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Sunday, October 11, 2020

Jharkhand Me Panchayati Raj Vyavstha Part-4(Panchayati Raj system in Jharkhand)


झारखण्ड में पंचायती राज व्यवस्था PART-4

(Panchayati Raj system in Jharkhand)


जिला परिषद

जिला परिषद पंचायती राज व्यवस्था का तृतीय एवं सर्वोच्च स्तर है 

जिला परिषद की स्थापना जिला स्तर पर होती है 

जिला परिषद का वही नाम होता है, जो उस जिला का होता है, जैसे :- रांची जिला परिषद हजारीबाग जिला परिषद आदि

गठन

झारखंड में जिला का गठन जिला परिषद के लिए प्रत्यक्ष निर्वाचित सदस्यों (प्रति 50000 की जनसंख्या पर एक सदस्य का चुनाव), जिला क्षेत्र से निर्वाचित सभी प्रमुखों, विधायकों (विधान सभा के सदस्य) एवं सांसदों  (लोक सभा एवं राज्य सभा के सदस्य) से की जाती है

जिला परिषद का प्रधान 'अध्यक्ष' कहलाता है

 उसकी सहायता के लिए एक 'उपाध्यक्ष' होता है

अध्यक्ष/ उपाध्यक्ष के उम्मीदवार प्रत्यक्ष निर्वाचित सदस्यों में से होते हैं, तथा उन्हीं के मतों से बनाए जाते हैं

 उप विकास आयुक्त (डिप्टी डेवलपमेंट कमिश्नर-डी0 डी0 सी0 ) जिला परिषद का पदेन सचिव होता है

पदाधिकारी

सर्व प्रमुख अधिकारी - अध्यक्ष उपाध्यक्ष :- प्रत्येक जिला परिषद का एक अध्यक्ष और एक उपाध्यक्ष होता है
 जिनका निर्वाचन जिला परिषद के सदस्य अपने सदस्यों के बीच से करते हैं

अध्यक्ष राज्य सरकार द्वारा भी पदच्युत किया जा सकता है

अध्यक्ष जिला परिषद का प्रधान अधिकारी होता है

 वह जिला परिषद की बैठक बुलाता है और उसकी अध्यक्षता करता है 

वह राज्य सरकार को जिला परिषद के कार्यों के संबंध में सूचित करता है तथा हर वर्ष जिला परिषद के सचिव के कार्यों का प्रतिवेदन जिला अधिकारी के पास भेजता है 

वह प्रखंड एवं पंचायत समिति के कार्यों पर भी निगरानी रखता है

 अध्यक्ष की अनुपस्थिति में उपाध्यक्ष उसके सभी दायित्वों का निर्वहन करता है

सचिव उप विकास आयुक्त :- उप विकास आयुक्त जिला परिषद का पदेन सचिव होता है

 वह अध्यक्ष के आदेश पर जिला परिषद की बैठक बुलाता है तथा सभा की कार्यवाही का प्रलेख रखता है

वह जिला परिषद का प्रमुख परामर्शदाता होता है और सभी समितियों में समन्वय स्थापित करता है

जिला परिषद के कार्य

जिला परिषद के प्रमुख कार्य इस प्रकार हैं 

1- परामर्शकारी  कार्य :- जिले में विकास कार्यों और सरकार द्वारा जिला परिषद को सौपे गए कार्यों के क्रियान्वयन संबंधी मसलों पर सरकार को परामर्श देना 

2- वित्तीय कार्य :- पंचायत समितियों के बजटों  का परीक्षण करना और उनको स्वीकृति देना तथा संघ व राज्य सरकार द्वारा आवंटित निधियों को पंचायत समितियों में वितरित करना

3- समन्वय और पर्यवेक्षण कार्य :- जिले के प्रखंडों द्वारा तैयार विकास योजनाओं का समन्वय और पर्यवेक्षण करना 

4- नागरिक सुविधा संबंधी कार्य :- सड़कें, पुल, पुलिया, पार्क, जलापूर्ति और सर्वाजानिक भवन इत्यादि का निर्माण तथा उनका रख-रखाव करना

आकाशवाणी से ग्रामीण प्रसारण व सामुदायिक केंद्रों की देखभाल करना 

स्थानीय प्राधिकरण से संबंधित आवश्यक सांख्यिकीय आंकड़ों का संग्रहं करना इत्यादि 

5- कल्याण सम्बन्धी कार्य :- हटो की स्थापना, मेले तथा त्यौहारों का आयोजन, पुस्तकालय, दवाखाना, सार्वजनिक स्वास्थ्य और परिवार नियोजन केंद्र की स्थापना और उसका संचालन, अकाल और विपदा के समय राहत कार्य की व्यवस्था करना

सभी स्तर के विद्यालयों तथा तकनीकी व औद्योगिक विद्यालयों की स्थापना, विस्तार, निरीक्षण और उनका रखरखाव सुनिश्चित करना

6- विकास संबंधी कार्य :- पंचायत समितियों और ग्राम पंचायतों के कार्यों की देखभाल करना और प्रखंडों में विकास योजनाओं, परियोजनाओं तथा अन्य कार्यक्रमों का क्रियान्वयन सुनिश्चित करना

जिला परिषद की आय के स्रोत 

जिला परिषद की आय के तीन प्रमुख स्रोत है

1- राज्य सरकार से प्राप्त सहायता अनुदान-निधि

2- विकास कार्यों के लिए राज्य सरकार द्वारा आवंटित निधि तथा 

3- भूमिकार और अन्य उपकर स्थानीय करों में हिस्सा

जिला परिषद जिला स्तर पर 

सर्वप्रमुख अधिकारी :- अध्यक्ष / उपाध्यक्ष 

सचिव  :- उप विकास आयुक्त (डी0 डी0 सी0) 

सदस्य

निर्वाचित सदस्य :- प्रति 50 हजार की आबादी पर एक सदस्य का चुनाव

पदेन सदस्य :- जिला स्तर से जिला क्षेत्र से निर्वाचित सभी प्रमुख

सह सदस्य :- जिला क्षेत्र से निर्वाचित विधायक (विधानसभा के सदस्य) तथा जिला क्षेत्र से निर्वाचित संसद (लोक सभा एवं राज्य सभा के सदस्य)

स्थाई समितियां 

स्थाई समिति (अध्यक्ष-अध्यक्ष) 

वित्त,अंकेक्षण  व योजना समिति (अध्यक्ष-अध्यक्ष)

सामाजिक न्याय समिति (अध्यक्ष-उपाध्यक्ष)

शिक्षण एवं स्वास्थ्य समिति (अध्यक्ष-कोई  एक सदस्य)

कृषि एवं उद्योग समिति (अध्यक्ष -कोई  एक सदस्य)


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Saturday, October 10, 2020

Jharkhand Me Panchayati Raj Vyavstha Part-3(Panchayati Raj system in Jharkhand)

 झारखण्ड में पंचायती राज व्यवस्था PART-3

(Panchayati Raj system in Jharkhand)


पंचायत समिति


पंचायत समिति पंचायत राज व्यवस्था की केंद्रीय धुरी होती है।  

पंचायत समिति की स्थापना प्रखंड स्तर पर होती है। 

पंचायत समिति का वही नाम होता है जो उस प्रखंड का होता है। 

 जैसे:- काके पंचायत समिति, रातू पंचायत समिति इत्यादि।  

गठन

झारखंड में पंचायत समिति का गठन पंचायत समिति के लिए प्रत्यक्ष निर्वाचित सदस्यों (प्रति 5000 की जनसंख्या पर एक सदस्य का चुनाव होता है) प्रखंड क्षेत्र से निर्वाचित सभी मुखिया, विधायक (विधान सभा के सदस्य ) और सांसद (लोकसभा और राज्य सभा के सदस्य) से की जाती है। 

पंचायत समिति का प्रधान प्रमुख कहलाता है।  

उसकी सहायता के लिए एक उपप्रमुख होता है।  

प्रमुख / उपप्रमुख के उम्मीदवार प्रत्यक्ष निर्वाचित सदस्यों में से होते हैं तथा उन्हीं के मतों से बनाए जाते हैं।  


पदाधिकारी

सर्वप्रमुख अधिकारी - प्रमुख / उपप्रमुख :- प्रत्येक पंचायत समिति का एक प्रमुख एवं एक उपप्रमुख 

होता है जिनका निर्वाचन पंचायत समिति के सदस्य अपने सदस्यों के बीच से सकते हैं।  

इन दोनों का कार्यकाल 5 वर्ष का होता है 

दो तिहाई सदस्यों के अविश्वास प्रस्ताव द्वारा प्रमुख को उसके पद से हटाया जा सकता है

प्रमुख पंचायत समिति का प्रधान अधिकारी होता है 

वह पंचायत समिति की बैठक बुलाता है और उसके अध्यक्षता करता है 

वह पंचायत समिति के कागजों की जांच पड़ताल करता है, और सचिव प्रखंड विकास पदाधिकारी पर नियंत्रण रखता है 

प्रमुख की अनुपस्थिति में 'उपप्रमुख' उसके सभी दायित्वों का निर्वाह करता है

सचिव - प्रखंड विकास पदाधिकारी 

प्रखंड विकास पदाधिकारी पंचायत समिति का पदेन सचिव होता है

 वह प्रमुख के आदेश पर पंचायत समिति के निर्णयों को क्रियान्वित करता है तथा उसके कोष से धन खर्च करता है

वह अन्य महत्वपूर्ण कार्यों का संपादन करता है

वह पंचायत समिति की कार्यवाही में भाग लेता है, लेकिन मतदान नहीं करता है

पंचायत समिति के कार्य 


1- प्रदत कार्य :- पंचायत समिति के विकास और विस्तार कार्यक्रमों से संबंधित राज्य सरकार के नीति 
निर्देशों का कार्यान्यवन  

2- सामुदायिक विकास कार्यक्रम :- विशेषतया कृषि, कुटीर,सिंचाई और लघु उद्योग, पशु पालन और मत्स्य उद्योग , सहकारी , शिक्षा , स्वास्थ्य , सम्प्रेषण तथा महिला कल्याण सहित, सामाजिक कल्याण ,आपातकालीन राहत, आँकड़ों के संग्रह स्वावलम्बी कार्यक्रम

3- पर्यवेक्षण कार्य :- ग्राम पंचायत के कार्यों का पर्यवेक्षण, ग्राम पंचायतों के बजट की जाँच और संशोधन, पुनर्विनियोग करना ,नये कर लगाना, प्रखंड विकास अधिकारी और विस्तार अधिकारी के कार्यों का पर्यवेक्षण आदि 

पंचायत समिति के आय के स्रोत 

समिति की पंचायत समिति के दो प्रमुख स्रोत है 

1- विकास गतिविधियों के लिए सरकार से प्राप्त सहायता अनुदान तथा 

2-भूमि कर के उपकरण (अंश) से उपार्जित कर
 

पंचायत समिति प्रखंड स्तर पर

➤सर्व प्रमुख अधिकारी- प्रमुख /उप प्रमुख 

सचिव:-प्रखंड विकास पदाधिकारी

सदस्य - निर्वाचित सदस्य :- प्रति 5,000 की आबादी पर एक सदस्य का चुनाव 

पदेन सदस्य:-  प्रखंड क्षेत्र से निर्वाचित सभी मुख्य 

➤सह सदस्य :- प्रखंड क्षेत्र से निर्वाचित विधायक विधानसभा के सदस्य तथा प्रखंड क्षेत्र से निर्वाचित  सांसद (लोकसभा एवं राज्यसभा के सदस्य)

➤स्थायी  समितियां :- 

सामान्य स्थायी समिति (अध्यक्ष- प्रमुख)

वित्त, अंकेक्षण व योजना समिति (अध्यक्ष - प्रमुख)

 सामाजिक न्याय समिति (अध्यक्ष - उपप्रमुख)



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Wednesday, October 7, 2020

Jharkhand Me Panchayati Raj Vyavstha Part-2(Panchayati Raj system in Jharkhand)


झारखण्ड में पंचायती राज व्यवस्था PART-2

(Panchayati Raj system in Jharkhand)

ग्राम पंचायत के कार्य



पहला प्रशासनिक कार्य :- बजट, लेखा, वसूली, दस्तावेज सांख्यिकीय के आंकड़ों का रख रखाव, जन्म, मृत्यु और विवाह का पंजीयन  तथा गांव के पशुओं से संबंधित आंकड़े और भूमि प्रबंधन। 

कानून व्यवस्था संबंधी कार्य :- गांव की सावधानी पूर्वक निगरानी, सुरक्षा सेवा तथा ग्राम स्वयं सेवक बल का रखरखाव।  


➤नागरिक सुविधा संबंधी कार्य :- सड़कों और गलियों, छोटे-बड़े पुलों की मरम्मत, नालियों,कुओ और तालाबों की सफाई की व्यवस्था तथा उनकी देख-रेख घरेलू उपयोग के लिए पानी की व्यवस्था तथा गलियों में प्रकाश व्यवस्था का पर्यवेक्षण इत्यादि।  

कल्याण संबंधी कार्य :- सूखा और बाढ़ सहायता कार्य, विकलांगों की सहायता, महिलाओं बच्चों तथा पिछड़ी जातियों के लिए कल्याण कार्यक्रम, पंचायत, विद्यालय, पुस्तकालय, अध्ययन कक्ष का रख -रखाव और गांव में लगने वाले मेलों का आयोजन।  


ग्राम पंचायत की आय के स्रोत

ग्राम पंचायत के आय के तीन प्रमुख स्रोत है।  

करारोपण से प्राप्त आय :- संपत्ति, व्यवसाय, पशु-वाहन, विद्युत और जल पर निर्धारित कारों से प्राप्त आय इसके अतिरिक्त भूमि कर पर उपकर, चुंगी, विश्राम गृह  के उपयोग पर शुल्क और दुकानों पर लगाए गए करों से प्राप्त आय।  

राज्य सरकारों से अनुदान सहायता तथा।  

सार्वजनिक योगदान और स्वैच्छिक दान। 

ग्राम पंचायत (ग्राम स्तर पर)

ग्राम पंचायत स्तर पर सर्वप्रमुख अधिकारी - मुखिया / उप मुखिया , 

सचिव - पंचायत सेवक 

सदस्य - प्रति 500 की आबादी पर एक सदस्य का चुनाव 

स्थाई समितियां :-

1 - उत्पादन समिति (अध्यक्ष - मुखिया)
2 - सामाजिक न्याय समिति (अध्यक्ष- मुखिया)
3 - सुख-सुविधा समिति (अध्यक्ष- मुखिया )


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Tuesday, October 6, 2020

Jharkhand Me Panchayati Raj Vyavstha Part-1(Panchayati Raj system in Jharkhand)


झारखण्ड में पंचायती राज व्यवस्था PART-1

(Panchayati Raj system in Jharkhand)



झारखंड में पंचायती राज व्यवस्था

झारखंड सरकार ने झारखंड विधानसभा में 'झारखंड पंचायती राज विधेयक, 2001' पेश किया
विधान सभा से पारित होने के बाद इस विधेयक को राज्यपाल के पास मंजूरी (स्वीकृति) के लिए भेजा गया 
➤23 अप्रैल, 2001 को इस विधेयक को राज्यपाल प्रभात कुमार ने अपनी मंजूरी प्रदान की
राज्यपाल की मंजूरी के बाद यह विधेयक (बिल) झारखंड पंचायती राज अधिनियम, 2001 (झारखंड पंचायती राज एक्ट 2001) बन गया
इस अधिनियम के तहत राज्य में त्रिस्तरीय पंचायती राज व्यवस्था अपनाई गई है 
त्रिस्तरीय पंचायती राज व्यवस्था का अर्थ है ग्राम स्तर पर 'ग्राम पंचायत', प्रखंड स्तर पर 'पंचायत समिति' एवं जिला स्तर पर 'जिला परिषद' की व्यवस्था होगी
इस अधिनियम में जिन आदर्शों की स्थापना की गई है वे  महात्मा गांधी के सुनहरे सपनों का साकार रूप है
इसमें ना केवल समाज के कमजोर वर्गों एवं महिलाओं के की सत्ता में भागीदारी सुनिश्चित की गयी है 
पंचायती राज संस्थाओं को पर्याप्त शक्तियां एवं आर्थिक स्वायत्तता  प्रदान कर इसे  सत्ता के विकेंद्रीकरण का वास्तविक स्वरुप भी प्रदान किया गया है 

ग्राम पंचायत

ग्राम पंचायत ग्रामीण क्षेत्र की स्वायत्त संस्थाओं से सबसे नीचे है पर इसका स्थान सबसे अधिक महत्वपूर्ण है 
यह पंचायती राज व्यवस्था का प्रथम एवं सबसे निम्न स्तर है
गठन :- झारखंड पंचायती राज अधिनियम के तहत प्रति 5,000 की जनसंख्या पर एक 'ग्राम पंचायत' के गठन का प्रावधान किया गया है
प्रति 500 की जनसंख्या पर ग्राम पंचायत के एक सदस्य के चुनाव का प्रावधान किया गया है 
पंचायत में अनुसूचित जाति, अनुसूचित जनजाति, पिछड़ी जातियों एवं महिलाओं के लिए आरक्षण की व्यवस्था है 
ग्राम पंचायत में महिलाओ के लिए 50% पद आरक्षित है 
ग्राम पंचायत का प्रमुख मुखिया होता है उसकी सहायता के लिए एक उप मुखिया होता है
इन दोनों का कार्यकाल 5 वर्ष का होता है
मुखिया का चुनाव प्रत्यक्ष रीति से ग्राम सभा के सदस्यों के द्वारा होता है 
ग्राम पंचायत के सदस्य दो तिहाई बहुमत द्वारा मुखिया के विरुद्ध अविश्वास प्रस्ताव पारित कर उसे अपने पद से हटा सकते हैं 
मुखिया की अनुपस्थिति में उप मुख्य उसके सभी दायित्व का निर्वाह करता है 
परंतु उपमुखिया 6 महीने से अधिक मुखिया के रूप में कार्य नहीं कर सकता है 
6 महीने के बाद भी यदि किसी कारणवश उपस्थित नहीं हो पाता है तो नए मुखिया का निर्वाचन 
आवश्यक हो जाता है 
पंचायत सेवक ग्राम पंचायत का पदेन सचिव होता है 
पंचायत सेवक की नियुक्ति राज्य सरकार के द्वारा की जाती है अर्थात वह सरकारी कर्मचारी होता है  
वह ग्राम पंचायत कार्यालय प्रबंधक होता है
वह सरकार एवं ग्रामवासियों के बीच कड़ी का काम करता है 
सरकार के कार्य योजना ,कार्य के विषय में हुए निर्णयों से ग्राम पंचायत को अवगत कराता है  
ग्राम पंचायतों की गतिविधियों की जानकारी सरकार को देता है 

ग्राम पंचायत के अंग :-ग्राम पंचायत के 4 अंग है 

💥ग्राम सभा ( प्रमुख- मुखिया) -ग्राम पंचायत की विधायिका /व्यवस्थापिका 
💥ग्राम पंचायत (प्रमुख -मुखिया )-ग्राम पंचायत की कार्यपालिका 
💥ग्राम कचहरी  (प्रमुख -सरपंच )-ग्राम पंचायत की न्यायपालिका  
💥ग्राम रक्षा दाल (प्रमुख -दलपति )-ग्राम पंचायत की पुलिस व्यवस्था 

ग्राम सभा

ग्राम सभा ग्राम पंचायत के आधार भूमि है यह प्राथमिक स्तर है
ग्राम सभा स्थानीय नागरिकों की आम सभा होती है
 ग्राम पंचायत क्षेत्र में रहने वाले सभी वयस्क मतदाता ग्राम सभा के सदस्य होते हैं 
ग्राम सभा देश की विकेंद्रित प्रशासकीय व्यवस्था का सबसे निचला स्तर है 
इसके ऊपर ग्राम पंचायत होती है
ग्राम सभा के सदस्य ही ग्राम पंचायत के सदस्यों का चुनाव करते हैं 
प्रति 250 की संख्या पर 'ग्राम सभा' के गठन का प्रावधान किया गया है
सामान्यतः प्रत्येक गांव में 1 ग्राम सभा होती है 
जबकि एक पंचायत क्षेत्र में जिसमें सामान्यता दो से 3 गांव आते हैं 
1 ग्राम पंचायत होती है 
वर्ष में कम से कम 2 बार खरीफ एवं रबी की फसल कटने के बाद ग्रामसभा की बैठक करने का प्रावधान है 
ग्राम सभा ग्राम पंचायत की सुविधा के लिए ग्राम स्तरीय योजनाओं तैयार करती है तथा ग्राम पंचायत 
द्वारा निर्धारित व्यवस्था को लागू करती है 
ग्राम सभा एक निगरानी समिति का गठन करती है, जो ग्राम पंचायत द्वारा किए जाने वाले प्रशासनिक 
एवं अन्य कार्यों पर निगरानी रखती है
➤ग्राम सभा को सुरक्षा प्रहरी भी कहा जाता है जो ग्राम पंचायत पर नज़र रखती है 
ग्राम पंचायत ग्राम सभा के प्रति उत्तरदाई होती है जिस प्रकार राज्य सरकार  विधान सभा के प्रति 


ग्राम सभा के कार्य इस प्रकार है:-

 1)  ग्राम पंचायत के प्रशासनिक कार्यों का अनुमोदन करना 
2)  वर्ष के बजट, लेखा एवं लेखा परीक्षण रिपोर्ट का अनुमोदन करना 
3)  समुदाय सेवा, स्वैच्छिक श्रम , इत्यादि सहित विकास कार्यक्रमों, वर्ष के दौरान हाथ में ली जाने वाली 
परियोजनाओं को स्वीकृति देना तथा ग्राम की उत्पादन योजना को अंगीकार करना 
4) कर संबंधी प्रस्तावों पर विचार करना और उनकी स्वीकृति देना तथा  
5) ग्राम पंचायत के लिए सदस्य चुनना 


ग्राम पंचायत

ग्राम पंचायत अपने अधिकार क्षेत्र में ग्राम सभा की कार्यकारिणी समिति के रूप में कार्य करती है
ग्राम पंचायत को 'ग्राम पंचायत का कार्यपालिका अंग' या 'ग्राम सभा की कार्यकारिणी समिति' कहा जाता है 
कार्यकारिणी समिति में 9 सदस्य होते हैं एक मुखिया एवं आठ अन्य सदस्य
कार्यकारिणी समिति का प्रधान मुखिया होता है, जिसका चुनाव गांव की जनता द्वारा प्रत्यक्ष रूप से किया जाता है
मुखिया संपूर्ण ग्राम पंचायत का प्रतिनिधित्व करता है 

मुखिया के प्रमुख कार्य इस प्रकार है:-

1) ग्राम सभा एवं पंचायत ग्राम पंचायत की बैठकों का संयोजन, उसकी अध्यक्षता और उसका संचालन करना 
2) ग्राम सभा एवं ग्राम पंचायतों के संकल्पों या निर्णयों के कार्यान्यवयन को सुनिश्चित करना 
3) वित्तीय  और कार्यपालिका प्रशासन के लिए सामान्यता उत्तरदायी होना
4) पंचायत के अभिलेखों के संचरण करने का उत्तरदाई होना तथा 
5) ऐसे कार्यों को जो ग्राम सभा/ ग्राम पंचायत या या राज्य सरकार द्वारा सौंपी जाए, करना।

ग्राम कचहरी

इसे 'ग्राम पंचायत की न्यायपालिका' कहा जाता है
यह ग्राम पंचायत का न्यायालय होता है जिससे छोटे-मोटे दीवानी एवं फौजदारी मुकदमों को निपटाने का जिम्मा सौंपा गया है
इसका उद्देश्य है गांवो में मुकदमेबाजी कम करना एवं जनता को सस्ता न्याय सुलभ कराना 
इसका प्रमुख सरपंच होता है 
सरपंच की सहायता के लिए एक उपसरपंज होता है 
सरपंच के अनुपस्थिति में वह सरपंच के दायित्व को निभाता है 
झारखंड राज्य में केंद्र की भांति कार्यपालिका और न्यायपालिका एक दूसरे से अलग रखा गया है 
➤मुखिया  तथा कार्यकारिणी समिति कोई भी सदस्य कचहरी का सदस्य नहीं हो सकता
प्रत्येक ग्राम पंचायत में एक ग्राम कचहरी स्थापित करने का प्रावधान है
ग्राम कचहरी में प्रत्यक्ष निर्वाचित एवं सरपंच तथा प्रति 500 की आबादी पर ग्राम कचहरी के लिए एक 
प्रत्यक्ष निर्वाचित सदस्य का प्रावधान है 
➤ग्राम कचहरी में 9 सदस्य होते हैं एक सरपंच और 8 अन्य सदस्य 
सरपंच एवं पंच मिलकर अपने बीच में एक उप उप सरपंच का चुनाव करते हैं
इन सभी का कार्यकाल 5 वर्ष का होता है 
ग्राम कचहरी में अधिकतम ₹10,000 तक के मामले स्वीकार किए जा सकते हैं 
ग्राम कचहरी को अधिकतम 3 महीने का साधारण कारावास तथा ₹1,000 तक का जुर्माना लगाने का 
अधिकार है, जुर्माने की राशि नहीं चुकाने पर अधिकतम 15 दिन का अतिरिक्त कारावास का दंड देने का 
अधिकार है

ग्राम रक्षा दल

यह 'गांव की पुलिस व्यवस्था' है 
इसमें 18 से 30 वर्ष के युवा शामिल हो सकते हैं
ग्राम रक्षा दल का एक नेता होता है जिसे दलपति कहा जाता है
दलपति की नियुक्ति मुखिया एवं कार्यकारिणी समिति की राय से की जाती है 
ग्राम रक्षा दल के ऊपर गांव की रक्षा और शांति का उत्तर दायित्व सौंपा गया है 
➤संकट कालीन स्थितियों में जैसे:- आगलगी,डकैती,बाढ़, संक्रमक बीमारियों आदि में यह लोगों की सहायता करता है


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Tuesday, September 22, 2020

Jharkhand Ki Prashasanik Vyavastha Part-4(Administrative System Of Jharkhand)


झारखण्ड की प्रशासनिक व्यवस्था PART-4

(Administrative System Of Jharkhand)


प्रखंड प्रशासन (Block)

जिला प्रशासन की दूसरी सीढ़ी प्रखंड प्रशासन है
 


इसमें अंचलाधिकारी और प्रखंड विकास पदाधिकारी के पद और कार्य प्रमुख होते हैं

➤झारखण्ड  निर्माण के समय प्रखंडों की संख्या कुल संख्या 210 थी 

➤झारखण्ड राज्य निर्माण के बाद  57 और प्रखंडों का सृजन किया गया

इस तरह से वर्तमान में 267 प्रखंड  है 

➤अन्य राज्यों की भांति झारखंड में अनुमंडल को दो या अधिक प्रखंड या राजस्व अंचल में विभाजित करने की  प्रथा है
 
प्रखंड का प्रमुख प्रखंड विकास पदाधिकारी (ब्लॉक डेवलपमेंट ऑफिसर) होता है 

➤अंचल का प्रमुख अंचलाधिकारी होता है 

➤इस पद पर राज्य प्रशासनिक सेवा के सदस्यों की नियुक्ति की जाती है 

प्रखंड विकास अधिकारी और उसके कार्य

यह राज्य प्रशासनिक सेवा के पदाधिकारी अथवा राज्य कृषि सेवा के अधिकारियों को सौंपा जाने वाला 
पद है  

यह अधिकारी प्रखंड के सभी विभागों के अधिकारियों के बीच सहयोगी और समन्वयक की भूमिका 
निभाता है 

इसके प्रमुख कार्य निम्नलिखित है:-

केंद्र सरकार की योजनाओं का क्रियान्वयन करना 

 ग्रामीण क्षेत्रों में स्वरोजगार संबंधी आवेदनों की अनुशंसा करना  

ग्रामीण क्षेत्रों में विकास योजनाओं का क्रियान्वयन करना 

अंचलाधिकारी और उसके कार्य

अंचलाधिकारी  और उसके कार्य पदाधिकारी को दिया जाता है 

➤अंचल का प्रमुख अंचलाधिकारी होता है 

 अंतर्गत आने वाले ग्रामीण क्षेत्रों में इस प्रकार है  

भू-राजस्व, भू -अभिलेख, विधि व्यवस्था का संधारण करना है  

चुनाव, जनगणना, कृषि सांखियकी, आय प्रमाण-पत्र, जाति प्रमाण-पत्र, आवासीय प्रमाण-पत्र जारी करना

पर्व-त्योहारों में शांति-व्यवस्था, सौहार्द बनाने और विशिष्ट व्यक्तियों की सुरक्षा का प्रबंधन करना

 राज्य में आदिवासियों की भूमि-संबंधी अधिकारों की सुरक्षा करना

समाज कल्याण के सभी कार्यों का संपादन करना

 आपदा, दुर्घटना, दंगा, पीड़ित लोगों के मुआवजे का आकलन और मुआवजा देने का कार्य करना

पुलिस प्रशासन

झारखंड राज्य पुलिस संरचना


महानिदेशक  (Director General Of Police) 

अपर महानिदेशक (Additional Director General) 

महानिरीक्षक (Inspector General)

उपमहानिरीक्षक (Deputy Inspector General)

आरक्षी पुलिस अधीक्षक (Superintendent of police)

 आरक्षी उपाधीक्षक या अनुमंडल पुलिस पदाधिकारी (Deputy superintendent or sub-divisional police officer)

आरक्षी निरीक्षक ( Inspector Of Police)

आरक्षी अवर निरीक्षक या थाना प्रभारी (Sub- Inspector Of Police)

 सहायक अवर निरीक्षक  (Assistant Sub- Inspector)

➤हवालदार (hawaldar)

सिपाही (constable)

महानिदेशक (डायरेक्टर जनरल ऑफ पुलिस)- राज्य स्तरीय पुलिस संरचना में सबसे ऊपर महानिदेशक होता है 

अपर महानिदेशक इसके नीचे क्रमशः अपर महानिदेशक एवं महानिरीक्षक होता है 

महानिरीक्षक के नीचे उपमहानिरीक्षक होता है

उपमहानिरीक्षक  जो प्रमंडल का प्रधान पुलिस अधिकारी होता है और आयुक्त के समक्ष होता है 

उपमहानिरीक्षक के नीचे आरक्षी अधीक्षक का पद होता है 

आरक्षी पुलिस अधीक्षक जो जिला का प्रधान पुलिस अधिकारी होता है 

आरक्षी अधीक्षक( एस पी) के नीचे आरक्षी उपाधीक्षक अनुमंडल आरक्षी पदाधिकारी होता है

आरक्षी उपाधीक्षक या अनुमंडल पुलिस पदाधिकारी  जो अनुमंडल का प्रधान पुलिस अधिकारी होता है

पुलिस मुख्यालय में नियुक्त होने पर यह आरक्षी उपाधीक्षक एवं क्षेत्र में नियुक्त होने पर अनुमंडल आरक्षी पदाधिकारी कहलाता है

आरक्षी उपाधीक्षक या अनुमंडल पुलिस पदाधिकारी के नीचे आरक्षी निरीक्षक का पद होता है 

आरक्षी निरीक्षक जो एक से अधिक थानों का प्रभारी होता है

 बड़े इलाके में (उदाहरण - राँची कोतवाली थाना) एक ही थाना का प्रभारी होता है

आरक्षी निरीक्षक  के नीचे आरक्षी अवर निरीक्षक या थाना प्रभारी का पद होता है  

आरक्षी अवर निरीक्षक या थाना प्रभारी जो थाना का प्रधान पुलिस अधिकारी होता है इसे थाना प्रभारी भी कहा जाता है 

विदित हो कि सबसे निचली इकाई थाना ही होता है जो प्रखंड या अंचल के समकक्ष होता है

अवर निरीक्षक के नीचे क्रमशः सहायक अवर निरीक्षक, हवलदार और सिपाही होते हैं

➤सिपाही पुलिस संरचना का सबसे नीचे पद होता है 

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Monday, September 21, 2020

Jharkhand Ki Prashasanik Vyavastha Part-3(Administrative System Of Jharkhand)

झारखण्ड की प्रशासनिक व्यवस्था PART-3

(Administrative System Of Jharkhand)



अनुमंडल प्रशासन

➤ जिला प्रशासन के बाद क्षेत्रीय प्रशासन में अनुमंडल प्रशासन आता है

➤ यह पद भारतीय प्रशासनिक सेवा के पदाधिकारी या  राज्य प्रशासनिक सेवा के पदाधिकारी को सौंपा जाता है

➤ झारखंड के अनुमंडल प्रशासन में दोनों प्रकार के पदाधिकारी हैं 

➤ये पदाधिकारी भी अपने क्षेत्र में जिला पदाधिकारी की भांति ही बहुत तरह की भूमिका का निर्वाह करते हैं 

➤राजस्व ,विधि और न्याय संबंधी कार्यों में इनकी प्रमुख भूमिका होती है

➤ जिसका प्रमुख अनुमंडल पदाधिकारी ( एस0 डी0 एम0) होता है

➤ इसके साथ ही यह विकास संबंधी योजनाओं का पर्यवेक्षण और क्रियान्वयन करने का कार्य करते हैं

➤यह पदाधिकारी कृषि और भूमि संबंधी राजस्व वसूलने और अंचलाधिकारियों  के आदेशों के विरुद्ध

 अपील सुनने का कार्य करता है

➤अपने अधीनस्थ प्रतिनियुक्तियों का कार्य करता है 

➤क्षेत्र में कानून व्यवस्था बनाए रखने हेतु पुलिस पर नियंत्रण और आदेश जारी करता है 

क्षेत्र में शस्त्र आवेदनों पर अनुशंसा के साथ शास्त्रों का वार्षिक निरीक्षण करता है

➤इसके अलावा अपने क्षेत्र में आने वाले जिला के विशेष व्यक्तियों की सुरक्षा का प्रबंध करता है

 झारखंड में अनुमंडल की संख्या 45 है

 झारखंड राज्य निर्माण के समय अनुमंडल की संख्या 33 थे

 प्रखंडों को मिलाकर अनुमंडल बनता है


जिला          संख्या       अनुमंडल 

1        रांची                                 2                   राँची  और  बुंडू 

2       दुमका                               1                   दुमका 

     गुमला                                3                   गुमला, चैनपुर, बसिया

4      पश्चिमी सिंहभूम                 3                   चाईबासा,पोड़ाहाट,

                                                                      जगन्नाथपुर 

5      गिरिडीह                           4                   गिरिडीह, खोरी महुआ,

                                                                      डुमरिया,सरिया 

6      पलामू                                3                  मेदिनीनगर, हुसैनाबाद, 

                                                                      छतरपुर 

7      लातेहार                             2                   लातेहार, महुआडांड़ 

8      गढ़वा                                 3                   गढ़वा,नगरउंटारी,रंका

9      सिमडेगा                            1                   सिमडेगा 

10    चतरा                                 2                    चतरा, सिमरिया

11    हजारीबाग                         2                    हजारीबाग, बरही

12   पूर्वी सिंहभूम                       2                    धालभूमगढ़, घाटशिला

13   बोकारो                               2                    चास, बेरमो

14   सरायकेला खरसावां           2                    सरायकेला खरसावां ,

                                                                        चाण्डिल 

15   खूंटी                                   1                     खूंटी

16   देवघर                                 2                     देवघर, मधुपुर

17   गोड्डा                                   2                     गोड्डा ,महागामा 

18   साहिबगंज                          2                     साहिबगंज, राजमहल

19   धनबाद                               1                     धनबाद 

20  जामताड़ा                             1                     जामताड़ा  

21  पाकुड़                                  1                      पाकुड़ 

22  लोहरदगा                             1                      लोहरदगा

23  कोडरमा                              1                       कोडरमा 

24   रामगढ़                                1                        रामगढ़ 

   


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Monday, September 14, 2020

Jharkhand Ki Prashasanik Vyavastha Part-2(Administrative System Of Jharkhand)

झारखण्ड की प्रशासनिक व्यवस्था PART-2

(Administrative System Of Jharkhand)

क्षेत्रीय प्रशासन

➤प्रशासनिक सुविधा के लिए झारखंड राज्य को  प्रमंडलों में , प्रमंडल  को ज़िलों में, जिला को  अनुमंडलों में एवं अनुमंडल को प्रखंडों में प्रखंड को अंचलों में बांटा गया है

वर्तमान में झारखंड राज्य  वर्तमान में झारखंड राज्य में 5 प्रमंडल, 24 जिले, 45 अनुमंडल और 267 प्रखंड है 

राज्य में क्षेत्रीय प्रशासन होता है, जो व्यापक रूप से राज्य में सरकारी नीतियों, नियमों और सुविधाओं को आदेशात्मक रूप से क्रियान्वयन  करता है

राज्य में क्षेत्रीय प्रशासन को 5 भागों में बांटा गया है 

प्रमंडलीय प्रशासन

 जिला प्रशासन 

अनुमंडल प्रशासन

प्रखंड प्रशासन 

ग्राम पंचायत 

प्रमंडलीय प्रशासन

➤राज्य में पांच प्रमंडल है जो निम्न प्रकार है 

 प्रमंडल  -                                 मुख्यालय 

 पलामू प्रमंडल   -                     मेदिनीनगर

संथाल परगना प्रमंडल -           दुमका

उत्तरी छोटानागपुर प्रमंडल -    हजारीबाग

दक्षिणी छोटानागपुर         -      रांची

कोल्हान प्रमंडल         -            चाईबासा

प्रमंडलीय प्रशासन व्यवस्था जिसके प्रमुख प्रमंडलीय आयुक्त होते हैं। 
➤ये आयुक्त भारतीय प्रशासनिक सेवा के अधिकारी होते हैं
आयुक्त के कार्यों में जिलाधिकारियों के विधि -विकास कार्यों में पर्यवेक्षक की भूमिका और न्यायालय के कार्य आदि होते हैं 
आयुक्त के सहायक अपर जिला दंडाधिकारी स्तर के सचिव के अलावा एक उपनिदेशक (खाद्य) उप-निदेशक (पंचायती राज) और अपर जिला दंडाधिकारी (फ्लाइंग स्क्वॉयड)के रूप में होते हैं  
प्रमंडल का प्रमुख आयुक्त कमिश्नर कहलाता है 

जिला प्रशासन    

 झारखंड में कुल 24 जिले हैं 

झारखंड राज्य गठन के समय 18 जिले थे

 झारखंड गठन के बाद 6 जिला का निर्माण हुआ

 सरायकेला खरसावां :- पश्चिमी सिंहभूम जिला के विभाजन के फल स्वरुप 19वॉ जिला के रूप में स्थापित किया गया, इसका गठन 1 अप्रैल 2001 को हुआ 

लातेहार :- पलामू जिला के विभाजन के फल स्वरुप 20वां जिला बना, इसका गठन 4 अप्रैल 2001 को हुआ

 जामताड़ा :- दुमका जिला के विभाजन के फल स्वरुप 21वां जिला बना, इसका गठन 26 अप्रैल 2001 को हुआ

सिमडेगा :- गुमला जिला के विभाजन के फल स्वरुप 22वां जिला बना , इसका गठन 30 अप्रैल 2001 को हुआ

 खूंटी :- रांची जिला के विभाजन के फल स्वरुप 23वां जिला के रूप में बना, इसका गठन 12 सितम्बर  2007 को हुआ

 रामगढ़ :- हजारीबाग जिले के विभाजन के फल स्वरुप 24वॉ जिला बना , इसका गठन 12 सितम्बर  2007 को हुआ

 जिला प्रशासन का उद्देश्य सरकार के सभी सेवाओं को प्रभावी ढंग से नागरिकों का तक पहुंचाना है। 
इसका प्रमुख जिला अधिकारी होता है। 
राज्य में जिला अधिकारी को 'उपायुक्त' पदनामित किया जाता है। 
इससे विभिन्न पदों में अपना कार्यभार संभालना होता है। 

कलेक्टर के रूप में उपायुक्त को निम्न कार्य करने होते हैं

भू-राजस्व वसूली
➤कैनाल एवं अन्य शुल्क की वसूली 
राजकीय ऋणों की वसूली 
➤राष्टीय विपदाओं का मूल्यांकन और उसमें सहायता कार्य
स्टांप एक्ट का प्रभावी क्रियान्वयन 
सामान्य एवं विशेष भूमि अर्जन का कार्य
जमीनदारी बॉण्ड्स का भुगतान
भू-अभिलेखों का समुचित रख-रखाव
भूमि पंजीकरण का कार्य 
➤संख्यांकी संबंधी रिकॉर्ड रखना

जिला पदाधिकारी की भूमिका में उपायुक्त के कार्य इस प्रकार हैं

कलेक्टर की भूमिका के साथ ही उपायुक्त को जिला पदाधिकारी की भूमिका भी निभानी पड़ती है
 नागरिक सुविधाओं के क्रियान्वयन हेतु इस भूमिका में उपायुक्त के कार्य इस प्रकार हैं 

 राज्य सरकार के आदेशों का क्रियान्वयन करना 
 जिला कोषागार का प्रबंध करना 
 प्रशासनिक पदाधिकारियों को परीक्षण देना  
चरित्र प्रमाण पत्र और नागरिकता संबंधी प्रमाण पत्र निर्गत करना  
अनुसूचित जनजाति,जनजाति, पिछड़े वर्गों, सैनिकों और भूमिहीनों के लिए भूमि बंदोबस्ती संबंधी कार्य करना  
जिला समाहरणालय में दंडाधिकारियों की प्रतिनियुक्ति करना 
कर्मचारियों एवं पदाधिकारियों के पेंशन संबंधी मामलों का निष्पादन करना  
जिला स्तरीय समितियों के अध्यक्षता और नियमित बैठकों का आयोजन करना 
केंद्र अथवा राज्य के मंत्रियों के जिले में आगमन पर सुरक्षा-प्रबंध करना 
जिला स्तर के सभी अधिकारियों पर बजट नियंत्रण रखना 
राष्ट्रपति, प्रधानमंत्री, उपराष्ट्रपति के जिला-भ्रमण दौरो पर सुरक्षा-प्रबंध करना 
➤जिला में शिक्षा की गुणवत्ता बनाए रखने के लिए शिक्षा पदाधिकारियों का पर्यवेक्षण करना 
सामान्य नागरिकों की शिकायतें सुनकर आवश्यक कार्रवाई करना   
जिले में मूलभूत सुविधाओं का आपूर्ति संबंधी पर्यवेक्षण करना   
अनुमंडल प्रखंड ग्राम स्तर के पदाधिकारियों पर नियंत्रण, पर्यवेक्षण और उन्हें अवकाश देने संबंधी कार्य करना  

जिला दंडाधिकारी की भूमिका में उपायुक्त के कार्य इस प्रकार हैं

उपायुक्त को इन दो भूमिकाओं के बाद जिला दंडाधिकारी के रूप में भी जिला में शांति बनाए रखने का महत्वपूर्ण कार्य करना होता है 
इस भूमिका में उपायुक्त के कार्य इस प्रकार हैं 

पर्व त्योहार और विशेष व्यक्ति की सुरक्षा में दंडाधिकारी की तैनाती करना  
अनुसूचित जाति ,जनजाति, पिछड़े वर्ग को प्रमाण पत्र निर्गत करना  
अशांति, हिंसा और दंगों की स्थिति में सेना का प्रभावित क्षेत्र में फ्लैग मार्च कराना 
बिगड़ती न्याय व्यवस्था के नियंत्रण के लिए आवश्यक कदम उठाना, कर्फ्यू लगाना आदि  
अधीनस्थ कार्यपालक दंडाधिकारियों  की प्रतिनियुक्ति करना 
जेलों का औचक अथवा पूर्व नियोजित, नियोजित निरीक्षण करना 
➤बंदियों  को व्यवहार के आधार पर श्रेणी देना अथवा पैरोल पर छोड़ना  
अपराधों की वार्षिक रिपोर्ट राज्य सरकारों को सौंपना  
जिला अंतर्गत सभी थानों का वार्षिक निरीक्षण करना  
➤आपदा, दुर्घटना, उग्रवादी गतिविधियों में पीड़ितों को मुआवजा देना 
जिला स्तर के विभिन्न चुनाओं को शांतिपूर्ण संपन्न कराना 
जिले में मनोरंजन संस्थाओं से मनोरंजन कर लागू करके वसूलना 
जिले की मतदाता सूची को अद्यतन करना कराना 
संसदीय विधानसभा  क्षेत्रों का परिसीमन कराना  
जनगणना संबंधी कार्य पूर्ण कराना 

जिला समन्वयक की भूमिका में उपायुक्त के कार्य इस प्रकार हैं

जिला उपायुक्त को विभिन्न जिला स्तरीय विभागों के बीच सहयोग एवं समन्वय बनाकर रखना पड़ता है।

इस समन्वयक भूमिका में वह निम्नलिखित विभागों और उनके पदाधिकारियों से निरंतर संपर्क में रहता है 

पुलिस विभाग के पुलिस अधीक्षक से 
 वन विभाग के वन पदाधिकारी से  
शिक्षा विभाग के जिला शिक्षा पदाधिकारी से 
सहकारी विभाग के सहायक निबंधक से 
कृषि विभाग के जिला कृषि पदाधिकारी से 
खनन विभाग के सहायक खनन पदाधिकारी से 
चिकित्सा विभाग के सिविल सर्जन से  
निबंधन विभाग के सहायक निबंधक से  
उद्योग विभाग के जिला उद्योग पदाधिकारी से 
उत्पाद विभाग के अधीक्षक से 
आपूर्ति विभाग के जिला आपूर्ति पदाधिकारी से 

इस प्रकार जिलाधिकारी/उपायुक्त जिले का प्रमुख होता है जो अपनी पूर्ण क्षमता और अधिकारों के साथ जिले के नागरिकों और राज्य सरकार के बीच सुविधा-सेतु का काम करता है 

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Sunday, September 13, 2020

Jharkhand Ki Prashasanik Vyavastha Part-1(Administrative System Of Jharkhand)

झारखण्ड की प्रशासनिक व्यवस्था PART-1

(Administrative System Of Jharkhand)

झारखण्ड की प्रशासनिक व्यवस्था PART-1

सचिवालय (The Secretariat)

➤राज्य की सभी प्रशासनिक इकाइयों, विभागों के संचालन, समन्वय और प्रशासन पर केंद्रीय स्तर पर तालमेल बैठाने के लिए सचिवालय का गठन किया जाता है 
सचिवालय राज्य प्रशासन का मुख्य केंद्र होता है 
➤राज्यव्यवस्था और प्रशासनिक क्रियाओं से सम्बंधित सभी कार्यों का नीति निर्धारण ,निर्देशन और क्रियान्वयन यही से होता है 
सचिवालय मुख्यमंत्री व मंत्रिमण्डल तथा राज्य प्रशासन के बीच कड़ी का काम करता है 
➤झारखण्ड राज्य का प्रशासनिक मुख्यालय राँची स्थित सचिवालय है। 


राज्य सचिवालय में दो प्रकार के पदाधिकारी होते है


1. राजनीतिक पदाधिकारी और 
2 .प्रशासनिक पदाधिकारी 
 

1. राजनीतिक पदाधिकारी

मुख्यमंत्री 
कैबनिट मंत्री 
राज्य मंत्री 
उप मंत्री 
संसदीय सचिव 

2. प्रशासनिक पदाधिकारी

मुख्य सचिव 
अतिरिक्त मुख्य सचिव 
प्रमुख सचिव  
 सचिव 
विशिष्ट सचिव 
उप सचिव 
सहायक सचिव 
अनुभाग अधिकारी 
वरिष्ठ अधिकारी 
वरिष्ठ लिपिक 
कनिष्ट लिपिक 
चथुर्त श्रेणी कर्मचारी 

सचिवालय के विभाग

राज्य निर्माण के समय झारखंड में सचिवालयम के विभागों की संख्या सीमित थी।  
लेकिन वर्तमान में यह बढ़कर 31 तक पहुंच गई है विभागों के नाम इस प्रकार है। 
कार्मिक, प्रशासनिक सुधार एवं राजभाषा विभाग
मंत्रिमंडल सचिवालय एवं निगरानी विभाग 
मंत्रिमंडल(निर्वाचन)विभाग 
राजस्व, पंजीकरण एवं भूमि सुधार विभाग
ग्रामीण विकास एवं पंचायती राज विभाग 
कृषि एवं पशुपालन एवं सहकारिता विभाग
खाद्य सार्वजनिक वितरण एवं उपभोक्ता  
➤उच्च एवं तकनीकी शिक्षा विभाग
विद्युत विभाग
भवन निर्माण
नगर विकास एवं आवास विभाग  
 परिवहन विभाग कार्य विभाग 
विधि विभाग
योजना-सह -वित्त विभाग
वाणिज्य कर विभाग
स्वास्थ्य चिकित्सा शिक्षा एवं परिवार कल्याण विभाग
 जल संसाधन विभाग 
पेयजल एवं स्वछता विभाग 
उद्योग विभाग
 सड़क निर्माण विभाग
खान एवं भूगर्भ विभाग
पर्यटन,कला संस्कृति ,खेलकूद एवं युवा विभाग 
➤सुचना एवं  प्रौद्योयोगिकी  प्रौद्योगिकी एवं इ -गवर्नेंस विभाग
वन पर्यावरण एवं जलवायु मामले विभाग 
कल्याण विभाग
श्रम एवं नियोजन विभाग
गृह ,जेल एवं आपदा प्रबंधन कल्याण विभाग
कर विभाग समाज कल्याण विभाग
➤ सूचना और जनसम्पर्क विभाग 
 आबकारी विभाग
महिला बाल विकास एवं सामाजिक सुरक्षा विभाग।  

प्रत्येक विभाग का राजनीतिक प्रधान एक मंत्री होता है 
प्रत्येक विभाग का एक सचिव सेक्रेट्री होता है, जो विभाग का प्रमुख अधिकारी होता है। 
विदित रहे कि कोई भी सचिव मंत्री विशेष का सचिव नहीं होता है, बल्कि वह विभाग या सरकार का सचिव होता है। 

 प्रत्येक विभाग के सचिवों को उनके कार्यों में सहायता पहुंचाने के लिए अधीनस्थ अधिकारियों, कर्मचारियों की एक लंबी श्रृंखला होती है।  
विशेष सचिव (Special Secretary),
 अपर सचिव (Additional Secretary), 
संयुक्त सचिव (Joint Secretary), 
उप सचिव (Deputy Secretary) 
अवर सचिव (Under Secretary) तथा अन्य अनेक अधिकारी एवं कर्मचारी।  

सचिव के मुख्य कार्य

सचिव के मुख्य कार्य  हैं 
नीति निर्धारण 
विधान एवं नियमावली निर्माण 
क्षेत्रीय नियोजन एवं परियोजना निर्माण 
बजट एवं नियंत्रण व्यवस्था 
➤क्रियान्वयन एवं मूल्यांकन 
➤समन्वय 
विभागीय मंत्रियों एवं मंत्रियों की सहायता करना  
  

मुख्य सचिव

 सचिवालय का प्रधान मुख्य सचिव (Chief  Secretary) होता है    
यह भारतीय प्रशासनिक सेवा के वरिष्ठ अधिकारी होता है    
यह  सचिवों का प्रधान होता है,वह लोक सेवाओं का प्रधान माना जाता है    
यह राज्य की प्रशासनिक व्यवस्था का नेतृत्व करता है  
➤वह सरकारी तंत्र का मुखिया होता है 
 राज्य सरकार का संपर्क अधिकारी होता है, वह केंद्र सरकार तथा अन्तर्राजीय सरकारों के साथ राज्य सरकार का संपर्क स्थापित करने का काम करता है  
झारखंड के प्रथम मुख्य सचिव का नाम विजय शंकर दुबे थे 
झारखंड के वर्तमान मुख्य सचिव सुखदेव सिंह हैं 
सुखदेव सिंह 1987 बैच के भारतीय प्रशासनिक सेवा के अधिकारी हैं
➤झारखण्ड के 23वें  मुख्य सचिव के रूप में पदभार संभाले 
मुख्य सचिव मुख्यमंत्री के प्रधान सलाहकार के रूप में कार्य करता है

➤झारखण्ड राज्य का प्रशासनिक मुख्यालय राँची स्थित सचिवालय है ,इनके 3 भाग हैं  

1.  मुख्य भाग -प्रोजेक्ट भवन एच.ई.सी. हटिया 
2 . दूसरा भाग -डोरंडा स्थित नेपाल हाउस
3 . तीसरा भाग- ऑड्रे हाउस 

12 सितंबर 2019 को प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने झारखंड सरकार के नए विधानसभा के साथ-साथ सचिवालय का भी शिलान्यास किया 

 झारखंड के  नया सचिवालय की विषेशता:-

नया सचिवालय झारखंड की राजधानी रांची के जगन्नाथपुर के कुटे बस्ती में बनेगा
 इसमें  कुल -1238 करोड रुपए खर्च होंगे
 नया सचिवालय 23 पॉइंट 60 लाख वर्गफीट में बनना है 
झारखंड सरकार का नया सचिवालय भवन आधुनिक बनाने की योजना है 
नया सचिवालय भवन में दो ब्लॉक होंगे जो क्रमशःनॉर्थ ब्लॉक और साउथ ब्लॉक के रूप में जाने जाएंगे 
 सचिवालय भवन में मुख्यमंत्री, मुख्य सचिव, के अलावा राज्य सरकार के 12 मंत्रियों के लिए भी कक्ष होंगे 
इसके अतिरिक्त सचिवालय भवन में 32 विभागों का कार्यालय होगा
 विभिन्न ब्लॉक में बेसमेंट के अतिरिक्त जी प्लस 3 बिल्डिंग होगा
 इससे थ्री स्टार ग्रीन बिल्डिंग जैसा विकसित करने की योजना है
 नया सचिवालय भवन में अधिकारियों और कर्मचारियों के लिए कैंटीन,रिफ्रेशमेंट रूम, स्टोर आदि की व्यवस्था होगी

 सचिवालय के कार्य

 सचिवालय के प्रमुख कार्य निम्नलिखित हैं 

सचिवीय सहायता :-  राज्य सचिवालय के महत्वपूर्ण कार्य में से एक है मंत्री मंडल एवं उसकी विभिन्न समितियों को सचिवीय सहायता प्रदान करना 

 सूचना केंद्र के रूप में :-राज्य सचिवालय सरकार से संबंधित आवश्यक सूचनाओं को मंत्रिमंडल एवं उनकी विभिन्न समितियों तथा राज्यपाल को प्रेषित करता है
 मंत्रिमंडल की  बैठकों में लिए गए निर्णयों की सूचना भी वह संबंधित विभागों को भेजता है

समन्वयात्मक कार्य :- मुख्य सचिव विभिन्न समितियों का अध्यक्ष होने के नाते विभिन्न विभागों के बीच समन्वय स्थापित करता है

सलाहकारी  कार्य :-राज्य सचिवालय मुख्यमंत्री एवं अन्य मंत्रियों को नीतियों के निरूपण एवं संपादन में सलाह देता है

अन्य कार्य :- राज्यपाल द्वारा विधानसभा में दिए जाने वाले अभिभाषणों एवं संदेशों को तैयार करना 
वित्त विभाग के सलाह  से विभाग का बजट तैयार करना 
नियुक्ति, पदोन्नति, वेतन आदि के बारे में नियम बनाना 
➤विभागीय अधिकारियों-कर्मचारियों का चयन एवं प्रशिक्षण, पदस्थापन  एवं  स्थानांतरण इत्यादि













 











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