Saturday, October 31, 2020
झारखण्ड के प्रमुख लोक नाट्य(Jharkhand Ke Pramukh Lok Natya)
Tuesday, October 27, 2020
भूमिज विद्रोह 1832-33 (Bhumij Vidroh-1832-33)
भूमिज विद्रोह 1832-33 (Bhumij Vidroh-1833-33)
Monday, October 26, 2020
झारखण्ड का धरातलीय स्वरुप ( Jharkhand ka dharataliya swaroop)
Jharkhand Ka Dharataliya Swaroop
➤झारखंड के धरातलीय स्वरूप को मुख्य रूप से चार भागों में बांटा जाता है
1-पाट क्षेत्र
2-रांची पठार
3-हजारीबाग पठार
4 -निचली नदी घाटी एवं मैदानी क्षेत्र
Sunday, October 25, 2020
झारखंड ऊर्जा नीति 2011 (Jharkhand Urja Niti 2011)
झारखंड ऊर्जा नीति 2011(Jharkhand Urja Niti 2011)
➤राज्य के आर्थिक एवं संपूर्ण विकास के लिए ऊर्जा एक महत्वपूर्ण आवश्यकता है।
➤कृषि, औद्योगिक और व्यवसायिक क्षेत्रों में विकास के लिए उर्जा को सार्वभौमिक रूप से एक महत्वपूर्ण कारक के रूप में स्वीकार किया गया है।
➤बिना ऊर्जा के कोई भी बड़ा आर्थिक विकास संभव नहीं है।
➤वर्तमान समय में ऊर्जा की अपर्याप्त उपलब्धता राज्य के विकास पर प्रतिकूल प्रभाव डाल रहा है।
➤ऊर्जा की मांग प्रतिवर्ष बढ़ती जा रही है।
➤झारखंड में प्रति व्यक्ति ऊर्जा की औसत खपत 552 यूनिट है, जिसकी आपूर्ति डी0 वी0 सी0 ,जुस्को एंड सेल से होती है।
➤राष्ट्रीय औसत 720 यूनिट प्रति व्यक्ति से कम है।
➤झारखंड राज्य विद्युत बोर्ड और तेनुघाट विद्युत निगम लिमिटेड की स्थापित क्षमता 1390 MW जिसमे की 1260 MW ताप और 130 MW जल विद्युत् है।
➤झारखंड औद्यौगिक नीति का मुख्य उद्देश्य राज्य के विकास को गति प्रदान करना है, ताकि झारखंड अन्य राज्यों के समक्ष खड़ा हो सके।
➤यह झारखंड राज्य का सौभाग्य है कि यहां पर ताप आधारित ऊर्जा उत्पादन की संभावना काफी अधिक है।
➤प्रचुर मात्रा में कोल उपलब्ध होने के कारण झारखंड राज्य पावर हब बन सकता है।
➤जहां से दूसरे राज्य को भी विद्युत का निर्यात किया जा सकता है।
झारखंड ऊर्जा नीति का मुख्य उद्देश्य
➤झारखंड ऊर्जा नीति का मुख्य उद्देश्य उपभोक्ताओं की आवश्यकताओं की पूर्ति करना और विश्वसनीय गुणवत्तायुक्त, फिकायती शिकायती दर पर ऊर्जा की उपलब्धता को सुनिश्चित करना है।
➤झारखंड ऊर्जा नीति 2011 के निम्नलिखित प्रमुख उद्देश्य है।
➤सभी घरों में 2014 तक विद्युत की आपूर्ति को सुनिश्चित करना।
➤ऊर्जा की कमी को पूरा करना।
➤उपभोक्ता के हितों की रक्षा करना।
➤विश्वसनीय एवं गुणवत्तायुक्त ऊर्जा की आपूर्ति उचित दर पर करना।
➤प्रति व्यक्ति विद्युत की उपलब्धता को 2017 तक 1000 यूनिट से अधिक करना।
➤बिजली के ट्रांसमिशन और वितरण क्षमता को दुरुस्त करना, ताकि विद्युत की आपूर्ति, क्षमता, गुणवत्ता को बढ़ाया और घाटे को कम किया जा सके।
➤पर्यावरण के अनुकूल उत्पादन क्षमता को बढ़ाना।
➤वर्तमान विद्युत उत्पादक संयत्रों का नवीनीकरण करके उनके उत्पादक क्षमता को बढ़ाना।
➤राज्य के सभी गांव एवं घरों का शीघ्र विद्युतीकरण कर उर्जा की आपूर्ति को सुनिश्चित करना।
➤झारखंड स्टेट इलेक्ट्रिसिटी रेगुलेटरी कमिशन को और अधिक मजबूत करना और उसके प्रशासनिक व्यवस्था को पारदर्शी बनाना।
➤विद्युत् ऊर्जा का सक्षम तरीके से उपयोग एवं उसके संरक्षण को सुनिश्चित करना।
➤ऐसी संभावना है कि झारखंड ऊर्जा नीति 2011 राज्य के विद्युत समस्या को दूर करने में सक्षम साबित होगा।
Saturday, October 24, 2020
झारखंड में वन प्रबंधन(Jharkhand Me Van Prabandhan)
Jharkhand Me Van Prabandhan
➤झारखंड में वन प्रबंधन का सबसे पहले प्रयास 1882/85 में जे0.एफ.हेबिट द्वारा किया गया था।
➤इसी आलोक में तत्कालीन बंगाल सरकार ने 1909 में वनों की सुरक्षा के लिए एक समिति गठित की थी।
➤आजादी के पहले यहां पर 95% वन निजी थे। जिनका सरकारी करण हुआ।
➤राज्य में 33% या उससे ज्यादा वन क्षेत्र बनाने के लिए वन प्रबंधन की आवश्यकता है।
कार्य
➤राज्य में वनों के बेहतर प्रबंधन के उद्देश्य से 31 प्रदेशिक प्रमंडलों, 10 सामाजिक वानिकी प्रमंडलों एवं चार विश्व खाद्य कार्यक्रम प्रमंडलों का सृजन किया गया है, जिसके माध्यम से वनों एवं वन्य प्राणियों के प्रबंधन, संवर्धन एवं विकास का काम किया जाता है।
दायित्व
➤झारखंड राज्य में वनों के प्रबंधन का दायित्व प्रधान सचिव/ सचिव, वन, पर्यावरण एवं जलवायु परिवर्तन विभाग के अतिरिक्त भारतीय वन सेवा, राज्य वन सेवा संवर्ग पदाधिकारियों, वनों के क्षेत्र पदाधिकारियों, वन परिसर पदाधिकारियों और वन उप परिसर पदाधिकारियों का है।
➤वन विभाग में वनों के प्रबंधन, संवर्धन, संरक्षण और सुरक्षा तथा विकास योजनाओं के कार्यान्वयन हेतु प्रधान मुख्य वन संरक्षक का पद स्वीकृत है।
➤वनों के प्रबंधन एवं संरक्षण में व्यापक जनसभा सहभागिता सुनिश्चित करने के लक्ष्य से राज्य सरकार द्वारा संयुक्त वन प्रबंधन संकल्प 2001 में यथा तथा संशोधित प्रतिपादित किया गया है, जिसके आलोक में 10903 संयुक्त वन प्रबंधन समितियां गठित की गई है एवं वनों के विकास एवं संरक्षण हेतु योजनाओं के क्रियान्वयन करने के लिए राज्य के सभी प्रदेशिक वन प्रमंडल में 35 वन विकास अभिकरण का गठन एवं निबंधन कार्य पूरा किया गया है।
➤वन प्रबंधन के लिए कार्य किये जा रहे हैं
➤राज्य में 9,00,000 (लाख) हेक्टेयर से ज्यादा भूमि बंजर है।
➤इस भूमि पर वन रोपण का कार्य किया जा रहें है।
➤वन प्रबंधन प्रशिक्षण के लिए रांची में बिरसा कृषिविश्वविद्यालय से सम्बद्ध वानिकी कॉलेज में एक वानिकी संकाय स्थापित की गई है।
➤राज्य में कई स्थाई पौधशालाओं की स्थापना की गई है।
➤शहरी वानिकी के माध्यम से राज्य के नगरों में वृक्षारोपण किया जा रहा है।
➤सामाजिक वानिकी से ग्रामीण जनसंख्या की वनों पर निर्भरता कम कर उसकी आवश्यकता की पूर्ति कराने का काम भी किया जा रहा है।
➤वन समितियां गठित कर वन क्षेत्रों के प्रबंधन एवं संरक्षण कार्य किए जा रहे हैं।
➤निजी वन भूमि पर वृक्षारोपण के लिए मुख्यमंत्री जनवन योजना की शुरुआत की गई है।
➤बॉस वृक्ष रोपण पर विशेष बल दिया जा रहा है।
➤राज्य में 116 स्थाई नर्सरी को और अधिक उन्नत बनाया जा रहा है।
➤जंगली जानवरों के आक्रमण से किसी व्यक्ति की मृत्यु होने पर ढाई लाख रुपया दिया जाएगा।
➤ग्रामीणों के आय के साधन बढ़ाने हेतु सेल्फ हेल्प ग्रुप एवं ग्राम वन प्रबंधन समितियों के माध्यम से पलाश एवं कुसुम के पौधों पर लाह उत्पादन हेतु निशुल्क प्रशिक्षण, प्रयुक्त होने वाले मशीन एवं टूल्स तथा लाह कीट सुलभ कराया जा रहा है।
➤ई-गवर्नेंस के तहत विभागीय वेबसाइट तैयार की गई है ताकि सूचनाएं तुरंत उपलब्ध हो सके।
वेबसाइट का नाम फॉरेस्ट डॉट झारखंड डॉट गवर्नमेंट डॉट इन है।
➤जनसाधारण में प्रकृति के प्रति लगाव उत्पन्न करने, विशेषकर उन्हें वन्य प्राणियों एवं संरक्षित क्षेत्रों के संरक्षण के प्रति जागरूक करने के लिए संरक्षित क्षेत्रों तथा इनके बाहर उपयुक्त वन क्षेत्र में एनवायरमेंटल फ्रेंडली सस्टेनेबल तरीके से इको-टूरिज्म को प्रोत्साहित करने के लिए इको टूरिज्म नीति, 2015, अक्टूबर, 2015 में अधिसूचित की गई है।
➤अधिसूचित वन भूमि, गैर-वन भूमि पर मुख्य रूप से स्थल विशिष्ट वनरोपण योजनाएं,भूसंरक्षण योजना, जल्दी बढ़नेवाले पौधे की योजना, तसर वन रोपण, शीशम वनरोपण के लिए वित्तीय वर्ष 15-16 में 6900 लाख का बजट उपबंध स्वीकृत है।
➤पथ -तट रोपण सह वानिकी योजना के अंतर्गत आम नागरिकों को स्वच्छ ,स्वास्थ्य कारक एवं आराम देह वातावरण उपलब्ध कराने के उद्देश्य से सड़कों के किनारे, सरकारी परिसरों तथा स्कूलों, कॉलेजों, सरकारी कार्यालयों, पहाड़ियों इत्यादि पर उपयुक्त छायादार/ फलदार/ फूलदार /इमारती कास्ट/अन्य सौंदर्य कारक प्रजातियों का वृक्ष रोपण किया जा रहा है।
➤स्थाई पौधशाला एवं सीड् आर्चड्स योजनान्तर्गत मुख्य रूप से बॉस गोबियन वृक्षरोपण हेतु औसतन 5 से 8 फीट लंबे पौधे तैयार किए जा रहे हैं।
➤वन प्रबंधन में संयुक्त वन प्रबंधन की नीति एक सफल और उपयोगी नीति है ,जो वनों के प्रति आम नागरिकों में उनके कर्तव्यों के प्रति जागरूकता उत्पन्न करती हैं।
➤झारखंड में वन संवर्धन और प्रबंधन की विधिवत शिक्षा के लिए रांची में बिरसा कृषि विश्वविद्यालय से संबद्ध वानिकी कॉलेजों में वानिकी संकाय स्थापित है।
➤झारखंड में प्राकृतिक संसाधनों को बेहतर प्रबंधन के लिए वन अभिलेखों एवं वन सीमाओं का डिजिटलाइजेशन एवं जियोरेफरेंसिंग करने की योजना है।
Friday, October 23, 2020
झारखंड में वन नीति(Jharkhand Me Van Niti)
झारखंड में वन नीति
(Jharkhand Me Van Niti)
Thursday, October 22, 2020
जनजातीय सुरक्षा एवं विकास संबंधित संवैधानिक प्रावधान (Janjatiye Suraksha Aur Vikas Sambandhit Sanvaidhanik Pravadhan)
जनजातीय सुरक्षा और विकास संबंधित संवैधानिक प्रावधान
(Constitutional Provisions Related To Tribal Security And Development)
➤जनजातीय सुरक्षा संबंधी प्रावधान
➤अनुच्छेद 15(4) :- सामाजिक आर्थिक एवं शैक्षणिक हितों का विकास।
➤अनुच्छेद 16(4) :- पदों वह सेवाओं में आरक्षण।
➤अनुच्छेद 19(5) :-संपत्ति में जनजातियों के हितों की सुरक्षा।
➤अनुच्छेद 23 :- मानव के दुर्व्यवहार और बाल श्रम का प्रतिषेध ।
➤अनुच्छेद 29 :- अल्पसंख्यक वर्गों के हितों का संरक्षण।
➤अनुच्छेद 46 :- अनुसूचित जातियों, अनुसूचित जनजातियों एवं अन्य कमजोर वर्गों के शिक्षा और अर्थ संबंधी हितों की अभिवृद्धि।
➤अनुच्छेद 164(1) :- कुछ राज्यों में (जिसमें झारखंड भी शामिल है) जनजातियों के कल्याण के लिए एक मंत्री भी नियुक्त।
➤अनुच्छेद 330 :- लोकसभा में अनुसूचित जातियों एवं अनुसूचित जनजातियों के लिए स्थानों को सुरक्षित रखा गया है।
➤अनुच्छेद 332 :- राज्य की विधान सभाओ में अनुसूचित जातियों एवं अनुसूचित जनजातियों के लिए स्थानों का रिज़र्व।
➤अनुच्छेद 334 :- स्थानों के आरक्षण एवं विशेष प्रतिनिधित्व का (60) वर्ष के पश्चात न रहना।
➤अनुच्छेद 335 :- सेवाओं एवं पदों के लिए अनुसूचित जातियों एवं अनुसूचित जनजातियों के दावे।
➤अनुच्छेद 338 :- अनुसूचित जाति एवं अनुसूचित जनजातियों के लिए राष्ट्रीय आयोग।
➤अनुच्छेद 339(1) :- राज्यों के अनुसूचित क्षेत्रों के प्रशासन एवं अनुसूचित जनजातियों के कल्याण के संबंध में रिपोर्ट देने के लिए राष्ट्रपति द्वारा आयोग की नियुक्ति।
➤पांचवी अनुसूची :- अनुसूचित क्षेत्रों में एवं अनुसूचित जनजातियों के प्रशासन एवं नियंत्रण के बारे में उपबंध।
➤जनजातीय विकास कल्याण संबंधी प्रावधान
➤अनुसूचित जनजातियों के विकास (कल्याण) से संबंधित प्रावधान संविधान के अनुच्छेद 275 एक एवं 340 दो में दिए गए हैं।
➤अनुच्छेद 275(1) :- कुछ राज्यों को संघ से अनुदान।
➤अनुच्छेद 339(2) :- दो केंद्रीय कार्यपालिका द्वारा राज्यों को अनुसूचित जनजाति के विकास के लिए उपयुक्त कार्यक्रमों को लागू करने का निर्देश।