Jharkhand ki Rajvyavastha Part-2
झारखंड की राजव्यवस्था PART-2
मुख्यमंत्री (वास्तविक प्रधान)
💨संविधान में (अनुच्छेद 163) के अनुसार राज्यपाल को उनके कार्यों में सहायता एवं सलाह देने के लिए एक मंत्री परिषद का गठन किया जाता है,जिसका प्रधान मुख्यमंत्री होता है।
मुख्यमंत्री के कार्यकाल
💨राज्य में मंत्री परिषद का प्रधान मुख्यमंत्री होता है,मुख्यमंत्री का कार्यकाल राज्य विधानसभा के कार्यकाल के समांतर ही 5 वर्ष का होता है।
💨 यदि विधानसभा का कार्यकाल बढ़ा दिया जाता है तो मुख्यमंत्री का कार्यकाल स्वतः बढ़ जाता है।
मुख्यमंत्री के कार्य और अधिकार
💨राज्य की मंत्री परिषद का प्रधान मुख्यमंत्री होने के नाते राज्य का प्रशासन प्रणाली पूरी तरह से मुख्यमंत्री के नियंत्रण में होता है।
💨मुख्यमंत्री को मंत्रिपरिषद का विस्तार तथा पुनर्गठन करने का अधिकार प्राप्त है।
💨राज्यपाल और मंत्रिपरिषद के बीच मुख्यमंत्री कड़ी का कार्य करता है। 
💨मुख्यमंत्री राज्यपाल का मुख्य परामर्शदाता होता है।
💨मंत्रिपरिषद के  निर्णयों की सूचना राज्यपाल को तथा राज्यपाल की कोई सलाह मंत्री परिषद को मुख्यमंत्री के द्वारा दी जाती है ।
💨राज्य शासन प्रणाली के सभी विभागों में मुख्यमंत्री समन्वय स्थापित करता है ।
💨मुख्यमंत्री मंत्री परिषद का अध्यक्ष होता है वह मंत्री परिषद के अधिवेशनो की अध्यक्षता करता है, तथा अधिवेशनो की तिथि तय करना तथा उसके लिए कार्य सूचना बनवाना ।
💨राज्य में सभी महत्वपूर्ण नियुक्तियां राज्यपाल,मुख्यमंत्री,मुख्यमंत्री की सलाह पर ही करता है। 
💨राज्य विधानमंडल का नेता मुख्यमंत्री होता है। 
💨मुख्यमंत्री मंत्रियों की नियुक्ति करता है तथा विभागों का विभाजन मुख्यमंत्री की सलाह से राज्यपाल करता है।
मंत्री परिषद
राज्य की कार्यपालिका को सुचारू रूप से चलाने के लिए मुख्यमंत्री एक मंत्री परिषद का गठन करता है,
इसमें एक मुख्यमंत्री और अन्य मंत्री होते हैं।
💨इसमें मंत्री परिषद का मुख्य अध्यक्ष मुख्यमंत्री होते हैं।
💨मुख्यमंत्री तथा अन्य मंत्री की नियुक्ति (मुख्यमंत्री की सलाह )पर राज्यपाल द्वारा की जाती है।
💨मंत्री परिषद की कुल संख्या 12 है मुख्यमंत्री सहित  इस से अधिक नहीं हो सकती।
💨मंत्री परिषद सामूहिक उत्तरदायित्व पर कार्य करती है एक मंत्री के विरुद्ध अविश्वास प्रस्ताव पारित होने पर समस्त मंत्री परिषद त्यागपत्र दे देती हैं।
मंत्री परिषद के कार्य
💨संविधान के अनुसार मंत्री परिषद का कार्य राज्यपाल को उसके कार्यों में परामर्श एवं सहायता प्रदान करना है,लेकिन वास्तव में शासन का सारा कार्य मंत्री परिषद करती है। 
मंत्री परिषद के मुख्य कार्य निम्नलिखित हैं
💨यह सरकार की नीति निर्धारित करती है तथा उस कार्य को पूरा करने का प्रयास करते हैं। 
💨मंत्रियों के द्वारा ही विधान मंडल में विधेयक पेश किए जाते हैं ।
💨राज्य के सभी महत्वपूर्ण नियुक्तियां राज्यपाल मंत्रिमंडल की परामर्श से करता है। 
💨विधानसभा में बजट प्रस्तुत करने से पहले मंत्री परिषद बजट को स्वीकृत करती हैं।
झारखंड के मुख्यमंत्री की सूची:-
क्रमांक नाम कार्यकाल
   1       बाबूलाल मरांडी  -      15 नवंबर 2000 से 17 मार्च 2003
   2       अर्जुन मुंडा -               18 मार्च 2003 से 2 मार्च 2005
   3       शिबू सोरेन  -               2   मार्च 2005 से 12 मार्च 2005
   4       अर्जुन मुंडा  -              12  मार्च 2005 से 18 सितंबर 2006
   5        मधु कोड़ा    -             18  सितंबर 2006 से 27 अगस्त 2008 
   6        शिबू सोरेन-               27 अगस्त  2008  से 18 जनवरी 2009 
 💥       राष्ट्रपति शासन -       19  जनवरी 2009 से 29 दिसंबर 2009
   7        शिबू सोरेन-               30  सितंबर 2009 से 31 मई 2010
 💥      राष्ट्रपति शासन-           1   जून 2010 से 10 सितंबर 2010
   8       अर्जुन मुंडा -               11  सितंबर 2010 से 17 जनवरी 2013
 💥      राष्ट्रपति शासन -        18  जनवरी 2013 से 12 जुलाई 201 3
   9        हेमंत सोरेन  -            13  जुलाई 2013 से 28 दिसंबर 2014 
  10       रघुवर दास -              28  दिसंबर 2014 से 23 दिसंबर 2019
  11       हेमंत सोरेन -              29  दिसंबर 2019 से अब तक
महत्वपूर्ण तथ्य :-
💨 राष्ट्रपति शासन-3 बार । 
💨शिबू सोरेन तीन बार मुख्यमंत्री बने थे। 
💨 अर्जुन मुंडा तीन बार मुख्यमंत्री बने थे। 
💨 मधु कोड़ा एक बार मुख्यमंत्री बने थे । 
💨 बाबूलाल मरांडी एक बार मुख्यमंत्री बने थे । 
💨 रघुवर दास  एक बार मुख्यमंत्री बने थे । 
💨 हेमंत सोरेन दो बार मुख्यमंत्री बने थे । 
💨शिबू सोरेन सबसे काम दिन (10 )के लिए मुख्यमंत्री बने थे। 
 






 
 
 

 
 
 
 
 
 
 
        
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