Santhal Pargana Kashtkari Adhiniyam,1949 Part-1
संथाल परगना काश्तकारी अधिनियम, 1949
💨संथाल परगना के अंतर्गत भागलपुर एवं बीरभूम जिले के हिस्से सम्मिलित किए गए थे।
💨संथाल परगना क्षेत्र का पुराना नाम जंगलतरी ट्रैक था।
💨जंगलतरी ट्रैक को ही 'दामिन-कोह' के नाम से जाना जाता है इससे प्राचीन काल में 'नारी खंड' भी कहा जाता था।
💨इस क्षेत्र की एक विशेषता यह है कि इसके अंतर्गत आने वाले जागीर या जमीनदारी को राजस्व पंजी में तौजी नंबर से दर्शाया गया है।
💨इस क्षेत्र के पहला रैयती कानून 1872 में बनाया गया था।
💨संथाल परगना क्षेत्र में यह पहला कश्तकारी कानून 'संथाल परगना सेटलमेंट रेगुलेशन एक्ट, 1872' है।
💨मैकफरस ,एल्सन और गैंजेर का जमीन का सर्वे रिपोर्ट बनाने में महत्वपूर्ण योगदान था।
💨संथाल परगना के भूस्वामियों और रैयतों के हित में पारित किया गया था ।
संथाल परगना काश्तकारी अधिनियम, 1949
💨मिस्टर गैंजेर का रिपोर्ट देखने के बाद तत्कालीन बिहार सरकार ने "संथाल परगना इन्क्वॉयरी कमेटी 1937" गठन किया।
💨इस कमिटी के सिफारिश के आधार पर 'संथाल परगना काश्तकारी अधिनियम, 1949' का निर्माण किया गया ।
इस अधिनियम में कुल 8 अध्याय और 72 धाराएं हैं
अध्यायों का संक्षिप्त विवरण:-
अध्याय- 1 इस अध्याय में संक्षिप्त नाम, प्रांरभ और कानून के विस्तार क्षेत्र के बारे में बताया गया है यह समस्त संथाल परगना में लागू होगा,जिसमें दुमका, साहिबगंज, गोड्डा, देवघर, पाकुड़,और जामताड़ा जिला है ।(धारा-01 से 4 )
अध्याय- 2 अध्याय-2 में ग्राम प्रधान और मूल रैयत का वर्णन है ।
💨इसमें ग्राम प्रधान की नियुक्ति,काबिलियत और अन्य संबंधित प्रावधानों का वर्णन है इसमें (धारा 5 से 11) तक का धारा शामिल किया गया है।
अध्याय- 3 यह अध्याय बहुत ही खास है जिसमें रैयतों का अधिकार, रैयतों की बेदखली,रैयतों के अधिकार का हस्तांतरण, रैयती भूमि विनियम, हस्तांतरण का निबंधन आदि का वर्णन किया गया है इसमें (धारा-12 से 26) तक शामिल किया गया गया है।
अध्याय- 4 इस अध्याय में मुख्यता बंजर भूमि और खाली जूतों की बंदोबस्ती का प्रावधान है इसमें(धारा-27 से 42) तक में निहित है।
अध्याय- 5 अध्याय 5 में लगान संबंधी प्रावधानों की पुष्टि की गई है इसमें (धारा- 43 से 52) तक शामिल किया गया है।
अध्याय- 6 इसमें धारा 53 के अंतर्गत कुछ प्रयोजनों के लिए भू स्वामी द्वारा भूमि अर्जन का प्रावधान है वर्तमान में इस धारा का प्रयोग नहीं होता है, अध्याय-6 में ही (धारा 54 से 63) के अंतर्गत न्यायिक प्रक्रिया का वर्णन किया गया है।
अध्याय- 7 इसमें (धारा-64 से 66) के अंतर्गत परिसीमा के सामान्य नियम का वर्णन किया गया है।
अध्याय- 8 इसके अंतर्गत विविध प्रावधान है, दंड, नोटिस, तमिला बकाया वसूली,आदि का प्रावधान है इसमें (धारा- 67 से 72) तक शामिल किया गया है।
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