Jharkhand Me Van Prabandhan
➤झारखंड में वन प्रबंधन का सबसे पहले प्रयास 1882/85 में जे0.एफ.हेबिट द्वारा किया गया था।
➤इसी आलोक में तत्कालीन बंगाल सरकार ने 1909 में वनों की सुरक्षा के लिए एक समिति गठित की थी।
➤आजादी के पहले यहां पर 95% वन निजी थे। जिनका सरकारी करण हुआ।
➤राज्य में 33% या उससे ज्यादा वन क्षेत्र बनाने के लिए वन प्रबंधन की आवश्यकता है।
कार्य
➤राज्य में वनों के बेहतर प्रबंधन के उद्देश्य से 31 प्रदेशिक प्रमंडलों, 10 सामाजिक वानिकी प्रमंडलों एवं चार विश्व खाद्य कार्यक्रम प्रमंडलों का सृजन किया गया है, जिसके माध्यम से वनों एवं वन्य प्राणियों के प्रबंधन, संवर्धन एवं विकास का काम किया जाता है।
दायित्व
➤झारखंड राज्य में वनों के प्रबंधन का दायित्व प्रधान सचिव/ सचिव, वन, पर्यावरण एवं जलवायु परिवर्तन विभाग के अतिरिक्त भारतीय वन सेवा, राज्य वन सेवा संवर्ग पदाधिकारियों, वनों के क्षेत्र पदाधिकारियों, वन परिसर पदाधिकारियों और वन उप परिसर पदाधिकारियों का है।
➤वन विभाग में वनों के प्रबंधन, संवर्धन, संरक्षण और सुरक्षा तथा विकास योजनाओं के कार्यान्वयन हेतु प्रधान मुख्य वन संरक्षक का पद स्वीकृत है।
➤वनों के प्रबंधन एवं संरक्षण में व्यापक जनसभा सहभागिता सुनिश्चित करने के लक्ष्य से राज्य सरकार द्वारा संयुक्त वन प्रबंधन संकल्प 2001 में यथा तथा संशोधित प्रतिपादित किया गया है, जिसके आलोक में 10903 संयुक्त वन प्रबंधन समितियां गठित की गई है एवं वनों के विकास एवं संरक्षण हेतु योजनाओं के क्रियान्वयन करने के लिए राज्य के सभी प्रदेशिक वन प्रमंडल में 35 वन विकास अभिकरण का गठन एवं निबंधन कार्य पूरा किया गया है।
➤वन प्रबंधन के लिए कार्य किये जा रहे हैं
➤राज्य में 9,00,000 (लाख) हेक्टेयर से ज्यादा भूमि बंजर है।
➤इस भूमि पर वन रोपण का कार्य किया जा रहें है।
➤वन प्रबंधन प्रशिक्षण के लिए रांची में बिरसा कृषिविश्वविद्यालय से सम्बद्ध वानिकी कॉलेज में एक वानिकी संकाय स्थापित की गई है।
➤राज्य में कई स्थाई पौधशालाओं की स्थापना की गई है।
➤शहरी वानिकी के माध्यम से राज्य के नगरों में वृक्षारोपण किया जा रहा है।
➤सामाजिक वानिकी से ग्रामीण जनसंख्या की वनों पर निर्भरता कम कर उसकी आवश्यकता की पूर्ति कराने का काम भी किया जा रहा है।
➤वन समितियां गठित कर वन क्षेत्रों के प्रबंधन एवं संरक्षण कार्य किए जा रहे हैं।
➤निजी वन भूमि पर वृक्षारोपण के लिए मुख्यमंत्री जनवन योजना की शुरुआत की गई है।
➤बॉस वृक्ष रोपण पर विशेष बल दिया जा रहा है।
➤राज्य में 116 स्थाई नर्सरी को और अधिक उन्नत बनाया जा रहा है।
➤जंगली जानवरों के आक्रमण से किसी व्यक्ति की मृत्यु होने पर ढाई लाख रुपया दिया जाएगा।
➤ग्रामीणों के आय के साधन बढ़ाने हेतु सेल्फ हेल्प ग्रुप एवं ग्राम वन प्रबंधन समितियों के माध्यम से पलाश एवं कुसुम के पौधों पर लाह उत्पादन हेतु निशुल्क प्रशिक्षण, प्रयुक्त होने वाले मशीन एवं टूल्स तथा लाह कीट सुलभ कराया जा रहा है।
➤ई-गवर्नेंस के तहत विभागीय वेबसाइट तैयार की गई है ताकि सूचनाएं तुरंत उपलब्ध हो सके।
वेबसाइट का नाम फॉरेस्ट डॉट झारखंड डॉट गवर्नमेंट डॉट इन है।
➤जनसाधारण में प्रकृति के प्रति लगाव उत्पन्न करने, विशेषकर उन्हें वन्य प्राणियों एवं संरक्षित क्षेत्रों के संरक्षण के प्रति जागरूक करने के लिए संरक्षित क्षेत्रों तथा इनके बाहर उपयुक्त वन क्षेत्र में एनवायरमेंटल फ्रेंडली सस्टेनेबल तरीके से इको-टूरिज्म को प्रोत्साहित करने के लिए इको टूरिज्म नीति, 2015, अक्टूबर, 2015 में अधिसूचित की गई है।
➤अधिसूचित वन भूमि, गैर-वन भूमि पर मुख्य रूप से स्थल विशिष्ट वनरोपण योजनाएं,भूसंरक्षण योजना, जल्दी बढ़नेवाले पौधे की योजना, तसर वन रोपण, शीशम वनरोपण के लिए वित्तीय वर्ष 15-16 में 6900 लाख का बजट उपबंध स्वीकृत है।
➤पथ -तट रोपण सह वानिकी योजना के अंतर्गत आम नागरिकों को स्वच्छ ,स्वास्थ्य कारक एवं आराम देह वातावरण उपलब्ध कराने के उद्देश्य से सड़कों के किनारे, सरकारी परिसरों तथा स्कूलों, कॉलेजों, सरकारी कार्यालयों, पहाड़ियों इत्यादि पर उपयुक्त छायादार/ फलदार/ फूलदार /इमारती कास्ट/अन्य सौंदर्य कारक प्रजातियों का वृक्ष रोपण किया जा रहा है।
➤स्थाई पौधशाला एवं सीड् आर्चड्स योजनान्तर्गत मुख्य रूप से बॉस गोबियन वृक्षरोपण हेतु औसतन 5 से 8 फीट लंबे पौधे तैयार किए जा रहे हैं।
➤वन प्रबंधन में संयुक्त वन प्रबंधन की नीति एक सफल और उपयोगी नीति है ,जो वनों के प्रति आम नागरिकों में उनके कर्तव्यों के प्रति जागरूकता उत्पन्न करती हैं।
➤झारखंड में वन संवर्धन और प्रबंधन की विधिवत शिक्षा के लिए रांची में बिरसा कृषि विश्वविद्यालय से संबद्ध वानिकी कॉलेजों में वानिकी संकाय स्थापित है।
➤झारखंड में प्राकृतिक संसाधनों को बेहतर प्रबंधन के लिए वन अभिलेखों एवं वन सीमाओं का डिजिटलाइजेशन एवं जियोरेफरेंसिंग करने की योजना है।
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