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Wednesday, April 21, 2021

Jharkhand Me Dharmik Andolan (झारखंड में धार्मिक आंदोलन)

Jharkhand Me Dharmik Andolan

झारखंड में धार्मिक आंदोलन

➤6ठी सदी ईस्वी पूर्व में बौद्ध तथा जैन धर्म आंदोलन हुए जिसका व्यापक असर झारखण्ड में भी 
पड़ा। 

धार्मिक आंदोलन को दो वर्गों में विभाजित किया गया है।  

जैन धर्म और बौद्ध धर्म 

 जैन धर्म 

जैन धर्म  का झारखंड पर गहरा प्रभाव पड़ा।  

जैनियों के  23वें तीर्थकर पाशर्वनाथ का निर्वाण 717  ई0 पू0 में गिरिडीह जिला के इसरी के निकट एक पहाड़ पर हुआ। जिसका नामकरण उन्ही के नाम पर पार्शवनाथ/पारसनाथ पड़ा।  

जैन ग्रंथो में भगवान महावीर के 'लोरे-ए-यदगा' की यात्रा का संदर्भ है जिस का मुंडारी में अर्थ 'आंसुओं की नदी' होता है

जैन घर्म के 24 तीर्थकरों में से 20 तीर्थकरों ने इसी पहाड़ी पर निर्वाण प्राप्त किया 

पारसनाथ पहाड़ी की ऊंचाई 1365 मीटर / 4478 फीट है 

यह गिरिडीह जिला में अवस्थित है

यह पहाड़ जैन धर्मवलबियों का प्रमुख तीर्थ स्थल है

इसे जैन धर्म का मक्का कहा जाता है

छोटा नागपुर का मानभूम (वर्तमान में धनबाद) यह जैन सभ्यता व संस्कृति का केंद्र था

दामोदर व कसाई नदियों की घाटी से जैन धर्म संबंधी अवशेष प्राप्त हुए हैं 

हनुमान्ड गॉव पलामू में स्थित है, यहां से जैनियों  के कुछ पूजा स्थल प्राप्त हुए हैं 

सिंहभूम  के बेनुसागर से सातवीं शताब्दी की जैन मूर्तियां प्राप्त हुई है

सिंहभूम के आरंभिक निवासी जैन धर्म को मानने वाले थे जिन्हें 'सरक' कहा जाता था यह गृहस्थ जैन मतावलंबी थे 

सरक ,श्रावक का बिगड़ा हुआ रूप है। हो जनजाति के लोगों ने इन्हें सिंहभूम  से बाहर निकाल दिया था

कोल्हुआ पहाड़ यह चतरा जिले में अवस्थित है

इसका संबंध बौद्ध और जैन धर्म दोनों से है

यहां पर जैन व बौद्ध धर्म की अनेकों मूर्तियों के अवशेषों विद्यमान है

इस पहाड़ पर 10वें तीर्थकर शीतनाथ को ज्ञान की प्राप्ति हुई थी

यहां पर 9 जैन तीर्थकारों की प्रतिमा है

इस पहाड़ के पत्थर पर एक पद्चिन्ह है जिसे जैन धर्म के अनुयायी पार्शवनाथ का  पद्चिन्ह  मानते हैं 

बौद्ध धर्म 

बौद्ध धर्म का झारखंड पर गहरा प्रभाव पड़ा

झारखण्ड के विभिन्न स्थलों से बौद्ध धर्म संबंधी अवशेष प्राप्त हुए हैं। 

मूर्तियाँ गॉव यह पलामू में अवस्थित है

यहां से एक सिंह शीर्ष मिला है जो सांची स्तूप के द्वार पर उत्कीर्ण सिंह शीर्ष से मेल खाता है

कुरुआ गांव यहां से बौद्ध स्तूप की प्राप्ति हुई है

सूर्यकुंड यह हजारीबाग जिले में अवस्थित है

यहां से बुद्ध  की प्रस्तर मूर्ति मिली है

बेलवादाग यह खूंटी जिला में स्थित है, यहां से बौद्ध विहार के अवशेष प्राप्त हुए हैं 

कटूंगा गांव यह गुमला जिले में स्थित है, यहां से बौद्ध की एक प्रतिमा मिली है

पटंबा गांव स्थित है यह जमशेदपुर में अवस्थित है ,यहां से बुद्ध की 2 प्रतिमाएं मिली है

दीयापुर और दालमी  यह धनबाद जिला में अवस्थित है,यहां से बौद्ध स्मारक प्राप्त हुए हैं।  

बुद्धपुर में बुद्धेश्वर मंदिर निर्मित है। यह बौद्ध स्थल दामोदर नदी के किनारे अवस्थित है। 

घोलमारा यहाँ से प्रस्तर की खंडित बुद्ध मूर्ति मिली है।  

ईचागढ़ यह सरायकेला-खरसावां जिला में स्थित है, यहाँ से तारा की मूर्ति मिली है, जो एक बौद्ध देवी है।इस मूर्ति को रांची संग्रहालय में रखा गया है 

सीतागढ़ पहाड़ यह हजारीबाग जिले में स्थित है, यहां से प्राप्त बौद्ध  विहार का उल्लेख फाह्यान  द्वारा किया गया है। यहां से भगवान बुद्ध की चार आकृतियों वाला एक स्तूप मिला है

बंगाल के पाल शासकों के शासन के दौरान झारखंड में बौद्ध धर्म की वज्रयान शाखा विकसित हुयी।

झारखंड में  'कुमार गुप्त' के प्रवेश के उपरांत बौद्ध धर्म का ह्रास प्रारंभ हो गया

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Tuesday, April 20, 2021

Jharkhand Ke Pramukh Vanya Prani Sanrakshan Sansthan (झारखंड के प्रमुख वन्य प्राणी संरक्षण संस्थान)


➽ वन्य प्राणियों के संरक्षण प्रदान करने तथा उनका विकास करने हेतु झारखण्ड में विभिन्न वन्य प्राणी क्षेत्रों की स्थापना की गयी है। 

➽ झारखण्ड में एक राष्ट्रीय उद्यान और 11 वन्य जीव अभ्यारण्य तथा कई जैविक उद्यान स्थित है। 

1) बेतला राष्ट्रीय उद्यान

➽ झारखंड का एकमात्र राष्ट्रीय उद्यान है

➽ इसकी स्थापना 1986 में की गई है

➽ यह लातेहार जिले में स्थित है, यह उद्यान 231 पॉइंट 67 वर्ग किलोमीटर में फैला हुआ है

➽ विश्व में सबसे पहले बाघ गणना का कार्य 1932 में यहीं से आरंभ हुआ था

➽ भारत सरकार ने 1973-74 से इस राष्ट्रीय उद्यान में बाघ परियोजना का संचालन कर रही है

यह झारखंड में स्थित एकमात्र टाइगर रिजर्व है 

➽ पिछली राष्ट्रीय बाघ गणना आंकड़ों के अनुसार इस क्षेत्र में 3 बाघ  स्थित है

➽ यहाँ मुख्य रूप से बाघ,शेर ,देन्दुआ ,जंगली सूअर , चीतल, सांभर,गौर ,चिंकारा, नीलगाय, भालू ,बंदर, मोर ,वनमुर्गी, घनेश इत्यादि वन्य प्राणी पाये जाते हैं

➽बेतला का पूरा नाम :- बायसन, एलिफैंट,टाइगर, लियोपार्ड, एक्सिस- एक्सिस (BETLA- Bison, Eliphant, Tiger, Leopard, Axis-Axis)

2) पलामू वन्य-जीव अभयारण्य 

➽ यह झारखंड में एकमात्र राष्ट्रीय स्तर का अभयारण्य है। 

➽ झारखंड के शेष सभी अभयारण्य राज्यस्तरीय है। 

➽ पलामू अभ्यारण्य राज्य का सबसे बड़ा अभ्यारण है

➽ इसका विस्तार 794 वर्ग किलोमीटर क्षेत्र में है। इसकी स्थापना 1976 में की गई थी तथा यहां हाथी, सांभर जैसे वन्य जीव पाए जाते हैं

3) दालमा अभयारण्य

➽ यह पूर्वी सिंहभूम जिले में स्थित है

➽ भारत सरकार 1992 से इस जिले में हाथी परियोजना की शुरुआत की है

 26 सितम्बर , 2001 सिंहभूम क्षेत्र में देश के प्रथम गज रिज़र्व (एलिफैंट रिज़र्व) की स्थापना की गयी थी 

➽ इसका विस्तार 13,440 वर्ग किलोमीटर क्षेत्र में पूर्वी सिंहभूम, पश्चिमी सिंहभूम, तथा सरायकेला-खरसावां जिले में है। 

➽ इसी में स्थित सारंडा का वन हाथियों के लिए प्रसिद्ध है। इस क्षेत्र में लौह-अयस्क के खनन के कारण इस अभ्यारण्य को क्षति हो रही है

4) महुआडांड़ अभयारण्य 

यह लातेहार जिले में स्थित है

 इस अभयारण्य में विलुप्तप्राय भेड़िया प्रजाति के संरक्षण का कार्य संचालित किया जा रहा है

➽ इसकी स्थापना 1976 में की गई थी 

5) उधवा झील  पक्षी विहार 

 यह साहिबगंज जिले में स्थित है 

यह प्रवासी पक्षियों के लिए प्रसिद्ध है

➽ यहां साइबेरिया सहित विश्व के कई प्रकार के पक्षी आते हैं

 इसकी स्थापना 1991 में की गई यहां के प्रमुख पक्षियों में जल कौवा,बातन, किंगफिशर प्रमुख  हैं

झारखंड में स्थापित 11 वन्य जीव अभ्यारण्य 

अभ्यारण्य                           जिला            क्षेत्रफल        स्थापना      वन्य जीव

1) ऊर्धवा झील पक्षी विहार - साहेबगंज   5. 65           1991     जल कौवा,बटान, किंगफिशर 

2) कोडरमा अभयारण्य-    कोडरमा        177.95        1985     तेंदुआ, सांभर, नीलगाय

3) पालकोट अभयारण्य-     गुमला           183.18        1990      तेंदुआ, जंगली भालू 

4) दलमा अभयारण्य -   पश्चिमी सिंहभूम  193.22       1976       हाथी, तेंदुआ, हिरण

5) महुआडांड़ अभयारण्य- लातेहार          63.25         1976      भेड़िया, हिरण

6) हजारीबाग अभयारण्य- हजारीबाग       186.25      1976      तेंदुआ, सांभर, 

7) पलामू अभ्यारण्य -         पलामू              794.33      1976      हाथी,  सांभर 

8) गौतम बुध अभ्यारण -   कोडरमा            259          1976      चीतल, सांभर, नीलगाय 

9) तोपचांची अभ्यारण -     धनबाद              8.75        1978       तेंदुआ, जंगली भालू, हिरण  

10) लावालौंग  अभयारण्य   चतरा               207         1978       बाघ, तेंदुआ, नीलगाय, हिरण 

11) पारसनाथ अभयारण्य -गिरिडीह           43.33      1981       तेंदुआ, नीलगाय, हिरण, सांभर 

प्रमुख पक्षी विहार 

झारखण्ड में निम्न प्रमुख पक्षी विहार है :- 

पक्षी विहार                      जिला

1) तिलैया पक्षी विहार     कोडरमा 

2) तेनुघाट पक्षी विहार    बोकारो 

3) चंद्रपुरा पक्षी विहार     बोकारो 

4) इचागढ़ पक्षी विहार     सरायकेला -खरसावाँ  

5) उधवा पक्षी विहार       साहिबगंज 

जैविक उद्यान

1) बिरसा जैविक उद्यान :- इसकी स्थापना 1994 में की गई यह रांची जिले के ओरमांझी में स्थित है

2) नेहरू जैविक उद्यान :- इसकी स्थापना 1980 में हुई यह  बोकारो जिले में स्थित है यह पर्यटन हेतु प्रसिद्ध है

3) मगर प्रजनन केंद्र :- इसकी की स्थापना 1987 में की गई यह आई.यू.सी.एन.(IUCN) कार्यक्रम के तहत रांची जिले के मुटा-रूक्का ग्राम में स्थित है 

4) बिरसा मृग विहार :- इसकी स्थापना 1987 में की गई यह  झारखंड के खूंटी जिले में कालीमाटी नामक स्थान पर स्थित है यहां सांभर व चीतल का संरक्षण किया जाता है

5) मछलीघर :- इसकी स्थापना 2018 में की गई। यह बिरसा जैविक उद्यान के सामने हैं

झाड़ पार्क 

 इसका संचालन झारखंड पार्क प्रबंधन एवं विकास प्राधिकरण (JPMDA) जे.पी.एम.डी.ए. के द्वारा किया जाता है

➽ इसके तहत झारखंड में 10 पार्कों को शामिल किया गया है, जिसमें 6 पार्क  रांची में स्थित है, जबकि एक-एक पार्क हजारीबाग, सिल्ली, जमशेदपुर एवं दुमका में स्थित है

➽ झारखंड के रांची जिले में अवस्थित पार्क निम्न हैं 

1) बिरसा मुंडा जैविक उद्यान रांची 

2) नक्षत्र वन, रांची 

3) ऑक्सीजन पार्क, रांची

4) निर्मल महतो पार्क, हजारीबाग

5) घोड़ा बंधा थीम पार्क, जमशेदपुर

6) दीनदयाल पार्क, रांची 

7) सिद्धू कान्हू पार्क, रांची

8) श्री कृष्ण पार्क, रांची 

9)अंबेडकर पार्क, सिल्ली 

10) सिद्धू कान्हू पार्क, दुमका 

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Monday, April 19, 2021

Jharkhand Vastra Paridhan Aur Futviyar Niti-2016 (झारखंड वस्त्र, परिधान और फुटवियर नीति- 2016)

(Jharkhand Vastra Paridhan Aur FutviyarNiti-2016)



➤झारखंड में उद्योग एवं प्रोत्साहन नीति-2016 में टेक्सटाइल क्षेत्र को झारखंड में एक विशेष क्षेत्र के रूप में चिन्हित किया गया है 

रेशम क्षेत्र में झारखंड में महत्वपूर्ण वृद्धि दर्ज की है तथा झारखंड देश में सर्वाधिक तसर रेशम उत्पादित  करने वाला राज्य है 

यहाँ देश के कुल तसर रेशम का लगभग 40% उत्पादित किया जाता है 

झारखंड राज्य में उत्पादित तसर रेशम अपने गुणवत्ता के कारण वैश्विक स्तर पर जाना जाता है तथा अमेरिका, ब्रिटेन, जर्मनी, फ्रांस जैसे विकसित देशों में इसकी बहुतायत में मांग है 

राज्य में रेशम के डिजाइन, प्रशिक्षण, उधमिता, विपणन व उत्पादन  को बढ़ावा देने के उद्देश्य से राज्य सरकार द्वारा झारखंड सिल्क टेक्सटाइल एवं हैंडीक्राफ्ट विकास प्राधिकरण(झारक्राफ्ट ) का गठन वर्ष 2006 में किया गया था

इसके माध्यम से राज्य में लगभग दो लाख रेशम कीट पालकों, सूत कातने वाले लोगों, बुनकरों  एवं शिल्पकारों को रोजगार हेतु सहायता प्रदान किया जा रहा है

झारक्राफ्ट  द्वारा राज्य एवं देश के विभिन्न शहरों में 18 आउटलेट का संचालन भी किया जा रहा है।इसमें  कोलकाता, बेंगलुरु, अहमदाबाद, रांची, दिल्ली, एवं मुंबई  प्रमुख है 

झारखंड रेशम उत्पादन के साथ-साथ सूती धागों व हैंडलूम वस्तुओं के उत्पादन में भी देश का अग्रणी राज्य है। इस परिप्रेक्ष्य में राज्य में कपास ऊन बुनाई, हैंडलूम कपड़ों की बुनाई, ऊन और रेशमी धागा आदि को भी प्रोत्साहित करने हेतु गंभीर प्रयास किया जा रहा है

इस प्रकार की वस्तुओं के निर्माण की दृष्टि से रांची, लातेहार, पलामू, रामगढ़, धनबाद, बोकारो, गोड्डा  , पाकुड़ साहिबगंज और खूंटी प्रमुख जिले हैं 

राज्य में सरकार ने राजनगर  (सरायकेला-खरसावां )और इरबा (रांची) सिल्क पार्क तथा देवघर में मेगा टैक्सटाइल पार्क की स्थापना की है  साथ ही देवघर, दुमका, साहिबगंज, पाकुड़ और जामताड़ा  जिले को भी भारत सरकार की ओर से मेगा हैंडलूम कलस्टर योजना में शामिल किया गया है  

झारखंड सरकार की वस्त्र, परिधान और फुटवियर नीति, 2016 के उद्देश्य निम्नवत है

1) समग्र टेक्सटाइ क्षेत्र में उच्च एवं सतत वृद्धि दर प्राप्त करना

2) टेक्सटाइल क्षेत्र की मूल्य श्रृंखला को मजबूती प्रदान करना

3) सहकारी क्षेत्र की कताई मिलों को बेहतरी हेतु प्रोत्साहित करना

4) विद्युतकरधा क्षेत्र के आधुनिकीकरण द्वारा उन्हें मजबूती प्रदान करना ताकि वे उत्तम कोटि के वस्त्रों का निर्माण कर सकें

5) टेक्सटाइल उत्पादन क्षेत्र में सूचना प्रौद्योगिकी का सदुपयोग करके उसकी गुणवत्ता, डिजाइन एवं विपणन को बढ़ावा देना

6) आयात को प्रतिस्थापित करना 

7) टेक्सटाइल उद्योगों के विनियमन संबंधी नियमों का उदारीकरण करना, ताकि इस क्षेत्र को अधिकाधिक प्रतिस्पर्धात्मक बनाया जा सके

8) इस क्षेत्र में कुशल कामगारों का निर्माण करना तथा इस नीति के तहत 5,00,000 रोजगार सृजन करना


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Sunday, April 18, 2021

Jharkhand Automobile Ewam Auto Components Niti-2015 (झारखंड ऑटोमोबाइल एवं ऑटो कंपोनेंट नीति-2015)

Jharkhand Automobile Ewam Auto Components Niti-2015



➤भारत विश्व में दोपहिया वाहनों का दूसरा सबसे बड़ा विनिर्माण करने वाला देश है तथा झारखंड राज्य ऑटोमोबाइल एवं ऑटो कंपोनेंट के विनिर्माण की दृष्टि से देश का अग्रणी राज्य है।  

देश के अन्य शहरों के साथ-साथ झारखंड राज्य में जमशेदपुर- आदित्यपुर शहर ऑटो क्लस्टर के रूप में विकसित हुआ है। 

राज्य में ऑटो विनिर्माण की वृहद् संभावनाओं की दृष्टि से वर्ष 2015 में झारखंड ऑटोमोबाइल एवं ऑटो- कंपोनेंट नीति का निर्माण किया गया है।  

इस नीति के प्रमुख उद्देश्य निम्नलिखित हैं

झारखंड राज्य को पूर्वी भारत में ऑटोमोबाइल एवं ऑटो कंपोनेंट के विनिर्माण के प्रमुख केंद्र के रूप में विकसित करना। 

इस क्षेत्र में वर्ष 2020 तक अतिरिक्त 50,000 रोजगार अवसरों का सृजन करना।  

राज्य में मेगा ऑटो परियोजनाओं को आकर्षित करना, नये ऑटो क्लस्टर की व्यवस्था स्थापना करना तथा वर्तमान ऑटो क्लस्टर को मजबूत करना। 

राज्य में टीयर-1 , टीयर-2, एवं  टीयर-3 ऑटो कंपोनेंट की स्थापना हेतु विनिर्माताओं को प्रोत्साहित करना। 

वर्तमान में स्थापित और अवसंरचनाओं की खामियों की पहचान करना जो ऑटोमोबाइल एवं ऑटो- कंपोनेंट उद्योगों को प्रभावित करते हैं तथा इन कमियों को दूर करना 

राज्य में सार्वजनिक-निजी भागीदारी पर आधारित कुशलता विकास को प्रोत्साहित करना


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Saturday, April 17, 2021

Jharkhand Kifayati Awash Niti-2016 (झारखंड किफायती आवासीय नीति - 2016)

Jharkhand Kifayati Awash Niti-2016


झारखंड किफायती आवासीय नीति - 2016


केंद्र सरकार की नीति (हाउसिंग फॉर ऑल) "Housing For All" के तहत इसकी शुरुआत 2016 में की गई 

इसका संचालन नगर विकास विभाग, झारखंड सरकार करता है

इस नीति के तहत शहर वासियों को ₹1200/-  प्रति Feet2  की दर से आवास मुहैया कराया जाएगा

इस योजना के तहत तीन लाख प्रति वार्षिक आय वाले अति  कमजोर वर्ग (Economic Weaker Section-EWS) को 300 Feet2 का तथा 3,00,000 से ₹6,00,000 रूपये वाले निम्न आय वर्ग (Low Income Group- LIG)  को 600  Feet2 आवास मुहैया कराया जाएगा 

प्राइवेट डेवलपर्स तथा PPP मोड पर विकसित की जाने वाली कॉलोनियों में भी EWS तथा LIG के लिए आवास आरक्षित होंगे

 प्राइवेट डेवलपर्स 4000 वर्ग मीटर की कॉलोनी में न्यूनतम 10% तथा 3000 वर्ग मीटर की कॉलोनी में न्यूनतम 15% आवास  अति कमजोर वर्ग के लिए आरक्षित रखेंगे

 ➤PPP (पीपीपी) मोड पर विकसित होने वाले कॉलोनियों को सरकार जमीन उपलब्ध कराएगी, परंतु उन्हें कुल भूमि के 65% हिस्से पर ही कॉलोनी का निर्माण करना होगा तथा निर्मित कॉलोनी में 50% हिस्सा EWS  वर्ग के लिए आरक्षित रहेगा, शेष 35% जमीन पर बिल्डर व्यवसायिक कॉम्प्लेक्स बना सकते हैं 

इस नीति के तहत 100 सदस्यों वाली को-ऑपरेटिव सोसाइटी अपने सदस्यों के लिए आवासीय कॉलोनी बना सकती है। 

सरकार इसके लिए अनुदानित मूल्य पर जमीन एवं दूसरी सुविधाएं प्रदान करेंगी।  

आवास खरीदने के लिए  EWS तथा LIG वर्ग को 6.5% ब्याज की दर पर 15 वर्ष  के अवधि के लिए ₹6,00,000 रूपये तक क़र्ज़ देने का प्रावधान भी है

निजी भागीदारी से होने वाले स्लम क्षेत्र के पुनर्वास में केंद्र ₹1,00,000  रूपये तक प्रति केंद्र की मदद देगा

व्यक्तिगत आवास के निर्माण के मामले में अनुदान मद में प्रति लाभुक केंद्र की ओर से डेढ़ लाख रुपये  तथा राज्य मद  से ₹75000 रूपये अनुदान दी जाएगी। 

लाभुकों के बीच आवासों का वितरण लाटरी के माध्यम से किया जाएगा

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Friday, April 16, 2021

Jharkhand Electronic Ewam Vinirman Niti-2016 (झारखंड इलेक्ट्रॉनिक एवं विनिर्माण नीति-2016)

Jharkhand Electronic Ewam Vinirman Niti -2016




➤झारखंड सरकार ने इस नीति की घोषणा 2016 में की
 

वर्तमान समय में यह क्षेत्र विश्व का सबसे तेजी से उभरता हुआ उद्योग है

वर्ष 2020 तक भारत सरकार ने इलेक्ट्रॉनिक सामानों का निर्यात 80 बिलियन करने का लक्ष्य रखा है इसी को ध्यान में रखते हुए झारखंड सरकार ने इस नीति की घोषणा की है 

नीति का उद्देश्य 

(I) राष्ट्रीय एवं अंतर्राष्ट्रीय मांग तथा आपूर्ति को ध्यान में रखते हुए इस उद्योग को प्रतिस्पर्धी बनाना 

(II) अगले 10 वर्षों में न्यूनतम 50 ESDM इकाइयों का निर्माण करना 

(III) इस उद्योग की विनिर्माण हेतु कच्चे माल एवं उपकरण की आपूर्ति के लिए श्रृंखला का निर्माण करना

(IV) भारत सरकार के लक्ष्य 2020 तक 80 बिलियन निर्यात में झारखंड की भागीदारी कम से कम 2 मिलियन सुनिश्चित करना 

(V) बौद्धिक संपदा अधिकार एवं पैटर्न अधिकार के व्यापार एवं सुरक्षा को प्रोत्साहित करना 

(VI) इस उद्योग के लिए आवश्यक मानव संसाधन को प्रशिक्षित करना 

(VII) ग्रामीण क्षेत्र की आवश्यकताओं के लिए उपयुक्त सामग्री का निर्माण करना

इस नीति को सफलतापूर्वक क्रियान्वित  करने हेतु सरकार ने निम्न  घोषणाएं की है :- 

1) राज्य सरकार रांची, जमशेदपुर और धनबाद में न्यूनतम 200 एकड़ भूमि पर तीन नए ESD नवाचार हब  बनाएगा 

2) जो कंपनियां स्थानीय कच्चा माल का प्रयोग करेगी ,उन्हें कई प्रकार के वित्तीय अनुदान दिए जाएंगे। निवेशकों को सरकार जरूरत के अनुसार भूमि उपलब्ध कराएगी 

3) सरकार सड़क, बिजली, पानी जैसी आधारभूत सुविधाएं विकसित करेंगी

सरकार द्वारा दिए जाने वाले अनुदान निम्नलिखित होंगे :- 

1) प्रत्येक इकाई की स्थापना पर कुल पूंजी लागत का अधिकतम 20% अनुदान दिया जाएगा

2) सभी ESDM इकाइयों को आयकर छूट 5 वर्ष तक दी गई है

3) ESDM इकाइयों को स्टाम्प कर, स्थांतरण कर एवं पंजीकरण कर में छूट दी जाएगी

4) आई.टी. इकाई  उद्योग विभाग के अंतर्गत पंजीकृत हो तो कच्चे माल की ढुलाई पर नहीं लिया जाएगा

5) रांची, जमशेदपुर तथा धनबाद के ESDM इकाई अगर विदेशों से कच्चा माल मंगाती है, तो वाणिज्य कर पर 50% सब्सिडी दी जाएगी

6) आई.टी. सेक्टर में निवेश प्रक्रिया तेज करने के लिए भी सिंगल विंडो सिस्टम डिवेलप किया गया है

सोलर पावर प्लांट को डिम्ड (Dind) इंडस्ट्री का दर्जा दिया गया है तथा इन इकाइयों को आरंभिक 10 वर्ष तक विद्युत कर से मुक्त रखा गया है

यदि आवासीय  उपभोक्ता और रूफटॉप सोलर तकनीक का प्रयोग करता है तो उन्हें वाणिज्यक कर से छूट प्रदान की जाएगी

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Thursday, April 15, 2021

Jharkhand Ki Pramukh Yojnaye Part-6 (झारखण्ड की प्रमुख योजनाएं)

Jharkhand Ki Pramukh Yojnaye Part-6

(झारखण्ड की प्रमुख योजनाएं)


मुखबिर योजना

➤इस योजना का उद्देश्य बाल विवाह के कुप्रथा को समाप्त करना है 

बाल गरीब समृद्धि योजना

इस योजना का उद्देश्य भूख बीमारी और उत्पीड़न से बच्चों को मुक्ति प्रदान करना है

इस योजना के तहत बाल सुधार गृह में बच्चों को कुशलता प्रशिक्षण प्रदान किया जा रहा है

मुख्यमंत्री स्वच्छ विद्यालय पुरस्कार योजना (2019)

इस योजना का आरंभ 2019 में किया गया 

इसका प्रमुख उद्देश्य विद्यालय में स्वच्छता अभियान को बढ़ावा देना है

बच्चों को स्वच्छता के प्रति जागरूक करना है 

इस योजना के तहत पुरस्कार हेतु विभिन्न श्रेणियों का निर्धारण किया गया है

कक्षा 1 से 5       ₹50,000                                               ₹1,00,000 

कक्षा  से 8      ₹75,000                                                ₹1,50,000 
कक्षा 6 से 8 

कक्षा 1 से 10 
कक्षा 1 से 12 
कक्षा 6 से 12 एवं 
कक्षा 9 से 12         ₹1,00,000                                             ₹2,00,000 

इस योजना के तहत विशेष विद्यालय, आवासीय विद्यालय एवं निजी विद्यालयों को भी ₹2,00,000 की पुरस्कार  राशि प्रदान की जाएगी

पशुओं के लिए यूआईडी नंबर योजना (2017)


मवेशियों के पहचान करने के उद्देश्य से इसकी शुरुआत 2017 में की गई 

इस योजना के तहत राज्य की गायों को 12 नंबर को यूनिक कोड दिया जाएगा, यह कोड गाय के कान के पीछे लगाया जाएगा, इस कोड के जरिए गाय की ऊंचाई, रंग, पूंछ, रंग उम्र, सींग की विस्तृत जानकारी प्रदान की जाएगी

श्रमिक पेंशन योजना (2017) 

इस योजना का आरंभ 2017 में किया गया

इस योजना के तहत राज्य के श्रमिकों को प्रतिमाह ₹500 की राशि प्रदान की जाती थी , जिसे 1 मई 2017 (अंतर्राष्ट्रीय श्रम दिवस) से बढ़कर ₹750 कर दिया गया है

इस योजना के तहत परिवार पेंशन की राशि को भी 300 से बढ़कर ₹500 प्रतिमाह कर दिया गया है 


हर घर जल योजना 2017 

इसका आरंभ 15 जुलाई 2017 को किया गया 

इस योजना की कुल लागत 1050 करोड़ रूपये है 

इस योजना को 2020 तक पूरा करने का लक्ष्य निर्धारित किया गया है  

ऊर्जा मित्र योजना (2017)

इसका आरंभ 1 मार्च 2017 को किया गया

इस योजना का उद्देश्य बिजली उपभोक्ताओं को ऑनलाइन सुविधा प्रदान करना है

इस योजना के तहत आधुनिक तकनीकों से युक्त ऊर्जा मित्र बिजली उपभोक्ताओं के घर जाकर उन्हें ऑनलाइन बिजली बिल भुगतान करने की सुविधा प्रदान करेंगे

इस योजना के तहत बिजली बिल के भुगतान की जानकारी उपभोक्ताओं को एस. एम. एस. या ईमेल के माध्यम से प्राप्त हो जाएगी 


मुख्यमंत्री तीर्थ दर्शन योजना (2016) 

इस योजना का आरंभ 30 अगस्त, 2016 को किया गया है 

इस योजना के तहत 1000 निर्धन बुजुर्गों को सरकार तीर्थ दर्शन यात्रा पर ले जाएगी

योजना के लाभार्थी बी0 पी0 एल0 परिवार के 60 वर्ष या इससे अधिक उम्र वाले बुजुर्ग होंगे 

योजना के संचालन हेतु झारखंड सरकार ने भारतीय रेलवे उपक्रम आई0  आर0  सी0  टी0  सी0 (IRCTC) (इंडियन रेलवे कैटरिंग टूरिज्म कारपोरेशन) के साथ समझौता किया है


योजना बनाओ अभियान (2016) 

इसका आरंभ 2016 में किया गया है

इस योजना का उद्देश्य राज्य के संतुलित विकास में जन भागीदारी सुनिश्चित करना है

इस योजना के तहत राज्य के सभी मंत्रियों एवं आला अधिकारियों को ग्रामीण क्षेत्रों का भ्रमण कर राज्य सरकार द्वारा संचालित योजनाओं में ग्राम सभाओं से विमर्श कर आम जनता की भागीदारी सुनिश्चित करने की जिम्मेदारी दी गई है 

सरस्वती योजना (2014)

इसका आरंभ 2014 में किया गया है 

इस योजना का उद्देश्य विनिर्माण क्षेत्र के श्रमिकों को उनकी बच्चियों के विकास हेतु आर्थिक सहायता प्रदान करना है

इस योजना के तहत श्रमिक परिवार की बालिका के नाम से ₹5000 के साथ बैंक खाता खोला जाता है

योजना के तहत सरकार द्वारा अगले 5 वर्ष तक प्रत्येक खाते में ₹5000 की राशि जमा कराई जाती है
योजना के तहत जमा राशि का प्रयोग बालिका की शिक्षा या उसके  विवाह हेतु किया जाता है

वर्ष  2020-21

झारखंड सरकार की नई योजना एवं उप योजना

जयपाल सिंह पारदेशीय  छात्रवृत्ति योजना

झारखंड सरकार द्वारा 29 दिसंबर 2020 को यह योजना आरंभ किया गया 

इस योजना के तहत प्रतिभाशाली गरीब आदिवासी बच्चे सरकारी खर्च पर विदेशों में पढ़ने हेतु भेजे जाएंगे


फूलों-जानों आशीर्वाद योजना 

इसके तहत राज्य में हड़िया- दारू बेचने वाली 19,000 महिलाओं को विकास की मुख्य धारा से जोड़ने का प्रयास किए जाएंगे


आजीविका संवर्धन हुनर अभियान (आशा) 

इस योजना के तहत महिला समूहों  को प्रशिक्षित कर 18 लाख परिवारों को रोजगार से जोड़ने की पहल की जा रही है 

पलाश ब्रांड 

सखी मंडल की ग्रामीण महिलाओं द्वारा निर्मित उत्पादकों को बाजार उपलब्ध कराने के लिए इसकी शुरुआत की गई है

सोना सोंब्रम योजना 

इसके तहत राज्य के 5000 विद्यालयों को सी.बी.एस.आई. पाठ्यक्रम से जोड़ा जाएगा, ताकि शहरी और ग्रामीण शिक्षा के भेद को समाप्त किया जा सके


बिरसा हरित ग्राम योजना

इस योजना के अंतर्गत छोटे एवं सीमांत किसानों के  टाड़/बाड़ी जमीन को और उपयोगी बनाने के साथ ही आजीविका संवर्धन हेतु 30,000 ग्रामीण परिवारों की लगभग 27,000 एकड़ भूमि पर बागवानी का कार्य किया जा रहा है

नीलाम्बर-पीताम्बर  जल समृद्धि योजना 

इसके तहत राज्य में जल छाजन सिद्धांत को अपनाने हेतु ऊपरी टाड़ भूमि का Saturation  Mode में उपचार किया जा रहा है

वर्तमान वर्ष में कुल 11,898 योजनाओं को पूर्ण किया गया है तथा कुल 83,385 योजनाओं पर कार्य जारी है

पोटो हो खेल विकास योजना

इसके तहत इस वित्तीय वर्ष में लगभग 1224 योजनाओं पर कार्य किया जा रहा है इसकी शुरुआत कोरोना काल में राहत देने के लिए की गई है 

आलपिन योजना

झारखंड सरकार जमीन के हर प्लॉट को यूनिक आईडी नंबर प्रदान करने हेतु इस योजना की शुरुआत की गई है आलपिन को जमीन मालिक के आधार नंबर से लिंक किया जाएगा 

आत्मनिर्भर भारत अभियान 

भारत सरकार ने आत्मनिर्भर भारत अभियान के तहत देश के 116 जिलों में से झारखंड के तीन आकांक्षी जिले-हजारीबाग, गिरिडीह, गोड्डा  का भी चयन किया गया है 
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