All Jharkhand Competitive Exam JSSC, JPSC, Current Affairs, SSC CGL, K-12, NEET-Medical (Botany+Zoology), CSIR-NET(Life Science)

Sunday, December 13, 2020

Jharkhand Ka Naamkaran(झारखंड का नामकरण)

झारखंड का नामकरण

(Jharkhand Ka Naamkaran)


➤झारखंड शब्द की उत्पत्ति दो शब्दों के मिलने से हुए हैं झार /झाड़ (वन) और खंड (प्रदेश)
। 

इस प्रकार, झारखंड का शाब्दिक अर्थ है -वन प्रदेश।  

वर्तमान में जिसे झारखंड के नाम से जाना जाता है उससे अतीत के विभिन्न कालों में विभिन्न नामों से जाना जाता था। 

इस क्षेत्र का प्रथम साहित्यिक उल्लेख 'ऐतरेय ब्राह्मण' में मिलता है जिसमें इस क्षेत्र का उल्लेख पुण्ड /पुण्ड्र नाम से किया गया है। 

इस क्षेत्र को 'वायु का पुराण' में मुरण्ड, 'विष्णु पुराण' में मुंड तथा 'भागवत पुराण' में किक्क़ट प्रदेश कहा गया है। 

➤'महाभारत' के दिग्विजय पर्व में इस क्षेत्र को पुंडरीक प्रदेश कहा गया है।  

➤'महाभारत' में इस क्षेत्र के लिए एक और नाम पशुभूमि मिलता है

समुद्रगुप्त की प्रयाग प्रशस्ति में क्षेत्र को मुरुण्ड देश कहा गया है

➤पूर्वमध्यकालिन संस्कृत साहित्य में इस क्षेत्र को  कलिंद देश कहा गया है 

तेरहवीं सदी ईस्वी के एक ताम्रपात्र में झारखंड शब्द का उल्लेख मिलता है 

झारखंड शब्द का प्रथम पुरातात्विक प्रमाण है 

मध्यकाल में मुस्लिम इतिहासकारों ने सामान्यत : इस क्षेत्र का उल्लेख झारखंड के नाम से किया है  

झारखंड नाम का प्रयोग शम्स -ए -सिराज अफीफ ('तारीख-ए-फिरोजशाही'), सलीमुल्ला ('तारीख- ए-बांग्ला'), गुलाम हुसैन खां (' सियार-उल -मुतखरीन') आदि ने किया है 

भक्तिकालीन कवियों कबीर  एवं जायसी ने झारखंड का अपनी रचनाओं में नाम उल्लेख किया है 

➤झारखण्ड में मुख्य रूप से छोटा नागपुर पठार और संथाल परगना के वन-क्षेत्र शामिल हैं 

वर्तमान का झारखंड पहले के  छोटानागपुर-संथाल परगना का ही प्रायवाची है 

इन दोनों क्षेत्रों के पुराने-नये नामों का परिचय इस प्रकार  है  

छोटानागपुर

➤छोटानागपुर झारखंड का सबसे बड़ा भाग है 

➤यह  झारखंड के लगभग 80% भाग में फैला हुआ है  

छोटानागपुर झारखंड का समानार्थी कहा जा सकता है 

➤सामान्यत: छोटानागपुर कहने से झारखंड का और झारखंड कहने से छोटानागपुर का बोध होता है  

चीनी यात्री फाहियान ने अपनी यात्रा वृतांत 'फो-को-क़वी'  में छोटानागपुर पठार को 'कुक्कुट लाड' कहा है  

➤एक दूसरे चीनी यात्री हेनसांग अपनी यात्रा वृतांत 'सी-यू -की' में छोटानागपुर पठार को 'किलो-ना -सु-का -ला -ना' (अर्थात कर्ण सुवर्ण) कहा है  

मध्यकाल में रांची क्षेत्र  कोकरा/खोखरा  के नाम से जाना जाता था 

यही क्षेत्र धीरे-धीरे चुटिया नागपुर,  चुटा नागपुर या सामान्यतः छोटा नागपुर के नाम से जाना जाने लगा जो अपेक्षाकृत बड़े क्षेत्र का परिचायक था 

ब्रिटिश शासन काल के दौरान 1765 ईस्वी से  1833 ईस्वी तक इस क्षेत्र के लिए छोटानागपुर नाम प्रयुक्त होता रहा 

1834 ईसवी में अंग्रेजों ने इसे 'दक्षिण-पश्चिमी-सीमांत-एजेंसी) नाम से एक प्रशासनिक इकाई के रूप में गठित किया जिसका मुख्यालय बिलिकिसनगंज या विशुनपुर (बाद का राँची) को बनाया

संथाल परगना

संथाल परगना,झारखंड का दूसरा सबसे बड़ा भाग है 

इस क्षेत्र का प्राचीनतम नाम नारी खंड है 

बाद में इसे  कांकजोल कहा जाने लगा है

हेनसांग ने संथाल परगना के मुख्य क्षेत्र राजमहल का उल्लेख कि -चिंग -कोई-लो के नाम से किया है

राजमहल नामकरण मध्य काल में हुआ 

संथाल परगना  के एक महत्वपूर्ण भाग जिसमें राजमहल, पाकुड़, गोड्ड़ा और दुमका के कुछ हिस्से शामिल थे,को दामिन-ए -कोह (अर्थात पहाड़ी अंचल) कहा जाता था

Share:

0 comments:

Post a Comment

Unordered List

Search This Blog

Powered by Blogger.

About Me

My photo
Education marks proper humanity.

Text Widget

Featured Posts

Popular Posts

Blog Archive