All Jharkhand Competitive Exam JSSC, JPSC, Current Affairs, SSC CGL, K-12, NEET-Medical (Botany+Zoology), CSIR-NET(Life Science)

SIMOTI CLASSES

Education Marks Proper Humanity

SIMOTI CLASSES

Education Marks Proper Humanity

SIMOTI CLASSES

Education Marks Proper Humanity

SIMOTI CLASSES

Education Marks Proper Humanity

SIMOTI CLASSES

Education Marks Proper Humanity

Monday, August 24, 2020

Jharkhand Me Vano Ke Prakar(झारखंड में वनों के प्रकार)

झारखंड में वन और वनों के प्रकार

(Jharkhand Me Vano Ke Prakar)

झारखंड में वन

झारखण्ड शब्द से झाड़ -जंगल  से भरे  इलाका  ज्ञात होता है। 
वन संपदा और वन्य जीव-जंतु प्रकृति के द्वारा झारखंड को दिया हुआ एक अमूल्य तोहफा है। झारखंड में प्राकृतिक रूप से वन क्षेत्र बहुत विशाल है
राज्य के कुल क्षेत्रफल का 79,71 4 वर्ग किलोमीटर के 23605 वर्ग किलोमीटर क्षेत्र में जंगल फैला हुआ है, जो झारखंड के कुल क्षेत्रफल का 29 पॉइंट 61% भाग है। 
भारत के कुल वन क्षेत्र का 3 पॉइंट 4 प्रतिशत (3.4%) भाग झारखंड का वन क्षेत्र है जबकि पूरे भारत के कुल क्षेत्रफल का 2.42 % झारखंड का क्षेत्रफल है
झारखण्ड में प्रति व्यक्ति वन -0. 08 प्रति हेक्टेयर है 
झारखण्ड में सबसे प्रमुख वृक्ष -साल है। 
झारखण्ड सबसे अधिक वन प्रतिशत वाला जिला -लातेहार (56.02%) है 
झारखण्ड सबसे कम वन प्रतिशत वाला जिला -जामताड़ा  (5.36 %) है
अति सघन वन - 2598 वर्ग किलोमीटर है  
मध्यम सघन वन - 9686  वर्ग किलोमीटर है 
खुला  वन - 11.269 वर्ग किलोमीटर है 


झारखंड में वनों के प्रकार

 झारखंड में वनों की सुरक्षा के आधार पर वनों की तीन श्रेणियां हैं जो निम्नलिखित है। 

💥आरक्षित वन 

💥सुरक्षित वन 

💥अवर्गीकृत वन

आरक्षित वन (Reserved) (सरकारी संरक्षण )

वैसे वन जिसमें मनुष्यों को अपने पशुओं को चराने तथा लकड़ी काटने की अनुमति नहीं होती है, अर्थात इन्हें सरकारी संरक्षण में रखा जाता है,ताकि वनों को कोई हानि न पहुंचे। 
राज्य में संरक्षित वनों का क्षेत्रफल 4387 वर्ग किलोमीटर है जो कुल वन क्षेत्र का 18 पॉइंट 58% है  
राज्य का सबसे बड़ा संरक्षित वन क्षेत्र कोल्हान एवं पोरहट वन क्षेत्र है  
राजमहल और पलामू क्षेत्र के वन  इस श्रेणी में है  
सुरक्षित वन के अंतर्गत सर्वाधिक क्षेत्रफल पश्चिमी सिंहभूम जिला में है 

सुरक्षित वन (Protected Forest)

जिसमें पशुओं को चराने एवं एक सीमा तक लकड़ी काटने की अनुमति सरकार के द्वारा दी जाती है रक्षित वन कहलाता है  
 इन वनों का कुल क्षेत्रफल 19.185 वर्ग किलोमीटर जो कुल  वन क्षेत्रफल का 81 पॉइंट 28 प्रतिशत है  
इनका सर्वाधिक विस्तार हजारीबाग में है 
इसके  बाद गढ़वा, पलामू ,रांची ,लोहरदगा का स्थान है 

अवर्गीकृत वन (Unclassified Forest)

ऐसा वन  जिसमे पशुओं को चराने तथा लकड़ी काटने के लिए सरकार का कोई प्रतिबंध नहीं होता है  
लेकिन सरकार इसके लिए शुल्क लेती है, अवर्गीकृत वन की श्रेणी में आता है 
इन का कुल क्षेत्रफल 33 वर्ग किलोमीटर है जो कूल वन क्षेत्रफल का जीरो पॉइंट 14% है
राज्य में इस तरह के वन  साहिबगंज, पश्चिमी सिंहभूम,दुमका, हजारीबाग, पलामू एवं गुमला में पाए जाते हैं
 

झारखंड में दो प्रकार के वन  प्रदेश पाए जाते हैं 

1) उष्ण कटिबंधीय आर्द्र वर्षा वन 

2)  उष्ण कटिबंधीय शुष्क पतझड़ वन

उष्णकटिबंधीय आर्द्र वर्षा वन

जिन क्षेत्रों में 120 सेंटीमीटर से अधिक वर्षा होती है वैसे  उष्ण कटिबंधीय आर्द्र वर्षा वन पाया जाता है  
 ऐसे क्षेत्र को उष्ण कटिबंधीय आर्द्र वर्षा वन प्रदेश कहा जाता है झारखंड में आर्द्र वनों का विस्तार सिंहभूम, दक्षिणी लातेहार एवं संथाल परगना में है
यह वही क्षेत्र है जो जलवायु की दृष्टि से सागरीय मौसम से प्रभावित जलवायु क्षेत्र है और जहां अधिक वर्षा होती है
 इन वनों में साल,शीशम ,जामुन ,पलाश ,सेमल,करमा ,महुआ ,और बांस मिलते हैं
साल के वृक्षों की प्रधानता है जिनके वन घने होते हैं, और पेड़ों की ऊंचाई भी ज्यादा होती है, साल को पर्णपाती पतझड़ वनों का राजा कहा जाता है

उष्ण कटिबंधीय शुष्क पतझड़ वन

शुष्क पतझड़ वन प्रदेश जिन क्षेत्रों में 120 सेंटीमीटर से कम वर्षा होती है, वहां ऐसे वन पाए जाते हैं,ऐसे  क्षेत्र को उष्ण कटिबंधीय शुष्क पतझड़ वन प्रदेश कहा जाता है
 झारखंड में शुष्क पतझड़ वनों का विस्तार पलामू, गिरिडीह, सिंहभूम, हजारीबाग,धनबाद और संथाल परगना में है, ऐसे क्षेत्र में कम वर्षा होती है 
ऐसे जगहों पर लगभग झाड़ियां एवं घास है, इस क्षेत्र  में साल, अमलतास, सेमल, महुआ एवं शीशम के पेड़ मिलते हैं इनकी गुणवत्ता अपेक्षाकृत निम्न होती है बाँस , नीम, पीपल, हर्रा , पलाश, कटहल एवं गूलर के वृक्षों की प्रधानता है

 वन संपदा

वन संपदा या वनों से प्राप्त होने वाले उत्पाद  को वन संपदा के अंतर्गत शामिल किया गया है इन को दो वर्गों में रखा गया है

मुख्य उपज

 गौण उपज 

मुख्य उपज

मुख्य उपज में केवल लकड़ियों से उत्पादन को गिना जाता है

 झारखंड में जिन वृक्षों की लकड़ियां को बहुत उपयोग में लाया जाता है उनका संक्षिप्त में विवरण निम्न  प्रकार है
 
साल :- यह वृक्ष लगभग संपूर्ण क्षेत्र में मिलता है ,साल झारखंड का राजकीय वृक्ष है
यह वृक्ष यहां के जनजातीय समाज में बड़ी धार्मिक महत्व की है
 इसका उपयोग मकान ,फर्श , फर्नीचर, रेल के डिब्बे एवं पटरियों  को रखने के लिए स्लैब इत्यादि को  बनाने में उपयोग होता है
साल को सुखवा भी कहते हैं, साल के पुष्पों को 'सरई फूल' कहते हैं
साल के बीजों से तेल निकाला जाता है, जिससे कुजरी तेल कहते हैं ,जो प्राकृतिक चिकित्सा के लिए बहुत उपयोगी है 

शीशम :- इसकी लकड़ी काफी मजबूत होती है, इसका उपयोग फर्नीचर बनाने में होता है 
राज्य में उत्तरी एवं मध्यवर्ती क्षेत्र में शीशम का वृक्ष अधिकांश मिलते हैं, इसकी लकड़ियां चिकनी और धारदार होती हैं

 महुआ :- झारखंड में महुआ वृक्ष लगभग सभी जगह पर पाया जाता है
इसके फूल, फल एवं लकड़ी सभी उपयोगी होते हैं फूल से शराब, पके फलों के बीज से तेल निकाला जाता है, कच्चे फलों को सब्जी के रूप में उपयोग किया जाता है
 इसकी लकड़ियां काफी मजबूत होती है, जो पानी में भी जल्दी नहीं सड़ती है, महुआ झारखंड का सर्वाधिक उपयोगी वृक्ष है, इसलिए इसकी लकड़ी के दरवाजा एवं खंभे बनाए जाते हैं
इसके फूल से देसी शराब बनाई जाती है

सागौन :- सागौन सारंडा, पोरहाट  और कोल्हान क्षेत्र में अपेक्षाकृत अधिक जलवायु होने के कारण इन वृक्षों का रोपण किया जाता है इसकी लकड़ी बहुत ही मजबूत एवं सुंदर होती है इनका उपयोग रेल के डिब्बे ,हवाई जहाज इत्यादि बनाने में होता है

 गम्हार :- इसकी लकड़ी हल्की,मुलायम और चिकनी होने के साथ-साथ काफी टीकाऊ  होती है
 लकड़ियों पर नक्काशी करने की दृष्टि से यह सबसे अधिक उपयोगी लकड़ी है ,फर्नीचर बनाने में भी उपयोग होता है

 आम :- इस  पेड़ की लकड़ी सबसे सस्ते और सुलभ होती है, इसका उपयोग दरवाजे ,खंबे, खड़की एवं अन्य फर्नीचर बनाने में उपयोग होता है
 इसके फल बहुत स्वादिष्ट होते हैं, जिस कारण से फलों का राजा कहा जाता है, इसके फल को अमृत फल भी कहा जाता है 

जामुन :- की लकड़ी पानी में हजारों वर्ष रहने के बावजूद नहीं सड़ती है, इसी कारण इसे कुआं के आधार के रूप में इस्तेमाल किया जाता है 
अन्य उपयोग फर्नीचर बनाने में, इसका फल भी खाया जाता है, और इसके बीज से दवा बनाया जाता है
 
केन्दु:- को मुख्य उत्पाद एवं गौण  उत्पाद दोनों वर्गों में शामिल किया जाता है  
जब  केन्दु की  लकड़ियों  का उत्पाद बनाया जाता है,तो वह मुख्य उत्पाद होता है, लेकिन  जब केन्दु की  पत्तियों का उत्पाद बनाया जाता है तो गौण वह उत्पाद होता है 
 ध्यान देने योग्य बात यह है कि केन्दु  का उपयोग मुख्य उत्पाद की तुलना में, गौण उत्पाद के रूप में मुख्य होता है 

सेमल :- की लकड़ियां हल्की मुलायम और सफेद होती है, इनका सर्वाधिक उपयोग पैकिंग के लिए,पेटियां बनाने में और खिलौना बनाने में होता है, इसकी रुई काफी उपयोगी होती है 

अन्य:- इमारती लकड़ियों में पैसार ,तुन,करमा, आसन,सिध्दा ,ढेला ,नीम ,बेल , इमली (तेतर) ,बेल,पीपल आदि महत्वपूर्ण है

 गौण उपज 

 झारखंड में पाए जाने वाले गौण उत्पाद इस प्रकार है:-

लाह :- उत्पादन की दृष्टि से झारखंड का देश में प्रथम स्थान है
 यहां देश का कुल उत्पादन का 50 प्रतिशत झारखण्ड में उत्पादन होता है, झारखंड में ऐसे क्षेत्र बहुतायत में मिलते हैं जो लाह उत्पादन की दृष्टि में सर्वथा अनुकूल है,इन क्षेत्र में लाह उत्पादन के लिए उपयुक्त वातावरण प्राप्त होता है 
लाह  के उत्पादन के लिए खूटी-रांची जिला, गढ़वा-पलामू-लातेहार ,सिंहभूम क्षेत्र,संताल परगना और  हजारीबाग क्षेत्र प्रमुख है  
लाह से संबंधित शोध कार्य के लिए भारतीय कृषि अनुसंधान परिषद के अंतर्गत नामकुम रांची में भारतीय लाह  शोध अनुसंधान केंद्र की स्थापना की गई है

केंदु पत्ता:-  झारखंड के  वन उत्पाद में बहुत ही ख़ास वस्तु और बहुत अधिक राजस्व का साधन माना जाता है पलामू गढ़वा सिंहभूम, गिरिडीह और हजारीबाग जिले में इसका उत्पादन होता है 
केंदु पत्ता का  व्यापार अन्य सभी लघु वन उपज संग्रहक  की तरह बिक्री हेतु स्वतंत्र नहीं है इसके लिए सरकार द्वारा बेचने की मंजूरी लेना जरुरी होता है 
व्यापार में ठेकेदारों की भूमिका कम करने और प्राथमिक संग्रहको केंदु पत्ता  संग्रहण के बदले उचित मजदूरी का भुगतान करने के उद्देश्य से झारखंड राज्य केंद्र पत्ता नीति 2015 को दिनांक 27 /01/2016 को अधिसूचित की गई। केंदु पत्ता से बीड़ी और तंबाकू के मिश्रण बनाए जाते हैं
सर्वाधिक लाह उत्पादक जिला -खूटी  है। 

तसर/मलबरी/ रेशम :- तसर उत्पादन की दृष्टि से झारखंड का देश में प्रथम स्थान है 
यहां देश के कुल तसर उत्पादन का 60% होता है
 रेशम के उत्पादन में साल, अर्जुन, आसन,शहतूत आदि वृक्षों की आवश्यकता होती है जो झारखंड के वनों में बहुतायत में मिलते हैं 
रांची के नगड़ी  में भारत सरकार ने 'तसर अनुसंधान केंद्र' स्थापित किया है
रेशम आधारित उत्पादों के विकास के लिए झारखंड सरकार ने 2006 में 'झारखंड सिल्क, टेक्सटाइल एवं हैंडीक्राफ्ट डेवलपमेंट कारपोरेशन' (झारक्राफ्ट) की स्थापना की है
झारखंड देश का सबसे बड़ा कोकून और तसर का उत्पादक राज्य है 
सिल्क के सूत प्राप्त करने के लिए कोकून की खेती की जाती है इसकी खेती राज्य में दो मौसम में होती  मई से जून, से अगस्त सितंबर तक तथा दूसरा सितंबर-अक्टूबर से नवंबर - दिसंबर तक 
कोकून की खेती से 17000 किसान जुड़े हुए हैं

बाँस :- गौण  उत्पाद में बांस का अपना अलग महत्व है, क्योंकि कई आदिवासी एवं अनुसूचित जातिया  बांस द्वारा खेती-गृहस्ती एवं घरेलू उपयोग के लिए सामान तैयार कर सीधे बाजार में बेचकर अपना जीवन- यापन करते हैं 
व्यापारिक स्तर पर इसका उपयोग घर बनाने कागज उद्योग एवं टेंट हाउस चलाने आदि में होता है

अन्य :-गौण उत्पादों में साल बीज, महुआ बीज ,महुआ पत्ता ,चिरौंजी, इमली, आंवला ,कत्था , मधु, गोंद, घास, पत्तियां, छाल, बीज, फूल-फल, कंद-मूल, जड़ी बूटियां उल्लेखनीय है



Share:

Friday, August 21, 2020

Jharkhand Ke Pramukh Udyan Aur Abhyaran(झारखंड के प्रमुख उद्यान और अभयारण्य)

Jharkhand Ke Pramukh Udyan Aur Abhyaran


💥  झारखंड में एकमात्रा बेतला राष्ट्रीय उद्यान (नेशनल पार्क) है। 
💥 11 वन्य प्राणी  अभयारण्य या शरण स्थल है।  
और  कई जैविक उद्यान है। 

बेतला राष्ट्रीय उद्यान




💨बेतला झारखंड का विख्यात वन्य प्राणियों की आश्रय स्थल है
💨यह राष्ट्रीय उद्यान लातेहार जिले में स्थित है
💨इसकी स्थापना -1986 में की गयी थीं। 
💨इसका क्षेत्रफल - 231. 67 वर्ग किलोमीटर है  
💨भारत सरकार द्वारा बाघ परियोजना मुहिम चलाया जा रहा है 
💨विश्व में पहली बार बाघों की गणना 1932 ईस्वी में बेतला राष्ट्रीय उद्यान में कराई गयी थी। 
💨रांची - डाल्टनगंज सड़क मार्ग पर रांची से लगभग 156 किलोमीटर की दूरी पर यह अभयारण्य स्थित है 
💨इस अभयारण्य के मुख्य जीव-जंतु में से रॉयल बंगाल टाइगर, हाथी, चीता, हिरण आदि प्रधान रूप से पाये जाते है
💨पर्यटकों के ठहरने के लिए वन विभाग के विश्राम गृह सहित निजी होटल एवं रेस्ट हाउस का भी यहाँ इंतज़ाम है  
 

पालकोट अभयारण्य




💨 रांची से पलकोट अभयारण्य की दूरी लगभग 120 किलोमीटर है, यह गुमला जिले के पालकोट प्रखंड के अंतर्गत चैनपुर वन प्रमंडल में अवस्थित  है 
💨इसकी स्थापना -1909  में की गयी थीं।
💨पलकोट अभयारण्य के चारों ओर से कई नदियां बहती हैं इन नदियों में शंख ,बाँकी, सिंजरा,पाईलमारा ,तोरपा है 
💨इस अभयारण्य में चीता, भालू, लकड़बग्घा, भेड़िया, सियार, बंदर, खरगोश आदि वन्य-पशु पाये जाते हैं  
💨पलकोट झारखंड के ऐतिहासिक स्थलों में से एक है, जहां छोटानागपुर के राजा के महल के अवशेष भी मोहकता का केंद्र है 

तोपचांची अभयारण्य





💨 वन्य पशुओं के आश्रय श्रेणी के रूप में विकास किया गया है ,यह अभयारण्य धनबाद जिला के तोपचांची नामक स्थान में स्थित है
💨 सड़क मार्ग धनबाद से इसकी दूरी 37 किलोमीटर है
💨इसकी स्थापना -1978   में की गयी थीं।
💨 झारखंड के विभिन्न अभयारण्यों की तुलना में यह एक छोटा अभयारण्य है जो 8 पॉइंट 75 वर्ग किलोमीटर में प्रसारित है
💨तोपचांची अभयारण्य के बीच में एक खूबसूरत झील है जिसका नाम हरी पहाड़ी है 
💨 इस अभयारण्य में चीता, जंगली सूअर, लंगूर, हिरण जैसे वन्य पशुओं को उनके प्राकृतिक रूप में देख सकते  हैं  


हजारीबाग अभयारण्य




💨हजारीबाग अभयारण्य  वन्य-पशु अभयारण्य रांची-पटना मार्ग पर हजारीबाग के नजदीक स्थित है। 
💨हजारीबाग से इसकी दूरी लगभग 22 किलोमीटर है, लगभग 186 पॉइंट 25 वर्ग किलोमीटर क्षेत्र  तक में इसका विस्तार है 
💨इसकी स्थापना -1976  में की गयी थीं।
💨यहाँ पर विभिन्न तरह की प्राकृतिक वनस्पति एवं जीव जंतु पाए जाते हैं 
💨 इसमें सांभर, चीता, नीलगाय, भालू, बाघ, गैंडा, जंगली सूअर,लंगूर, हिरण आदि वन्य पशु पाये जाते हैं💨वन्य पशुओं एवं अभयारण्य का देख-रेख करने के लिए चार ऊंचे वॉच टावर बनाए गए हैं जिनकी ऊंचाई 200 फीट है 


कोडरमा अभयारण्य



 

💨कोडरमा अभयारण्य रांची-पटना मार्ग पर हजारीबाग से आगे कोडरमा से लगभग 10 किलोमीटर की दूरी पर यह अभयारण्य स्थित  है 
💨इसकी स्थापना -1976  में की गयी थीं।
💨177 पॉइंट 5 वर्ग किलोमीटर में घने  साल वन में फैले इस अभयारण्य में सांभर, चीता , नीलगाय, जंगली सूअर, लंगूर, हिरण, खरगोश, मोर इत्यादि वन प्राणी प्रधान रूप से पाये जाते हैं 


दलमा अभयारण्य




💨दलमा अभयारण्य पूर्वी सिंहभूम जिले में टाटानगर के पास यह अभयारण्य लगभग 195 वर्ग किलोमीटर क्षेत्र में प्रसारित है
💨इसकी स्थापना -1976  में की गयी थीं।
💨भारत सरकार द्वारा देश का पहला हाथी आरक्षय सिंहभूम  जिले में दिनांक -26 -09 -2001 को अधिसूचित किया गया
💨 दलमा अभयारण्य पर हिरण, बंदर, नीलगाय, हाथी इत्यादि वन्य प्राणी देखने को मिलते है,यहाँ के आकर्षण का केंद्र हाथी है


बिरसा जैविक उद्यान




💨बिरसा जैविक उद्यान रांची-रामगढ़ मार्ग पर रांची से लगभग 20 किलोमीटर की दूरी पर ओरमांझी प्रखंड के अंतर्गत चकला नामक गाँव  के निकट स्थित है
💨इसकी स्थापना -1994  में की गयी थीं।
💨इसमें विभिन्न प्रजातियों  के जीव-जंतु, पशु-पक्षी एक बहुत विशाल क्षेत्र में फैले हुए, साल पेड़ों के वन के बीच प्राकृतिक अवस्था में रखे गए हैं 
💨विशाल एकड़ क्षेत्र में फैले उद्यान भ्रमण करने के लिए वर्त्तमान में पर्यटन विभाग द्वारा इको - फ्रेंडली गाड़ी भी प्रबंध  कराई गई है, जिस पर सवार होकर जीव-जंतु को देखने का मजा ही कुछ और लगता है
💨बच्चों के मनोरंजन के लिए यहाँ  नौका-विहार भी है
💨बिरसा  जैविक उद्यान के निकट ही मुटा  मगर प्रजनन केंद्र हैं, जिस जगह पर वैज्ञानिकों की देख-रेख में मगर प्रजनन कराया जाता है
💨 मगर प्रजनन केंद्र रुक्का राँची में है 


 बिरसा मृग विहार




💨रांची खूंटी के मार्ग पर जोड़ा पुल नामक स्थान के नजदीक काला माटी में  बिरसा मृग विहार अवस्थित है, रांची से इसकी दूरी मुख्य सड़क मार्ग से 20 किलोमीटर है जो सड़क  के पास  ही मिलता है 
💨इसकी स्थापना -1982 में की गयी थीं।
💨मृग विहार के पास ही से एक पहाड़ी नदी निकलती है, जो उस जगह को वनभोज  के लिए उपयुक्त बनाती है 
💨इस नदी पर एक के बाद एक दो पुल बना हुआ है यही कारण है की यह स्थान जोड़ा पुल के नाम से विख्यात है 
💨मृग विहार को विभिन्न प्रकार के हिरणों की आश्रय स्थली के रूप में विकास किया गया है

उधवा पक्षी अभयारण्य 





💨संथाल परगना प्रमंडल के साहिबगंज जिले से लगभग 40 किलोमीटर की दूरी पर स्थित यह अभयारण्य विभिन्न प्रकार के विभिन्न प्रजातियों के पक्षियों के कारण विख्यात है
💨इसकी स्थापना -1991  में की गयी थीं।
💨यह लगभग 650 वर्ग किलोमीटर क्षेत्र में विस्तरित  है 
💨यहां एक विस्तृत विशाल झील भी है, जो प्रवासी पक्षियों के निवास के लिए उपयुक्त है शरद ऋतु में इन प्रवासी पक्षियों को देखने के लिए पुरे देश से पर्यटक एवं पक्षी प्रेमी यहां आते हैं 
💨यहां पर कबूतर, चन्दुल, वनमुर्गी, खंजन, बुलबुल, नीलकंठ पक्षी अधिक पाए जाते हैं
💨राजमहल जीवाश्म अभयारण्य साहिबगंज जिले में है




Share:

Jharkhand Ke Pramukh Jalprapat (झारखंड के प्रमुख जलप्रपात)

Jharkhand Ke Pramukh Jalprapat

(झारखंड के प्रमुख जलप्रपात)

झारखंड की भौगोलिक संग रचनाओं में यहां के जलप्रपात विशेष महत्व रखते हैं यह झारखंड के दर्शनीय स्थल भी है झारखंड के पठारी क्षेत्र में अनेक जलप्रपात हैं



यहां इन का संक्षिप्त में विवरण निम्नलिखित है

1) उसरी जलप्रपात

💨 उसरी जलप्रपात  गिरिडीह जिले की उसरी नदी में धनबाद से 52 किलोमीटर दूर मुख्य सड़क से 2 किलोमीटर अंदर खंडोली पहाड़ी की ढलान पर स्थित है

💨 उसरी जलप्रपात उसरी नदी की धारा से बनने के कारण  इस जलप्रपात को उसरी जलप्रपात कहते  है

💨यहां आस-पास में घने जंगल होने के कारण यहां का दृश्य मनोहर और रोमांचकारी प्रतीत होता है 

💨उसरी जलप्रपात की एक विशेषता यह है कि नदी का पानी कुछ ऊपर उठकर नीचे की ओर गिरता है, यहां साल भर पर्यटकों का आना-जाना लगा रहता है

2) क्रांति जलप्रपात

💨 क्रांति जलप्रपात चंदवा कुंडू मार्ग पर स्नेहा गांव से लगभग 6 किलोमीटर की दूरी पर स्थित है, इसके नजदीक ही हरा-भरा जंगल होने के कारण यहां का दृश्य मनोहर और हरियाली है 

💨 मुख्य सड़क से नजदीक  होने के कारण यहां लोगों के लिए अच्छा पिकनिक स्पॉट बन गया है

3) जोन्हा जलप्रपात या गौतम धारा जलप्रपात

💨जोन्हा जलप्रपात या गौतम धारा जलप्रपात रांची से 32 किलोमीटर दक्षिण पूर्व में राढू  नदी पर स्थित है

💨 इस  जलप्रपात की  ऊंचाई लगभग 150 फिट है ,जोन्हा  गांव के नजदीक होने के कारण इसका नाम जोन्हा जलप्रपात पड़ा,ये जगह अत्यंत गहराई होने के कारण यहां नीचे उतरने के लिए सीढ़ियों का निर्माण किया गया है

4दशम जलप्रपात

💨 दशम जलप्रपात  रांची जमशेदपुर मार्ग पर रांची से 40 किलोमीटर की दूरी पर स्थित है

💨 इसकी ऊंचाई लगभग 144 फीट है, यह जलधारा जिस स्थान से गिरती है ,उसकी गहराई बहुत अधिक है, कहा जाता है इतनी ऊंचाई से गिरने के कारण इसकी जलधारा 10 धाराओं में बाँट जाती है, इसी कारण इसका नाम दशम जलप्रपात पड़ा

💨दशम जलप्रपात रांची के बुंडू प्रखंड के नजदीक तैमारा घाटी में कांची नदी पर स्थित है 

5) पंचघाघ  जलप्रपात

💨पंचघाघ  जलप्रपात  चाईबासा मार्ग पर खूंटी  से लगभग 14 किलोमीटर की दूरी पर स्थित है

💨यहां ऊंचाई से गिरकर 5 धाराओं में बाँट जाती है, इसी कारण इसका नाम पांचघाघ जलप्रपात पड़ा दिसंबर से फरवरी माह तक यहां का दृश्य अत्यंत ही मनोहर और रोमांचकारी रहता है

6) बूढ़ा घाघ जलप्रपात

💨बूढ़ा घाघ  जलप्रपात लातेहार जिले में महुआटांड़ से 14 किलोमीटर की दूरी पर उत्तरी कोयल नदी पर स्थित है

💨 इसकी ऊंचाई 143 मीटर है, यह झारखंड का सबसे ऊंचा जलप्रपात है, इससे लोधा जलप्रपात के नाम से भी जाना जाता है, यहां सितंबर अक्टूबर में इसके आसपास का दृश्य देखने योग्य अत्यंत ही मनोहर रहता है

7) सुखलदरी   जलप्रपात

💨सुखलदरी  जलप्रपात नगर उंटारी से लगभग 35 किलोमीटर दक्षिण में कन्हर नदी में स्थित है 

💨इसकी ऊंचाई लगभग 100 फीट की ऊंचाई से गिरते हुए देखने में आंखों को सुकून देने वाला दृश्य उत्पन्न करती है

8) हुंदरू जलप्रपात

💨हुंदरू जलप्रपात  रांची से 36 किलोमीटर पूर्व अनगड़ा प्रखंड के अंतर्गत स्वर्णरेखा नदी पर स्थित है 

💨इस जलप्रपात की ऊंचाई लगभग 98 मीटर (322 फीट) है , यह रांची  के निकट का और सबसे प्रसिद्ध जलप्रपात है

 💨यह  झारखंड का दूसरा सबसे ऊंचा जलप्रपात और भारत का 21वे  सबसे ऊंचा जलप्रपात है

9) हिरनी जलप्रपात

💨हिरनी जलप्रपात रांची चाईबासा मार्ग पर चक्रधरपुर से 40 किलोमीटर उत्तर में स्थित है

💨 इसकी जलधारा अधिक ऊंचाई से नहीं गिरती है फिर भी यहाँ का स्थान हरा-भरा दर्शकों  बहुत आकर्षित करता है, इसी कारण से अच्छा पिकनिक स्पॉट बना हुआ है

10) सीता जलप्रपात

💨सीता जलप्रपात रांची पुरुलिया मार्ग पर रांची से 45 किलोमीटर दूरी पर स्थित है

💨 इस जलप्रपात 350 फिट है, यहां पर 350 सीढ़ी  उतरकर झरने तक पहुंच सकते है 

💨झरना के पास सीता माता का मंदिर है, जिसका निर्माण बिरला परिवार ने कराया था, ऐसी मान्यता है, कि वनवास के दौरान भगवान राम, लक्ष्मण और सीता के साथ कुछ दिन के लिए यहां पर ठहरे हुए थे

 11) घाघरी जलप्रपात

💨घाघरी  जलप्रपात नेतरहाट पठार पर नेतरहाट से 7 किलोमीटर उत्तर में घाघरी  नदी पर स्थित है इसका  ऊंचाई  43 मीटर है,

12) सदनी  जलप्रपात

💨सदनी जलप्रपात गुमला जिले में शंख नदी पर स्थित है इसकी ऊंचाई लगभग 200 फीट है, इस जलप्रपात का आकार एक साँप  के रूप जैसा  है, जो देखने में बड़ा ही मनमोहक लगता है 





 



Share:

APPLICATIONS OF COMPUTERS IN VARIOUS FIELDS

APPLICATIONS OF COMPUTERS:

Computers are used in various fields in our daily life. Computers have made our life easier.

  • All government & private organizations use the computer to perform specific tasks, for entertainment, or just to finish office work.
  • With greater perfection & accuracy and less time taking computers can do a lot in a short time while that task a lot of time while doing manually.
  • It has taken industries & businesses to a whole new level.
  • It is used at home for work & entertainment purposes.

USES OF COMPUTER IN HOME:

The computer can be used at home in the following ways.
  • Home Budget: It can be managed home budget. We can easily calculate our expenses & income. We cal list all expenses in one column & income in another column. Then we can apply any calculations on these columns to plan our home budget. There is also specialized software that can manage our income & expenses and generate some cool reports.
  • Computer Games: An influential use of computers at home is playing games. Different types of games are available. These games are a source of entertainment & recreation. many games are available that are specially developed to improve our mental capability & thinking power.
  • Work-from-Home: People can manage office work at home. The owner of the company can check the work of the employees from home. The work being controlled by him, while sitting at home.
  • Entertainment: People can find entertainment on the internet. They can watch movies, listen to songs & watch videos to download different stuff. We people can also watch live matches on the internet.
  • Information: People can find various kinds of information on the internet. Educational & information websites are available to download books, tutorials, etc. to improve their knowledge & learn new things.
  • Chatting & Social Media: People can chat with their friends & family on the internet using different software like Skype, Hangouts, etc. One can interact with friends over social media websites like Facebook, Instagram, Twitter, Google Plus. They can also share photos & videos with friends.


USES OF COMPUTER IN EDUCATION:

Computer-Based Training (CBT) program includes text, graphics & sound, audio, video lecture, or record on CDs. CBT is a low-cost solution for educating people & train large people.

Benefits of CBT:
  • The students can learn new skills at their own place. They can easily get knowledge in any available time of their own choices.
  • Training time: can be reduced.
  • Training materials: interactive & easy to learn- encourages students to learn the topic in easy mode.
  • Plaining & time problems are eliminated.
  • The skills can be taught at any time & at any place.
  • Cost-effective to train a large number of students.
  • Training videos & audios are available at affordable prices.

Computer-Aided Learning (CAL):

  • It is the process of using information technology (IT) to help to teach & enhance the learning process. 
  • It can reduce the time that is spent on preparing teaching material.
  • It can also reduce the administrative load of teaching & research by use of multimedia projector & PowerPoint presentations.

Distance Learning Program (DLP):

  • New learning methodology.
  • Play a key role in this kind of learning.
  • Students do not need to come to the institutes.
  • Institute provides the reading material & the student attends virtual classroom (Google classroom).
  • In the virtual classroom, the teacher delivers a lecture at his own workplace.
  • Students can attend the lecture at home by connecting to a network & can also ask questions to the teacher.


Online Examination:

  • The trend of online examination is becoming popular nowadays.
  • Various examinations like GMAT, CAT, NEET, JEE, GRE, CSIR-NET are conducted online all over the world & it minimizes the chance of mistakes, as questions are marked by computer.
  • It also enables us to announce the result in time.


USES OF COMPUTER IN BUSINESS:

  • Businessmen are using computers to interact with their customers anywhere in the world, hence many businesses are performed more quickly & efficiently.
  • Use: To reduce the overall cost of their business.
It can be used in the business in the following ways;
  • Business: The computer made an integrated part in all business organizations, as it embedded a high speed of calculation, conscientiousness, accuracy, reliability, or versatility which made it an integrated part in all business organizations.



  • It is used in business organizations for:

 


Marketing: 

An institution or firm can use computers for marketing their products. The Marketing applications provide information about the products to customers & manages the distribution system, advertising & selling activities, deciding pricing strategies, customers and their needs & requirements, etc.

  • Advertisement: Professionals create art & graphics, write & revise copy, and print & disseminate adds with the goal of selling more products by using computers.

  • At-Home Shopping: It has been made possible through the use of computerized catalogs that provide access to product information & permit direct entry of orders to be filled by the customers. Eg. Flipkart, Amazon.

  • Stock Exchange: It is the most place for businessmen for trading & to conducts bids. They connect with the computer where brokers match the buyers with sellers & reduce cost as no paper or special building required to connect these activities.



USES OF COMPUTER IN MEDICINE & HEALTH CARE:

  • Hospital Management System: Specialized management software is used to automate the day to day procedure & operations at hospitals. Eg. Online appointment, payroll admittance, discharge records, etc.

  • Patient History: HMS can store data about patients in computers, like about patients, their disease & symptoms, the medicines that are prescribed.
  • Patient Monitoring: Monitoring systems are installed in medical wards & ICU to monitoring patients continuously. Eg. Pulse monitor, blood pressure, temperature & can alert medical staff about serious situations.
  • Life Support Systems: Specialised devices are used to help impaired patients like hearing aids, prosthetic footwear.
  • Diagnosis Purpose (Test Mode): A diverse software is used to investigate symptoms of the patient's disease & prescribed medicines accordingly. Sophisticated systems are used for tests like CT scan, ECG, & other medical tests. 
  • Patient Monitoring System: The computer checks patient's signs for abnormality such as Cardiac Arrest, ECG.
  • Pharma Information System: Computer checks Drug safety regulators, Drug-labels, Expiry dates, harmful drug's side effects, safety & efficacy of the medicines, etc. software like Medidata rave, etc.
  • Surgery: Nowadays, computers are also used in performing surgery. Eg. Laser operation in specialization filed of dermatology, oncology, etc.


USES OF COMPUTER IN ENGINEERING DESIGN:

Computers are widely used in Engineering purposes. One of the major is CAD (Computer-Aided Design), that provides creation & modification of the images. Some fields are:
  • Structural Engineering: Requires stress & strain analysis design for buildings, bridges, ships, airplanes, etc.

  • Industrial Engineering: Deals with design, implementation & improvement of the integrated systems of people, materials & types of equipment.
  • Architectural Engineering: Aids in planning towns, office design, interior design, designing buildings & determining a range of buildings on a site using both 2D & 3D drawings.


USES OF COMPUTER IN MILITARY:

Computers are largely used in defense. Modern tanks, missiles, weapons, etc. The Military also employs a computerized control system. Some military areas where a computer been used are:


USES OF COMPUTER IN GOVERNMENT:

The computer plays an important role in the government. Some major fields in this category are:

USES OF COMPUTER IN BANKING & INSURANCE:

Banking is totally dependent on the computer. Banks provide the following facilities:
  • Banks provide an online accounting facility, which includes current balances, deposits, overdrafts, interest charges, shares & trustee records.
  • ATM machines make it easier for customers to deal with banks.
Insurance companies like (LIC, ICICI, SBI, HDFC) are keeping all records up-to-date with the help of computers. They marinating a database of all policyholders with information showing:






Share:

Unordered List

Search This Blog

Powered by Blogger.

About Me

My photo
Education marks proper humanity.

Text Widget

Featured Posts

Popular Posts