(Jharkhand Vastra Paridhan Aur FutviyarNiti-2016)
➤रेशम क्षेत्र में झारखंड में महत्वपूर्ण वृद्धि दर्ज की है तथा झारखंड देश में सर्वाधिक तसर रेशम उत्पादित करने वाला राज्य है।
➤यहाँ देश के कुल तसर रेशम का लगभग 40% उत्पादित किया जाता है।
➤झारखंड राज्य में उत्पादित तसर रेशम अपने गुणवत्ता के कारण वैश्विक स्तर पर जाना जाता है तथा अमेरिका, ब्रिटेन, जर्मनी, फ्रांस जैसे विकसित देशों में इसकी बहुतायत में मांग है।
➤राज्य में रेशम के डिजाइन, प्रशिक्षण, उधमिता, विपणन व उत्पादन को बढ़ावा देने के उद्देश्य से राज्य सरकार द्वारा झारखंड सिल्क टेक्सटाइल एवं हैंडीक्राफ्ट विकास प्राधिकरण(झारक्राफ्ट ) का गठन वर्ष 2006 में किया गया था।
➤इसके माध्यम से राज्य में लगभग दो लाख रेशम कीट पालकों, सूत कातने वाले लोगों, बुनकरों एवं शिल्पकारों को रोजगार हेतु सहायता प्रदान किया जा रहा है।
➤झारक्राफ्ट द्वारा राज्य एवं देश के विभिन्न शहरों में 18 आउटलेट का संचालन भी किया जा रहा है।इसमें कोलकाता, बेंगलुरु, अहमदाबाद, रांची, दिल्ली, एवं मुंबई प्रमुख है।
➤झारखंड रेशम उत्पादन के साथ-साथ सूती धागों व हैंडलूम वस्तुओं के उत्पादन में भी देश का अग्रणी राज्य है। इस परिप्रेक्ष्य में राज्य में कपास ऊन बुनाई, हैंडलूम कपड़ों की बुनाई, ऊन और रेशमी धागा आदि को भी प्रोत्साहित करने हेतु गंभीर प्रयास किया जा रहा है।
➤इस प्रकार की वस्तुओं के निर्माण की दृष्टि से रांची, लातेहार, पलामू, रामगढ़, धनबाद, बोकारो, गोड्डा , पाकुड़ साहिबगंज और खूंटी प्रमुख जिले हैं।
➤राज्य में सरकार ने राजनगर (सरायकेला-खरसावां )और इरबा (रांची) सिल्क पार्क तथा देवघर में मेगा टैक्सटाइल पार्क की स्थापना की है । साथ ही देवघर, दुमका, साहिबगंज, पाकुड़ और जामताड़ा जिले को भी भारत सरकार की ओर से मेगा हैंडलूम कलस्टर योजना में शामिल किया गया है।
झारखंड सरकार की वस्त्र, परिधान और फुटवियर नीति, 2016 के उद्देश्य निम्नवत है
1) समग्र टेक्सटाइ क्षेत्र में उच्च एवं सतत वृद्धि दर प्राप्त करना।
2) टेक्सटाइल क्षेत्र की मूल्य श्रृंखला को मजबूती प्रदान करना।
3) सहकारी क्षेत्र की कताई मिलों को बेहतरी हेतु प्रोत्साहित करना।
4) विद्युतकरधा क्षेत्र के आधुनिकीकरण द्वारा उन्हें मजबूती प्रदान करना ताकि वे उत्तम कोटि के वस्त्रों का निर्माण कर सकें।
5) टेक्सटाइल उत्पादन क्षेत्र में सूचना प्रौद्योगिकी का सदुपयोग करके उसकी गुणवत्ता, डिजाइन एवं विपणन को बढ़ावा देना।
6) आयात को प्रतिस्थापित करना।
7) टेक्सटाइल उद्योगों के विनियमन संबंधी नियमों का उदारीकरण करना, ताकि इस क्षेत्र को अधिकाधिक प्रतिस्पर्धात्मक बनाया जा सके।
8) इस क्षेत्र में कुशल कामगारों का निर्माण करना तथा इस नीति के तहत 5,00,000 रोजगार सृजन करना।
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