थे इस वर्ष 47% वर्षा कम हुई थी जिस कारण दस लाख  (10,00,000) हेक्टेयर भूमि में धान की खेती नहीं हुई थी

➧ सर्वाधिक सुखा से प्रभावित पलामू जिला है पलामू में पिछले 22 वर्षों से वर्षा की मात्रा में गिरावट की प्रवृत्ति देखी गई है

➧ राज्य के उत्तरी-पश्चिमी हिस्से में सुखा कई  बार आपदा का रूप धारण कर लेती है, जिसके परिणाम स्वरूप पलामू, गढ़वा, लातेहार, चतरा तथा लोहरदगा जिलों की अर्थव्यवस्था पर प्रतिकूल प्रभाव पड़ता है

➧ वर्ष 2010 में झारखण्ड राज्य गंभीर सूखे से प्रभावित रहा है। इस दौरान राज्य के 24 में से 12 जिले गंभीर सूखे की प्रकोप में रहे हैं। इन सभी जिलों में वर्षा का अनुपात औसत वर्षा के 50%में से भी कम रहा   

 उपाय:- 

(i) संरक्षणात्मक उपाय में बांध का निर्माण 
(ii) वाटर शेड का प्रबंधन 
(iii) उचित फसलों का चयन 
(iv) वृक्षों की कटाई को कम करना 
(v) सिंचाई तकनीक को उन्नत बनाना
(vi) वर्षा जल का संग्रहण करना
(vii) तालाब का निर्माण 
(viii) मवेशियों का प्रबंधन 
(ix) मृदा संरक्षण तकनीक अपनाना
(x) शिक्षा एवं प्रशिक्षण 
(xi) जल ग्रहण प्रणाली को बेहतर बनाना 

➧ इसके लिए संबंधित क्षेत्र के लोगों को जागरूक तथा प्रशिक्षित करने की आवश्यकता है

बाढ़

➧ झारखंड राज्य में बाढ़ से 11 जिले प्रभावित होते हैं, जिसमें गोड्डा, साहिबगंज, दुमका और पाकुड़ सर्वाधिक प्रभावित जिले हैं अन्य जिलों में देवघर, धनबाद, पूर्वी सिंहभूम, पश्चिमी सिंहभूम, सरायकेला-खरसावां, गुमला और हजारीबाग है

➧ ये सभी जिले 2000 से 2014 ईस्वी के बीच कई बार बाढ़ से प्रभावित हुए हैं

➧ 2016 ईस्वी में गोड्डा, साहिबगंज, पाकुड़ के अतिरिक्त भारी मानसूनी वर्षा के कारण उत्तरी कोयल नदी घाटी क्षेत्र में गढ़वा, पलामू और लातेहार जिले बाढ़ से प्रभावित हुए हैं 

➧ पलामू और गढ़वा जिला में बाढ़ का सबसे अधिक प्रभाव धान की फसल पर पड़ता है 

➧ 2008 ईस्वी में साहिबगंज आकस्मिक बाढ़ से सबसे अधिक प्रभावित जिला था 

➧ सर्वाधिक प्रभावित जिले राज्य के उत्तरी-पूर्वी हिस्से में स्थित है, जो गंगा अपवाह प्रणाली से जुड़े हैं 

➧ गंगा नदी द्वारा इस क्षेत्र में तटीय अपरदन के कारण राष्ट्रीय राजमार्ग संख्या 80 पर भी खतरा बना रहता है 

➧ रांची और जमशेदपुर जैसे नगरीय क्षेत्रों  में नाले के बंद होने एवं अनियोजित नगरीकरण के कारण भी आकस्मिक बाढ़ की समस्या उत्पन्न होता है 

➧ राज्य में बाढ़ का प्रमुख कारण मानसूनी वर्षा द्वारा नदी के जल स्तर में वृद्धि होना है 

 बाढ़ के कारण राज्य में धान की फसलों पर प्रतिकूल प्रभाव पड़ता है, जिसके फलस्वरूप राज्य की खाद्यान व्यवस्था नकारात्मक रूप से प्रभावित होती है 

➧ कुछ जिलों में बाढ़ आपदा का रूप ग्रहण कर लेती है जिसके कारण मकान, सड़क, पुल-पुलिया आदि क्षतिग्रस्त हो जाते हैं 

जंगलों में आग 

➧ गर्मी के दिनों में झारखंड में जंगलों की आग एक सामान्य बात है, परंतु वन संपदा के लिए यह सर्वाधिक खतरनाक है

➧ जंगलों में आग लगने की समस्या का एक प्रमुख कारण महुआ तथा साल के बीच संग्रहण है जिससे मुख्य रूप से मार्च और अप्रैल के महीने में यह घटना घटती है

➧ पर्यटन के कारण भी आग लगने की समस्या उत्पन्न होती है

➧ यह मुख्यत: उत्तरी-पश्चिमी तथा दक्षिणी भाग की समस्या है, जिससे 9 जिले प्रभावित है

➧ इस जिलों में गढ़वा, पलामू, चतरा, लातेहार, हजारीबाग, पूर्वी और पश्चिमी सिंहभूम, सिमडेगा और गुमला शामिल है 

➧ झारखंड राज्य में वनों की बहुलता है तथा इसमें शुष्क पतझड़ वन सर्वाधिक पाए जाते हैं इन वनों में ग्रीष्म ऋतु में कई कारणों से लगने वाली आग कई बार भयावह हो जाती है तथा यह आपदा का रूप ग्रहण कर लेती हैं 

➧ जंगलों में लगने वाली आग को रोकने हेतु कानूनी, प्रशासनिक तथा जागरूकता के स्तर पर कार्य किया जाना आवश्यक है

➧ जंगलों में आग प्रबंधन के लिए पर्यटन संबंधी कानून में सख्ती, गैर-कानूनी गतिविधियों पर रोक लगाने की जरूरत है

➧ अधिक आयु एवं परिपक्व वृक्ष की पहचान कर उसे काटकर नया वृक्ष लगाना चाहिए, क्योंकि परिपक्व वृक्ष की ज्वलनशीलता अधिक होती है

जंगलों के अंदर सड़क मार्ग द्वारा के द्वारा वन को विभाजित करने से एक ओर की आग दूसरी और नहीं पहुंचती है जंगलों के अंदर फायर टावर वॉच स्टेशन स्थापित करने की जरूरत है

खनन दुर्घटना

➧ झारखंड में भारत का लगभग 38% खनिज संचित है। खनिजों खनन के समय में मानव कृत एवं प्राकृतिक दोनों प्रकार के आपदाएं उत्पन्न होती हैं

➧ भारत के सबसे प्रसिद्ध कोयला खान झरिया कोल्डफील्ड में 1880 के दशक से आग लगी हुई है, जिससे आस-पास का पर्यावरण प्रदूषित हो रहा है। रामगढ़ खदान भी आग की समस्या से जूझ रहा है 

➧ इसके अलावा खनन क्षेत्रों  में मिट्टी के धँसाव हो जाने, जल जमा हो जाने के कारण भी जान-माल की क्षति संभावना बनी रहती है 

➧ खनन दुर्घटना से निपटने हेतु इन क्षेत्रों में कार्य करने वाले मजदूरों को प्रशिक्षित किये जाने के साथ-साथ खनन के धँसाव के समय त्वरित राहत प्रणाली को विकसित किए जाने की आवश्यकता है

➧ साथ ही मजदूरों को खनन के दौरान उत्पन्न प्रदूषकों के प्रति जागरूक करते हुए मास्क के प्रयोग हेतु प्रोत्साहित किए जाने की आवश्यकता है 

तड़ित (लाइटिंग)

➧ ताड़ित झारखंड की एक प्रमुख आपदा है, जिससे प्रतिवर्ष अनेक व्यक्तियों एवं पशुओं की मौत होती है

➧ वर्षा के दिनों में चमकती हुई बिजली का जमीन पर गिरना तड़ित या लाइटिंग कहलाता है 

➧ राज्य के 9 जिले इस आपदा से ज्यादा ग्रसित हैं, जिसमें पलामू, चतरा, लातेहार, कोडरमा, रांची, गिरिडीह मुख्य है

 श्री कृष्णा लोक प्रशासन संस्थान (स्काईपा) द्वारा लाइटिंग से संबंधित आपदा से निपटने के लिए विशेष ट्रेनिंग मॉड्यूल तैयार किया गया है

➧ लाइटिंग से बचने के लिए मौसम खराब होने एवं भारी वर्षा के समय पेड़ के नीचे तथा बिजली के तार एवं खम्भे से दूर हट जाना चाहिए

➧ इस समस्या से होनेवाली जानमाल की हानि को कम करने हेतु राज्य के लोगों को बचाव से संबंधित प्रशिक्षण दिए जाने की आवश्यकता है

हाथियों का आक्रमण 

➧ हाथी झारखण्ड का राज्यकीय पशु है तथा इसकी संख्या काफी अधिक है है 

➧ राज्य में हाथी दुमका, दलमा, सारंडा, पलामू आदि के जंगलों में पाए जाते हैं। हाथियों का आक्रमण दिनों- दिन बढ़ता जा रहा है, जिसने एक गंभीर आपदा का रूप ग्रहण कर लिया है

➧ हाथियों के आक्रमण का प्रमुख कारण ग्रामीणों द्वारा सुगंधित महुआ फूल का संग्रहण है, जिससे हाथी आकर्षित होकर आवासीय क्षेत्र की ओर चले आते हैं साथ ही बांस के नवउदित कोपले भी हाथियों का मुख्य आहार है अतः बांस रोपण सघनता वाले क्षेत्रों में भी इनका उत्पात आम है

➧ साथ ही जनसंख्या वृद्धि एवं मानवीय गतिविधियों के कारण वनों के अत्यधिक कटाई होने से उनका  प्राकृतिक आवास सिकुड़ता जा रहा है नए घर, गांव एवं शहरों का फैलाव हुआ है

➧ रेलवे लाइन, बिजली लाइन सड़क, माइन्स बनाने के कारण इनके पर्यावास खंडित हुए हैं, जिसके कारण भोजन एवं सुरक्षित आवास की कमी होने से भोजन की खोज में हाथी समूहों में जंगल से बाहर निकलते हैं और मानव बस्तियों पर आक्रमण करते हैं

 यह समस्या मुख्य रूप से रांची, लातेहार, खूंटी, सिमडेगा, चतरा, हजारीबाग, सिंहभूम आदि जिलों की है हाथियों को भगाने के लिए आग जलाने, मिर्च का गंद फैलाने या ढोल-नगाड़े पीटने का कार्य ग्रामीणों द्वारा किया जाता है 

➧ हाथियों के आक्रमण से बचाव हेतु सबसे पहले लोगों को जागरूक किए जाने की आवश्यकता है ताकि  लोग हाथियों के प्राकृतिक आवासों में हस्तक्षेप करना बंद करें

भूकंप

➧ भूकंप की दृष्टि से झारखंड राज्य को कम जोखिम वाले क्षेत्र में रखा जा सकता है

➧ भूकंप संवेदनशीलता की दृष्टि से राज्य को जोन II, III और IV में रखा जा सकता है

➧ जोन II के अंतर्गत राज्य के 7 जिले (रांची, लोहरदगा, खूंटी, रामगढ़, गुमला, पूर्वी और पश्चिमी सिंहभूम) आते हैं 

➧ तथा जोन III के अंतर्गत राज्य के 15 जिले (पलामू, गढ़वा, लातेहार, चतरा, हजारीबाग, धनबाद, बोकारो, गिरिडीह, कोडरमा, देवघर, दुमका, जामताड़ा, गोड्डा, पाकुड़, और साहिबगंज) आते हैं 

➧ तथा जोन IV में गोड्डा तथा साहिबगंज का उत्तरी भाग अवस्थित है, जो सर्वाधिक भूकंप प्रभावित क्षेत्र हैं

 जोन III के अंतर्गत 15 जिला तथा  जोन II के अंतर्गत 7 जिला स्थित है जोन II सबसे कम भूकंप प्रभावित क्षेत्र है

आपदा   प्रभावित जिलों की सं0  जिलों का नाम

1. सूखा -  सभी 24 जिले   सभी जिले प्रभावित 

2. बाढ़-   11  साहिबगंज, गोड्डा, दुमका, पाकुड़, देवघर, धनबाद, पूर्वी और पश्चिमी सिंहभूम, गुमला, हजारीबाग, सरायकेला-खरसावां 

3. लाइटिंग -  9  पलामू, चतरा, लातेहार, कोडरमा, गिरिडीह, रांची, हजारीबाग, लोहरदगा दुमका

4. जंगल में आग की घटनाएं - 9 गढ़वा, पलामू, लातेहार, चतरा, पूर्वी सिंहभूम, पश्चिमी सिंहभूम, सिमडेगा, गुमला 

5. खनन-  9  लातेहार, रामगढ़, धनबाद, लोहरदगा, गिरिडीह, पश्चिमी सिंहभूम और पूर्वी सिंहभूम, कोडरमा

6. भूकंप जोन IV - 2  गोड्डा,  साहिबगंज (उत्तरी विभाग)

7. जोन III -   15   गोड्डा, साहिबगंज, गढ़वा, पलामू, चतरा, हजारीबाग, कोडरमा, गिरिडीह, बोकारो, धनबाद, देवघर, दुमका, पाकुड़, जामताड़ा

8. जोन II - 07  लोहरदगा, रांची, रामगढ़, खूंटी, गुमला, पूर्वी एवं पश्चिमी सिंहभूम

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Friday, May 14, 2021

Aapda Prabandhan (आपदा प्रबंधन)

Aapda Prabandhan

➧ आपदा अचानक होने वाली विध्वंसकारी घटना को कहा जाता है, जिससे व्यापक भौतिक क्षति व जान-माल का नुकसान होता है

➧ यह वह प्रतिकूल स्थिति है, जो मानवीय, भौतिक, पर्यावरणीय  एवं सामाजिक क्रियाकलापों को व्यापक तौर पर प्रभावित करती है


आपदा प्रबंधन

➧ आपदा प्रबंधन अधिनियम, 2005 में आपदा से तात्पर्य किसी क्षेत्र में हुए उस विध्वंस, अनिष्ट, विपत्ति या बेहद गंभीर घटना से है, जो प्राकृतिक या मानवजनित कारणों से या दुर्घटना अथवा लापरवाही से घटित होती है और जिसमें बहुत बड़ी संख्या में मानव जीवन की क्षति होती है

➧ इसमें या तो मानव पीड़ित होता है अथवा संपत्ति को हानि पहुंचती है और पर्यावरण का भारी क्षरण होता है यह घटना प्रायः प्रभावित क्षेत्र के समुदाय की सामना करने की क्षमता से अधिक भयावह होती है

➧ प्राकृतिक आपदाओं में भूकंप, सुनामी, ज्वालामुखी विस्फोट, चक्रवात, आंधी-तूफान आदि प्रमुख हैं

➧ मानवीय कारणों से उत्पन्न आपदाएं जैसे :- युद्ध, परमाणविक घटनाएं, रासायनिक घटनाएं, इत्यादि शामिल है, इसे सामाजिक आपदा भी कहा जाता है

➧ आपदा की भयावहता को देखते हुए आपदाओं के घटित होने पर कार्यवाही करने की अपेक्षा आपदा के कुशल प्रबंधन पर अधिक जोर दिया जाता है

➧ इसके तहत आपदा के पूर्व ही प्रबंधन उपायों द्वारा उनसे होने वाले नुकसान को कम करने की कोशिश की जाती है

➧ झारखंड विभिन्न प्रकार की प्राकृतिक एवं मानवजनित आपदाओं का शिकार होता रहा है तथा इनसे निपटने हेतु आपदा प्रबंधन को मजबूती प्रदान करना नितांत आवश्यक है। इन आपदाओं में भूकंप, बाढ़, सूखा, चक्रवात, सुनामी के प्रभाव, तड़ित, खनन दुर्घटना, रसायनिक दुर्घटना, औद्योगिक दुर्घटना, जंगलों में आग, हाथियों का आक्रमण आदि प्रमुख हैं। 

भारत में आपदा को निम्न श्रेणियों में बांटा गया है:-

श्रेणियां                                   आपदाएं 

भूमि संबंधी  :        भूसंख्लन, भूकंप, बांध का टूटना, खदान में आग

जैविक संबंधी:       महामारियाँ,  कीटों का हमला, पशुओं की महामारियाँ, जहरीला भोजन

दुर्घटना संबंधी:      जंगलों में आग लगना, शहरों में आग लगना, खदानों में पानी भरना, तेल का फैलाव, प्रमुख इमारतों का ढहना, एक साथ कई बम विस्फोट, बिजली से आग लगना, हवाई, सड़क एवं रेल दुर्घटनाएं

जलवायु संबंधी:    चक्रवात, बवंडर, तूफान, ओलावृष्टि, बादल फटना, लू  व शीतलहर, हिमसंखलन, सुखा,   समुद्र -क्षरण, मेघ-गर्जन और बिजली का कड़कना 

रसायनिक संबंधी:   रसायनिक गैस का रिसाव, परमाणु बम का गिरना।

आपदा भारत की स्थिति

(i) भू-जलवायु परिस्थितियों के कारण भारत पारंपरिक रूप से प्राकृतिक आपदाओं के प्रति संवेदनशील रहा है यहां बाढ़, सूखा, चक्रवात, भूकंप तथा भूस्खलन की घटनाएं सामान्य हैं

(ii) भारत के लगभग 60% भू-भाग में विभिन्न तीव्रता के भूकंपों का खतरा बना रहता है 40 मिलीयन हेक्टेयर से अधिक क्षेत्र में बारंबार बाढ़ आती है

(iii) कुल 7,516 किलोमीटर लंबी तटरेखा में से 7500 किलोमीटर में चक्रवात का खतरा बना रहता है

(iv) यहां की खेती योग्य क्षेत्र का लगभग 68% भाग सूखे के प्रति संवेदनशील है 

(v) अंडमान निकोबार दीप समूह और पूर्वी व पश्चिमी तट के इलाकों में सुनामी का संकट बना रहता है  

(vi) देश के कई भागों में पतझड़ और शुष्क पतझड़ी वनों में आग लगना आम बात है 

(vii) हिमालय क्षेत्र तथा पूर्वी व पश्चिमी घाट के इलाकों में अक्सर भू-स्खलन का खतरा रहता है

(viii) राजस्थान, गुजरात, समेत उत्तरी भारत में पाकिस्तान और अफगानिस्तान क्षेत्र में आने वाले टिड्डियों का आक्रमण एक प्रकार की गंभीर आपदा है मई -जून 2020 में उत्तर भारत इस आपदा से व्यापक रूप से प्रभावित रहा 

(ix) भारत में समय-समय पर नाभिकीय दुर्घटनाएं भी आपदा का रूप लेती रही हैं भोपाल गैस त्रासदी, 1984 इसका प्रमुख उदाहरण है

(x) भारत समय-समय पर रोक जनित आपदा से भी प्रभावित रहा है 2020-21 में कोरोना का प्रकोप अत्यंत विनाशकारी चल रहा है, जो स्वास्थ्य जनित आपदा का प्रतीक है

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Sunday, May 2, 2021

Jharkhand Ki Shaikshanik Sansthan Part-3 (Educational institutes of Jharkhand)

Jharkhand Ki Shaikshanik Sansthan Part-3

(Educational Institutes Of Jharkhand)

प्राथमिक एवं माध्यमिक शिक्षा हेतु राज्य के उत्कृष्ट संस्थान

1. नेतरहाट विद्यालय

➤इसकी स्थापना 15 नवंबर 1954 को चालर्स नेपियर  ने लातेहार में किया था 

इसमें नामांकन हेतु सरकारी विद्यालयों के विद्यार्थियों का प्रतियोगिता परीक्षा आयोजित किया जाता है तथा मेधा  अंक के आधार पर दाखिला लिया जाता है। 

यह राज्य का सर्वाधिक सम्मानित स्कूली संस्थान है

2. सैनिक स्कूल तिलैया

➤1963 में कोडरमा जिले में इसकी स्थापना हुई। 

इसका उद्देश्य छात्रों को रक्षा सेवा के लिए मानसिक एवं शारीरिक रूप से विकसित करना है 

Jharkhand Ki Shaikshanik Sansthan Part-3

प्राथमिक, माध्यमिक,एवं उच्चतर शिक्षा हेतु राज्य सरकार के प्रमुख कार्यक्रम

1. आवासीय विद्यालय योजना

आवासीय विद्यालय की स्थापना योजना के तहत नेतरहाट आवासीय विद्यालय एवं इंदिरा गांधी आवासीय विद्यालय की तरह दक्षिणी छोटानागपुर प्रमंडल, कोल्हान प्रमंडल एवं संथाल परगना में नये आवासीय विद्यालय की स्थापना की जाएगी। 

➤इस आवासीय विद्यालय में पढ़ने वाले अनुसूचित जाति, जनजाति और पिछड़े वर्गों  के छात्र/छात्राओं को निशुल्क शिक्षा के साथ सभी आवासीय सुविधाएं भी उपलब्ध कराई जा रही है

वर्तमान में राज्य में 89 आदिवासी विद्यालय 23 अनुसूचित जनजाति के  विद्यालय और 4 पिछड़ी जाति के  आवासीय विद्यालय संचालित किए जा रहे हैं 

2. झारखंड बालिका आवासीय विद्यालय-योजना 

इस योजना को अल्पसंख्यक समुदाय तथा बी.पी.एल के श्रेणी की छात्राओं में शिक्षा को प्रोत्साहित करने के लिए आरंभ किया गया है 

झारखंड बालिका आवास योजना में 75% विद्यार्थी अनुसूचित जाति एवं 25% विद्यार्थी अनुसूचित जनजाति तथा अल्पसंख्यक के होंगे। इसमें 25% आरक्षण गरीबी रेखा से नीचे जीवन-यापन करने वाले छात्राओं के लिए है 

यह योजना झारखंड शिक्षा परिषद परियोजना के माध्यम से संचालित होता है 

3. पहाड़िया दिवाकालीन विद्यालय 

राज्य द्वारा यह विद्यालय 32 स्थानों पर कल्याण विभाग द्वारा संचालित किया जा रहा है 
इसका उद्देश्य पहाड़िया जनजाति के छात्रों में शिक्षा का विकास करना एवं जागरूकता फैलाना है
साहिबगंज, दुमका,  पाकुड़, गोड्डा आदि  जिलों  में विद्यालयों को चलाया जा रहा है

4. ज्ञानोदय योजना

ज्ञानोदय योजना के तहत शिक्षा को गुणवत्तापूर्ण बनाने के लिए स्पोकन इंग्लिश/स्कूल लीडरशिप/मोटिवेशन/कंप्यूटर शिक्षा आदि में प्रशिक्षण कार्यक्रम चलाया जा रहा है

इसके लिए ई-विद्यावाहिनी सॉफ्टवेयर तैयार किया गया है तथा 40,000 शिक्षकों को टेबलेट वितरित करना है

इस योजना के द्वारा शिक्षकों और बच्चों की उपस्थिति, मध्यान्ह भोजन योजना इत्यादि पर भी नजर रखी जा सकेगी 

5. आश्रम या एकलव्य विद्यालय योजना 

इसकी शुरुआत 2001 में की गई है इस योजना का उद्देश्य अनुसूचित जनजाति के बच्चों को निशुल्क आवासीय प्राथमिक शिक्षा प्रदान करना है 

झारखंड में 71 एकलव्य विद्यालय प्रस्तावित है 

6. पुस्तक अधिकोष  योजना

इस योजना के तहत तकनीकी शिक्षा में अध्ययनरत छात्रों को आर्थिक सहायता पुस्तक खरीदने हेतु दी जाती है  

मेडिकल, पॉलिटेक्निक, वेटनरी एवं एग्रीकल्चर महाविद्यालयों  में अध्ययन करने वाले प्रति 2 छात्रों पर एक पुस्तक से उपलब्ध कराया जाता है  

7. साइकिल वितरण योजना

यह योजना ग्रामीण क्षेत्र की उन छात्राओं को शिक्षा को ध्यान में रखकर लागू की गई है, जो सुदूर ग्रामीण  क्षेत्रों से पढ़ने आती थी   

अधिक दूरी और आर्थिक अभाव में यह लड़कियां पढ़ाई बीच में छोड़ देती थी। इसी को ध्यान में रखकर झारखंड सरकार ने नि:शुल्क साइकिल वितरण योजना लागू की है। इस योजना के तहत प्रत्येक छात्रा को ₹3500 साइकिल खरीदने हेतु दी जाती है  

8. कस्तूरबा गांधी बालिका विद्यालय योजना

➤इस योजना भारत सरकार के द्वारा 2004 शुरू की गई 

इस योजना का उद्देश्य, अनुसूचित जाति, जनजाति और पिछड़े वर्ग की बालिकाओं के लिए सुदूर ग्रामीण क्षेत्रों में आवासीय उच्च प्राथमिक विद्यालय की स्थापना करना है

इस योजना के तहत शैक्षणिक रूप से पिछड़े 75% अनुसूचित जाति, जनजाति एवं पिछड़ी जाति  की छात्राओं को आवासीय शिक्षा की सुविधा प्रदान करने के लिए 203 प्रखंडों में कस्तूरबा गांधी बालिका विद्यालय योजना संचालित की जा रही है 

9.मध्यान्ह भोजन योजना

इस योजना को 15 अगस्त, 1995 में केंद्र सरकार के द्वारा शुरू किया गया था

इस योजना की सफलता को देखते हुए केंद्र सरकार ने वर्ष 2004 में इसे संपूर्ण भारत में सरकारी स्कूलों में लागू किया है। इस योजना के तहत कक्षा- 1 से 8 तक के सरकारी स्कूल के विद्यार्थियों को दोपहर का भोजन उपलब्ध कराया जाता है।इसमें केंद्र और राज्य सरकार का खर्च 75:25 के अनुपात में विभाजित है

इस योजना का उद्देश्य है:- 

(i) बच्चों का बेहतर विकास करना 
(ii) ज्यादा से ज्यादा बच्चे स्कूल आ सकें 
(iv) प्रभावित क्षेत्रों के बच्चों को खाना मुहैया कराना 

10. कंप्यूटर आधारित शिक्षा एवं साक्षरता 

झारखंड सरकार के द्वारा माध्यमिक विद्यालयों में कंप्यूटर शिक्षा को प्राथमिकता दिया जा रहा है 
इस योजना को लगभग 1074 सरकारी माध्यमिक विद्यालयों में लागू किया जा रहा है
इस योजना को राज्य सरकार ने जैव सूचना प्रौद्योगिकी अभिकर्त्ता को लागू करने के लिए चुना है

11. मुख्यमंत्री विद्या-लक्ष्मी योजना 

इस योजना के तहत कक्षा-6 से 9 तक के अनुसूचित जाति तथा अनुसूचित जनजाति के छात्रों की अपनी शिक्षा को आगे जारी रखने के लिए ₹2000 स्कॉलरशिप दी जाती है

इस योजना का उद्देश्य, माध्यमिक विद्यालयों में जनजाति की छात्राओं के बीच शिक्षा तथा नामांकन दर में वृद्धि करना तथा विद्यालय को बीच में छोड़ने वाली छात्राओं की संख्या को कम करना है

12. निःशुल्क पाठ्य पुस्तक वितरण योजना


झारखंड सरकार सर्व शिक्षा अभियान के तहत सरकारी स्कूल में पढ़ने वाले कक्षा-1 से 8 तक के पिछड़े वर्ग के विद्यार्थियों (ST, SC, OBC) को निशुल्क पाठ्य पुस्तक प्रदान करना है

गरीबी रेखा से नीचे के विद्यार्थियों को मुफ्त में यूनिफार्म का वितरण भी जे. ई. पी. सी. के द्वारा किया जाता है 

13. साक्षर भारत मिशन 

➤इसकी शुरुआत 8 दिसंबर, 2009 को अन्तराष्ट्रीय  साक्षरता दिवस के अवसर पर किया गया
➤यह केंद्र सरकार द्वारा वित्त पोषित योजना है 
➤झारखण्ड में इस योजना की शुरुआत 2010-11 में हुई


14. सर्व शिक्षा अभियान

केंद्र सरकार ने 2003 में सर्व शिक्षा अभियान की शुरुआत की थी। जिसका उद्देश्य प्राथमिक शिक्षा के स्तर में सुधार लाना था

वर्ष 2010 में सर्व शिक्षा अभियान का उद्देश्य संतोषजनक  गुणवत्ता वाली प्राथमिक शिक्षा के सार्वभौमीकरण बनाया गया 

झारखंड सरकार ने शिक्षा के क्षेत्र में सुधार करने के लिए 6-14 वर्ष की आयु के बच्चों की प्राथमिक शिक्षा को निशुल्क और सशक्त बनाने के लिए, इस योजना को अपने राज्य में संचालित कर रही है 

इस योजना में केंद्र और राज्य सरकार का अनुपात 65:35 है

इस योजना का उद्देश्य है  

(i) गुणवत्तापूर्ण प्राथमिक शिक्षा देना  
(ii) 0 से 14 वर्ष आयु के सभी बच्चों को 5 साल की प्राथमिक शिक्षा देना 
(iii) शिक्षा प्रणाली में स्थायी वित्त पोषक की व्यवस्था करना 

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Friday, April 23, 2021

Chotanagpur Kashtkari Adhiniyam 1908 Part-3 (छोटानागपुर काश्तकारी अधिनियम 1908)

Chotanagpur Kashtkari Adhiniyam 1908 Part-3



अध्याय - 5

खूंटकट्टी अधिकार प्राप्त रैयत - (धारा- 37) 

धारा-37  :- इस अधिनियम के अधिभोगी रैयत संबंधी प्रावधान उन रैयतों पर भी लागू होंगे, जिन्हें खूँटकट्टी अधिकार प्राप्त हों,  लेकिन :- 

1 - यदि रैयत द्वारा इस अधिनियम के प्रारंभ के 20 वर्षों से अधिक पूर्व भूमि की काश्तकारी सृजित की गई हो, तो भूमि का लगान  नहीं बढ़ाया जाएगा 

2 - यदि भूमि के लगान में वृद्धि हेतु कोई आदेश पारित किया गया हो तो,  लगान में वृद्धि उसी गांव में समरूप भूमि के  अधिभोगी रैयत पर लगाये गए लगान के आधे से अधिक नहीं होगी

अध्याय - 6

अनधिभोगी रैयत- धारा - (38 से 42)

धारा- 38  :- अनधिभोगी रैयत का प्रारंभिक लगान और पट्टा 

अनधिभोगी रैयत की भूमि का लगान उसके और भूस्वामी के बीच किये गए करार के आधार पर तय किया जाएगा 

धारा- 39 :- अनधिभोगी रैयत  को अपनी जोत का लगान उसी प्रकार देना होगा जिस प्रकार अधिभोगी रैयत देते हैं 

धारा- 40 :- अनधिभोगी रैयत के के लगान की वृद्धि  

लगान में वृद्धि रजिस्ट्रीकृत करार तथा धारा-42 के अधीन करार के सिवाय नहीं बढ़ाया जा सकता है 

धारा- 41 :- अनधिभोगी रैयत की बेदखली का आधार 

➤किसी भी अनधिभोगी रैयत को निम्नलिखित आधारों में से किसी एक या अधिक के आधार पर ही बेदखल किया जा सकता है :- 

तीसरे कृषि वर्ष के आरंभ के बाद 90 दिनों के अंदर पिछले 2 कृषि वर्षों का लगान देने में असमर्थ रहा हो  

➤जोत की भूमि का अनुपयुक्त प्रयोग जिसके कारण भूमि का मूल्य हासिल हुआ हो अथवा इसे काश्तकारी प्रयोग के अनुपयुक्त बना देता हो 

➤यदि रैयत ने अपने और भूस्वामी के बीच हुए संविदा के किसी प्रावधान का उल्लंघन किया हो 

रजिस्ट्रीकृत पट्टे की अवधि समाप्त हो गयी हो 

रैयत ने उचित लगान का भुगतान करने से इंकार कर दिया हो

धारा- 42 :- यदि रैयत ने उचित एवं साम्यिक लगान का भुगतान करने से इनकार कर दिया हो तो भूस्वामी रैयत को बेदखल करने हेतु उपायुक्त के कार्यालय में  आवेदन देगा। उपायुक्त द्वारा विभिन्न पक्षों को सुनने के पश्चात् ही बेदखली होने या न होने का निर्णय दिया जायेगा 

अध्याय - 7

अध्याय-4 एवं अध्याय-6 से छूट प्राप्त भूमि

धारा- 43  :- भूस्वामी की विशेषाधिकारयुक्त भूमियों  तथा अन्य भूमियों को अध्याय-4 और 6 के प्रावधानों से छूट:- 

➤निम्नलिखित प्रकार के भूमियों पर न तो अधिभोगाधिकार अर्जित किया जा सकता है और न ही इन पर अनधिभोगी रैयत संबंधी प्रावधान लागू होंगे। अर्थात इस प्रकार की भूमि लगान मुक्त होगी। ये हैं :-

अधिनियम की धारा-188 के अंतर्गत भूस्वामी की विशेषाधिकारयुक्त भूमि जिसे अभिधारी ने 1 वर्ष से अधिक अवधि के लिए रजिस्ट्रीकृत पट्टे पर  अथवा 1 वर्ष से कम समय के लिए लिखित या मौखिक पट्टे के पर  धारित किया हो 

सरकार या किसी स्थानीय प्राधिकारी या रेलवे कंपनी के लिए अर्जित भूमि।

किसी छावनी के भीतर सरकार की भूमि

ऐसी भूमि जिसका उपयोग किसी विधिसम्मत प्राधिकारी द्वारा सड़क, तटबंध  बांध, नहर, या जलाशय  जैसे लोक कार्यों के लिए किया जा रहा हो 

                     
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Thursday, April 15, 2021

Jharkhand Ki Pramukh Yojnaye Part-6 (झारखण्ड की प्रमुख योजनाएं)

Jharkhand Ki Pramukh Yojnaye Part-6

(झारखण्ड की प्रमुख योजनाएं)


मुखबिर योजना

➤इस योजना का उद्देश्य बाल विवाह के कुप्रथा को समाप्त करना है 

बाल गरीब समृद्धि योजना

इस योजना का उद्देश्य भूख बीमारी और उत्पीड़न से बच्चों को मुक्ति प्रदान करना है

इस योजना के तहत बाल सुधार गृह में बच्चों को कुशलता प्रशिक्षण प्रदान किया जा रहा है

मुख्यमंत्री स्वच्छ विद्यालय पुरस्कार योजना (2019)

इस योजना का आरंभ 2019 में किया गया 

इसका प्रमुख उद्देश्य विद्यालय में स्वच्छता अभियान को बढ़ावा देना है

बच्चों को स्वच्छता के प्रति जागरूक करना है 

इस योजना के तहत पुरस्कार हेतु विभिन्न श्रेणियों का निर्धारण किया गया है

कक्षा 1 से 5       ₹50,000                                               ₹1,00,000 

कक्षा  से 8      ₹75,000                                                ₹1,50,000 
कक्षा 6 से 8 

कक्षा 1 से 10 
कक्षा 1 से 12 
कक्षा 6 से 12 एवं 
कक्षा 9 से 12         ₹1,00,000                                             ₹2,00,000 

इस योजना के तहत विशेष विद्यालय, आवासीय विद्यालय एवं निजी विद्यालयों को भी ₹2,00,000 की पुरस्कार  राशि प्रदान की जाएगी

पशुओं के लिए यूआईडी नंबर योजना (2017)


मवेशियों के पहचान करने के उद्देश्य से इसकी शुरुआत 2017 में की गई 

इस योजना के तहत राज्य की गायों को 12 नंबर को यूनिक कोड दिया जाएगा, यह कोड गाय के कान के पीछे लगाया जाएगा, इस कोड के जरिए गाय की ऊंचाई, रंग, पूंछ, रंग उम्र, सींग की विस्तृत जानकारी प्रदान की जाएगी

श्रमिक पेंशन योजना (2017) 

इस योजना का आरंभ 2017 में किया गया

इस योजना के तहत राज्य के श्रमिकों को प्रतिमाह ₹500 की राशि प्रदान की जाती थी , जिसे 1 मई 2017 (अंतर्राष्ट्रीय श्रम दिवस) से बढ़कर ₹750 कर दिया गया है

इस योजना के तहत परिवार पेंशन की राशि को भी 300 से बढ़कर ₹500 प्रतिमाह कर दिया गया है 


हर घर जल योजना 2017 

इसका आरंभ 15 जुलाई 2017 को किया गया 

इस योजना की कुल लागत 1050 करोड़ रूपये है 

इस योजना को 2020 तक पूरा करने का लक्ष्य निर्धारित किया गया है  

ऊर्जा मित्र योजना (2017)

इसका आरंभ 1 मार्च 2017 को किया गया

इस योजना का उद्देश्य बिजली उपभोक्ताओं को ऑनलाइन सुविधा प्रदान करना है

इस योजना के तहत आधुनिक तकनीकों से युक्त ऊर्जा मित्र बिजली उपभोक्ताओं के घर जाकर उन्हें ऑनलाइन बिजली बिल भुगतान करने की सुविधा प्रदान करेंगे

इस योजना के तहत बिजली बिल के भुगतान की जानकारी उपभोक्ताओं को एस. एम. एस. या ईमेल के माध्यम से प्राप्त हो जाएगी 


मुख्यमंत्री तीर्थ दर्शन योजना (2016) 

इस योजना का आरंभ 30 अगस्त, 2016 को किया गया है 

इस योजना के तहत 1000 निर्धन बुजुर्गों को सरकार तीर्थ दर्शन यात्रा पर ले जाएगी

योजना के लाभार्थी बी0 पी0 एल0 परिवार के 60 वर्ष या इससे अधिक उम्र वाले बुजुर्ग होंगे 

योजना के संचालन हेतु झारखंड सरकार ने भारतीय रेलवे उपक्रम आई0  आर0  सी0  टी0  सी0 (IRCTC) (इंडियन रेलवे कैटरिंग टूरिज्म कारपोरेशन) के साथ समझौता किया है


योजना बनाओ अभियान (2016) 

इसका आरंभ 2016 में किया गया है

इस योजना का उद्देश्य राज्य के संतुलित विकास में जन भागीदारी सुनिश्चित करना है

इस योजना के तहत राज्य के सभी मंत्रियों एवं आला अधिकारियों को ग्रामीण क्षेत्रों का भ्रमण कर राज्य सरकार द्वारा संचालित योजनाओं में ग्राम सभाओं से विमर्श कर आम जनता की भागीदारी सुनिश्चित करने की जिम्मेदारी दी गई है 

सरस्वती योजना (2014)

इसका आरंभ 2014 में किया गया है 

इस योजना का उद्देश्य विनिर्माण क्षेत्र के श्रमिकों को उनकी बच्चियों के विकास हेतु आर्थिक सहायता प्रदान करना है

इस योजना के तहत श्रमिक परिवार की बालिका के नाम से ₹5000 के साथ बैंक खाता खोला जाता है

योजना के तहत सरकार द्वारा अगले 5 वर्ष तक प्रत्येक खाते में ₹5000 की राशि जमा कराई जाती है
योजना के तहत जमा राशि का प्रयोग बालिका की शिक्षा या उसके  विवाह हेतु किया जाता है

वर्ष  2020-21

झारखंड सरकार की नई योजना एवं उप योजना

जयपाल सिंह पारदेशीय  छात्रवृत्ति योजना

झारखंड सरकार द्वारा 29 दिसंबर 2020 को यह योजना आरंभ किया गया 

इस योजना के तहत प्रतिभाशाली गरीब आदिवासी बच्चे सरकारी खर्च पर विदेशों में पढ़ने हेतु भेजे जाएंगे


फूलों-जानों आशीर्वाद योजना 

इसके तहत राज्य में हड़िया- दारू बेचने वाली 19,000 महिलाओं को विकास की मुख्य धारा से जोड़ने का प्रयास किए जाएंगे


आजीविका संवर्धन हुनर अभियान (आशा) 

इस योजना के तहत महिला समूहों  को प्रशिक्षित कर 18 लाख परिवारों को रोजगार से जोड़ने की पहल की जा रही है 

पलाश ब्रांड 

सखी मंडल की ग्रामीण महिलाओं द्वारा निर्मित उत्पादकों को बाजार उपलब्ध कराने के लिए इसकी शुरुआत की गई है

सोना सोंब्रम योजना 

इसके तहत राज्य के 5000 विद्यालयों को सी.बी.एस.आई. पाठ्यक्रम से जोड़ा जाएगा, ताकि शहरी और ग्रामीण शिक्षा के भेद को समाप्त किया जा सके


बिरसा हरित ग्राम योजना

इस योजना के अंतर्गत छोटे एवं सीमांत किसानों के  टाड़/बाड़ी जमीन को और उपयोगी बनाने के साथ ही आजीविका संवर्धन हेतु 30,000 ग्रामीण परिवारों की लगभग 27,000 एकड़ भूमि पर बागवानी का कार्य किया जा रहा है

नीलाम्बर-पीताम्बर  जल समृद्धि योजना 

इसके तहत राज्य में जल छाजन सिद्धांत को अपनाने हेतु ऊपरी टाड़ भूमि का Saturation  Mode में उपचार किया जा रहा है

वर्तमान वर्ष में कुल 11,898 योजनाओं को पूर्ण किया गया है तथा कुल 83,385 योजनाओं पर कार्य जारी है

पोटो हो खेल विकास योजना

इसके तहत इस वित्तीय वर्ष में लगभग 1224 योजनाओं पर कार्य किया जा रहा है इसकी शुरुआत कोरोना काल में राहत देने के लिए की गई है 

आलपिन योजना

झारखंड सरकार जमीन के हर प्लॉट को यूनिक आईडी नंबर प्रदान करने हेतु इस योजना की शुरुआत की गई है आलपिन को जमीन मालिक के आधार नंबर से लिंक किया जाएगा 

आत्मनिर्भर भारत अभियान 

भारत सरकार ने आत्मनिर्भर भारत अभियान के तहत देश के 116 जिलों में से झारखंड के तीन आकांक्षी जिले-हजारीबाग, गिरिडीह, गोड्डा  का भी चयन किया गया है 
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Sunday, April 11, 2021

Jharkhand Ki Pramukh Yojnaye Part-5 (झारखण्ड की प्रमुख योजनाएं)

Jharkhand Ki Pramukh Yojnaye Part-5

(झारखण्ड की प्रमुख योजनाएं)


बिरसा विशिष्ट जनजातीय विकास योजना (2019-20)

➤इसका आरंभ 2019-20 में किया गया है

इस योजना के तहत विशिष्ट जनजातीय परिवारों के जीवन स्तर में सुधार हेतु शिक्षा, स्वास्थ्य, बाल विकास, महिला कल्याण, सामाजिक सुरक्षा आदि क्षेत्रों में विशेष कार्य किया जाएगा। 

इस योजना का लाभ राज्य के लगभग 10,000 जनजातीय परिवारों को मिलेगा 

प्रिमिटिव ट्राइबल ग्रुप पी0 टी0 जी0 डाकिया योजना (2017) 

इसका आरंभ 6 अप्रैल 2017 को किया गया है 

इस योजना का उद्देश्य आदिम जनजाति समूहों का आर्थिक सशक्तिकरण करना है 

इस योजना के तहत आदिम जनजाति के परिवारों को प्रतिमाह 35 किलोग्राम चावल राज्य सरकार के खाद्य विभाग द्वारा घर पहुंचा कर प्रदान किया जाता है 

इस योजना का लाभ आदिम जनजाति के वैसे परिवारों को प्रदान किया जाता है, जिनकी साक्षरता दर निम्न तथा औसत मासिक आय 1000 से कम है 

लाह एवं लघु वनोपज आहरण एवं विपणन योजना (2014)

इस योजना का आरंभ 2014 में किया गया

इस योजना का उद्देश्य लाह तथा लघु वनोपजों  का संग्रह करने वाले समुदायों का संरक्षण करना

इस योजना के तहत जनजातीय समुदायों से लाह एवं लघु वनोपजों  का अधिकतम मूल्य पर क्रय किया जाएगा


इस योजना की कुल राशि का 75% वित्तीयन केंद्र सरकार द्वारा किया जाता है

आदिम जनजाति हेतु मुख्यमंत्री विशेष खाद्य सुरक्षा योजना (2008)

इसका आरंभ 2008 में किया गया है

इस योजना के तहत आदिम जनजाति के लोगों को प्रति परिवार प्रतिमा 35 किलोग्राम मुफ्त खाद्यान्न उपलब्ध कराया जाता है, ताकि उनके जीवन स्तर में सुधार किया जा सके 

सरकारी सेवा में सीधी भर्ती योजना (2005)

इसका आरंभ 2005 में किया गया है 

इस योजना के तहत आदिम जनजाति के मैट्रिक पास युवक-युवतियों को सरकारी सेवा में सीधी भर्ती प्रदान कर उन्हें रोजगार उपलब्ध कराना है 

अनुसूचित जनजाति हेतु लाह विकास योजना (2005) 

इसका आरंभ 2005 में किया गया है 

इस योजना का उद्देश्य अनुसूचित जनजाति के लोगों को अतिरिक्त आय उपलब्ध कराना है

व्यवसायिक पायलट प्रशिक्षण योजना (2005) 

इसका आरंभ 2005 में किया गया

इस योजना के तहत अनुसूचित जाति तथा अनुसूचित जनजाति के लोगों को निशुल्क व्यवसायिक पायलट प्रशिक्षण दिया जाता है

पहाड़िया जनजाति हेतु व्यावसायिक प्रशिक्षण योजना 2005 

इसका आरंभ 2005 में किया गया है

इस योजना का उद्देश्य पहाड़िया जनजाति के जीवन स्तर में सुधार करना है

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Thursday, April 8, 2021

Jharkhand Ki Pramukh Yojnaye Part-4 (झारखण्ड की प्रमुख योजनाएं)

Jharkhand Ki Pramukh Yojnaye Part-4

(झारखण्ड की प्रमुख योजनाएं)



झारखंड मुख्यमंत्री सुकन्या योजना 2019 

➤इसका आरंभ 24 जनवरी 2019 में किया गया 

इस योजना के तहत सभी लड़की को जन्म से लेकर 18 वर्ष तक 40,000 का वित्तीय सहायता दी जाएगी

इस योजना का संचालन डी0बी0टी0 (डायरेक्ट बेनिफिट ट्रांसफर) स्कीम के माध्यम से किया जाएगा

इस योजना का उद्देश्य लड़कियों की साक्षरता दर में वृद्धि करना, बाल विवाह को रोकना है 


1) बेटी के जन्म के समय 5000 
2) कक्षा 1 में दाखिला कराने पर 5000
3) पांचवी कक्षा पास करने पर 5000 
4) आठवीं कक्षा पास करने पर 5000
5) दसवीं कक्षा पास करने पर 5000
6) 12वीं कक्षा पास करने पर 5000 
7) 18 वर्ष पूर्ण होने पर 10,000 

इसके अलावा लड़की की शादी के लिए मुख्यमंत्री कन्यादान योजना के आधार पर 30,000 अतिरिक्त  तक मिलेगा

इस प्रकार राज्य बेटियों की सहायता के लिए जन्म से शादी तक ₹70,000 की आर्थिक मदद प्रदान करेगा, जो एक क्रांतिकारी कदम है

योजना के लाभार्थी वैसे बीपीएल परिवार के सदस्य होंगे, जिनकी वार्षिक आय 72,000 से कम हो या 2011 जनगणना में बीपीएल में नाम दर्ज हो या जिनके पास अंतोदय कार्ड हो 

योजना का लाभ लेने के लिए कोई भी आदमी अपने निकटतम आंगनबाड़ी केंद्र या प्रखंड बाल पदाधिकारी या जिला समाज कल्याण पदाधिकारी कार्यालय में संपर्क कर सकते हैं 

झारखंड सरकार 18 वर्ष से कम उम्र में शादी के रोकथाम हेतु अर्थात बाल विवाह रोकने के लिए एक टोल फ्री नंबर 181 जारी किया है, जिस पर कोई भी व्यक्ति कॉल कर ऐसे शादी के संबंध में प्रशासन को सूचित कर सकता है

मुख्यमंत्री सखी मंडल स्मार्टफोन योजना(2017)

इस योजना का आरंभ 27 अगस्त, 2017 को किया गया 

इस योजना का उद्देश्य सखी मंडल की सभी महिलाओं को स्मार्टफोन उपलब्ध कराना है 

महिला अचल संपत्ति योजना (2017)

महिला सशक्तिकरण को बढ़ावा देने के लिए इसकी शुरुआत 2017 में की गई 

इस योजना के तहत महिला के नाम से अचल संपत्ति खरीदने पर 50 लाख तक की राशि पर मात्र एक ₹1 रजिस्ट्री चार्ज (निबंधन एवं स्टांप शुल्क) लगेगा  

इसका लाभ मात्र एक बार सम्पत्ति खरीद पर ही दिया जाता है 

तेजस्विनी योजना (2017) 

इसकी शुरुआत 8 मार्च 2017 को की गई  

इसका उद्देश्य 14 से 25 वर्ष की महिलाओं को स्वावलंबी बनाना है 

इस योजना के कुल लागत 90 मिलियन डॉलर है, जो विश्व बैंक द्वारा प्रदान की जाएगी 

इसके तहत चयनित महिलाओं को कौशल प्रशिक्षण देकर स्वावलंबी बनाया जाएगा

संजीवनी योजना 2016

इस योजना का उद्देश्य महिलाओं का सशक्तिकरण करना है 

मेरी बेटी मेरी पहचान 2016 

इस योजना का आरंभ  2016 में किया गया 

इस योजना का उद्देश्य बेटी बचाओ, बेटी पढ़ाओ अभियान को प्रोत्साहित करना है

इस योजना के तहत गांव के सभी घर के दरवाजे पर घर की बेटी का नेम प्लेट लगाकर घरों की बेटियों के नाम से पहचान दिलाने की पहल की गई है नेमप्लेट में बेटी के साथ मां का भी नाम लिखा गया है

पर्यावरण से संबंधित योजनाएं (2016) 

मुख्यमंत्री जन वन योजना (2016)

पर्यावरण संतुलन हेतु इस योजना की शुरुआत 15 नवंबर 2016 को किया गया

इस योजना का उद्देश्य निजी वनरोपण को प्रोत्साहन देना था 

सफल वृक्षारोपण पर लागत का 75% 3 वर्ष तक भुगतान करती है 

इस योजना के लाभार्थी को लाभ अर्जित करने हेतु न्यूनतम एक एकड़, अधिकतम 50 एकड़ पर फलदार एवं लकड़ी वाले पौधे लगाना अनिवार्य है 

खेलकूद से संबंधित योजनाएं(2017)

योजना योजना का आरंभ 2017 में किया गया

इस योजना का उद्देश्य खेल-कूद को प्रोत्साहित करना है

इस योजना का संचालन रांची के बिरसा मुंडा स्टेडियम में किया जा रहा है

इस योजना के तहत  9 खेलों  के लिए प्रशिक्षण प्रदान किया जाता है

इस योजना के तहत योग एवं केरम के लिए  ₹250 रूपये और अन्य खेल के लिए ₹500 देय राशि है

खेल छात्रवृत्ति योजना (2006) 

इस योजना का आरंभ 2006 में किया गया 

इस योजना का प्रमुख उद्देश्य खिलाड़ियों को प्रोत्साहित करना है


औद्योगिक  विकास से संबंधित योजनाएं

झारखंड उद्योग व पुनर्वास योजना (2003)

इसका आरंभ 2003 में किया गया है

राज्य में अवस्थित वृहद, मध्यम और लघु औद्योगिक इकाइयों के पुनर्वास हेतु इस योजना का संचालन किया जा रहा है

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Tuesday, April 6, 2021

Jharkhand Ki Pramukh Yojnaye Part-3 (झारखण्ड की प्रमुख योजनाएं)

Jharkhand Ki Pramukh Yojnaye Part-3

(झारखण्ड की प्रमुख योजनाएं)


कृषि एवं ग्रामीण विकास संबंधित योजनाएं 

1) अल्पकालीन कृषि ऋण राहत योजना (2020-21) 

इस योजना के तहत किसानों को 50000 हज़ार तक का ऋण माफ किया जायेगा 

इस योजना हेतु बजट 2020-21 में 2000 हज़ार करोड़ का प्रावधान किया गया है 


2) अटल ग्रामोत्थान योजना (2019-20)

इसका प्रारंभ 2019-20  वित्तीय वर्ष में किया गया
 
इस योजना के तहत राज्य के गांवों  को मॉडल गांव के रूप में विकसित करना है


3)मुख्यमंत्री कृषि आशीर्वाद योजना

इसका आरंभ 10 अगस्त 2019 को रांची से उपराष्ट्रपति वेंकैया नायडू द्वारा किया गया

इस योजना का उद्देश्य झारखंड के कृषि संकट को खत्म करना, किसानों को संकट से उबारना,  कृषि उत्पाद में वृद्धि करना, किसानों को कृषि कार्य हेतु आर्थिक सहायता उपलब्ध कराना है


अर्थात जीरो से 1 एकड़ भूमि वाले किसानों को न्यूनतम सहायता राशि ₹5000 दी जाएगी जबकि 5 एकड़ भूमि वाले किसानों को अधिकतम ₹25000 दिए जाएंगे

यह राशि केंद्र सरकार के किसान निधि सम्मान योजना के तहत दी जाने वाली 6000 वार्षिक आर्थिक सहायता के अतिरिक्त होगी।

सहायता राशि DBT (डायरेक्ट बेनिफिट ट्रांसफर) स्कीम के तहत किसानों के खाते बैंक के खाते में सीधे तौर पर भेजी जाएगी

इस योजना का लाभ प्राप्त करने हेतु न्यूनतम उम्र 18 वर्ष होना चाहिए

4) मुफ्त स्मार्ट फोन (2018)

झारखंड सरकार ने 28 लाख किसानों को मुफ्त स्मार्ट फोन देने की योजना 2018 में आरंभ की, इस योजना का उद्देश्य किसानो को ऑनलाइन क़ृषि बाजार से जोड़ना है 

इस योजना के द्वारा किसानों को (इ-नाम) e-NAM पोर्टल से जोड़ कर वे अपने उत्पाद का ऑनलाइन मूल्य जान सके और विक्रय कर सके 


5) ब्याज मुक्त फार्म ऋण (2018)

इस योजना के तहत किसानों के कृषि ऋण पर लगने वाले ब्याज को 1 वर्ष तक सरकार द्वारा वहन किया जाएगा

इस योजना का मुख्य उद्देश्य जीरो (0) प्रतिशत ब्याज दर पर कृषि ऋण उपलब्ध कराना है

किसानों को 1 वर्ष के भीतर ऋण चुकाना आवश्यक को होगा

6) सौभाग्य योजना (2017) 

स योजना का आरंभ 31 दिसम्बर 2017 में किया गया 

इस योजना का उद्देश्य राज्य के सभी गावों को बिजली उपलब्ध कराना है 


7) आर्या योजना (2017)

इसका आरंभ 2017 में किया गया 

इसका उद्देश्य ग्रामीण युवाओं को कृषि क्षेत्र में आकर्षित करना है

इस योजना के तहत आत्मा (ATMA- एग्रीकल्चर टेक्नोलॉजी मैनजेमेंट एंड ट्रेनिंग एजेंसी) जैसी संस्था के जरिए प्रत्येक गांव के दो युवक को चयनित कर उन्नत कृषि कार्य का प्रशिक्षण दिया जाएगा

8) तिलका मांझी ग्रामीण पंप (2015-16)

इसका आरंभ 2 जुलाई 2016 को किया गया 

इसका उद्देश्य ग्रामीण किसानों को सिंचाई सुविधा उपलब्ध कराना है, योजना के अन्तर्गत हर विधानसभा क्षेत्र के सुदूर कृषि प्रधान 50 गांवों में कृषकों को कृषि पंप के संचालन हेतु मुफ्त बिजली कनेक्शन दिया जाएगा 

इसके तहत तीन लाख किसानों को सिंचाई के लिए निशुल्क बिजली उपलब्ध कराया जाएगा 


9) मुख्यमंत्री शहीद ग्राम विकास (2017)

इस योजना का आरंभ 18 दिसंबर 2017 को झारखंड के खूंटी जिले में स्थित बिरसा मुंडा के गांव उलिहातु  से अमित शाह के द्वारा किया गया


इस योजना के तहत कुल 30 गांवों का चयन किया गया, जिसमें सिद्धू -कान्हू, नीलांबर-पीताम्बर, तिलका मांझी, आदि  स्वतंत्रता  सेनानियों के गांवों को शामिल किया गया


10) झारखण्ड रिवराइन फिश फार्मिंग (2017) 

इस योजना का आरंभ 2017 में किया गया 

इसका उद्देश्य मत्स्य पालन को प्रोत्साहित कर युवाओं को रोजगार के अवसर प्रदान करना है

11) खुदिया बियर (2016)

इस योजना का आरंभ 18 दिसंबर 2016 में किया गया

इस योजना का मुख्य उद्देश्य भूमि की सिंचाई करना है
 
इस योजना के तहत 27 गावों की 42,000 हेक्टैयर भूमि को सिंचित करने का लक्ष्य निर्धारित किया गया है 

चास प्रखंड के गवई बराज और धनबाद के गोविंदपुर में 272 करोड़ की लागत से इस योजना की शुरुआत की गयी है 

12) मुख्यमंत्री अनुसूचित जाति

इस योजना का उद्देश्य जनजाति बहुल गांवों का समग्र विकास करना है  

13) ग्राम विकास योजना 

इस योजना के तहत 500 गांवों  का विकास करना है 

इस योजना के तहत स्वयं सहायता समूहों  एवं ग्रामीण युवाओं को स्वरोजगार हेतु प्रशिक्षित किया जाएगा

साथ ही युवाओं को रोजगार हेतु ₹2,00,000 लाख रूपये उपलब्ध कराया जाएगा 


14) मुख्यमंत्री स्मार्ट ग्राम (2015)

इस योजना का आरंभ 2015 में किया गया 

इस योजना का उद्देश्य गांवों  का सांस्कृतिक, सामाजिक एवं आर्थिक विकास करना है  

15) डेयरी पशु विकास कार्यक्रम (2005) 

इस योजना का आरंभ 2005 में किया गया 

इस योजना का उद्देश्य ग्रामीण क्षेत्र में पशुओं के नस्ल में सुधार कर दूध उत्पादन बढ़ाना है

इस योजना के लिए भारत एग्रीकल्चर इंडस्ट्रीज फाउंडेशन(BIAF) को अभिकर्ता नियुक्त किया गया है

16) टेक्निकल इनपुट कार्यक्रम (2002) 

इस योजना का आरंभ 2002 में किया गया 

इस योजना का उद्देश्य किसानों तथा पशुपालकों को दुग्ध उत्पादन से संबंधित आवश्यक सुविधाएं प्रदान करना है

17) गोकुल ग्राम विकास योजना (2002)

इस योजना का आरंभ 2002 में किया गया

इस योजना का उद्देश्य सभी गांवों  का चौतरफा विकास करना है 

18) मुख्यमंत्री ग्राम सेतु योजना (2001) 

इस योजना का आरंभ 2001में किया गया

इस योजना का उद्देश्य प्रखंड मुख्यालय से जोड़ने वाली सड़कों में पुल-पुलियाँ  का निर्माण कर आवागमन को सुगमता  प्रदान करना

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Monday, April 5, 2021

Jharkhand Ki Pramukh Yojnaye Part-2 (झारखण्ड की प्रमुख योजनाएं)

Jharkhand Ki Pramukh Yojnaye Part-2

(झारखण्ड की प्रमुख योजनाएं)



स्वास्थ्य संबंधी योजनाएं 


1) झारखंड सहिया आरोग्य कुंजी योजना (2019)

➤इस योजना का उद्देश्य ग्रामीण क्षेत्रों में स्वास्थ्य सुविधा सुलभ कराना है।
 
19 जनवरी 2019 को चतरा में मेडिकल कीट  एवं मोबाइल एंबुलेंस का वितरण कर इस योजना की शुरुआत की गई 

झारखंड सरकार द्वारा इसके लिए ₹400 करोड़ रूपये का बजट आवंटित किया गया है

2) मुख्यमंत्री स्वास्थ्य बीमा (2017) 

परिवारों को नि:शुल्क स्वास्थ्य सुविधा देने हेतु इसकी शुरुआत 15 नवंबर 2017 को की गई 

इस योजना के तहत 80% लाभ उन बीपीएल परिवारों को मिलेगा, जिनका नाम "राष्ट्रीय खाद्य सुरक्षा योजना" में शामिल है, जबकि शेष 20% लाभुक वह बीपीएल परिवार होगा, जो इसके लिए ₹500 प्रीमियम राशि का भुगतान करेगा

3) जननी सुरक्षा योजना 2005

 
इस योजना के तहत ग्रामीण क्षेत्र की गर्भवती महिला को स्वास्थ्य केंद्र में प्रसव कराने पर ₹1400 रूपये  और शहरी क्षेत्र की गर्भवती महिला को स्वास्थ्य केंद्र में प्रसव कराने का कराने पर ₹1000, आर्थिक सहायता के रूप में दिया जाता है

4) पहाड़िया स्वास्थ्य केंद्र (2002) 

➤इस योजना केवल प्रथम दो जीवित जन्मे बच्चों के लिए दिया जाता है

इस योजना का आरंभ 2002 में किया गया 

इस योजना का मुख्य उद्देश्य पहाड़िया जनजाति के लोगों को स्वास्थ्य सेवा उपलब्ध कराना था

5) अनुसूचित जनजाति हेतु आयुर्वेदिक स्वास्थ्य केंद्र (2001) 

➤इस योजना का आरंभ 2001 में किया गया 

इस योजना का मुख्य उद्देश्य अनुसूचित जनजाति के लोगों को मुक्त आयुर्वेदिक चिकित्सा उपलब्ध कराना है 

आवास से संबंधित योजनाएं 


1) भीमराव अंबेडकर आवास योजना (2016)  


इस योजना के तहत 80 करोड़ की लागत से 11 हज़ार घर निर्मित कर राज्य के विधवा महिलाओं को आवंटित किया जाएगा


2) वेदव्यास आवास योजना (2016) 

➤इसका आरंभ 2016 में किया गया है 

इसका उद्देश्य झारखण्ड के मछुआरों को आवास प्रदान कराना है 

➤इस योजना के तहत 2017 -18 के वित्तीय वर्ष में 3000 आवास निर्मित कर आवंटित किये गये

3) बिरसा मुंडा आवास योजना (2002)  

➤इस योजना का आरंभ 2002 में किया गया 

इस योजना का उद्देश्य आदिम जनजाति के लोगों को आवास निर्माण हेतु आर्थिक सहायता प्रदान करना है 


गरीबी उन्मूलन से संबंधित योजनाएं


1) PTG डाकिया योजना (2017) 

➤इसकी घोषणा 6 अप्रैल 2017 में की गई 

इस योजना के तहत आदिम जनजाति को 35 किलो चावल राज्य खाद्य विभाग घर पहुँचायेगा

इस योजना के लाभार्थी 70,000 हज़ार है जिनकी साक्षरता दर निम्न है और आर्थिक आय मासिक 1000 हजार से कम है

2) जोहर योजना (2017)

बेरोजगार युवाओं को रोजगार देने की एवं निर्धन परिवार की लड़कियों को शादी हेतु सहायता देने के उद्देश्य से की इसकी शुरुआत 2017 में की गई

इसके तहत प्रतिवर्ष मुख्यमंत्री विवेका अनुदान कोष के तहत 272 नवविवाहित जोड़ों को ₹111000 रूपये सहायता राशि दी जाएगी 

मुर्गी पालन कार्य हेतु राज्य सरकार 4 लाख रुपए की आर्थिक सहायता राशि देगी तथा इन मुर्गियों द्वारा दिए गए अंडे को राज्य सरकार स्वयं खरीदेगी 

3) झारखण्ड रिक्शा चालक गरिमा योजना (2015)

इसका आरंभ 2014 अगस्त, 2015 को किया गया

इसका उद्देश्य रिक्शा चालकों के जीवन स्तर में सुधार लाना है 

इस योजना के तहत वैसे रिक्शा चालक,जिनके पास अपना रिक्शा नहीं है, उन्हें सरकारी ई-रिक्शा का वितरण करेंगी 


4) मुख्यमंत्री लाड़ली लक्ष्मी (2011) 

इसका आरंभ  15 नवंबर, 2011 को किया गया

इस योजना का उद्देश्य गरीबी रेखा से नीचे जीवन यापन कर रहे परिवारों के बालिकाओं के पालन पोषण और शिक्षा सुनिश्चित करना है 


5) मुख्यमंत्री दल-भात  योजना (2011) 

➤इसका आरंभ 15 अगस्त 2011 में अर्जुन मुंडा सरकार ने किया था

इस योजना के तहत बीपीएल परिवार के लोगों के 5 रूपये में भरपेट भोजन उपलब्ध कराना है। 

➤2016-17 से इस योजना का नाम मोबाइल किचन योजना कर दिया गया है

यह तमिलनाडु के अम्मा रसोई योजना की तर्ज पर संचालित है, जो झारखंड में 375 केन्द्रों से संचालित की जा रही है 

6) झारखंड मुख्यमंत्री कन्यादान योजना (2004) 

झारखंड सरकार द्वारा संचालित पूर्ववर्ती योजना है


इस योजना के तहत बीपीएल परिवारों को कन्या की शादी में प्रति कन्या ₹30000 की आर्थिक सहायता दी जाती है

इस योजना का मुख्य उद्देश्य राज्य के नागरिकों को बेटी के शादी से उत्पन्न आर्थिक बोझ को कम करना है 

इस योजना का लाभ लेने के लिए लाभार्थी को समाज एवं महिला कल्याण विभाग में आवेदन देना होता है

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