Jharkhand Ke Khanij
➤खनिज संसाधन की दृष्टि से झारखण्ड भारत का सबसे आमिर राज्य है।
➤भारत में झारखंड एकमात्र ऐसा प्रदेश है, जहां इतने प्रकार के खनिज एक साथ एक ही क्षेत्र में पाए जाते हैं।
➤यही कारण है कि झारखंड की तुलना जर्मनी रुर घाटी से की जाती है एवं झारखंड को भारत का रूर प्रदेश कहा जाता है।
➤इंडियन ब्यूरो ऑफ माइंस की एक रिपोर्ट के अनुसार, भारत में उपलब्ध खनिजों के संचित भंडार का लगभग 30 से 35% झारखंड की पठारी भाग में केंद्रित है।
➤पूरे भारत में जितने खनिजों का उत्पादन होता है उसका लगभग 40% झारखंड में होता है।
➤झारखंड क्षेत्र भारत का 95% पायराइट ,58% अभ्रक, 33% कोयला, 33% तांबा, 33% ग्रेफाइट, 32% बॉक्साइट, 30% कायनाइट एवं 19% लौह अयस्क उत्पादन करता है।
➤पायराइट अभ्रक, कोयला, तांबा, ग्रेफाइट, बॉक्साइट, चीनी मिट्टी के उत्पादन में यह क्षेत्र भारत में प्रथम स्थान पर है तथा फास्फेट में द्वितीय, लौह अयस्क में पांचवें एवं चूना पत्थर और मैग्नीज में सातवें स्थान पर है।
➤मूल्य की दृष्टि से भारत के कुल खनिजों के लगभग 32 % का हिस्सेदार झारखंड है।
➤झारखंड की अर्थव्यवस्था का मुख्य आधार खनिज और उन पर आधारित उद्योग है।
झारखंड के खनिजों को तीन वर्गों में बांटा जाता है
1-धात्विक खनिज
2-अधात्विक खनिज और
3-ऊर्जा खनिज
1-धात्विक खनिज (Metallic Minerals)
➤धात्विक खनिज को दो उप वर्गों में बांटा जाता है
1-लौह धात्विक खनिज
2-अलौह अधात्विक खनिज
1-लौह धात्विक खनिज का विवरण इस प्रकार है
1 - लौह अयस्क :- झारखण्ड में लौह अयस्क का प्राप्ति क्षेत्र सिंहभूम जिला का दक्षिणी भाग है।
➤सिंहभूम के दक्षिणी भाग में लौह अयस्क की पेटी है जो 48 किलोमीटर लंबी पट्टी के रूप में उड़ीसा के मयूरभंज एवं क्योंझर तक विस्तृत है ,यह पट्टी विश्व के सबसे बड़े लौह भंडार के रूप में मानी जाती है।
➤सिंहभूम के दक्षिणी भाग में स्थित नोवामुंडी ,गुआ ,पानसिरा बुरु ,बादाम पहाड़ ,जामदा, गुरुमहिसानी,किरी बुरू आदि लोहे के प्रमुख खान है।
➤पश्चिमी सिंहभूम जिले में स्थित नोवामुंडी की खान एशिया की सबसे बड़ी लोहे की खान है। इन खानों से उच्च कोटि का हेमेटाइट वर्ग का लौह अयस्क उत्पादित किया जाता है।
➤हेमेटाइट वर्ग के लौह अयस्क में लोहे के अंश 60% से 68 %तक होता है।
➤झारखण्ड में उपलब्ध लौह अयस्कों में 99% भाग हेमेटाइट वर्ग का लौह अयस्कों का है।
2 - मैंगनीज :- मैंगनीज का उपयोग इस्पात बनाने में एवं सुखी बैटरी और रसायन उद्योगों में होता है।
➤झारखंड में मैंगनीज भंडार राज्य की आवश्यकता से बहुत कम है इसलिए राज्य को इसका आयात करना पड़ता है।
➤यहां मैंगनीज के तीन प्रमुख क्षेत्र है :- गुवा से लिमटू, चाईबासा से बरजामुण्डा एवं बड़ा जामदा से नोवामुडी।
➤कालेन्दा, बंसाडेरा, पन्सारीबुरु, एवं पहाड़पुर आदि मैगनीज की प्रमुख खान है।
3-क्रोमाइट :- क्रोमाइट का उपयोग इस्पात बनाने में होता है।
➤झारखंड में क्रोमाइट का मुख्य जमाव सिंहभूम के जोजोहातू एवं सरायकेला क्षेत्राे में है।
➤यहाँ देश के कुल क्रोमाइट भंडार का लगभग 5.3 प्रतिशत भाग पाया जाता है।
4 -जस्ता :- यह संथाल परगना, हजारीबाग, पलामू, रांची और सिंहभूम जिले में पाया जाता है।
5 -टीन :- यह हजारीबाग एवं रांची जिले में पाया जाता है।
2 - अलौह धात्विक खनिज का विवरण इस प्रकार है
1 - तांबा :- तांबा का उपयोग बिजली उपकरण, घरेलू बर्तन, धातु मिश्रण आदि में किया जाता है।
➤इस खनिज के उत्पादन में झारखंड भारत का अग्रणी राज्य है।
➤सिंहभूम के मुसाबनी, धोबनी, सुरादा, केन्दाडीह, पथरगोडा एवं घाटशिला में तांबे की खाने हैं।
➤हजारीबाग एवं संथाल परगना के कुछ हिस्सों में भी तांबा मिलता है।
2 -बॉक्साइट :-बॉक्साइट से एलुमिनियम निकाला जाता है।
➤इसके क्षेत्र है :- पलामू के आस-पास के पाट क्षेत्र, रांची पठार, लोहरदगा के आस-पास का क्षेत्र, हजारीबाग और राजमहल का पहाड़ी क्षेत्र।
➤यहां उच्च कोटि का बॉक्साइट पाया जाता है जिसमें 52% से 55% तक एलुमिनियम होता है।
3 -टंगस्टन :- इसका उपयोग बिजली उद्योग आदि में किया जाता है। यह हजारीबाग में पाया जाता है।
4 -वैनेडियम :- यह सिंहभूम के दुलपारा एवं दुबलावेटन में पाया जाता है।
5 -सोना :- स्वर्णरेखा नदी के बालू को छानकर सोने के कण प्राप्त किए जाते थे इसलिए नदी का नाम स्वर्ण रेखा नदी पड़ा।
➤ये सोने के कण छोटा नागपुर के पठारों के अपक्षयण से आते थे जिसमें कोयले के प्राचीनतम भंडार है।
➤इसके क्षेत्र सिंहभूम की स्वर्ण रेखा नदी घाटी ,पलामू की सोन नदी की घाटी, हजारीबाग के दामोदर नदी की घाटी में थे।
➤अब यह सोना उपलब्ध नहीं होता है लेकिन उपलब्धि के प्रमाण मिलते हैं।
➤वर्तमान में करीब 350 किलोग्राम सोना का औसत उत्पादन हिंदुस्तान कॉपर लिमिटेड के मऊ कॉपर प्लांट (घाटशिला) में प्रति वर्ष होता है जो तांबा अयस्क से उपउत्पाद के रूप में निकाला जाता है।
6 -चांदी :- चांदी हजारीबाग पलामू राज्य सिंहभूम आदि जिलों में मिलती है लेकिन अल्प मात्रा में और कच्चे में रूप में पाया जाता है।
2-अधात्विक खनिज (Non-Metallic Minerals)
➤अधात्विक खनिजों का विवरण इस प्रकार है
1 - अभ्रख (MICA ):- इसका उपयोग बिजली के सामान, औषधि, शीशा, सजावटी सामान, अग्निरोधक सामग्री, संचार संयंत्र आदि में किया जाता है।
➤कोडरमा जिले में स्थित कोडरमा एवं झुमरी तलैया अभ्रक के प्रमुख क्षेत्र हैं।
➤कोडरमा को भारत की अभ्रख राजधानी के नाम से भी जाना जाता है।
➤झारखंड में उच्च कोटि का सफेद अभ्रक मिलता है। जिससे रूबी अभ्रख कहा जाता है। इसकी गुणवत्ता के कारण विश्व बाजार में इसकी अधिक मांग है। यही कारण है कि झारखंड के कुल उत्पादन का 90% भाग निर्यात किया जाता है।
2 -काईनाइट (KYANITE):- यह ताप सहन करने वाला खनिज है। इसलिए इसका उपयोग ताप सहायता सामग्री के निर्माण में किया जाता है।
➤लोहा गलाने की भट्टियों में इसका स्तर दिया जाता है।
➤काईनाइट का सबसे बड़ा भंडार सिंहभूम क्षेत्र के लिप्साबुरु क्षेत्र में है।
➤सिंहभूम के निकट राजखरसावां के निकट इसका उत्पादन भारतीय तांबा निगम द्वारा किया जाता है।
3 -ग्रेफाइट (GRAPHITE) :-यह कार्बन का एक रूप है जिससे काला सीसा भी कहा जाता है।
➤इसका उपयोग उच्चतापसह्य उद्योग में उच्चतापसह्य सामग्रियों के निर्माण में किया जाता है।
➤यह पलामू के बारेसनट , नारोमार ,कोजरूम और लाट क्षेत्र में मिलता है।
4 -अग्नि मृतिका/ अग्निसह्य (FIRE CLAY) :- यह ताप की कुचालक होती है इसलिए इस मिट्टी से बनी ईटो का उपयोग ताप भट्टियों के निर्माण में किया जाता है।
➤ यह दामोदर घाटी, पलामू, राँची आदि स्थानों पर मिलती है।
5 -चीनी मिट्टी (CHINA CLAY OR KAOLIN ) :- यह मिट्टी फेल्सपार नामक खनिज के अपरदन के फल- स्वरुप बनाती है।
➤ चीनी मिट्टी से बिजली के उपकरण, घरेलू बर्तन आदि बनाए जाते हैं।
➤यह सिंहभूम, रांची ,धनबाद , हजारीबाग, संथाल परगना आदि क्षेत्रों में पाया जाता है।
6-चुना पत्थर (LIME STONE):- इस से सीमेंट बनता है जिसका उपयोग इमारत बनाने में किया जाता है।इस्पात भट्टी में यह कच्चे माल के रूप में प्रयुक्त होता है। हजारीबाग, रांची, सिंहभूम एवं पलामू इसके प्रमुख क्षेत्र हैं।
7-डोलोमाइट (DOLAMITE):- इसका उपयोग कागज, सीसा ,लौह- इस्पात, सीमेंट और गृह सामग्री के उद्योगों में होता है पलामू जिला का डाल्टेनगंज क्षेत्र इसका प्रमुख क्षेत्र है।
8- एस्बेस्टस (ASBESTOS) :- इसका उपयोग छत बनाने एवं रासायनिक उद्योग में होता है। यह रांची और सिंहभूम जिले में प्राप्त होता प्राप्त होता है।
9-सॉपस्टोन (SHOP STONE) :- इसका उपयोग पेंसिल, वार्निस एवं पाउडर बनाने में होता है। यह सिंहभूम एवं हजारीबाग में पाया जाता है।
3-खनिज (Energy Minerals)
➤ऊर्जा खनिजों का विवरण इस प्रकार है
1- कोयला (COAL)
कोयला(COAL) :- कोयला के मामले में झारखंड देश का अग्रणी राज्य है पूरे देश के उत्पादन का एक तिहाई उत्पादन यहां होता है।
➤झारखंड में कोयला उत्पादन के पांच प्रमुख क्षेत्र हैं।
➤दामोदर घाटी कोयला क्षेत्र :- झरिया ,चंद्रपुर, रामगढ़, बोकारो ,कर्णपूरा आदि।
➤बराकर बेसिन क्षेत्र :- हजारीबाग का इटखोरी, कुजू , और चोप, गिरिडीह आदि।
➤अजय बेसिन क्षेत्र :- हजारीबाग जिला का जयंती, सहगौरी, कुंडित ,करैया इत्यादि।
➤राजमहल पहाड़ी क्षेत्र :- ब्राह्मणी, पंचवारा, छप्परविट्टा, गिलवाड़ी,हैना आदि।
➤उत्तरी कोयल बेसिन क्षेत्र :- डाल्टेनगंज, हुटार, औरंगा नदी एवं अमानत नदी क्षेत्र आदि।
नोट :-
1-दामोदर घाटी क्षेत्र राज्य के कुल कोयला उत्पादन का लगभग 95% उत्पादित करता है। साथ ही यह कोकिंग कोल का शत-प्रतिशत उत्पादक क्षेत्र है।
2- झारखंड में सर्वप्रथम कोयला खनन का काम दामोदर घाटी निगम क्षेत्र के अंतर्गत झरिया में शुरू हुआ।
3-धनबाद जिले में स्थित झरिया भंडार एवं उत्पादन की दृष्टि से झारखंड का सर्वप्रथम कोयला केंद्र है। झरिया पूरे झारखंड के कोयला उत्पादन का 60% भाग उत्पादन करता है। झरिया कोयला क्षेत्र भारत कोकिंग कोल लिमिटेड के अंतर्गत आता है।
4- झरिया में उत्तम किस्म का कोकिंग कोल पाया जाता है।
5- झरिया कोयला क्षेत्र में आग लगी हुई है और भीतर- ही -भीतर कोयला जलकर खाक हो रहा है।
6- बोकारो, बोकारो जिला में स्थित है राऊरकेला का इस्पात कारखाना यहीं से कोयला प्राप्त करता है।
7- हजारीबाग, गिरिडीह ,रांची, चतरा, लातेहार एवं पलामू के कोयला क्षेत्र सेंट्रल कोकिंग कोल लिमिटेड के कमान के अंतर्गत आते हैं।
➤झारखंड में उच्च कोटि का कोयला पाया जाता है। यहाँ बिटुमिनस और एन्थ्रासाइट दोनों ही उपयोगी प्रकार के कोयले उपलब्ध है।
➤बिटुमिनस कोयले में 78 से 86% तक कार्बन का अंश होता है तथा इसका उपयोग घरेलू कार्यों में होता है।
➤एन्थ्रासाइट कोयले में 94% से 98% तक कार्बन का अंश होता है।
➤यह राज्य के आय का एक महत्वपूर्ण स्रोत है। झारखंड को खनिजों से होने वाली कुल आय का 75% कोयले से प्राप्त होता है।
➤झारखंड में उपलब्ध कोयले के तीन प्रकार है।
1-कोकिंग
2-अर्द्ध कोकिंग और
3-गैर-कोकिंग
➤कोकिंग और अर्द्ध कोकिंग कोयले का उपयोग भारी उद्योगों में विशेषकर धात्विक उद्योगों में धोक भट्टी में होता है।
➤गैर-कोकिंग कोयले का उपयोग स्पॉन्ज लोहा, ताप शक्ति, रेलवे, सीमेंट, खाद, ईट भट्टी, घरेलू इंधन आदि में होता है।
➤कम लागत में अधिक उत्पादन के उद्देश्य से झारखंड के कोयला क्षेत्रों में परियोजना चलाई जा रही है।
➤सोवियत रूस की सहायता से चलने वाली दो परियोजनाएं हैं :-
1 -झरिया क्षेत्र से कुमारी ओ0 सी0 पी0 कोयला क्षेत्र का विकास।
2 - झरिया क्षेत्र के सीतानाला का विकास।
➤वर्ल्ड बैंक की सहायता से चलने वाले 5 परियोजनाएं हैं
1-झरिया कोकिंग कोयला परियोजना
2-रजरप्पा परियोजना
3-राजमहल परियोजना
4-दामोदर परियोजना
5-कतरास परियोजना
➤यूरेनियम :- यह एक आण्विक खनिज है इसका विस्तार जादूगोड़ा, धालभूमगढ़, जुरमाडीह,नरवा ,बागजत, कन्यालूका,केरुवा डुमरी आदि क्षेत्रों में है।
➤पूर्वी सिंहभूम जिले में स्थित जादूगोड़ा की यूरेनियम खदान से खुदाई यूरेनियम कारपोरेशन ऑफ़ इंडिया की देख रेख में होता है।
3-थोरियम
➤थोरियम :- यह एक आण्विक खनिज है इसका विस्तार रांची पठार और धनबाद में है।
4-इल्मेनाईट
➤इल्मेनाईट :- यह एक आण्विक खनिज है इसका उपयोग अंतरिक्ष यान और अणुशक्ति वाले अंत:यान में काम आने वाले धातु टाइटेनिक बनाने में होता है रांची जिला क्षेत्र में मिलता है।
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