Jharkhand Ke Prachin Rajvansh
(झारखंड के प्राचीन राजवंश)
➤इनमें तीन राजवंश प्रमुख थे
1) मुण्डा राज्य (सुतिया नागखण्ड)
➤झारखंड की जनजातियों में मुंडाओं की प्रधानता थी और राज्य निर्माण की प्रतिक्रिया भी उन्होंने ही सबसे पहले शुरू की।
➤छोटा नागपुर में रिता/रिसा मुंडा प्रथम मुंडा जनजातीय नेता था, जिसने निर्माण की प्रक्रिया शुरू की।
➤उसने सुतिया पाहन को मुंडाओं का शासक चुना और नये राज्य का नाम दिया गया -सुतिया नागखंड।
➤सुतिया ने अपने राज्य को 7 गढ़ों व 21 परगनों में विभक्त किया था।
➤7 गढ़ों-लोहागढ़ (लोहरदगा) , हजारीबाग (हजारीबाग) , पालुनगढ़ (पलामू) , मानगढ़ (मानभूम) , सिंहगढ़ (सिंहभूम) , केसलगढ़ और सुरजगढ़ (सुरगुजा)।
➤ 21 परगनों - ओमदंडा , दोइसा, खुखरा , सुरगुजा , जसपर ,गंगपुर ,पोरहट , गिरगा , बिरुआ , लचरा ,बिरना , सोनपुर , बेलखादर , बेलसिंग , तमाड़ , लोहारडीह , खेरसिंग , उदयपुर, बोनाई , कोरया , और चंनमंगकर।
➤इनमें कुछे परगनों के नाम आज भी यथावत बने हुए हैं।
➤सुतिया पाहन द्वारा स्थापित राज्य संपूर्ण झारखंड में फैला था परंतु दुर्भाग्यवश यह राज्य जल्द ही समाप्त हो गया।
2) छोटानागपुर (कोकरा) का नागवंश
➤इस राज्य की स्थापना प्रथम शताब्दी में फणिमुकुट राय ने की थी।
➤फणिमुकुट राय पुंडरीक और नाग एवं वाराणसी की ब्राह्मण कन्या पार्वती का पुत्र था।
➤फणिमुकुट राय का विवाह पंचेत के गोवंशीय राजपूत घराने में हुआ था।
➤फणिमुकुट राय के राज्य में 66 परगने थे । ( 22 घटवारी में, 18 खुखरागढ़ में, 18 दोयसागढ़ में और 8 जरचीगढ़ में )
➤फणिमुकुट राय ने सुतियाम्बे को अपनी राजधानी बनायी।
➤सुतियाम्बे में उन्होंने एक सूर्य मंदिर की स्थापना की थी।
➤फणिमुकुट राय के समय यहां की जनता मुख्यत: जनजातीय थी। उनके राजा बनने के बाद ही यहां पर ब्राह्मण , राजपूत और अन्य हिंदू जातियों की संख्या में बढ़ोतरी हुई।
➤फणिमुकुट राय को नागवंश का आदिपुरुष माना जाता है।
➤फणिमुकुट राय का दीवान पांडे भवराय श्रीवास्तव थे।
➤चौथा नागवंशी राजा प्रताप राय ने सुतयाम्बे से राजधानी बदल-कर स्वर्णरेखा नदी के तट पर चुटिया ले गया।
➤नई राजधानी में बाहर से लोगों को बुलाकर बसाया गया।
➤प्रताप राय के राज्य में सर्वत्र शांति व्यवस्था कायम थी।
➤एक अन्य नागवंशी राजा भीमकर्ण ने राजधानी परिवर्तन किया और उसे चुटिया से कोखरा ले गया।
➤भीमकर्ण को सरगुजा के हैहयवंशी रक्सेल राजा के साथ भीषण युद्ध करना पड़ा।
➤बरवा की इस लड़ाई में भीमकर्ण विजयी हुआ।
➤भीमकर्ण ने रेक्सेलो से जो कुछ लुटा उसमें वासुदेव की एक मूर्ति भी थी।
➤भीमकर्ण ने भीमसागर का निर्माण कराया जो आज भी है।
➤नागवंशी राजा ने दोयसा में नवरत्न नामक 5 मंजिला भवन का निर्माण करवाया।
➤यह राजवंश मध्यकाल और आधुनिक काल तक जारी रहा।
➤नागवंशी राजाओं की राजधानियों का क्रम इस प्रकार रहा :- सुतायाम्बे , चुटिया, कोखरा , दोयसा, पालकोट, रातूगढ़।
3) पलामू का रक्सेल वंश
➤पलामू में प्रारंभ में रक्सेलों का अधिपत्य था।
➤ये रक्सेल राजपूताना क्षेत्र से रोहतासगढ़ होते हुए पलामू पहुंचे थे। फिर स्वयं को राजपूत कहते थे।
➤रक्सेलों ने कुछ समय तक सुरगुजा को अपने राज्य में मिला लिया था।
➤इस समय की महत्वपूर्ण जनजातियां खरवार, गोंड, माहे , कोरवा, पहाड़िया तथा किसान थी।
➤इनमें सबसे अधिक संख्या खरवारों की थी, जिसके शासक प्रताप धवल थे।
➤रक्सेलों का शासनकाल काफी दिनों तक चला, लेकिन बाद में उन्हें चेरो द्वारा अपदस्थ कर दिया गया।
➤लेकिन हो जनजाति के सदस्य इस दावे का खंडन करते हुए प्रतिवाद करते हैं कि सिंहभूम का नामकरण उनके कुलदेवता सिंगबोंगा के नाम पर हुआ है।
➤यह मत ज्यादा सही प्रतीत होता है। सिंह राजवंशी राठौर राजपूत थे, जो पश्चिमी भारत से आए थे और उन्होंने आठवीं शताब्दी में इस क्षेत्र का आधिपत्य जमा लिया।
➤सिंहवंश की पहली शाखा के संस्थापक काशीनाथ सिंह थे।
➤इस वंश ने 52 पीढ़ियों तक राज किया।
➤सिंह वंश की दूसरी शाखा का सत्ताभिषेक 1205 ईस्वी के करीब हुआ था। इस शाखा के संस्थापक दर्प नारायण सिंह थेा।
➤दर्प नारायण सिंह की मृत्यु के बाद युधिष्ठिर शासक बना, जो 1262ईस्वी से 1271 ईस्वी तक शासन करता रहाा।
➤युधिष्ठिर का उत्तराधिकारी काशीराम सिंह था, जिसके समय में नयी राजधानी 'पोराहाट' में थी।
➤इस राजवंश का चौथा शासक अच्चुत सिंह था।
➤तेरहवाँ राजा जगन्नाथ द्वितीय अत्याचारी व निरंकुश था, जिसके कारण 'भुइया' लोगों ने विद्रोह कर दिया था।
5)अन्य राजवंश
➤मानभूम का मान राजवंश :- मान राजाओं का राज्य हजारीबाग और मानभूम में विस्तृत था।
➤गोविंदपुर (धनबाद) में कवि गंगाधर (1373 - 78 ईसवी) द्वारा रचित शिलालेख और हजारीबाग के दूधपानी नामक स्थान में 8वीं सदी के शिलालेख में इनका उल्लेख है।
➤रामगढ़ राज्य :- रामगढ़ राज्य की स्थापना 1368 ईस्वी के लगभग बाघदेव सिंह ने की थी।
➤ये अपने बड़े भाई सिंहदेव के साथ नागवंशी महाराजा की सेवा में थे।
➤कालांतर में बाघदेव सिंह और उनके भाई सिंहदेव सिंह का नागवंशी राजाओं के साथ मतभेद हो गया।
➤नागवंशी राजा से अलग होकर यह लोग कर्णपुरा आ गए। यहां पर स्थानीय राजा को पराजित कर पर अधिकार कर कर्णपुरा पर अधिकार कर लिया।
➤दोनों भाइयों ने लगभग 21 परगनों पर कब्जा किया।
➤उन लोगों ने सिसिया को अपनी पहली राजधानी बनाया। बाद में राजधानी बदलकर उरदा, फिर बादाम और अंत में रामगढ़ गये।
➤राजा हेमंत सिंह (1604 - 1661 ) ने अपनी राजधानी उर्दा से हटाकर बादाम में स्थापित की।
➤राजा दलेल सिंह अपनी राजधानी बनाम से हटाकर 1670 में रामगढ़ ले गया।
➤राजधानी परिवर्तन का मुख्य कारण भौगोलिक एवं ऐतिहासिक दृष्टिकोण से बदाम का असुरक्षित होना था।
➤1772 ईस्वी में सिंहदेव वंश के तेज सिंह (1772 से 80 तक) रामगढ़ के राजा बने। उन्होंने अपने शासन का संचालन इचाक (हजारीबाग) से किया।
➤1880 ईस्वी के प्रारंभ में रामगढ़ राज्य एक तीसरे वंशज के हाथों में चला गया। इस वंश के प्रथम राजा ब्रह्मदेव नारायण सिंह थे। इस वंश की राजधानी रामगढ़ से हटाकर हजारीबाग से लगभग 22 किलोमीटर की दूरी पर स्थित पदमा में स्थापित की गयी।
➤पदमा में एक राजप्रसाद का भी निर्माण किया गया, जो आज भी विद्यमान है।
➤कामाख्या नारायण सिंह 1937 ईस्वी में रामगढ़ की गद्दी पर बैठे। इनकी राजधानी भी अंतिम समय तक पदमा में ही रही।
➤1368 ईस्वी में बाघदेव द्वारा स्थापित गणराज्य रामगढ़ राज बिहार राज्य भूमि सुधार अधिनियम की धारा 3 के अंतर्गत 26 जनवरी, 1955 को समाप्त हो गया।
➤रामगढ़ राज्य की राजधानियों का क्रम इस प्रकार रहा :- उर्दा-सिसई, बादाम, रामगढ़ , इचाक, पदमा।
➤पलामू का चेरों वंश :- पलामू का चेरो वंश छोटानागपुर के नागवंशी एवं मानभूम के पंचेत राज्यों की तरह ही महान राजवंश था।
➤चेरो वंश की स्थापना भागवत राय ने की थी। इस वंश के राजाओं का राज्य क्षेत्र पलामू था।
➤सिंहभूम का धाल वंश :- सिंहभूम के धालभूम क्षेत्र में धाल राजाओं का शासन था। धाल राजा संभवत: जाति के धोबी थे।
➤पंचेत के राजा भी संभवत: धोबी ही थे। उन्होंने एक ब्राह्मण कन्या से विवाह कर लिया था। इसी विवाह से उत्पन्न बालक ने धालभूम राज्य की स्थापना की थी।
➤खरगड़ीहा राज्य :- 'खरगड़ीहा (वर्तमान गिरिडीह जिला) राज्य' रामगढ़ राज्य के उत्तर-पूर्व में स्थित था।
➤इस राज्य की स्थापना 15वीं सदी में हंसराज देव नामक एक दक्षिण भारतीय ने की थी।
➤मूलत: उसने बंदावात जाति के एक शासक को पराजित कर हजारीबाग के 90 किलोमीटर लम्बे क्षेत्र को अपने अधिकार में कर लिया।
➤इस राज-परिवार का वैवाहिक संबंध अधिकांशत: उत्तर बिहार के ब्राह्मण जमींदार परिवारों के साथ था।
➤पंचेत राज्य :- पंचेत राज्य मानभूम क्षेत्र का सर्वाधिक शक्तिशाली राज्य था।
➤इस राज्य की उत्पत्ति और स्थापना के विषय में प्रचलित जनश्रुति के अनुसार इसकी स्थापना काशीपुर के राजा और रानी की तीर्थयात्रा के क्रम में पैदा हुए पुत्र ने किया था।
➤बड़ा होने पर यह बालक पहले मांझी बना,फिर परगना चौरासी का राजा बना।इसी राजा ने आगे पंचेतगढ़ का निर्माण किया।
➤राजा ने कपिला गाय की पूँछ को राजचिन्ह के रूप में स्वीकार किया।
➤इस प्रकार प्राचीन और पूर्व-मध्य काल में छिटपुट आक्रमणों के बावजूद झारखण्ड के लगभग सभी क्षेत्र स्वंतत्र बने और छोटानागपुर क्षेत्र अपनी क्षेत्रीय स्वंछदता कायम रखने में कामयाब रह