Chotanagpur Kashtkari Adhiniyam 1908 Part-3
अध्याय - 5
➤खूंटकट्टी अधिकार प्राप्त रैयत - (धारा- 37)
➤धारा-37 :- इस अधिनियम के अधिभोगी रैयत संबंधी प्रावधान उन रैयतों पर भी लागू होंगे, जिन्हें खूँटकट्टी अधिकार प्राप्त हों, लेकिन :-
1 - यदि रैयत द्वारा इस अधिनियम के प्रारंभ के 20 वर्षों से अधिक पूर्व भूमि की काश्तकारी सृजित की गई हो, तो भूमि का लगान नहीं बढ़ाया जाएगा।
2 - यदि भूमि के लगान में वृद्धि हेतु कोई आदेश पारित किया गया हो तो, लगान में वृद्धि उसी गांव में समरूप भूमि के अधिभोगी रैयत पर लगाये गए लगान के आधे से अधिक नहीं होगी।
अध्याय - 6
➤अनधिभोगी रैयत- धारा - (38 से 42)
धारा- 38 :- अनधिभोगी रैयत का प्रारंभिक लगान और पट्टा।
➤अनधिभोगी रैयत की भूमि का लगान उसके और भूस्वामी के बीच किये गए करार के आधार पर तय किया जाएगा।
धारा- 39 :- अनधिभोगी रैयत को अपनी जोत का लगान उसी प्रकार देना होगा जिस प्रकार अधिभोगी रैयत देते हैं।
धारा- 40 :- अनधिभोगी रैयत के के लगान की वृद्धि।
➤लगान में वृद्धि रजिस्ट्रीकृत करार तथा धारा-42 के अधीन करार के सिवाय नहीं बढ़ाया जा सकता है।
धारा- 41 :- अनधिभोगी रैयत की बेदखली का आधार
➤किसी भी अनधिभोगी रैयत को निम्नलिखित आधारों में से किसी एक या अधिक के आधार पर ही बेदखल किया जा सकता है :-
➤तीसरे कृषि वर्ष के आरंभ के बाद 90 दिनों के अंदर पिछले 2 कृषि वर्षों का लगान देने में असमर्थ रहा हो।
➤जोत की भूमि का अनुपयुक्त प्रयोग जिसके कारण भूमि का मूल्य हासिल हुआ हो अथवा इसे काश्तकारी प्रयोग के अनुपयुक्त बना देता हो।
➤यदि रैयत ने अपने और भूस्वामी के बीच हुए संविदा के किसी प्रावधान का उल्लंघन किया हो।
➤रजिस्ट्रीकृत पट्टे की अवधि समाप्त हो गयी हो।
➤रैयत ने उचित लगान का भुगतान करने से इंकार कर दिया हो।
धारा- 42 :- यदि रैयत ने उचित एवं साम्यिक लगान का भुगतान करने से इनकार कर दिया हो तो भूस्वामी रैयत को बेदखल करने हेतु उपायुक्त के कार्यालय में आवेदन देगा। उपायुक्त द्वारा विभिन्न पक्षों को सुनने के पश्चात् ही बेदखली होने या न होने का निर्णय दिया जायेगा।
अध्याय - 7
➤अध्याय-4 एवं अध्याय-6 से छूट प्राप्त भूमि
धारा- 43 :- भूस्वामी की विशेषाधिकारयुक्त भूमियों तथा अन्य भूमियों को अध्याय-4 और 6 के प्रावधानों से छूट:-
➤निम्नलिखित प्रकार के भूमियों पर न तो अधिभोगाधिकार अर्जित किया जा सकता है और न ही इन पर अनधिभोगी रैयत संबंधी प्रावधान लागू होंगे। अर्थात इस प्रकार की भूमि लगान मुक्त होगी। ये हैं :-
➤अधिनियम की धारा-188 के अंतर्गत भूस्वामी की विशेषाधिकारयुक्त भूमि जिसे अभिधारी ने 1 वर्ष से अधिक अवधि के लिए रजिस्ट्रीकृत पट्टे पर अथवा 1 वर्ष से कम समय के लिए लिखित या मौखिक पट्टे के पर धारित किया हो।
➤सरकार या किसी स्थानीय प्राधिकारी या रेलवे कंपनी के लिए अर्जित भूमि।
➤किसी छावनी के भीतर सरकार की भूमि।
➤ऐसी भूमि जिसका उपयोग किसी विधिसम्मत प्राधिकारी द्वारा सड़क, तटबंध बांध, नहर, या जलाशय जैसे लोक कार्यों के लिए किया जा रहा हो।
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