झारखंड में जलवायु परिवर्तन
➧ जलवायु परिवर्तन का तात्पर्य हमारी जलवायु में एक निश्चित समय के पश्चात होने वाले परिवर्तन से है सामान्यत: इसके लिए 15 वर्ष की समय-सीमा का निर्धारण किया जाता है।
➧ वर्तमान समय में जलवायु परिवर्तन हमारे समक्ष एक गंभीर चुनौती के रूप में उभरा है, जिसने जैव मंडल के अस्तित्व पर एक प्रश्न चिन्ह खड़ा कर दिया है।
➧ जलवायु परिवर्तन के लिए कई प्रमुख कारण जिम्मेदार हैं।
➧ झारखंड में जलवायु परिवर्तन के कारण
➧ ग्रीन हाउस गैस
➧ पृथ्वी के चारों ओर ग्रीनहाउस गैस की एक परत बने हुए हैं, इस परत में मिथेन, नाइट्रस ऑक्साइड और कार्बन ऑक्साइड जैसे गैसे शामिल है।
➧ ग्रीन हाउस गैसों की यह परत पृथ्वी की सतह पर तापमान संतुलन को बनाए रखने में आवश्यक है और विशेषज्ञों के अनुसार यदि यह संतुलन पर नहीं होगी तो पृथ्वी पर तापमान काफी कम हो जाएगा।
➧ आधुनिक युग में जैसे-जैसे मानवीय गतिविधियां बढ़ रही है, वैसे-वैसे ग्रीन हाउस गैसों के उत्सर्जन में भी वृद्धि हो रही है और जिसके कारण वैश्विक तापमान में वृद्धि हो रही है।
➧ मुख्य ग्रीन हाउस गैसें
(1) कार्बन डाइऑक्साइड:-
➧ इसे सबसे महत्वपूर्ण GHG (Greenhouse gases) माना जाता है और यह प्राकृतिक व मानवीय दोनों ही कारणों से उत्सर्जित होते हैं। वैज्ञानिकों के अनुसार, कार्बन डाइऑक्साइड का सबसे अधिक उत्सर्जन ऊर्जा हेतु जीवाश्म ईंधन को जलाने से होता है। आंकड़े बताते हैं, कि औद्योगिक क्रांति के पश्चात वैश्विक स्तर पर कार्बन डाइऑक्साइड की मात्रा में 30% की बढ़ोतरी देखने को मिली है।
(2) मिथेन:
➧ जैव पदार्थों का अपघटन मिथेन का एक बड़ा स्रोत है। उल्लेखनीय है कि मिथेन (CH4) कार्बन डाइऑक्साइड से अधिक प्रभावी ग्रीन हाउस गैस है, परंतु वातावरण में इसकी मात्रा कार्बन डाइऑक्साइड की अपेक्षा कम है।
(3) क्लोरोफ्लोरोकार्बन
➧ इसका प्रयोग मुख्यत: रेफ्रिजरेटर और एयर कंडीशनर आदि में किया जाता है और ओजोन परत पर इसका काफी प्रतिकूल प्रभाव पड़ता है।
(4) भूमि के उपयोग में परिवर्तन
➧ वनों की कटाई वाणिज्यक या निजी प्रयोग हेतु वनों की कटाई भी जलवायु परिवर्तन का बड़ा कारक है। पेड़ न सिर्फ हमें फल और छाया देते हैं, बल्कि यह वातावरण से कार्बन डाइऑक्साइड जैसे महत्वपूर्ण ग्रीन हाउस गैस को अवशोषित भी करते हैं। वर्तमान समय में जिस तरह से वृक्षों की कटाई की जा रही है, वह काफी चिंतनीय है।
(5) शहरीकरण
➧ शहरीकरण और औद्योगीकरण के कारण लोगों के जीवन जीने के तौर-तरीकों में काफी परिवर्तन आया है।विश्वभर की सड़कों पर वाहनों की संख्या काफी अधिक हो गई है। जीवनशैली में परिवर्तन ने खतरनाक गैसों के उत्सर्जन में काफी अधिक योगदान दिया है।
➧ राज्य में जलवायु परिवर्तन के परिणाम एवं प्रभाव
(1) उच्च तापमान
➧ पावर प्लांट, ऑटोमोबाइल, वनों की कटाई और अन्य स्रोतों से होने वाला ग्रीन हाउस गैसों का उत्सर्जन पृथ्वी की अपेक्षाकृत काफी तेजी से गर्म कर रहा है।
➧ पिछले डेढ़ वर्षो में वैश्विक औसत तापमान लगातार बढ़ रहा है और वर्ष 2016 को सबसे गर्म वर्ष के रूप में रिकॉर्ड दर्ज किया है।
➧ गर्मी में संबंधित मौतों और बीमारियों, बढ़ते समुद्र स्तर, तूफान की तीव्रता में वृद्धि और जलवायु परिवर्तन के कई अन्य खतरनाक परिणामों में वृद्धि के लिए बढ़े हुए तापमान को भी एक कारण के रूप में माना जा सकता है।
(2) वर्षा के पैटर्न के बदलाव
➧ पिछले कुछ दशकों में बाढ़, सूखा और बारिश आदि की अनियमितता काफी बढ़ गई है। यह सभी जलवायु परिवर्तन के परिणाम स्वरुप हो ही हो रहा है। कुछ स्थानों पर बहुत ज्यादा वर्षा हो रही है, जबकि कुछ स्थानों पर पानी की कमी से सूखे की संभावना बन गई है।
(3) समुद्र जल के स्तर में वृद्धि
(4) वन्यजीव प्रजाति का नुकसान
➧ तापमान में वृद्धि और वनस्पति पैटर्न में बदलाव ने कुछ पक्षी प्रजातियों को विलुप्त होने के लिए मजबूर कर दिया है। विशेषज्ञों के अनुसार, पृथ्वी की एक चौथाई प्रजातियां वर्ष 2050 तक विलुप्त हो सकती हैं।
(5) रोगों का प्रसार और आर्थिक नुकसान
➧ जानकारों ने अनुमान लगाया है, कि भविष्य में जलवायु परिवर्तन के परिणाम स्वरुप मलेरिया और डेंगू जैसी बीमारियों और अधिक बढ़ेंगे तथा इन्हें नियंत्रित करना मुश्किल होगा।
(6) जंगलों में आग
➧ जलवायु परिवर्तन के कारण लंबे समय तक चलने वाले हीट वेव्स ने जंगलों में लगने वाली आग के लिए उपयुक्त गर्म और शुष्क परिस्थितियां पैदा की है। हाल के ऑस्ट्रेलियाई जंगलों में लगी आग में व्यापक वन्य प्राणी का नुकसान हुआ, जिसमें इसका एक बड़ा पक्ष जलवायु परिवर्तन ही है।
(7) खाद्य सुरक्षा पर प्रभाव
➧ जलवायु परिवर्तन से तटों के डूबने से कृषि भूमि का जल में डूबना प्रत्यक्ष रुप से खाद्य सुरक्षा पर प्रतिकूल प्रभाव डालेगा, वहीं दूसरी और खाद्यान्न उत्पादन में पोषकता की मात्रा में भी कमी आयेगी।
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