झारखण्ड की बहुउद्देशीय नदी घाटी परियोजनाएं
जैसे:-सिंचाई ,बाढ़ नियंत्रण ,पेयजल आपूर्ति ,जल विद्युत, नहर परिवहन ,पयर्टन इत्यादि की पूर्ति बहुउद्देशीय परियोनाओं के तहत की जाती हैं ।
         भारत के प्रथम प्रधानमंत्री पंडित जवाहर लाल नेहरू ने नदी घाटी परियोजना को आधुनिक भारत का मंदिर कहा है । 
झारखण्ड में बहुउद्देशीय नदी घाटी परियोजना निम्न हैं :-
1 . दामोदर घाटी परियोजना
💨दामोदर घाटी निगम की स्थापना 7 जुलाई 1948 को सयुंक्त राज्य अमेरिका की टेनेसी नदी घाटी   परियोजना द्वारा हुआ था,यह भारत की प्रथम बहुउद्देशीय नदी घाटी परियोजना है। 
💨मानसून कल में दामोदर नदी में बाढ़ आने के कारण पश्चिम बंगाल राज्य पूरी तरह बाढ़ से प्रभावित हो जाता है,यही कारण है की इसे बंगाल का शोक कहा जाता है। 
उद्देश्य :-
💨दामोदर घाटी निगम  के निवासियो का सामाजिक-आर्थिक कल्याण । 
💨औद्योगिक  और घरेलु उपयोग के लिए जलापूर्ति।  
💨पर्यावरण संरक्षण तथा वनीकरण,
💨सिंचाई ,बाढ़ नियंत्रण ,पेयजल आपूर्ति ,जल विद्युत, नहर परिवहन इत्यादि का लाभ मिले । 
दमोदर घाटी निगम का नियंत्रण 
💨यह एक संयुक्त परियोजना है झारखण्ड और पश्चिम बंगाल का । 
💨पश्चिम बंगाल में बाढ़ की समस्या को रोकने के लिए ही 8 बड़े बांध,
1-अवरोध बांध,6 जल विद्युत गृह और 3 तापीय विद्युत गृह बनाये गए हैं ।
1-अवरोध बांध,6 जल विद्युत गृह और 3 तापीय विद्युत गृह बनाये गए हैं ।
8 बड़े बांध निम्न प्रकार है :-
1 . तिलैया  बांध -  बराकर नदी में 
2 . मैथन बांध -  बराकर नदी में 
3 . बाल पहाड़ी -बराकर नदी में 
4 . पंचेत बांध -दामोदर नदी में 
5 . अय्यर बांध -दामोदर नदी में 
6 . बेरमो बांध -दामोदर नदी में 
7 . बोकारो बांध -बोकारो बांध में 
8 . कोनार बांध -बोकारो बांध में 
अवरोध बांध-1 
💨 दुर्गापुर अवरोधक  बांध
जल विद्युत गृह-6
1 . तिलैया बिद्युत गृह, 2. मैथन बिद्युत गृह, 3 -बालपहाडी बिद्युत गृह, 4-पंचेत बिद्युत गृह,
5 -बेरमो बिद्युत गृह, 6-कोनार बिद्युत गृह
तापीय विद्युत गृह-3
💨1 -बोकारो ,2-चन्द्रपुरा , 3 -दुर्गापुर की 
💨1 -बोकारो ,2-चन्द्रपुरा , 3 -दुर्गापुर ,इन तीनों संगठन का महत्वपूर्ण बात यह है की कोयला ,जल ,तरल ईंधन  तीनों स्रोतों से विद्युत  उत्पादन करने वाली प्रथम संगठन है । 
2 . स्वर्ण रेखा परियोजना
💨झारखण्ड ,ओड़िसा और पश्चिम बंगाल तीनों की संयुक्त परियोजना  है ।
💨वर्ल्ड बैंक इनको आर्थिक सहायता प्रदान करता है ।
💨इसमें बांध और बैराज बना हुआ है ।
💨 खरकई नदी पर दो इचा बांध और गाजिया बांध हैं।
3 . मयूराक्षी परियोजना
💨झारखण्ड और पश्चिम बंगाल दोनों की संयुक्त परियोजना  है ।
💨मयूराक्षी परियोजना दुमका जिला के मसानजोर नामक स्थान में स्थित है,
💨मयूराक्षी परियोजना कनाडा देश की आर्थिक से सहायता बनाया गया है ।
💨मयूराक्षी परियोजना कनाडा देश की आर्थिक से सहायता बनाया गया है ।
💨मयूराक्षी परियोजना के ऊपरी भाग में कनाडा बांध है ।
💨मयूराक्षी परियोजना के निचले भाग में एक अवरोध बांध तिलपड़ा में बना  है ।
💨मयूराक्षी परियोजना में 'कनाडा बांध को ही मसानजोर बांध कहा जाता है ।
4 .उत्तरी कोयल परियोजना
💨उत्तरी कोयल परियोजना की स्थापना 1972 में हुआ था। 
💨वन विभाग द्वारा 1993 में रोका गया था।
💨उत्तरी कोयल परियोजना को मंडल डैम क नाम से भी जाना जाता है।
💨मंडल डैम से पलामू ,गढ़वा ,बिहार के औरंगाबाद और गया को लाभ मिलता है। 
💨अब इसकी  5 जनवरी 2019 को प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी द्वारा पलामू जिला में शुरुवात की गयी है ।
5 . कोयलकारो परियोजना
💨कोयलकारी परियोजना में कोयल और करो नदी पर बांध बनाये गए हैं। 
💨यह योजना 1973 -1974  में शुरुवात की गयी थी ।
💨अब यह बंद है 2003 से । 
 











 
 
 

 
 
 
 
 
 
 
        
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