Jharkhand ki Rajvyavastha Part-1
झारखंड की राजव्यवस्था PART-1
भारतीय संविधान के प्रावधान के अनुसार झारखंड भारत संघ का एक अभिन्न अंग है। झारखंड भारत संघ का एक राज्य है। झारखंड की शासन प्रणाली भारत संघ के अन्य राज्यों के समान है, झारखंड में संसदीय शासन प्रणाली स्थापित है।
1. विधायिका- सरकार के कानून बनाने वाले अंग को विधायिका कहते हैं ।
2. कार्यपालिका - सरकार के कानूनों को कार्यान्वित करने वाले अंग को कार्यपालिका कहते हैं।
3. न्यायपालिका - सरकार के न्याय करने वाले अंग को न्यायपालिका कहते हैं।
कार्यपालिका
संसदीय शासन प्रणाली के अंतर्गत राज्य में दो प्रकार की कार्यपालिका होती है ।
1.नाम मात्र की कार्यपालिका -जिसका प्रमुख राज्यपाल होता है ।
2.वास्तविक कार्यपालिका - जिसका प्रमुख मुख्यमंत्री होता है ।
💨राज्यपाल राज्य का नाम मात्र का अध्यक्ष है राज्य की समस्त कार्यपालिका संबंधित शक्ति राज्यपाल में निहित होता है जिसका प्रयोग वह मंत्रिपरिषद की सहायता से करता है।
💨 भारत के प्रत्येक राज्य में एक राज्यपाल होगा(अनुच्छेद 153 में यह प्रावधान है)।
💨राज्यपाल की नियुक्ति राष्ट्रपति के द्वारा की जाती है तथा अपनी इच्छा के अनुरूप पद पर बना है रहता है।(अनुच्छेद 155 )
राज्यपाल पद पर नियुक्त किए जाने वाले व्यक्ति में निम्नलिखित योग्यताएं होनी चाहिए
💨वह भारत का नागरिक हो।
💨वह 35 वर्ष की आयु पूरी कर चुका हो।
💨वह संसद या किसी राज्य विधानमंडल का सदस्य ना हो।
💨वह किसी लाभ के पद पर ना हो ।
💨राज्य की विधान सभा का सदस्य बनने की योग्यता रखता है।
राज्यपाल की कार्यकाल
💨राज्यपाल का कार्यकाल (अनुच्छेद 156) के अनुसार उनके पद ग्रहण करने की तारीख से लेकर 5 वर्ष तक का होता है। इस अवधि की समाप्ति के बाद भी वह तब तक अपने पद पर बना रहता है, जब तक की उसका कोई उत्तराधिकारी पद ग्रहण नहीं कर लेता है ।
💨राज्यपाल राष्ट्रपति को अपना त्यागपत्र दे कर पद से मुक्त हो सकता है।
राज्यपाल की शपथ
राज्यपाल को शपथ संबंधित राज्य के उच्च न्यायालय का मुख्य न्यायाधीश पद एवं गोपनीयता की शपथ दिलाता है ।(अनुच्छेद 159 के तहत)
राज्यपाल का वेतन और भत्ता
राज्यपाल को तीन लाख पचास हजार रूपये (₹3,50,000) प्रति माह वेतन मिलता है तथा वह ऐसे भत्ते का भी हकदार होता है जिसे संसद द्वारा नियत किया जाता है।
राज्यपाल के कार्य और अधिकार संक्षिप्त में:-
💨राज्य की समस्त कार्यपालिका शक्तियां राज्यपाल में निहित होता है ।(अनुच्छेद 154)
💨राज्यपाल का समस्त कार्य राज्यपाल के नाम से संचालित किया जाता है (अनुच्छेद 166 )
💨राज्यपाल मुख्यमंत्री की नियुक्ति करता है तथा मुख्यमंत्री के परामर्श से ही अन्य मंत्रियों की नियुक्ति करता है।(अनुच्छेद 164)
💨राज्य के महाधिवक्ता, राज्य लोक सेवा आयोग के अध्यक्ष तथा सदस्य अधीनस्थ न्यायालयों के न्यायाधीशों आदि की नियुक्तियां भी राज्य के राज्यपाल करते हैं।
💨राज्यपाल विधानसभा में एक अंगलो भारतीय सदस्य की नियुक्ति करता है(अनुच्छेद 333 )
राज्यपाल की आपत्कालीन अधिकार
💨राज्यपाल राज्य में(अनुच्छेद 356) के तहत राष्ट्रपति से राज्य में राष्ट्रपति शासन लागू करने का सिफारिश कर सकता है।
राज्यपाल की विधायी अधिकार
💨राज्यपाल को राज्य में विधानमंडल का सत्र बुलाने,सत्रवास करने तथा विधानसभा को विघटित करने का अधिकार प्राप्त है।(अनुच्छेद 174)
💨राज्यपाल की अनुमति के बिना कोई धन विधेयक अधिनियम पारित नहीं होता है (अनुच्छेद 200)
💨प्रतिवर्ष राज्य में वित्तीय लेखा-जोखा को तैयार करवा कर सदन के सामने प्रस्तुत करता है।(अनुच्छेद 202 के तहत)
राज्यपाल के प्रमुख न्यायिक अधिकार निम्नलिखित हैं
💨राज्यपाल जिला न्यायाधीशों और अन्य अधिकारों की नियुक्ति स्थानांतरण पदोन्नति के संबंधित मामलों पर निर्णय करता है राज्यपाल इन शक्तियों का प्रयोग उच्च न्यायालय की सलाह से करता है।
💨राज्यपाल किसी व्यक्ति को न्यायालय द्वारा दिए गए दंड को क्षमादान,लघु करण,निलंबन आदि में परिवर्तित कर सकते हैं।
💨किंतु मृत्युदंड प्राप्त किसी व्यक्ति के बारे में कोई भी निर्णय लेने का शक्ति राज्यपाल को प्राप्त नहीं है।
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