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Sunday, October 25, 2020

झारखंड ऊर्जा नीति 2011 (Jharkhand Urja Niti 2011)

झारखंड ऊर्जा नीति 2011(Jharkhand Urja Niti 2011)

➤राज्य के आर्थिक एवं संपूर्ण विकास के लिए ऊर्जा एक महत्वपूर्ण आवश्यकता है

कृषि, औद्योगिक और व्यवसायिक क्षेत्रों में विकास के लिए उर्जा को सार्वभौमिक रूप से एक महत्वपूर्ण कारक के रूप में स्वीकार किया गया है

बिना ऊर्जा के कोई भी बड़ा आर्थिक विकास संभव नहीं है

वर्तमान समय में ऊर्जा की अपर्याप्त उपलब्धता राज्य के विकास पर प्रतिकूल प्रभाव डाल रहा है

ऊर्जा की मांग प्रतिवर्ष बढ़ती जा रही है

झारखंड में प्रति व्यक्ति ऊर्जा की औसत खपत 552 यूनिट है, जिसकी आपूर्ति डी0 वी0 सी0 ,जुस्को एंड सेल से होती है

राष्ट्रीय औसत 720 यूनिट प्रति व्यक्ति से कम है

झारखंड राज्य विद्युत बोर्ड  और तेनुघाट विद्युत निगम लिमिटेड की स्थापित क्षमता 1390 MW जिसमे की 1260 MW ताप और 130 MW जल विद्युत् है 

झारखंड औद्यौगिक नीति का मुख्य उद्देश्य राज्य के विकास को  गति प्रदान करना है, ताकि झारखंड अन्य राज्यों के समक्ष खड़ा हो सके

➤यह झारखंड राज्य का सौभाग्य है कि यहां पर ताप आधारित ऊर्जा उत्पादन की संभावना काफी अधिक है 

प्रचुर मात्रा में कोल उपलब्ध होने के कारण झारखंड राज्य पावर हब बन सकता है

जहां से दूसरे राज्य को भी विद्युत का निर्यात किया जा सकता है

झारखंड ऊर्जा नीति का मुख्य उद्देश्य

झारखंड ऊर्जा नीति का मुख्य उद्देश्य उपभोक्ताओं की आवश्यकताओं की पूर्ति करना और विश्वसनीय गुणवत्तायुक्त, फिकायती शिकायती दर पर ऊर्जा की उपलब्धता को सुनिश्चित करना है

झारखंड ऊर्जा नीति 2011 के निम्नलिखित प्रमुख उद्देश्य है 

सभी घरों में 2014 तक विद्युत की आपूर्ति को सुनिश्चित करना 

ऊर्जा की कमी को पूरा करना 

उपभोक्ता के हितों की रक्षा करना

विश्वसनीय एवं गुणवत्तायुक्त ऊर्जा की आपूर्ति उचित दर पर करना 

प्रति व्यक्ति विद्युत की उपलब्धता को 2017 तक 1000  यूनिट से अधिक करना 

बिजली के ट्रांसमिशन और वितरण क्षमता को दुरुस्त करना, ताकि विद्युत की आपूर्ति, क्षमता, गुणवत्ता को बढ़ाया और घाटे को कम किया जा सके 

पर्यावरण के अनुकूल उत्पादन क्षमता को बढ़ाना  

वर्तमान विद्युत उत्पादक संयत्रों का नवीनीकरण करके उनके  उत्पादक क्षमता को बढ़ाना 

राज्य के सभी गांव एवं घरों का शीघ्र विद्युतीकरण कर उर्जा की आपूर्ति को सुनिश्चित करना 

झारखंड स्टेट इलेक्ट्रिसिटी रेगुलेटरी कमिशन को और अधिक मजबूत करना और उसके प्रशासनिक व्यवस्था को पारदर्शी बनाना  

➤विद्युत् ऊर्जा का  सक्षम तरीके से उपयोग एवं उसके संरक्षण को सुनिश्चित करना  

ऐसी संभावना है कि झारखंड ऊर्जा नीति 2011 राज्य के विद्युत समस्या को दूर करने में सक्षम साबित होगा 

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Saturday, October 24, 2020

झारखंड में वन प्रबंधन(Jharkhand Me Van Prabandhan)

Jharkhand Me Van Prabandhan

झारखंड में वन प्रबंधन

झारखंड में वन प्रबंधन का सबसे पहले प्रयास 1882/85 में जे0.एफ.हेबिट  द्वारा किया गया था 

इसी आलोक में तत्कालीन बंगाल सरकार ने 1909 में वनों की सुरक्षा के लिए एक समिति गठित की थी 

आजादी के पहले यहां पर 95% वन निजी थे जिनका सरकारी करण हुआ 

राज्य में 33% या उससे ज्यादा वन क्षेत्र बनाने के लिए वन प्रबंधन की आवश्यकता है

कार्य

राज्य में वनों के बेहतर प्रबंधन के उद्देश्य से 31 प्रदेशिक प्रमंडलों, 10 सामाजिक वानिकी प्रमंडलों एवं चार विश्व खाद्य कार्यक्रम प्रमंडलों का सृजन किया गया है, जिसके माध्यम से वनों एवं वन्य प्राणियों के प्रबंधन, संवर्धन एवं विकास का काम किया जाता है

दायित्व

झारखंड राज्य में वनों के प्रबंधन का दायित्व प्रधान सचिव/ सचिव, वन, पर्यावरण एवं जलवायु परिवर्तन विभाग के अतिरिक्त भारतीय वन सेवा, राज्य वन सेवा संवर्ग पदाधिकारियों, वनों के क्षेत्र पदाधिकारियों, वन परिसर पदाधिकारियों और वन उप परिसर पदाधिकारियों का है

वन विभाग में वनों के प्रबंधन, संवर्धन, संरक्षण और सुरक्षा तथा विकास योजनाओं के कार्यान्वयन हेतु प्रधान मुख्य वन संरक्षक का पद स्वीकृत है

वनों के प्रबंधन एवं संरक्षण में व्यापक जनसभा सहभागिता सुनिश्चित करने के लक्ष्य से राज्य सरकार द्वारा संयुक्त वन प्रबंधन संकल्प 2001 में यथा तथा संशोधित प्रतिपादित किया गया है, जिसके आलोक में 10903 संयुक्त वन प्रबंधन समितियां गठित की गई है एवं वनों के विकास एवं संरक्षण हेतु योजनाओं के क्रियान्वयन करने के लिए राज्य के सभी प्रदेशिक वन प्रमंडल में 35 वन विकास अभिकरण का गठन एवं निबंधन कार्य पूरा किया गया है

वन प्रबंधन के लिए कार्य किये जा रहे हैं 

राज्य में 9,00,000 (लाख) हेक्टेयर से ज्यादा भूमि बंजर है 

इस भूमि पर वन रोपण का कार्य किया जा रहें है

वन  प्रबंधन प्रशिक्षण के लिए रांची में बिरसा कृषिविश्वविद्यालय से सम्बद्ध वानिकी कॉलेज में एक वानिकी संकाय स्थापित की गई है

दसवीं पंचवर्षीय योजना के अंतर्गत झारखंड के 3424 वर्ग किलोमीटर क्षेत्र में वन रोपण का लक्ष्य रखा गया है

राज्य में कई  स्थाई  पौधशालाओं की स्थापना की गई है

शहरी वानिकी के माध्यम से राज्य के नगरों में वृक्षारोपण किया जा रहा है

सामाजिक वानिकी से ग्रामीण जनसंख्या की वनों पर निर्भरता कम कर उसकी आवश्यकता की पूर्ति कराने का काम भी किया जा रहा है

वन समितियां गठित कर वन क्षेत्रों के प्रबंधन एवं संरक्षण कार्य किए जा रहे हैं 

निजी वन भूमि पर वृक्षारोपण के लिए मुख्यमंत्री जनवन योजना की शुरुआत की गई है 

बॉस  वृक्ष रोपण पर विशेष बल दिया जा रहा है 

राज्य में 116 स्थाई नर्सरी को और अधिक उन्नत बनाया जा रहा है 

जंगली जानवरों के आक्रमण से किसी व्यक्ति की मृत्यु होने पर ढाई लाख रुपया दिया जाएगा 

ग्रामीणों के आय के साधन बढ़ाने हेतु सेल्फ हेल्प ग्रुप एवं ग्राम वन प्रबंधन समितियों  के माध्यम से पलाश एवं कुसुम के पौधों पर लाह  उत्पादन हेतु निशुल्क प्रशिक्षण, प्रयुक्त होने वाले मशीन एवं टूल्स तथा लाह कीट सुलभ कराया जा रहा है

ई-गवर्नेंस के तहत विभागीय वेबसाइट तैयार की गई है ताकि सूचनाएं तुरंत उपलब्ध हो सके 

वेबसाइट का नाम फॉरेस्ट डॉट झारखंड डॉट गवर्नमेंट डॉट इन है 

जनसाधारण में प्रकृति के प्रति लगाव उत्पन्न करने, विशेषकर उन्हें वन्य प्राणियों एवं संरक्षित क्षेत्रों के संरक्षण के प्रति जागरूक करने के लिए संरक्षित क्षेत्रों तथा इनके बाहर उपयुक्त वन क्षेत्र में एनवायरमेंटल फ्रेंडली सस्टेनेबल तरीके से इको-टूरिज्म को प्रोत्साहित करने के लिए इको टूरिज्म नीति, 2015, अक्टूबर, 2015 में अधिसूचित की गई है

अधिसूचित वन भूमि, गैर-वन भूमि पर मुख्य रूप से स्थल विशिष्ट वनरोपण  योजनाएं,भूसंरक्षण योजना, जल्दी बढ़नेवाले पौधे की योजना, तसर वन रोपण, शीशम वनरोपण के लिए वित्तीय वर्ष 15-16 में 6900 लाख का बजट उपबंध स्वीकृत है

पथ -तट रोपण सह वानिकी योजना के अंतर्गत आम नागरिकों को स्वच्छ ,स्वास्थ्य कारक एवं आराम देह वातावरण उपलब्ध कराने के उद्देश्य से सड़कों के किनारे, सरकारी परिसरों तथा स्कूलों, कॉलेजों, सरकारी कार्यालयों, पहाड़ियों इत्यादि पर उपयुक्त छायादार/ फलदार/ फूलदार /इमारती कास्ट/अन्य  सौंदर्य कारक प्रजातियों का वृक्ष रोपण किया जा रहा है

स्थाई पौधशाला एवं सीड् आर्चड्स  योजनान्तर्गत मुख्य रूप से बॉस गोबियन वृक्षरोपण हेतु औसतन 5 से 8 फीट लंबे पौधे तैयार किए जा रहे हैं

वन प्रबंधन में संयुक्त वन प्रबंधन की नीति एक सफल और उपयोगी नीति है ,जो वनों के प्रति आम नागरिकों में उनके कर्तव्यों के प्रति जागरूकता उत्पन्न करती हैं 

झारखंड में वन संवर्धन और प्रबंधन की विधिवत  शिक्षा के लिए रांची में बिरसा कृषि विश्वविद्यालय से संबद्ध वानिकी कॉलेजों में वानिकी संकाय स्थापित है

झारखंड में प्राकृतिक संसाधनों को बेहतर प्रबंधन के लिए वन अभिलेखों एवं वन सीमाओं का डिजिटलाइजेशन एवं जियोरेफरेंसिंग करने की योजना है

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Friday, October 23, 2020

झारखंड में वन नीति(Jharkhand Me Van Niti)

झारखंड में वन नीति

(Jharkhand Me Van Niti)


स्वतंत्र भारत के प्रथम वन नीति 1952 में बनी थी

1952 से 1988 के बीच वनों का इतना विनाश हुआ कि वनों और उनके उपयोग पर एक नई नीति बनाना आवश्यक हो गया

पहले की वन नीतियों का केंद्र केवल राज्य का सृजन था

1980 के दशक में स्पष्ट हो गया कि वनों का संरक्षण उनके अन्य कार्यों के लिए भी आवश्यक है, जैसे मृदा और जल व्यवस्थाओं के संरक्षण के लिए, जो पारितंत्र को सुरक्षित रखने में सहायक होते हैं

इनमें स्थानीय निवासियों के लिए वनों से प्राप्त वस्तुओं और सेवाओं के उपयोग की व्यवस्था भी होनी चाहिए

इन्हीं बातों को ध्यान में रखते हुए 1988 ईस्वी में राष्ट्रीय वन नीति की घोषणा की गई

भारत की राष्ट्रीय वन नीति, 1988 के अनुसार किसी प्रदेश के कुल क्षेत्रफल के 33 पॉइंट 33 प्रतिशत भाग पर वन का विस्तार होना चाहिए

झारखंड के कुल क्षेत्रफल का 29 पॉइंट 61 प्रतिशत भाग पर वन है

राज्य में वन क्षेत्र को 33% से अधिक करने के लिए झारखंड सरकार ने वन नीति बनाई है


1) प्रत्येक गांव में एक वन समिति होगी, जिसमें गांव के प्रत्येक परिवार का एक सदस्य होगा 

2) राज्य में 200 वन समितियों का गठन किया गया है

3) ग्रामीणों की आवश्यकता अनुसार वृक्षारोपण किया जाएगा

4) वन उत्पादों को सरकारी एजेंसियों के माध्यम से खरीद की जाएगी

5)  वनों की सुरक्षा का भार ग्रामीण और वन विभाग दोनों के ऊपर होगा
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Thursday, October 22, 2020

जनजातीय सुरक्षा एवं विकास संबंधित संवैधानिक प्रावधान (Janjatiye Suraksha Aur Vikas Sambandhit Sanvaidhanik Pravadhan)

जनजातीय सुरक्षा और विकास संबंधित संवैधानिक प्रावधान

(Constitutional Provisions Related To Tribal Security And Development)






जनजातीय सुरक्षा संबंधी प्रावधान 

अनुसूचित जनजातियों की सुरक्षा से संबंधित प्रावधान संविधान के अनुच्छेद 15 (4), 16(4), 19(5), 23,29, 46, 164(1) ,330, 332, 334, 335, 338, 339(1), 5वी अनुसूची में दिए गए हैं  

अनुच्छेद 15(4) :- सामाजिक आर्थिक एवं शैक्षणिक हितों का विकास

अनुच्छेद 16(4) :- पदों वह सेवाओं में आरक्षण

अनुच्छेद 19(5) :-संपत्ति में जनजातियों के हितों की सुरक्षा

अनुच्छेद 23 :- मानव के दुर्व्यवहार और बाल श्रम का प्रतिषेध 

अनुच्छेद 29 :- अल्पसंख्यक वर्गों के हितों का संरक्षण 

अनुच्छेद 46 :- अनुसूचित जातियों, अनुसूचित जनजातियों एवं अन्य कमजोर वर्गों के शिक्षा और अर्थ संबंधी हितों की अभिवृद्धि

अनुच्छेद 164(1) :- कुछ राज्यों में (जिसमें झारखंड भी शामिल है) जनजातियों के कल्याण के लिए एक मंत्री भी नियुक्त 

अनुच्छेद 330 :- लोकसभा में अनुसूचित जातियों एवं अनुसूचित जनजातियों के लिए स्थानों को सुरक्षित रखा गया है

अनुच्छेद 332 :- राज्य की विधान सभाओ  में अनुसूचित जातियों एवं अनुसूचित जनजातियों के लिए स्थानों का रिज़र्व 

अनुच्छेद 334 :- स्थानों के आरक्षण एवं विशेष प्रतिनिधित्व का (60) वर्ष के पश्चात न रहना 

अनुच्छेद 335 :- सेवाओं एवं पदों के लिए अनुसूचित जातियों  एवं अनुसूचित जनजातियों के दावे 

अनुच्छेद 338 :- अनुसूचित जाति एवं अनुसूचित जनजातियों के लिए राष्ट्रीय आयोग

अनुच्छेद 339(1) :- राज्यों के अनुसूचित क्षेत्रों के प्रशासन एवं अनुसूचित जनजातियों के कल्याण के संबंध में रिपोर्ट देने के लिए राष्ट्रपति द्वारा आयोग की नियुक्ति

पांचवी अनुसूची :- अनुसूचित क्षेत्रों में एवं अनुसूचित जनजातियों के प्रशासन एवं नियंत्रण के बारे में उपबंध

जनजातीय विकास कल्याण संबंधी प्रावधान 

अनुसूचित जनजातियों के विकास (कल्याण) से संबंधित प्रावधान संविधान के अनुच्छेद 275 एक एवं 340 दो में दिए गए हैं 

अनुच्छेद 275(1) :-  कुछ राज्यों को संघ से अनुदान 

अनुच्छेद 339(2) :-  दो  केंद्रीय कार्यपालिका द्वारा राज्यों को अनुसूचित जनजाति के विकास के लिए उपयुक्त कार्यक्रमों को लागू करने का निर्देश



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Tuesday, October 20, 2020

झारखंड में नगर प्रशासन (Municipal administration in Jharkhand)

झारखंड में नगर प्रशासन

(Municipal administration in Jharkhand)


नगर प्रशासन

झारखंड राज्य के शासन-प्रशासन में नगरीय प्रशासन की भूमिका शहरी क्षेत्रों का चयन सुनियोजित विकास स्थानीय संसाधनों  का अधिकतम लाभ हेतु उपयोग, स्वास्थ्य व्यवस्था, लोक सेवाओं का निरूपण आदि की सुविधाएं उपलब्ध कराने की होती है


नगर निगम

नगर निगम 10 लाख से अधिक लेकिन 20 लाख से कम जनसंख्या वाले शहरों में नगर निगम का गठन होता है

नगर निगम झारखंड में रांची, धनबाद, देवघर, हजारीबाग, चास एवं रामगढ़ में नगर निगम स्थापित है

नगर परिषद

नगर परिषद का गठन सन 1922 में ही हो गया था जो कई संशोधनों के बाद वर्तमान रूप में आया है

नगर परिषद क्षेत्र की आबादी 5,00,000 लाख से 10,00,000 लाख के बीच होती है

 इसके 4 अंग होते हैं 

1 -परिषद 
2 -समिति
3 -अध्यक्ष /उपाध्यक्ष 
4 -कर्मचारी

नगर परिषद के सदस्यों की संख्या राज्य सरकार निर्धारित करती है

2016 ईस्वी में झारखंड में नगर परिषद की कुल संख्या 18 है 

इसमें 80% सदस्य निर्वाचित होते हैं

 शेष को मनोनीत किया जाता है

वाडो में विभाजित नगर परिषद के प्रत्येक वार्ड का एक पार्षद (कौंसलर) होता है

नगर परिषद के अध्यक्ष एवं उपाध्यक्ष अवैतनिक होते हैं 

प्रमुख कार्यपालक अधिकारी व उसके सहायक राजस्व, स्वास्थ्य, जल अभियंता, लेखपाल, कनिष्ठ अभियंता, कर दरोगा और अन्य कर्मचारी होते हैं

नगर परिषद के प्रमुख कार्य निम्नलिखित हैं

पेयजल की आपूर्ति ,हैंडपंपों की स्थापना और रख रखाव

 जन्म और मृत्यु का पंजीकरण व प्रमाण पत्र निर्गत करना

प्राथमिक विद्यालयों की स्थापना और शिक्षा-व्यवस्था 

नगर के सभी मकानों के नंबरों का निर्धारण करना

सार्वजनिक सड़कों एवं गलियों पर प्रकाश-व्यवस्था करना 

नगर की नालियों का निर्माण, रख रखाव और सफाई करना 

सार्वजनिक स्थलों एवं पार्क आदि की साफ सफाई करना 

मच्छर,कीड़ों आदि के प्रकोप की रोकथाम के लिए आवश्यक कदम उठाना 

स्वस्थ संबंधी कार्य, अस्पतालों का रख-रखाव और सफाई आदि करना 

पेयजल की स्वच्छता बनाए रखने के लिए कुआँ और हैंडपंपों का रखरखाव

 इसके अतिरिक्त नगरीय प्रशासन में क्षेत्रीय विकास पदाधिकारी, उन्नयन न्यास और नगर पंचायत भी संबंधित क्षेत्र के  सवर्गिन  विकास, उसकी नागरिक सुरक्षा, सुविधाओं और शक्तियों और नागरिक अधिकारों के तहत कार्य करते हैं

झारखंड राज्य में क्षेत्रीय विकास परिषद अभी केवल रांची में ही कार्यरत हैं 

इसके कार्यों में भी सड़क,बिजली ,पानी आदि की समुचित व्यवस्था करना है

उन्नयन न्यास भी इन्हीं कार्यों को करते हैं 

नगर पंचायत 5000 से 10000 की आबादी वाले क्षेत्र में गठित होते हैं

यह व्यवस्था उन ग्रामीण क्षेत्रों में स्थापित की जाती है

जो शहरीकरण की दिशा में तेजी से आगे बढ़ने लगते हैं 

ऐसे समय में नगर पंचायत योजनाबद्ध विकास के साथ बिजली, पानी, सड़क और स्वच्छता के कार्य संपादित करती है

झारखंड में 15 नगर पंचायत है

छावनी बोर्ड

 यह उन शहरों में स्थापित किया जाता है जहां सैन्य छावनी होती है

 यह भारत के प्रतिरक्षा मंत्रालय के अंतर्गत कार्य करते हैं 

इनकी कार्यप्रणाली नगरपालिकाओं के समान ही होती हैं

राज्य सरकार का इन छावनी बोर्ड पर कोई नियंत्रण नहीं होता है 

झारखंड राज्य में एकमात्र छावनी बोर्ड रामगढ़ में स्थापित है 

इसके अतिरिक्त दो अधिसूचित क्षेत्र समिति और एक नगर पालिका जुगसलाई  है
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Thursday, October 15, 2020

Padma Awards

Padma Awards:



  • These awards were introduced in 1954.
  • The award is being given to deserving individuals for their exceptional services in their chosen fields like Sports, Art, Social work, Civil Services, Literature & Education, Public Affairs, Science & Technology, Trade & Industry.
  • The names of the awardee are announced every year on Republic Day.
  • The Padma Awards have been given every year except three times: 1977, 1980, 1993-1997.
  • If someone is a recipient of a lesser degree of the Padma Awards, they can be awarded a higher degree of the award only after five or more years since the last conferment.
  • The awards are rarely given posthumously, but exceptions can be made if the case highly deserves.
  • There ought to be an element of public service in the achievements of the person to be selected. It should not be merely on the basis of excellence in any field, but it should be based on excellence plus.
  • Government servants including those working in PSUs, except doctors & scientists, are not eligible for these awards.

  • Padma Vibhushan: For exceptional & distinguished service (Second Degree Honour)
  • Padma Bhushan: For distinguished service of a high order (Third Degree Honour)
  • Padma Shri: For distinguished service (Fourth Degree Honour)
Padma Vibhushan:
  • It is the second-highest civilian award given by the Republic of India.
  • Those privileged to get the award are given a citation certificate & a medal, which has a lotus flower in the middle & the words "Desh Seva", embossed on the observe.










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Tuesday, October 13, 2020

Awards Given By Government of India- Current affairs-English

Awards Given By Government of India

Awards & Honours are given both at individual & group level as a token of appreciation or recognition for extraordinary work. The government of India gives several honors every year to those who have achieved outstanding merit in their field.

Bharat Ratna:

Fig: Bharat Ratna (Peepal leaf-shaped medal)

  • The title Bharat Ratna literally means "Jewel of India" & it is the highest civilian award bestowed by the Republic of India.
  • It was first given in 1954.
  • Although this award was originally given to those artists who had outstanding achievements in art, science, literature & public service, in 2011, the criteria were expanded to include "any field of human endeavor".
  • The Prime Minister of India makes the recommendations to the President of India who chooses not more than three people in a particular year for the award.
  • Although no money is given to the awardees, those who are chosen are given a peepal leaf-shaped medal & a certificate (sanad).
  • According to the Indian Order of Precedence, those who are given Bharat Ratna are seventh.
  • The award can not be used as a prefix or suffix to the recipients' name, in terms of Article 18(1) of the Indian Constitution.

Some of the prominent awardees are as follows:

1954: First Awardees
  • C. Rajagopalachari= Freedom fighter & last Governor-General of India.
  • Dr. C.V Raman= Physicist
  • Dr. S.Radhakrishnan= Philosopher as well as first Vice-President & second President of India.
  • Jawaharlal Nehru= Freedom fighter, writer & first Prime Minister of India.
1955:
  • Bhagwan Das= Freedom fighter, philosopher & educationist.
  • M.Visvesvaraya= Civil Engineer, Statesman, Diwan of Mysore.
1957:
  • Govind Ballabh Pant= Freedom fighter, Chief Minister of Uttar Pradesh & Home Minister of India.
1958:
  • Bidhan Chandra Roy= Physician, politician & social worker.
  • Purushottam Das Tondon= Titled as "Rajarshi", an independent activist & politician.
1962: 
  • Dr. Rajendra Prasad= Jurist, freedom fighter & first President of India.
1966: First Posthumous awardee
  • Lal Bahadur Shasti= Freedom fighter & second Prime Minister of India.
1971:
  • Indira Gandhi= Third Prime Minister of India.
1980:
  • Mother Teresa= Social worker, founder of Missionaries of Charity & a Catholic nun.
1987:
  • B.R. Ambedkar= Crusader against untouchability, Chief Architect of Indian Constitution.
  • Nelson Mandela= Gandhi of South Africa.
1997:
  • Dr. A.P.J.Abdul Kalam= Scientist & 11th President of India.
1999:
  • Prof. Amartya Sen= Economist.
2014:
  • Sachin Tendulkar= Cricketer.
  • C.N.R Rao= Chemist & Scientist.
2015:
  • Madan Mohan Malviya= Scholar & Educational Reformer.
  • Atal Bihari Vajpayee= Prime Minister of India for three times.
2019:
  • Pranab Mukherjee= 13th Prime Minister of India.
  • Bhupen Hazarika= Singer, Lyricist, Musician from Assam.
  • Nanaji Deshmukh= Social Activist.



  


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