Jharkhand Ke Dharmik Evam Adhunik Sthal
➤रांची
➤यह झारखंड की राजधानी है। हुंडरू तथा दशम जलप्रपात, बिरसा जैविक उद्यान, रॉक गार्डन, टैगोर हिल, पहाड़ी मंदिर, जगन्नाथ मंदिर, देवड़ी मंदिर और रातू का राजमहल आदि यहां के प्रमुख पर्यटन स्थल है।
➤नेतरहाट (लातेहार)
➤'छोटानागपुर की रानी' के नाम से विख्यात है यह एक हिल स्टेशन है' जो समुद्र तल से 3,622 फीट की ऊंचाई पर स्थित है।
➤यहां सूर्योदय और सूर्यास्त का दृश्य बड़ा ही मनोरम होता है।
➤यहां एक आवासीय विद्यालय ।
➤जमशेदपुर
➤यह एक झारखंड का प्रमुख औद्योगिक नगर है, जो स्वर्णरेखा और खरकई नदियों के संगम पर स्थित है।
➤इसकी स्थापना 1907 ईस्वी में की गई थी।
➤यहां टाटा स्टील नामक इस्पात कारखाना स्थापित है।
➤जुबली पार्क, दलमा अभयारण्य, पवना और डिमना झील यहां के मुख्य पर्यटन स्थल है।
➤गोमिया बोकारो
➤यह भारत का सबसे बड़ा विस्फोटक करखाना है।
➤जादूगोड़ा (पूर्वी सिंहभूम)
➤यह स्थान यूरेनियम खनिज के लिए प्रसिद्ध है।
➤सिंदरी (धनबाद)
➤यहां खाद कारखाना उर्वरक के लिए प्रसिद्ध है।
➤बेतला (लातेहार)
➤यह झारखण्ड का एकमात्र राष्टीय उद्यान है।
➤पारसनाथ (गिरिडीह)
➤यह झारखंड का सबसे ऊंचा पहाड़ है।
➤इसकी ऊंचाई 1365 मीटर है।
➤यह जैनियों का एक प्रमुख तीर्थ स्थल है, जिसे सम्मेद शिखर भी कहा जाता है।
➤जैन मतानुसार जैन तीर्थकर पार्श्वनाथ को यही निर्वाण प्राप्त हुआ था।
➤मधुबन (गिरिडीह)
➤यहां 2000 वर्षों से भी अधिक पुराना जैन मंदिर है।
➤यह श्वेताम्बर संप्रदाय के जैनियों का तीर्थ स्थल है।
➤सारंडा (पश्चिमी सिंहभूम)
➤सारंडा का जंगल झारखंड का सबसे घना जंगल है।
➤यहां साल वृक्षों की प्रधानता है, इस क्षेत्र को सात सौ (700) पहाड़ियों की भूमि भी कहा जाता है।
➤मैथन (धनबाद)
➤यहां भूमिगत पावर हाउस है।
➤मलूटी (दुमका)
➤दुमका से 55 किलोमीटर की दूरी पर पश्चिम बंगाल की सीमा पर मलूटी गांव स्थित है, जिससे मंदिरों का गांव कहा जाता है।
➤यह गांव द्वारका नदी के तट पर स्थित है।
➤इस गांव में 108 मंदिर है, जिनमें पाषाण निर्मित प्राचीन मूर्तियां स्थापित है।
➤इटखोरी (चतरा)
➤यहां भद्रकाली का मंदिर स्थित है।
➤यहां से सहस्त्रीलिंग शिवलिंग भी है, जिसमें 1008 छोटे-छोटे शिवलिंग के चित्र बने हुए हैं।
➤देवघर
➤यह अंतरराष्ट्रीय प्रसिद्ध धार्मिक स्थल है।
➤झारखंड का सबसे बड़ा श्रावण मास में यहीं मेला लगता है।
➤बैद्यनाथ धाम का शिवमंदिर यहीं पर स्थित है।
➤बोकारो
➤इसका पुराना नाम माराफारी था।
➤यहां रूस के सहयोग से तृतीय पंचवर्षीय योजना काल में इस्पात का कारखाना स्थापित किया गया, जिसमें उत्पादन 1972 ईस्वी से शुरू हुआ।
➤सूर्यकुंड (हजारीबाग)
➤देश का सबसे अधिक गर्म जलकुंड है।
➤इस्को (हजारीबाग)
➤इस्को जंगल को गुफा में 100"x 28" की हैरतअंगेज पेंटिंग मिली है।
➤इसकी चित्रकारी और लिपि को बुलु इमाम ने दुनिया की पहली लिपि माना है।
➤पालकोट (गुमला)
➤यहां शीतलपुर तथा मलमलपुर की प्रसिद्ध गुफाएं ।
➤गर्मी के दिनों में भी ये गुफाएँ ठंडी रहती है।
➤बेनीसागर (पश्चिमी सिंहभूम)
➤पश्चिमी सिंहभूम के अंतिम छोर पर उड़ीसा की सीमा रेखा पर अवस्थित यह हिंदुओं के प्रमुख दर्शनीय स्थलों में से एक है।
➤यहां प्राचीन काल की 32 छोटी-बड़ी मूर्तियां, 7 शिवलिंग, दो बड़े पत्थरों पर प्राचीन पाली एवं प्राकृतिक लिपि के शिलालेख मौजूद ।
➤कोराम्बे (गुमला)
➤जहां नागवंशी और रक्सेल राजाओं के बीच घमासान युद्ध हुआ था।
➤डुंबारी पहाड़ी
➤खूंटी से लगभग 20 किलोमीटर की दूरी पर स्थित पहाड़ी स्वतंत्रता सेनानी बिरसा मुंडा के गुरिल्ला युद्ध का प्रशिक्षण केंद्र था।
➤बड़का गांव (हज़ारीबाग)
➤यहां पहाड़ की तलहटी में 1 छतनुमा 30 फीट का चट्टान है, जिसे बरसो पानी के नाम से भी जाना जाता है।
➤इसके अंदर प्रवेश कर पर किसी भी प्रकार की ध्वनि करने से पानी की बुँदे टपकती है।
➤इसकी प्रकृति बनावट काफी आकर्षक और मनोरम है।
➤कंचनगढ़ (पाकुड़)
➤यह लिट्टीपाड़ा से 12 किलोमीटर दूर स्थित है इसकी आकृति गुफानुमा है इस पहाड़ी पर डंडा पटकने पर विचित्र गूंज सुनाई पड़ती है।
➤उधवा (साहेबगंज)
➤ऐतिहासिक महत्व का यह गांव गंगा के किनारे स्थित है।
➤रोबर्ट क्लाइव एवं सिराजुदौला के बीच हुए प्लासी युद्ध के बाद दूसरा निर्णायक युद्ध यहीं उधवा/उधवानाला के पास लड़ा गया था।
➤दामिन-ए-कोह ( संथाल परगना)
➤संथाल परगना में राजमहल पहाड़ी प्रदेश के एक खास अंचल को दामिन-ए -कोह कहा गया है।
➤संथाल विद्रोह का केंद्र बिंदु यानी दामिन-ए -कोह क्षेत्र था।
➤राजमहल (साहिबगंज)
➤ऐतिहासिक महत्व का यह शहर मुगल काल में सरकारी मुख्यालय था।
➤मझगांव (गुमला)
➤यहां के पहाड़ी क्षेत्र में टांगीनाथ तीर्थ स्थली बसा हुआ है।
➤यहां एक शिव मंदिर है, जो लगभग 12 फीट ऊंचा है।
➤मंदिर के भीतर एक विशाल शिवलिंग है, जो टांगीनाथ नाम से प्रसिद्ध है।
➤बरही (हजारीबाग)
➤यहां औद्योगिक विकास केंद्र की स्थापना की गई है।
0 comments:
Post a Comment